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JDU द्वारा ट्रिपल तलाक बिल का विरोध नीतीश का 'मुस्लिम तुष्टिकरण'

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 15 जून, 2019 12:32 PM
  • 15 जून, 2019 12:32 PM
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तीन तलाक बिल पर मौजूदा कानून के प्रारूप का विरोध करने वाली जेडीयू इस बात को बखूबी जानती है कि अगर 2020 के विधानसभा चुनावों में उसे सत्ता सुख हासिल करना है. तो उसे हर हाल में मुस्लिम तुष्टिकरण करना ही होगा.

मोदी 2.0 में नए मंत्रिमंडल के गठन के बाद Nitish kumar की पार्टी JD और BJP के रिश्तों में खटास देखने को मिल रही है. नीतीश, PM Modi से खफा हैं. कारण, 2019 के चुनाव के बाद सहयोगी दलों को उनका नए मंत्रिमंडल में 1 सीट देना.16 सीटों पर जीत दर्ज करने वाले नीतीश की मांग थी कि उनकी तरफ से दो लोगों आरसीपी सिंह और लल्लन सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया जाए. जबकि संतोष कुशवाहा को राज्य मंत्री का दर्जा दिया जाए. ध्यान रहे कि नई सरकार बनने के वक़्त पीएम आवास पर जेडीयू की तरफ से कोई नेता नहीं पहुंचा था. बात रिश्तों में कड़वाहट की थी तो मीडिया ने भी इस मुद्दे को खूब घुमाया. जब इस विषय को लेकर नीतीश से सवाल हुआ तो उन्होंने दो टूक होकर इस बात को कहा कि, जेडीयू सरकार में शामिल नहीं होगी. भाजपा के प्रस्ताव पर पार्टी में सहमति नहीं बनी. इसलिए हम गठबंधन में बने रहेंगे. न हम नाराज हैं और न ही असंतुष्ट.

नया मंत्रिमंडल बने ठीक ठाक वक़्त गुजर चुका है और जैसे कयास लगाए जा रहे थे जेडीयू कुछ वैसा ही करती नजर आ रही है. (एनडीए) की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने नए तीन तलाक बिल का विरोध किया है. जेडीयू नेता केसी त्यागी का मत है कि, तीन तलाक बिल पर मौजूदा कानून का प्रारूप मंजूर नहीं है और वो बिल का विरोध करेंगे.

माना जा रहा है कि ट्रिपल तलाक बिल का विरोध करते हुए जेडीयू ने तुष्टिकरण का एक बड़ा दाव खेला है

बिल को लेकर त्यागी ने कहा कि, जेडीयू काफी पहले इसपर आपनी राय रख चुका है. हम सुधारों के समर्थक हैं लेकिन ये एक नाजुक मामला है इसलिए जितने भी स्टेक होल्डर्स हैं सबको विश्वास में लेकर ही ऐसे नाजुक मामले पर राय बनानी चाहिए और सभी राजनीतिक दलों को भी इस प्रक्रिया में शामिल करना चाहिए. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि इस विषय पर नीतीश...

मोदी 2.0 में नए मंत्रिमंडल के गठन के बाद Nitish kumar की पार्टी JD और BJP के रिश्तों में खटास देखने को मिल रही है. नीतीश, PM Modi से खफा हैं. कारण, 2019 के चुनाव के बाद सहयोगी दलों को उनका नए मंत्रिमंडल में 1 सीट देना.16 सीटों पर जीत दर्ज करने वाले नीतीश की मांग थी कि उनकी तरफ से दो लोगों आरसीपी सिंह और लल्लन सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया जाए. जबकि संतोष कुशवाहा को राज्य मंत्री का दर्जा दिया जाए. ध्यान रहे कि नई सरकार बनने के वक़्त पीएम आवास पर जेडीयू की तरफ से कोई नेता नहीं पहुंचा था. बात रिश्तों में कड़वाहट की थी तो मीडिया ने भी इस मुद्दे को खूब घुमाया. जब इस विषय को लेकर नीतीश से सवाल हुआ तो उन्होंने दो टूक होकर इस बात को कहा कि, जेडीयू सरकार में शामिल नहीं होगी. भाजपा के प्रस्ताव पर पार्टी में सहमति नहीं बनी. इसलिए हम गठबंधन में बने रहेंगे. न हम नाराज हैं और न ही असंतुष्ट.

नया मंत्रिमंडल बने ठीक ठाक वक़्त गुजर चुका है और जैसे कयास लगाए जा रहे थे जेडीयू कुछ वैसा ही करती नजर आ रही है. (एनडीए) की सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने नए तीन तलाक बिल का विरोध किया है. जेडीयू नेता केसी त्यागी का मत है कि, तीन तलाक बिल पर मौजूदा कानून का प्रारूप मंजूर नहीं है और वो बिल का विरोध करेंगे.

माना जा रहा है कि ट्रिपल तलाक बिल का विरोध करते हुए जेडीयू ने तुष्टिकरण का एक बड़ा दाव खेला है

बिल को लेकर त्यागी ने कहा कि, जेडीयू काफी पहले इसपर आपनी राय रख चुका है. हम सुधारों के समर्थक हैं लेकिन ये एक नाजुक मामला है इसलिए जितने भी स्टेक होल्डर्स हैं सबको विश्वास में लेकर ही ऐसे नाजुक मामले पर राय बनानी चाहिए और सभी राजनीतिक दलों को भी इस प्रक्रिया में शामिल करना चाहिए. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि इस विषय पर नीतीश कुमार ने लॉ कमीशन के चेयरमैन को पत्र लिखकर अपनी और पार्टी की राय बता दी है और कहा है कि सुधार हों और सबकी सहमती पर हों. इसके अलावा त्यागी ने ये भी कहा है कि क्योंकि ये अल्पसंख्यक का मामला है इसलिए किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए.

वहीं जब त्यागी ने ये पूछा गया कि जो मौजूदा बिल का ड्राफ्ट है उससे आप सहमत नहीं हैं? तो इसका जवाब देते हुए केसी त्यागी ने प्रकाश जावड़ेकर का नाम लेते हुए कहा कि जो विपक्ष के पॉइंट्स हैं उसको भी इसमें हम शामिल करेंगे इसलिए संसद की बहस के नतीजे के दौरान हम तय करेंगे कि किस तरह का प्रारूप है. अगर हमको लगेगा कि ये सही है तभी इसे स्वीकार किया जाएगा.

ट्रिपल तलाक मुद्दे पर जिस तरह के तेवर केसी त्यागी के थे साफ है कि तीन तलाक को बड़ा हथियार बनाकर जेडीयू कहीं न कहीं भाजपा की नाक में दम करने वाली है और साथ ही वो उस बेइज्जती का बदला ले रही है जो अभी हाल ही में मोदी 2.0 के नए मंत्रिमंडल के गठन के वक़्त देखने को मिली.

आपको बताते चले कि सरकार तीन तलाक के खिलाफ संसद में एक विधेयक लाएगी. जिसके जरिए तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाया जाएगा. इसके तहत तीन साल की जेल व जुर्माना होगा. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी है. इसे संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा. बिल के सन्दर्भ में बता दे कि पिछली बार ये बिल संसद में पास नहीं हो सका था और तब भी जेडीयू ही वो दल था जिसने इसका विरोध किया था. इस बार जेडीयू का इस बिल के पक्ष में वोट करना बहुत जरूरी है क्योंकि जेडीयू एनडीए का सहयोगी दल है.

बहरहाल, तीन तलाक के विषय पर जो बयान के सी त्यागी ने दिया है. यदि उसका अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि, उन्होंने अपनी कही बात में अल्पसंख्यक समुदाय का जिक्र किया है. त्यागी ने साफ तौर पर कहा है कि चूंकि ये अल्पसंख्यक समुदाय का मामला है इसलिए इसे किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए.

सवाल होगा कि आखिर त्यागी को अपनी कही बात में अल्पसंख्यक यानी मुसलमानों का जिक्र करने की क्या जरूरत थी? तो इसका सीधा जवाब है बिहार चुनाव. 2020 में चुनाव हैं और जिस तरह जेडीयू ने तीन तलाक पर तुष्टिकरण का बड़ा दाव खेला है. कहीं न कहीं वो अपने आपको मुसलमानों का हमदर्द साबित कर उन्हें अपने पाले में करना चाहती है.

बात अगर बिहार में मुसलमानों की आबादी की हो तो बिहार का शुमार भारत के उन राज्यों में है जहां 18 % के तौर पर मुसलमानों की एक बड़ी आबादी रहती है. अब ऐसे में जिस तरह से जेडीयू बिल का विरोध कर रही है साफ हो जाता है कि मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग वो होगा जो जेडीयू को उनकी इस मेहरबानी का फल देगा.

ध्यान रहे कि बिहार को ऐसे राज्य के रूप में भी देखा जाता है जहां राजनीति का आधार ही धर्म और जाति है. इन बातों के बाद खुद इस बात की पुष्टि हो जाती है कि इस विरोध का बड़ा फायदा राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आगामी चुनाव में मिलने वाला है.

खैर, अब जबकि जेडीयू खुल कर इस बिल के विरोध में आ गया है तो देखना दिलचस्प रहेगा कि उसके इस प्रयास से बिहार के मुसलमान उसकी तरफ आकर्षित हो पाएंगे या नहीं. हमें ये समझना होगा कि नीतीश, पीएम की नहीं बल्कि सीएम बने रहने की लड़ाई लड़ रहे हैं. नीतीश इस बात को भली प्रकार जानते हैं कि बिहार के मुसलमानों के साथ के बिना न तो उनका विकास ही हो सकता है और न ही कल्याण. इसलिए उन्हें रिझाने के लिए जो भी साम दाम दंड भेद वो कर रहे हैं वो उनकी राजनीति के लिए फ़िलहाल बहुत जरूरी है.   

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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