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लालू के 'जंंगल-राज' की आड़ में अपना 'पंगु राज' छुपाते नीतीश कुमार!

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 15 जनवरी, 2021 11:03 PM
  • 15 जनवरी, 2021 10:44 PM
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बिहार में कानून व्यवस्था (Bihar Law and Order) की हालत को लेकर मीडिया के सवाल पर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) भड़क जाते हैं और जंगलराज (Jungleraj) की दुहाई देने लगते हैं - ये चुनावी जुमला तो हो सकता है, लेकिन सरकार की खामियों पर परदा ढकने का बहाना तो नहीं हो सकता.

नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने बिहार में कानून व्यवस्था (Bihar Law and Order) को लेकर एक बार फिर 'जंगलराज' (Jungleraj) की दुहाई दी है. पूरे बिहार चुनाव के दौरान नीतीश कुमार और उनके साथी बीजेपी नेता लालू यादव और राबड़ी देवी के शासन को जंगलराज बताते हुए लोगों को डराते रहे - और नतीजे बता रहे हैं कि उसका फायदा भी मिला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो तेजस्वी यादव को 'जंगलराज' का युवराज कह कर संबोधित किया था.

बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरने के बावजूद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव बहुमत से कुछ ही सीटों से चूक भी गये, वरना - टक्कर तो जोरदार दी थी. ताज्जुब की बात तो ये है कि बिहार में कानून व्यवस्था को लेकर उठते सवालों के जवाब में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जंगलराज की ही दुहाई दे रहे हैं.

एक कार्यक्रम में मीडिया के सवाल पर नीतीश कुमार भड़क गये और एक पत्रकार के पेशे के प्रति निष्ठा पर ही सवाल उठा दिया. सवाल का जवाब देने की जगह नीतीश कुमार उलटे पूछने लगे कि पत्रकार किस पार्टी का समर्थक है?

अपनी आखिरी चुनावी रैली में अंत भला तो सब भला की दुहाई देने वाले नीतीश कुमार भला कब तक जंगलराज के नाम पर सरकार चलाते रहेंगे - बेशक नीतीश कुमार बीजेपी की चौतरफा घेरेबंदी से काफी दबाव महसूस कर रहे हैं - लेकिन ये कैसे भूल जाते हैं कि जंगलराज जैसे जुमले के सहारे चुनाव तो जीते जा सकते हैं लेकिन सरकार नहीं चलायी जाती!

'जंगलराज' के नाम पर राजनीति कब तक?

जैसे 2015 में मुख्यमंत्री बनने के बाद कुछ ही महीने बाद नीतीश कुमार आदित्य सचदेवा हत्याकांड के चलते निशाने पर आ गये थे, रूपेश सिंह मर्डर केस के बाद एक बार फिर वही स्थिति बन गयी है.

वैसे ही फिर से बिहार की कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं. फर्क बस ये है कि तब ये सवाल बीजेपी पूछ रही थी और इस बार आरजेडी नेता तेजस्वी यादव हमला बोल रहे हैं.

नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने बिहार में कानून व्यवस्था (Bihar Law and Order) को लेकर एक बार फिर 'जंगलराज' (Jungleraj) की दुहाई दी है. पूरे बिहार चुनाव के दौरान नीतीश कुमार और उनके साथी बीजेपी नेता लालू यादव और राबड़ी देवी के शासन को जंगलराज बताते हुए लोगों को डराते रहे - और नतीजे बता रहे हैं कि उसका फायदा भी मिला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो तेजस्वी यादव को 'जंगलराज' का युवराज कह कर संबोधित किया था.

बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरने के बावजूद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव बहुमत से कुछ ही सीटों से चूक भी गये, वरना - टक्कर तो जोरदार दी थी. ताज्जुब की बात तो ये है कि बिहार में कानून व्यवस्था को लेकर उठते सवालों के जवाब में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जंगलराज की ही दुहाई दे रहे हैं.

एक कार्यक्रम में मीडिया के सवाल पर नीतीश कुमार भड़क गये और एक पत्रकार के पेशे के प्रति निष्ठा पर ही सवाल उठा दिया. सवाल का जवाब देने की जगह नीतीश कुमार उलटे पूछने लगे कि पत्रकार किस पार्टी का समर्थक है?

अपनी आखिरी चुनावी रैली में अंत भला तो सब भला की दुहाई देने वाले नीतीश कुमार भला कब तक जंगलराज के नाम पर सरकार चलाते रहेंगे - बेशक नीतीश कुमार बीजेपी की चौतरफा घेरेबंदी से काफी दबाव महसूस कर रहे हैं - लेकिन ये कैसे भूल जाते हैं कि जंगलराज जैसे जुमले के सहारे चुनाव तो जीते जा सकते हैं लेकिन सरकार नहीं चलायी जाती!

'जंगलराज' के नाम पर राजनीति कब तक?

जैसे 2015 में मुख्यमंत्री बनने के बाद कुछ ही महीने बाद नीतीश कुमार आदित्य सचदेवा हत्याकांड के चलते निशाने पर आ गये थे, रूपेश सिंह मर्डर केस के बाद एक बार फिर वही स्थिति बन गयी है.

वैसे ही फिर से बिहार की कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं. फर्क बस ये है कि तब ये सवाल बीजेपी पूछ रही थी और इस बार आरजेडी नेता तेजस्वी यादव हमला बोल रहे हैं.

तेजस्वी यादव ने ये ट्वीट नीतीश कुमार के मीडिया के सवालों पर भड़कने को लेकर किया है. विधानसभा चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद तेजस्वी यादव का जोश हाई है और वो पहले के मुकाबले ज्यादा आक्रामक हो गये हैं.

रूपेश सिंह की हत्या में हुई 15 राउंड की फायरिंग से बिहार की राजधानी पटना दहल उठा - और अपराधियों को पकड़ने के लिए तत्काल प्रभाव से SIT बनायी गयी और उसमें सबसे तेज तर्रार 25 अफसरों को शामिल किया गया - लेकिन अब तक पूरा अमला अंधेरे में लकीर पीटता ही नजर आ रहा है.

नीतीश कुमार किस कदर बीजेपी के दबाव में काम कर रहे हैं, हर कोई समझ आ रहा है, लेकिन व्यवस्तागत चीजों का गुस्सा मीडिया पर निकालन से मुख्यमंत्री भले ही थोड़ा हल्का महसूस करें लेकिन इससे बिहार के लोगों का भला तो होने से रहा!

नीतीश कुमार से जब पत्रकारों ने घटना को लेकर सवाल किया तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कहना रहा, 'जो भी दोषी होंगे उन पर कार्रवाई होगी... पूरा पुलिस विभाग इस पर लगा हुआ है... स्पीडी ट्रायल किया जा रहा है, ताकि दोषियों पर तत्काल सख्त कार्रवाई की जाएगी... '

रूपेश मर्डर के साथ साथ जब बच्ची के साथ हुए रेप की घटना को लेकर सवाल हुआ तो नीतीश कुमार आपे से बाहर हो गये - और फिर अपना फेवरेट चुनावी जुमला पेश कर दिया - जंगलराज!

बोले, 'याद है आपको 2005 की घटनाएं? तब क्या होता था? उस पर आपने सवाल क्यों नहीं पूछा?'

मीडिया पर किसका गुस्सा निकाल रहे हैं नीतीश कुमार?

जब सही जवाब नहीं होता तो राजनीति में पूरे मामले को घुमाते हुए उलटे ही सवाल पूछा जाने लगता है. बचाव का कोई रास्ता नजर न आये तो पर्सनल अटैक का नुस्खा काम कर जाता है क्योंकि सामने वाला बचाव की मुद्रा में आ जाता है - नीतीश कुमार ने यही ट्रिक अपनाया.

सवाल पूछने वाले पत्रकार को ही कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करने लगे. पेशे के प्रति निष्ठा पर भी सवाल खड़े कर दिये. अभी तक तो सत्ता पक्ष को जिम्मेदारियों से बचते हुए विपक्ष को कठघरे में खड़ा करने की परंपरा देखी जाती रही, लेकिन नीतीश कुमार तो लगता है मीडिया को भी उसी छोर पर खड़ा देखने लगे हैं.

कानून व्यवस्था के सवाल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सवाल था, 'आप किस के समर्थक हैं?'

वैसे नीतीश कुमार को किस पर शक होगा? वो क्या जानना चाहते थे - ये कि पत्रकार किस राजनीतिक दल से सहानुभूति रखता है? या पत्रकार किस राजनीतिक दल के कहने पर सवाल पूछ रहा है?

क्या लगता है, नीतीश कुमार को ये लगा होगा कि पत्रकार आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के कहने पर ऐसे सवाल पूछ रहा है?

ऐसा तो नहीं कि नीतीश कुमार को लगा हो कि पत्रकार बीजेपी के इशारे पर उनको सवालों के घेरे में ले रहा है?

वैसे भी, भले ही तेजस्वी यादव कितने ही हमलावर क्यों न हों, नीतीश कुमार को ज्यादा गुस्सा तो बीजेपी पर ही आता होगा. बीजेपी नेतृत्व ने चारों तरफ से घेर जो रखा है. बीजेपी नेता अमित शाह की रणनीतियों के शिकार नीतीश कुमार बुरी तरह घिरा हुआ महसूस करने लगे हैं.

क्या नीतीश कुमार का पत्रकार के सवाल पर उतरा ये गुस्सा बीजेपी के दबाव से उपजा फ्रस्ट्रेशन है?

मीडिया से नीतीश कुमार कहते हैं कि पुलिस को हतोत्साहित मत कीजिये - और पत्रकार से ही पूछ बैठते हैं, 'पता करिये क्राइम कौन करता है? क्राइम करने वाले कौन हैं?'

क्या नीतीश कुमार का ये सवाल पुलिस की क्षमता और दक्षता पर सवाल खड़े नहीं करता?

जो सवाल मुख्यमंत्री को अपने पुलिस अफसरों से पूछना चाहिये वो मीडिया से पूछ रहे हैं. जो गुस्सा नीतीश कुमार को अपनी पुलिस पर उतारना चाहिये वो मीडिया पर उतार रहे हैं.

पूछते हैं, 'आपको मालूम है तो बताइए कि किस का मर्डर किसने किया है?' और फिर कहते हैं, 'पुलिस अपराधियों पर सख्त कार्रवाई करने के लिए तैयार है.'

अजीब हाल है पुलिस क्या सिर्फ कार्रवाई करने के लिए होती है?

या फिर सड़कों पर अवैध वसूली के लिए? हाल ही में पटना के एसएसपी एक दारोगा सहित आधा दर्जन पुलिसकर्मियों को ऐसे ही मामले में सस्पेंड किया है. पुलिस की ये कारस्तानी एक वायरल वीडियो के जरिये सामने आयी - जिसे राष्ट्रीय जनता दल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से शेयर किया गया.

जाहिर है मुख्यमंत्री को तेजस्वी यादव की पार्टी के इस कदम पर भी गुस्सा तो आया ही होगा. चुनावों के दौरान भी तेजस्वी यादव बिहार में बढ़ते अपराध पर सवाल उठा रहे थे और तब भी नीतीश कुमार 'जंगलराज' का ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया करते थे.

तेजस्वी के हमलों के जवाब में एक चुनावी रैली में नीतीश कुमार ने कहा था, 'वो हम से पूछता है कि अपराध क्यों बढ़ रहा है - जाकर अपने बाप से पूछो!' जैसे जैसे चुनाव प्रचार जोर पकड़ने लगा नीतीश कुमार को लालू यादव के परिवार के खिलाफ निजी हमले करते देखा गया - नतीजा ये हुआ कि विधानसभा सत्र के दौरान तेजस्वी यादव का भी गुस्सा फूट पड़ा. चुनावों के दौरान नीतीश कुमार ने लालू यादव के बच्चों की संख्या को लेकर भी मजाक उड़ाया था, लेकिन तेजस्वी यादव ने उसे महज महिलाओं का अपमान कह कर टाल दिया था, लेकिन सदन की कार्यवाही के दौरान ही फूट पड़े और हद से ज्यादा पर्सनल हो गये. इतने पर्सनल की मर्यादा की हदें भी लांघ गये.

तेजस्वी यादव बोले, 'हम ये भी कहना चाहते हैं कि मुख्यमंत्री जी को एक बेटा है... है भी कि नहीं, वे ही बताएंगे... हमने चुनाव में किसी पर कोई निजी हमला नहीं किया... मुद्दे की बात की... मुख्यमंत्री जी बच्चे गिनते रहे... नीतीश जी को एक बेटा है, लेकिन लोग यह भी कह सकते हैं कि बेटी के डर से दूसरी संतान पैदा नहीं की.

नवंबर, 2020 में मुख्यमंत्री पद के शपथग्रहण के बाद नीतीश कुमार को मीडिया पर दूसरी पर गुस्से में देखा गया. तेजस्वी यादव के सवाल पर भड़कना तो स्वाभाविक भी लगा क्योंकि ये तो 'डीएनए में खोट' खोजे जाने से भी गंभीर था, लेकिन मीडिया के सवाल पर नीतीश कुमार का भड़कना कुछ और नहीं बीजेपी के घेरे में फंसे एक अनुभवी नेता के मन की भड़ास भर है!

इन्हें भी पढ़ें :

BJP ने अगर RJD को तोड़ दिया तो नीतीश कुमार कहां जाएंगे?

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नीतीश कुमार क्यों चाहते हैं कि BJP और JD में सब कुछ ठीक न रहे ?


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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