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Nawab Malik vs Sameer Wankhede: क्या दलित मुस्लिमों को मिलता है आरक्षण?

    • प्रभाष कुमार दत्ता
    • Updated: 29 अक्टूबर, 2021 02:27 PM
  • 29 अक्टूबर, 2021 02:25 PM
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महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और वरिष्ठ एनसीपी नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) ने समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede) पर एससी समुदाय (SC) के फर्जी सर्टिफिकेट के जरिये आईआरएस (IRS) के रूप में नौकरी पाने के आरोप लगाए हैं. आइए जानते हैं कि क्या दलित मुस्लिमों को मिलता है आरक्षण?

मुंबई क्रूज ड्रग केस (Mumbai Cruise Drug Case) की जांच दो दिशाओं में बंटी हुई नजर आ रही है. जिसमें से एक जांच इंडियन रेवेन्यू सर्विस के आईआरएस ऑफिसर समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede) के खिलाफ भी चल रही है. दरअसल, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारी समीर वानखेड़े के नेतृत्व में एनसीबी की टीम ने एक क्रूज पर छापेमारी की थी. जहां से बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) और अन्य को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले के सामने आने के बाद समीर वानखेड़े को एक साहसी अधिकारी के तौर पर पेश किया जा रहा था, जो बिना किसी दबाव में आए एक बड़े सेलिब्रिटी के बेटे के खिलाफ कार्रवाई कर रहे थे. जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और वरिष्ठ एनसीपी नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) ने वानखेड़े पर आरोपों की बौछार कर दी. नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े के धर्म और उनके आईआरएस (IRS) के रूप में नौकरी पर सवाल उठाए हैं.

नवाब मलिक ने कई दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि समीर वानखेड़े एक पैदाइशी मुस्लिम हैं और उन्होंने दलित वर्ग के झूठे कागजातों के सहारे आईआरएस की नौकरी पाई है. मलिक ने ये दावा करते हुए समीर वानखेड़े की पहली पत्नी के साथ उनके निकाहनामे की एक फोटो ट्वीट की है. नवाब मलिक ने ये भी दावा किया है कि समीर वानखेड़े के पिता भी धर्मांतरण कर मुस्लिम बन गए थे. समीर वानखेड़े की पत्नी ने इन सभी आरोपों को नकारते हुए कहा है कि ये सभी दस्तावेज फर्जी हैं.

नवाब मलिक ने दावा किया है कि समीर वानखेड़े पैदाइशी मुस्लिम हैं.

अगर समीर वानखेड़े मुस्लिम हैं, तो दिक्कत क्या है? क्या मुस्लिमों में दलित नहीं होते हैं?

भारत का संविधान इसे एक धर्मनिरपेक्ष देश घोषित करता है, जहां धार्मिक स्वतंत्रता को...

मुंबई क्रूज ड्रग केस (Mumbai Cruise Drug Case) की जांच दो दिशाओं में बंटी हुई नजर आ रही है. जिसमें से एक जांच इंडियन रेवेन्यू सर्विस के आईआरएस ऑफिसर समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede) के खिलाफ भी चल रही है. दरअसल, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारी समीर वानखेड़े के नेतृत्व में एनसीबी की टीम ने एक क्रूज पर छापेमारी की थी. जहां से बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) के बेटे आर्यन खान (Aryan Khan) और अन्य को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले के सामने आने के बाद समीर वानखेड़े को एक साहसी अधिकारी के तौर पर पेश किया जा रहा था, जो बिना किसी दबाव में आए एक बड़े सेलिब्रिटी के बेटे के खिलाफ कार्रवाई कर रहे थे. जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और वरिष्ठ एनसीपी नेता नवाब मलिक (Nawab Malik) ने वानखेड़े पर आरोपों की बौछार कर दी. नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े के धर्म और उनके आईआरएस (IRS) के रूप में नौकरी पर सवाल उठाए हैं.

नवाब मलिक ने कई दस्तावेज सार्वजनिक किए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि समीर वानखेड़े एक पैदाइशी मुस्लिम हैं और उन्होंने दलित वर्ग के झूठे कागजातों के सहारे आईआरएस की नौकरी पाई है. मलिक ने ये दावा करते हुए समीर वानखेड़े की पहली पत्नी के साथ उनके निकाहनामे की एक फोटो ट्वीट की है. नवाब मलिक ने ये भी दावा किया है कि समीर वानखेड़े के पिता भी धर्मांतरण कर मुस्लिम बन गए थे. समीर वानखेड़े की पत्नी ने इन सभी आरोपों को नकारते हुए कहा है कि ये सभी दस्तावेज फर्जी हैं.

नवाब मलिक ने दावा किया है कि समीर वानखेड़े पैदाइशी मुस्लिम हैं.

अगर समीर वानखेड़े मुस्लिम हैं, तो दिक्कत क्या है? क्या मुस्लिमों में दलित नहीं होते हैं?

भारत का संविधान इसे एक धर्मनिरपेक्ष देश घोषित करता है, जहां धार्मिक स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार में निहित माना जाता है. नवाब मलिक ने साफ किया है कि वह समीर वानखेड़े के धर्म पर सवाल नहीं उठा रहे हैं. बल्कि, आईआरएस की नौकरी हासिल करने की वैधता पर सवाल उठा रहा हूं. कानून के तहत भारत में भारत में कुछ वर्गों के लोगों के लिए शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण है. अनुसूचित जाति के आवेदकों को सरकारी नौकरियों में 15 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है. आरक्षण का यह अधिकार 1950 के संविधान (अनुसूचित जाति) ऑर्डर से मिलता है. इस अनुसूचित जाति ऑर्डर में कई बदलाव किए गए, जिनमें 1956 और 1990 का संशोधन महत्वपूर्ण है. इसमें कहा गया है कि हिंदू या सिख या बौद्ध धर्म से अलग धर्म को मानने वाले किसी भी व्यक्ति को अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जा सकता है. लेकिन, इसी ऑर्डर में यह भी बताया गया है कि मुसलमानों में भी दलित हैं. हालांकि, इसमें कहा गया है कि उन पर अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के तौर पर व्यवहार करने के लिए कोई धार्मिक रोक नहीं है.

ऑर्डर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें...https://persmin.gov.in/DOPT_Brochure_Reservation_SCSTBackward_Index.asp

क्या मुस्लिमों को मिलता है आरक्षण?

भारत का संविधान धर्म आधारित आरक्षण नहीं देता है. लेकिन, कुछ राज्यों में और केंद्र की सूची में मुस्लिम समाज की कुछ जातियों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया जाता है. लेकिन, लाभ लेने वाले को पिछड़ा वर्ग या अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के सदस्य के तौर पर ही आरक्षण दिया जाता है. उदाहरण के लिए, बिहार में मुस्लिम वर्ग के अंसारी, मंसूरी, इदरीसी और धोबी को पिछड़े वर्ग के अंतर्गत आरक्षण दिया जाता है. जो अन्य पिछड़ा वर्ग वर्ग की कोटा स्कीम का हिस्सा होता है. दलित या अनुसूचित जाति के अंतर्गत कोई मुस्लिम आरक्षण का दावा नहीं कर सकता है. नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े पर यही करने का आरोप लगाया है. दलित मुसलमानों और दलित ईसाइयों को आरक्षण का लाभ देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट के सामने एक याचिका दायर की गई है. राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने 2008 में भी इसी तरह की सिफारिश की थी.

क्या होगा अगर एक दलित जाति से बाहर शादी, धर्मांतरण या फिर से धर्म वापसी कर ले?

1950 के अनुसूचित जाति ऑर्डर में कहा गया है कि जो शख्स आरक्षण के लाभ का दावा करना चाहता है, उसे एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा कि वह जन्म से अनुसूचित जाति के रूप में सूचीबद्ध किसी जाति से संबंधित है. इसमें यह भी कहा गया है कि अंतर्जातीय विवाह किसी व्यक्ति के एससी स्टेटस को नहीं बदलता है. इस विवाह से होने वाले बच्चों को पिता की जाति का माना जाएगा. अगर मां एससी वर्ग की है, तो आरक्षण का लाभ लेने के लिए बच्चों को यह साबित करना होगा कि उन्हें उनकी मां ने पाला है. धर्मांतरण पर यह ऑर्डर कहता है कि एक धर्मांतरित या हिंदू और सिख धर्म में फिर से धर्मांतरण को अनुसूचित जाति के सदस्य के रूप में स्वीकार किया जाएगा. अगर उसे संबंधित अनुसूचित जाति के सदस्य के रूप में वापस स्वीकार किया गया है.

समीर वानखेड़े के मामले में नियम क्या कहते हैं?

समीर वानखेड़े ने 2007 बैच के अधिकारियों के लिए संघ लोक सेवा आयोग (PSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा (CSE) पास की थी. जबकि, उनके परिवार ने दावा किया है कि नवाब मलिक द्वारा लगाए गए आरोप मनगढ़ंत और झूठे हैं, उनका मामला कुछ गंभीर सवालों के जवाब पर निर्भर करेगा. क्या समीर वानखेड़े के जन्म के समय उनके पिता मुसलमान थे? क्या समीर वानखेड़े एससी समुदाय के सदस्य के रूप में हिंदू धर्म में वापसी करने से पहले मुस्लिम थे? क्या सिविल सेवा परीक्षा में समीर वानखेड़े ने एससी सर्टिफिकेट के जरिये आरक्षण का लाभ पाने के लिए धर्म परिवर्तन किया था?

अगर एससी कोटा का लाभ अवैध तरीके से लिया गया है, तो क्या होगा?

अगर ऐसा होता है, तो दोषी को नौकरी से हटा दिया जाएगा. सरकार उस शख्स के खिलाफ अपराधिक मुकदमा भी शुरू कर सकती है और सैलरी के तौर पर उठाई गई धनराशि की वसूली भी कर सकती है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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