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अरूसा के 'दोस्‍त' अमरिंदर आखिर सिद्धू पर उंगली कैसे उठा सकते हैं

    • आईचौक
    • Updated: 23 अगस्त, 2018 07:00 PM
  • 23 अगस्त, 2018 06:57 PM
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सिद्धू के मामले में तो अमरिंदर सिंह ने उनके जनरल बाजवा को गले लगाने पर विरोध जाहिर किया, लेकिन जिस दोस्ती को लेकर सिद्धू को बुरा-भला कहा जा रहा है वही दोस्ती तो अमरिंदर सिंह सालों से निभाते आ रहे हैं.

लड़का और लड़की तो छोड़िए पिछले कुछ दिनों से हिंदुस्तान में दो Hug यानी दो अलग-अलग लोगों का गले लगने विवाद का कारण बन रहा है. यहां पहला नंबर राहुल गांधी का है जिन्होंने नरेंद्र मोदी को जबर्दस्‍ती गले लगाया था और दूसरा नंबर अब आया है सिद्धू का जिन्होंने पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बजवा को गले लगा लिया.

आलम ये है कि रात में खाना खाते वक्त मेरी एक सहेली मुझसे कह रही थी कि, 'क्या तूने सिद्धू के बारे में देखा, भई पाकिस्तान ही चला जाए न वो.' ये घटना मुझे बताती है कि हम किस हद तक सिद्धू के पाकिस्तान जनरल को गले लगाने से आहत हैं. यहां तक कि भारत में इस बात पर इतनी राजनीति हो रही है कि पंजाब सीएम अमरिंदर सिंह ने भी इस बात को गलत बता दिया है. बाकी लोगों की बात तो छोड़ ही दीजिए.

सिद्धू के मामले में तो अमरिंदर सिंह ने इस बात को गलत ठहरा दिया, लेकिन वो कहावत है न चिराग तले अंधेरा. कुछ यही हाल अमरिंदर सिंह का है. पाकिस्तान से जिस दोस्ती को लेकर सिद्धू को बुरा-भला कहा जा रहा है वही दोस्ती तो अमरिंदर सिंह सालों से निभाते आ रहे हैं.

अरूसा आलम: अमरिंदर सिंह की पाकिस्तानी 'दोस्त'

पत्रकार सीमा मुस्तफा ने उन्हें पंजाब की प्रथम महिला कहा, लेखिका शोभा डे ने अमरिंदर सिंह की लिव-इन पार्टनर, आप लीडर सुखपाल खैरा ने तो कुछ आपत्तिजनक शब्दों का भी इस्तेमाल किया. यहां बात हो रही है अरूसा आलम की जो पंजाब के चीफ मिनिस्टर अमरिंदर सिंह के साथ उनके घर में रहती हैं.

बाएं से नवजोत सिंह सिद्धू, अरूसा आलम और कैप्टन अमरिंदर सिंह

अरूसा के नाम पर इतना बवाल इसलिए होता है क्योंकि वो पाकिस्तानी हैं. अरूसा आलम वापस से सुर्खियों में हैं क्योंकि नवजोत सिंह सिद्धू ने एक पाकिस्तानी को गले लगा लिया है.

एक आर्टिकल में शोभा डे ने लिखा...

लड़का और लड़की तो छोड़िए पिछले कुछ दिनों से हिंदुस्तान में दो Hug यानी दो अलग-अलग लोगों का गले लगने विवाद का कारण बन रहा है. यहां पहला नंबर राहुल गांधी का है जिन्होंने नरेंद्र मोदी को जबर्दस्‍ती गले लगाया था और दूसरा नंबर अब आया है सिद्धू का जिन्होंने पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बजवा को गले लगा लिया.

आलम ये है कि रात में खाना खाते वक्त मेरी एक सहेली मुझसे कह रही थी कि, 'क्या तूने सिद्धू के बारे में देखा, भई पाकिस्तान ही चला जाए न वो.' ये घटना मुझे बताती है कि हम किस हद तक सिद्धू के पाकिस्तान जनरल को गले लगाने से आहत हैं. यहां तक कि भारत में इस बात पर इतनी राजनीति हो रही है कि पंजाब सीएम अमरिंदर सिंह ने भी इस बात को गलत बता दिया है. बाकी लोगों की बात तो छोड़ ही दीजिए.

सिद्धू के मामले में तो अमरिंदर सिंह ने इस बात को गलत ठहरा दिया, लेकिन वो कहावत है न चिराग तले अंधेरा. कुछ यही हाल अमरिंदर सिंह का है. पाकिस्तान से जिस दोस्ती को लेकर सिद्धू को बुरा-भला कहा जा रहा है वही दोस्ती तो अमरिंदर सिंह सालों से निभाते आ रहे हैं.

अरूसा आलम: अमरिंदर सिंह की पाकिस्तानी 'दोस्त'

पत्रकार सीमा मुस्तफा ने उन्हें पंजाब की प्रथम महिला कहा, लेखिका शोभा डे ने अमरिंदर सिंह की लिव-इन पार्टनर, आप लीडर सुखपाल खैरा ने तो कुछ आपत्तिजनक शब्दों का भी इस्तेमाल किया. यहां बात हो रही है अरूसा आलम की जो पंजाब के चीफ मिनिस्टर अमरिंदर सिंह के साथ उनके घर में रहती हैं.

बाएं से नवजोत सिंह सिद्धू, अरूसा आलम और कैप्टन अमरिंदर सिंह

अरूसा के नाम पर इतना बवाल इसलिए होता है क्योंकि वो पाकिस्तानी हैं. अरूसा आलम वापस से सुर्खियों में हैं क्योंकि नवजोत सिंह सिद्धू ने एक पाकिस्तानी को गले लगा लिया है.

एक आर्टिकल में शोभा डे ने लिखा है कि, 'मीडिया सिद्धू को लेकर इतना बवाल क्यों मचा रही है, जब्कि हम चीफ मिनिस्टर अमरिंदर सिंह के एक पाकिस्तानी महिला को अपनाने को लेकर कुछ नहीं कहते.'

अरूसा आलम अमरिंदर सिंह की बेहद करीबी दोस्त हैं और इसको लेकर किसी को कोई आपत्ती होनी भी नहीं चाहिए सिवाए अमरिंदर सिंह के परिवार के. जो चाहते हुए या न चाहते हुए अरूसा को अपना चुके हैं. पर यहां नवजोत सिंह सिद्धू को दोष दिया जा रहा है, लेकिन कप्तान अमरिंदर सिंह को कोई कुछ नहीं कहता.

कौन हैं अरूसा आलम?

अरूसा आलम पाकिस्तान की एक डिफेंस जर्नलिस्ट हैं जिन्हें पंजाब में अमरिंदर सिंह का सबसे करीबी माना जाता है. अमरिंदर सिंह जो पटियाला के पूर्व महाराज भी रह चुके हैं अरूसा से लगातार मिलते हैं. अरूसा उनके घर आती-जाती हैं, हां पटियाला नहीं जातीं क्योंकि अमरिंदर सिंह का परिवार इसे सही नहीं मानता.

अरूसा कैप्टन अमरिंदर सिंह को महाराज साहिब कहती हैं और उनके शपत ग्रहण समारोह में अरूसा को वीवीआईपी सीट भी मिली थी.

अरूसा 2004 में कप्तान अमरिंदर सिंह से मिली थीं जब वो पाकिस्तान गए थे. अरूसा अकलीन अख्तर की बेटी हैं जिनका 1970 के दशक में पाकिस्तानी राजनीति में दबदबा था. अरूसा की मां को 'रानी जनरल' भी कहा जाता था.

अरूसा को अपनी मां की पहचान विरासत में मिली और क्योंकि उनकी मिलिट्री में इतनी पकड़ थी इसलिए अरूसा ने डिफेंस जर्नलिस्ट बन मिलिट्री के बारे में लिखना शुरू किया. अरूसा को उनकी अगस्ता-90B सबमरीन डील की रिपोर्ट के लिए भी जाना जाता है जिसकी वजह से पाकिस्तानी नौसेना अध्यक्ष मनसुरुल हक को 1997 में गिरफ्तार कर लिया गया था.

अरूसा की शादी हो गई थी और उनके शादी से दो बच्चे भी हैं. उन्हें हमेशा से ही भारत में दिलचस्पी रही है और भारत आने के निमंत्रण को हमेशा स्वीकार किया है.

अमरिंदर सिंह और अरूसा आलम..

2007 में पहली बार अरूसा आलम के नाम को अमरिंदर सिंह के नाम से जोड़ा गया था. दोनों को एक साथ कई बार देखा गया था. उस समय अरूसा ने कहा था कि वो दोनों सिर्फ अच्छे दोस्त हैं. लेकिन अमरिंदर सिंह की बायोग्राफी 'The People's Maharaja' में एक चैप्टर में अमरिंदर सिंह और अरूसा के रिश्ते की बात कही गई है. किताब में लिखा है कि अमरिंदर सिंह और अरूसा का रिश्ता बहुत खूबसूरत है और वो उस रिश्ते पर गर्व करते हैं.

अरूसा अक्सर अमरिंदर सिंह के साथ दिखती हैं

उनका रिश्ता हमेशा से ही बेहद विवादास्पद रहा है. अमरिंदर सिंह की पत्नी और पूर्व मिनिस्टर प्रीनीत कौर ने कभी इसके बारे में सार्वजनिक तौर पर नहीं बोला. अरूसा आलम कभी पटियाला नहीं जातीं और अपना अधिकतर समय चंडीगढ़ में ही बिबाती हैं. लाहौर और चंडीगढ़ के बीच का अंतर उतना ही है जितना दिल्ली और चंडीगढ़ का.

सिद्धू और बाजवा के एक दूसरे को गले लगाने वाला मामला बहुत ही आम नज़र आता है. दोनों पंजाबी जाट परिवारों से ताल्लुक रखते हैं. वो पंजाबी ही थे जिन्होंने बंटवारे के समय सबसे ज्यादा तकलीफ उठाई थी फिर भी वो पंजाबी ही हैं जो हमारे पड़ोसी देश से मधुर संबंध बनाने की ताकत रखते हैं और काफी हद तक कोशिश भी कर रहे हैं. पंजाब के डिप्टी सीएम नवजोत सिंह सिद्धू ने हमारे पड़ोसी देश के साथ मधुर संबंध बनाने की पहल की है और उनके मामले में इतना विवाद सही नहीं है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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