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2019 लोकसभा चुनाव हिन्दू-मुस्लिम आधार पर बिल्कुल नहीं होगा!

    • आईचौक
    • Updated: 23 सितम्बर, 2018 04:07 PM
  • 23 सितम्बर, 2018 04:07 PM
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मध्य प्रदेश में बीजेपी के ही शिवराज सिंह चौहान ने SC/ST एक्ट पर मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ खड़े हो गये हैं. मध्य प्रदेश में 2019 से पहले ही विधानसभा चुनाव होना एक वजह जरूर है, लेकिन क्या पता आम चुनाव तक क्या क्या हो?

मध्य प्रदेश में एससी-एसटी एक्ट पर मोदी सरकार का नहीं, सुप्रीम कोर्ट का ही ऑर्डर चलेगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बाकायदा इसका ऐलान कर दिया है. हालांकि, एनडीए के भीतर ही शिवराज की इस घोषणा का विरोध शुरू हो गया है - और इसे वापस लेने की मांग होने लगी है.

मोदी सरकार द्वारा SC/ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट देने के बाद से सवर्णों में खासी नाराजगी देखने को मिली है - और इससे मुकाबले के लिए हर राजनीतिक दल अपनी अपनी तरकीब निकाल रहा है. मुश्किल में सबसे ज्यादा केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी ही लग रही है, लेकिन बेचैनी हर तरफ देखी जा सकती है.

मध्य प्रदेश में मोदी सरकार की नहीं चलेगी

शिवराज सिंह चौहान को लग रहा होगा कि 'सबका साथ, सबका विकास' वो ढोये जरूर जा रहे हैं, लेकिन सबका आशीर्वाद मिल पाएगा जरूरी नहीं. शिवराज सिंह चौहान का ये शक पक्का तब हुआ जब उनकी जन-आशीर्वाद यात्रा के दौरान चुरहट इलाके में सवर्ण समुदाय के लोग उनका रथ देखते ही पत्थरबाजी शुरू कर दिये. मामला हद से आगे बढ़ा उस मीटिंग में लगा जब भाषण के बीच ही उन पर किसी ने चप्पल चला दी.

"कुछ कुछ तो करना ही पड़ेंगी... ऐसे कैसे चलेगा..."

सिर पर चुनाव और मुख्यमंत्री की अगली पारी की कोशिश में जुटे शिवराज को मजबूरी में ही सही ऐलान तो करना ही पड़ा - 'SC/ST एक्ट में बगैर जांच के कोई गिरफ्तारी नहीं होगी.'

शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद एक स्वाभाविक सवाल था - क्या मध्य प्रदेश सरकार एससी-एसटी एक्ट को लेकर कोई अध्यादेश लाएगी?

हो सकता है शिवराज सिंह चौहान को किसी और खतरे का अहसास हो चुका हो, कहा तो बस...

मध्य प्रदेश में एससी-एसटी एक्ट पर मोदी सरकार का नहीं, सुप्रीम कोर्ट का ही ऑर्डर चलेगा. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बाकायदा इसका ऐलान कर दिया है. हालांकि, एनडीए के भीतर ही शिवराज की इस घोषणा का विरोध शुरू हो गया है - और इसे वापस लेने की मांग होने लगी है.

मोदी सरकार द्वारा SC/ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट देने के बाद से सवर्णों में खासी नाराजगी देखने को मिली है - और इससे मुकाबले के लिए हर राजनीतिक दल अपनी अपनी तरकीब निकाल रहा है. मुश्किल में सबसे ज्यादा केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी ही लग रही है, लेकिन बेचैनी हर तरफ देखी जा सकती है.

मध्य प्रदेश में मोदी सरकार की नहीं चलेगी

शिवराज सिंह चौहान को लग रहा होगा कि 'सबका साथ, सबका विकास' वो ढोये जरूर जा रहे हैं, लेकिन सबका आशीर्वाद मिल पाएगा जरूरी नहीं. शिवराज सिंह चौहान का ये शक पक्का तब हुआ जब उनकी जन-आशीर्वाद यात्रा के दौरान चुरहट इलाके में सवर्ण समुदाय के लोग उनका रथ देखते ही पत्थरबाजी शुरू कर दिये. मामला हद से आगे बढ़ा उस मीटिंग में लगा जब भाषण के बीच ही उन पर किसी ने चप्पल चला दी.

"कुछ कुछ तो करना ही पड़ेंगी... ऐसे कैसे चलेगा..."

सिर पर चुनाव और मुख्यमंत्री की अगली पारी की कोशिश में जुटे शिवराज को मजबूरी में ही सही ऐलान तो करना ही पड़ा - 'SC/ST एक्ट में बगैर जांच के कोई गिरफ्तारी नहीं होगी.'

शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद एक स्वाभाविक सवाल था - क्या मध्य प्रदेश सरकार एससी-एसटी एक्ट को लेकर कोई अध्यादेश लाएगी?

हो सकता है शिवराज सिंह चौहान को किसी और खतरे का अहसास हो चुका हो, कहा तो बस इतना ही - "मुझे जो कहना था वो मैंने कह दिया."

ज्यादा कुरेदने पर बोले, 'राज्य में सवर्ण, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति सभी वर्गों के हितों को सुरक्षित रखा जाएगा, जो भी शिकायत आएगी, उसकी जांच के बाद ही किसी की गिरफ्तारी होगी.'

SC/ST एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर को मोदी सरकार द्वारा बदलने के खिलाफ सवर्ण समाज, करणी सेना के साथ साथ सपाक्स यानी सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था सहित दर्जनों संगठन भारत बंद के दौरान सड़क पर उतरे. दलितों के भारत बंध की तरह हिंसा तो नहीं हुई लेकिन देश के कई हिस्सों से आगजनी और तोड़फोड़ की खबरें तो आईं ही.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के इस ऐलान से बीजेपी में ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं. दिल्ली से बीजेपी सांसद उदित राज की मांग है कि शिवराज सिंह चौहान को बयान वापस लेना चाहिए क्योंकि इससे दलितों में नाराजगी बढ़ेगी.

अपनी त्वरित टिप्पणी में उदित राज बोले, "इस मामले में मैं तकलीफ महसूस कर रहा हूं कि ऐसा बयान क्यों दिया है."

उदित राज ने ये भी कहा कि वो इस सिलसिले में शिवराज सिंह चौहान के साथ ही अमित शाह से भी बात करेंगे. उदित राज का सवाल है, "एससी-एसटी के मामले में ही क्यों ऐसा दोहरा चरित्र, दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है?"

चुनावी माहौल में शिवराज सिंह के विरोध में अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा और क्षत्रिय महासभा भी उतर आये हैं - नेताओं का कहना है कि चुनाव में लोगों से बीजेपी के खिलाफ वोट देने की अपील की जाएगी.

प्रशांत किशोर सहित सवर्ण नेताओं का बढ़ता असर

मध्य प्रदेश की ही तरह यूपी और बिहार में भी एससी-एसटी एक्ट में बदलाव को लेकर छटपटाहट राजनीतिक गलियारों में गहरायी से महसूस की जाने लगी है. जेडीयू में प्रशांत किशोर की औपचारिक एंट्री और एक मैथिल ब्राह्मण को कांग्रेस की कमान सौंपे जाने को भी इसी नजरिये से देखा जा रहा है. प्रशांत किशोर के जेडीयू ज्वाइन करने के पीछे वैसे तो ढेरों कारण हैं, लेकिन उनके ब्राह्मण होने का फायदा लेने की भी पूरी कोशिश है. बिहार में लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी का विरोधी सवर्ण समुदाय नीतीश के साथ ही खड़ा रहा है. लालू से हाथ मिलाकर महागठबंधन बनाने से नाराजगी के बावजूद उनका वोट नीतीश के ही खाते में गया.

सवर्णों के विरोध का चौतरफा असर...

सवर्ण तबके के वोट से ज्यादा उसकी एक खासियत किसी भी पार्टी विशेष के पक्ष में ओपिनियन तैयार करना भी रहा है. अगर इसका असर उल्टा पड़ा तो लेने के देने पड़ सकते हैं. बीजेपी तो ओपिनियन के लिए देश भर में संपर्क फॉर समर्थन कैंपेन ही चला रही है.

कांग्रेस ने भी इस बात को अंदर तक महसूस किया है - और बिहार कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में मदन मोहन झा की नियुक्ति के पीछे कोई और तर्क शायद ही टिक पाये. जो पद साल भर से कामचलाऊ अध्यक्ष कोकब कादरी के भरोसे चल रहा था उस पर तमाम दावेदारों को दरकिनार कर एक मैथिल ब्राह्मण एमएलसी की नियुक्ति यूं ही तो हो नहीं सकती.

जिस तरह शिवराज से एससी-एसटी एक्ट के मुद्दे पर उदित राज खफा हैं, उसी प्रकार बीजेपी के बुजुर्ग ब्राह्मण नेता कलराज मिश्र से भी ठन चुकी है.

75 पार होने के नाम पर मोदी कैबिनेट से बेदखल कलराज मिश्र को दोबारा बहाल तो नहीं किया गया है, लेकिन हाल ही में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी जरूर सौंपी गयी है. देवरिया से बीजेपी सांसद कलराज मिश्र को रक्षा संबंधी स्थायी समिति का चेयरपर्सन बनाया गया है. समिति में चेयरपर्सन कलराज मिश्र के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेताओं सहित 31 सदस्य हैं, जिनमें 21 राज्य सभा के और 10 सदस्य लोकसभा से हैं.

धर्म जैसा न सही पर ध्रुवीकरण तो पक्का है

देश में सवर्ण समुदाय की आबादी तकरीबन 15 फीसदी है जिसे बीजेपी अपना सुरक्षित वोट बैंक मानकर चलती है. बीजेपी को ब्राह्मण-बनिया पार्टी भी इसीलिए कहा जाता है.

शिवराज सिंह चौहान की तरह कोई ऐलान तो नहीं लेकिन यूपी के डिप्टी सीएम केशव मौर्या ने कड़े शब्दों में चेतावनी दे डाली है कि अगर पिछड़े समुदाय के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग की कोशिश हुई तो कोई बचेगा नहीं. इतने बवाल के बावजूद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को नहीं लगता कि 2019 के चुनावों में इससे कोई असर पड़ेगा. हो सकता है अमित शाह ने जातीय आधार पर नाराजगी को दबाने के लिए कोई और बड़ा उपाय संजो रखा हो.

वैसे SC/ST एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश बदलने के खिलाफ देश के कई हिस्सों में अलग अलग तरीके से आवाज उठ रही है. कई इलाकों में तो सवर्णों ने NOTA के इस्तेमाल तक की धमकी दे डाली है. NOTA का मतलब है - 'नन ऑफ द अबव' यानी ऊपरवालों में से कोई नहीं. मानना पड़ेगा बीजेपी की सोशल मीडिया टीम ने NOTA का नया फुल फॉर्म गढ़ डाला है - 'नमो वन टाइम अगेन' यानी नरेंद्र मोदी फिर एक बार.

कांग्रेस की पहल पर एनडीए के दलित नेताओं के दबाव में बीजेपी की नरेंद्र मोदी सरकार दलित वोट बैंक को खुश करने के चक्कर में सवर्ण वोट का बड़ा रिस्क लिया है. चुनाव नजदीक होने के कारण शिवराज सिंह को सबसे पहले आगे आना पड़ा है. 2019 अभी दूर तो है, मगर - क्या पता किसी दिन रात 8 बजे पूरे देश में ऐसी ही कोई व्यवस्था लागू होने की अचानक जानकारी मिले.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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