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नीतीश कुमार के मुंह से ये बात निकली है, मतलब चुनाव नजदीक आ गए हैं

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 06 जून, 2018 08:58 PM
  • 06 जून, 2018 08:58 PM
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नीतीश कुमार के मुंह से शराबबंदी कानून को लेकर संशोधन की बात निकली है यानी वो 2019 के लोकसभा चुनावों को देख रहे हैं और उसी की तैयारी में भी जुट गए हैं. 2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव भी होने हैं.

आपने अक्सर लोगों को ये कहते सुना होगा कि चुनाव में तो मुर्गा-दारू खूब चलते हैं. नीतीश कुमार ने हाल ही में जो कहा है, वो इस बात पर मुहर लगाता है. नीतीश कुमार ने इशारा किया है कि बिहार में लागू की गई शराबबंदी में संशोधन किया जा सकता है. नीतीश कुमार के मुंह से शराबबंदी कानून को लेकर संशोधन की बात निकली है यानी वो 2019 के लोकसभा चुनावों को देख रहे हैं और उसी की तैयारी में भी जुट गए हैं. 2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव भी होने हैं, जिसमें उनका ये बड़ा फैसला काफी फायदे वाला हो सकता है.

क्या बोले नीतीश?

नीतीश कुमार ने मंगलवार को जेडीयू के एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा है कि कहां पर क्या सुधार करने की जरूरत है, इस पर विचार-विमर्थ हो रहा है, जो भी संशोधन करना है, वह करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा मत समझिए कि हम लोगों की बातों को सुनते नहीं है. कहीं कोई कानून के प्रावधान हैं, जिसका सरकारी तंत्र के लोग फायदा उठा रहे हैं, तो इसके उपाय भी किए जाएंगे, ताकि लोगों को दिक्कत ना हो. वह ये भी बोले कि कुछ लोग पी भी रहे होंगे, लेकिन घर में छुपकर. इससे साफ है कि नीतीश कुमार को ये अंदाजा है कि शराबबंदी के बावजूद बहुत से लोग शराब पीते हैं.

तो क्या दोबारा शराब शुरू हो जाएगी बिहार में?

नीतीश कुमार ने जिस शराबबंदी को लागू किया था, उसके खत्म होने यानी दोबारा शराब की बिक्री शुरू होने का तो कोई सवाल नहीं उठता. लेकिन हां, लोगों का भरोसा जीतने के लिए नीतीश कानून में कुछ बदलाव जरूर कर सकते हैं. दरअसल, पहले महागठबंधन तोड़कर नीतीश कुमार भाजपा से जा मिले और अब भाजपा से भी उनकी कुछ अच्छी नहीं पट रही है. जिन उम्मीदों पर नीतीश ने भाजपा का दामन थाना था, कहीं से कहीं तक वो उम्मीदें पूरी होती नहीं दिख रही हैं. भाजपा से जुड़ते वक्त कहीं न कहीं नीतीश...

आपने अक्सर लोगों को ये कहते सुना होगा कि चुनाव में तो मुर्गा-दारू खूब चलते हैं. नीतीश कुमार ने हाल ही में जो कहा है, वो इस बात पर मुहर लगाता है. नीतीश कुमार ने इशारा किया है कि बिहार में लागू की गई शराबबंदी में संशोधन किया जा सकता है. नीतीश कुमार के मुंह से शराबबंदी कानून को लेकर संशोधन की बात निकली है यानी वो 2019 के लोकसभा चुनावों को देख रहे हैं और उसी की तैयारी में भी जुट गए हैं. 2020 में बिहार में विधानसभा चुनाव भी होने हैं, जिसमें उनका ये बड़ा फैसला काफी फायदे वाला हो सकता है.

क्या बोले नीतीश?

नीतीश कुमार ने मंगलवार को जेडीयू के एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा है कि कहां पर क्या सुधार करने की जरूरत है, इस पर विचार-विमर्थ हो रहा है, जो भी संशोधन करना है, वह करेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा मत समझिए कि हम लोगों की बातों को सुनते नहीं है. कहीं कोई कानून के प्रावधान हैं, जिसका सरकारी तंत्र के लोग फायदा उठा रहे हैं, तो इसके उपाय भी किए जाएंगे, ताकि लोगों को दिक्कत ना हो. वह ये भी बोले कि कुछ लोग पी भी रहे होंगे, लेकिन घर में छुपकर. इससे साफ है कि नीतीश कुमार को ये अंदाजा है कि शराबबंदी के बावजूद बहुत से लोग शराब पीते हैं.

तो क्या दोबारा शराब शुरू हो जाएगी बिहार में?

नीतीश कुमार ने जिस शराबबंदी को लागू किया था, उसके खत्म होने यानी दोबारा शराब की बिक्री शुरू होने का तो कोई सवाल नहीं उठता. लेकिन हां, लोगों का भरोसा जीतने के लिए नीतीश कानून में कुछ बदलाव जरूर कर सकते हैं. दरअसल, पहले महागठबंधन तोड़कर नीतीश कुमार भाजपा से जा मिले और अब भाजपा से भी उनकी कुछ अच्छी नहीं पट रही है. जिन उम्मीदों पर नीतीश ने भाजपा का दामन थाना था, कहीं से कहीं तक वो उम्मीदें पूरी होती नहीं दिख रही हैं. भाजपा से जुड़ते वक्त कहीं न कहीं नीतीश कुमार के मन में ये बात थी कि शायद बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

शराबबंदी कानून में क्या बदला जा सकता है?

पटना हाईकोर्ट 5 अप्रैल से ही शराबबंदी के कानून को गैरकानूनी करार चुकी है, लेकिन नीतीश कुमार ने एक नया अध्यादेश लागू करते हुए शराबबंदी को फिर से लागू कर दिया. अब वह पटना हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. हालांकि, शराबबंदी कानून के तहत जो सजा का प्रावधान है, उसमें हो सकता है कि नीतीश सरकार कुछ संशोधन कर दे. आपको बता दें कि अभी तक इस कानून में ऐसा प्रावधान है कि अगर किसी के घर में शराब पाई गई तो घर के सभी लोगों को जेल में डाला जा सकता है. यानी गलती किसी एक की और सजा सभी को. इसके तहत 10 साल तक की सजा का प्रावधान है. भाजपा नेता सुशील मोदी पहले ही इस कानून को तालिबानी कह चुके हैं. इस तरह के प्रावधानों को लेकर ही नीतीश कुमार का शराबबंदी कानून आलोचनाओं के घेरे में है, जिससे बाहर निकलने के लिए सजा के प्रावधान पर फिर से विचार किया जा सकता है.

बिहार में शराबबंदी को अचानक से लागू तो कर दिया, लेकिन शराब बनाने के काम में लगे लोगों का रोजगार भी इससे चला गया. शराबबंदी का कानून लागू होने के बाद सबसे अधिक दिक्कत गरीबों को हो रही है. पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है, उसमें करीब 75 फीसदी लोग गरीब ही हैं. वहीं दूसरी ओर शराबबंदी से बहुत से गरीब परिवार अब खुशहाली का जीवन बिता रहे हैं. पहले जो पति शराब पीकर पत्नियों को पीटा करते थे, वे अपनी पत्नियों पर अधिक ध्यान देने लगे हैं. देखा जाए तो शराबबंदी कानून का लागू होने बिहार के भले के लिए है, लेकिन इसमें कुछ खामियां हैं, जिन्हें दूर करना जरूरी है. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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