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कांग्रेस के लिए काम करें न करें - सिद्धू का काम तो प्रशांत किशोर ने बना ही दिया

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    • Updated: 06 जून, 2020 07:56 PM
  • 06 जून, 2020 07:56 PM
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नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) के बुरे दिन अब खत्म होने को हैं. खास बात ये है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amrinder Singh) भी अब सिद्धू को लेकर बहुत नरम पड़ चुके हैं - और ऐसा लगता है ये सारा करिश्मा प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) के बुने ताने बाने की बदौलत मुमकिन हो रहा है.

नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) और कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amrinder Singh) की लड़ाई तकरीबन खत्म हो चुकी है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अब नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर नरम पड़ने लगे हैं. कैप्टन अमरिंदर की नाराजगी के चलते ही सिद्धू को मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद फौरन ही सरकारी बंगला भी खाली करना पड़ा था.

इसी साल फरवरी में सिद्धू ने दिल्ली आकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी - और पता चला कि पंजाब को लेकर सिद्धू अपने एक्शन प्लान का प्रजेंटेशन दिखाया है. ये तो नहीं मालूम कि सिद्धू के एक्शन प्लान में क्या था, लेकिन ये तो माना ही जा सकता है कि उसमें उनकी मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी की ही बातें होंगी.

सिद्धू की नयी पारी के लिए व्यूह रचना चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की तैयार की हुई लगती है, लेकिन ऐन मौके पर आगे बढ़ कर कैप्टन ने मामला संभालते हुए कांग्रेस नेतृत्व को संदेश देने की कोशिश की है - सब ठीक ठाक है चिंता वाली कोई बात नहीं है.

सिद्धू के मामले में नरम पड़े कैप्टन

ये तो बाद की बात है कि प्रशांत किशोर पंजाब में कांग्रेस के लिए काम करेंगे या नहीं? ये भी बाद की ही बात है कि पंजाब में प्रशांत किशोर को कांग्रेस के चुनावी मुहिम के लिए काम करने की मंजूरी सोनिया गांधी देंगी या नहीं?

और ये भी बाद की ही बात है कि कैप्टन अमरिंदर पंजाब कांग्रेस का 2022 में भी नेतृत्व करते हैं कि नहीं - लेकिन ये तो अब साफ हो ही चुका है कि नवजोत सिंह सिद्धू के मामले में कैप्टन अमरिंदर सिंह को को बैकफुट पर आना पड़ा है. ये सब हुआ है दिल्ली के मुख्यमंत्री आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल के एक बयान की बदौलत.

एक टीवी प्रोग्राम में बातचीत के दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'नवजोत सिंह सिद्धू का आम आदमी पार्टी में स्वागत रहेगा.' कुछ दिन पहले AAP की पंजाब यूनिट के प्रमुख भगवंत मान ने भी कहा था कि अगर सिद्धू पार्टी में शामिल होने का फैसला करते हैं तो वो...

नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) और कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amrinder Singh) की लड़ाई तकरीबन खत्म हो चुकी है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अब नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर नरम पड़ने लगे हैं. कैप्टन अमरिंदर की नाराजगी के चलते ही सिद्धू को मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद फौरन ही सरकारी बंगला भी खाली करना पड़ा था.

इसी साल फरवरी में सिद्धू ने दिल्ली आकर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी - और पता चला कि पंजाब को लेकर सिद्धू अपने एक्शन प्लान का प्रजेंटेशन दिखाया है. ये तो नहीं मालूम कि सिद्धू के एक्शन प्लान में क्या था, लेकिन ये तो माना ही जा सकता है कि उसमें उनकी मुख्यमंत्री पद को लेकर दावेदारी की ही बातें होंगी.

सिद्धू की नयी पारी के लिए व्यूह रचना चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की तैयार की हुई लगती है, लेकिन ऐन मौके पर आगे बढ़ कर कैप्टन ने मामला संभालते हुए कांग्रेस नेतृत्व को संदेश देने की कोशिश की है - सब ठीक ठाक है चिंता वाली कोई बात नहीं है.

सिद्धू के मामले में नरम पड़े कैप्टन

ये तो बाद की बात है कि प्रशांत किशोर पंजाब में कांग्रेस के लिए काम करेंगे या नहीं? ये भी बाद की ही बात है कि पंजाब में प्रशांत किशोर को कांग्रेस के चुनावी मुहिम के लिए काम करने की मंजूरी सोनिया गांधी देंगी या नहीं?

और ये भी बाद की ही बात है कि कैप्टन अमरिंदर पंजाब कांग्रेस का 2022 में भी नेतृत्व करते हैं कि नहीं - लेकिन ये तो अब साफ हो ही चुका है कि नवजोत सिंह सिद्धू के मामले में कैप्टन अमरिंदर सिंह को को बैकफुट पर आना पड़ा है. ये सब हुआ है दिल्ली के मुख्यमंत्री आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल के एक बयान की बदौलत.

एक टीवी प्रोग्राम में बातचीत के दौरान अरविंद केजरीवाल ने कहा, 'नवजोत सिंह सिद्धू का आम आदमी पार्टी में स्वागत रहेगा.' कुछ दिन पहले AAP की पंजाब यूनिट के प्रमुख भगवंत मान ने भी कहा था कि अगर सिद्धू पार्टी में शामिल होने का फैसला करते हैं तो वो सबसे पहले उनका स्वागत करेंगे.

हो सकता है अरविंद केजरीवाल ने यूं ही पासा फेंक दिया हो. ऐसा पासा तो आप नेता संजय सिंह ने प्रशांत किशोर के सामने भी फेंका ही था. ये तब की बात है जब दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद प्रशांत किशोर पटना पहुंच कर 'बात बिहार की' मुहिम की तैयारियों में जुटे थे.

क्या सिद्धू को दरकिनार कर केप्टन अमरिंदर के लिए 2022 के लिए दावेदारी कमजोर पड़ रही थी?

जहां तक नवजोत सिंह सिद्धू के AAP में स्वागत का सवाल है तो इसमें कोई नयी बात तो है नहीं. हां, नये सिरे से बातचीत जरूर कह सकते हैं. 2017 में जो कुछ हुआ वो सबको याद ही होगा. कैसे सिद्धू की केजरीवाल से मुलाकात हुई - और कैसे नतीजा सिफर पर पहुंच गया.

तब तो सिद्धू भी बीजेपी छोड़ कर आम आदमी पार्टी ही ज्वाइन करना चाहते थे, लेकिन दोनों तरफ की जिद के चलते बात नहीं बनी - आखिरकार सिद्धू ये बताते हुए कांग्रेस के हो गये कि उनका तो सबसे पुरानी पार्टी से नाता भी पुराना है.

बीच में सिद्धू के पाकिस्तान दौरे, इमरान खान से दोस्ती और कैप्टन के खिलाफ बयानबाजी के चलतै मुश्किल बढ़ती गयी. जब तक राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर रहे, तब तक तो सब ठीक ठाक ही चला, लेकिन उनके हटते ही अहमद पटेल और प्रियंका गांधी से हुई मुलाकात में न जाने क्या बात हुई कि सिद्धू ने कैप्टन को इस्तीफा भेजा - और फिर मंत्री रहते मिला बंगला भी खाली कर दिया.

अभी जो कुछ भी हो रहा है, पूरी कवायद में सिद्धू चुपचाप बैठे बैठे नजारा देख रहे हैं. अब सिद्धू के लिए इससे बड़ी बात क्या होगी कि जो कैप्टन सीधे मुंह उनसे बात करने को तैयार नहीं थे, पूरी तरह नरम पड़ गये हैं.

अब कैप्टन अमरिंदर सिंह ही कह रहे हैं कि सिद्धू कांग्रेस में ही हैं और वो कहीं नहीं जाने वाले. ये बात भी कैप्टन अमरिंदर सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू से बात कर या कांग्रेस आलाकमान से बात कर नहीं कह रहे हैं - बल्कि इसके भी उसी शख्स का नाम ले रहे हैं जो पूरे मामले का केंद्र बिंदु बना हुआ है. माना ये जा रहा है कि सिद्धू को आप ज्वाइन कराने के लिए प्रशांत किशोर ही केजरीवाल से बात करा रहे हैं. कैप्टन अमरिंदर का दावा है कि प्रशांत किशोर ने ही कंफर्म किया है कि सिद्धू आप नहीं ज्वाइन कर रहे हैं.

कैप्टन अमरिंदर सिंह का इस प्रकरण पर ताजा बयान है, 'नवजोत सिद्धू हमारी पार्टी का हिस्सा हैं. जहां तक प्रशांत किशोर का सिद्धू को AAP में शामिल कराने के लिए संपर्क किए जाने का सवाल है तो ये सच नहीं है - क्योंकि इसकी पुष्टि खुद प्रशांत ने की है.'

न्यूज एजेंसी IANS ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है - नवजोत सिंह सिद्धू ने साफ तौर पर प्रशांत किशोर को पार्टी में उनके रोल और को मध्यस्थता करने को कहा था और ये भी पूछा कि क्या वो मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे - और साथ में ये भी जानना चाह रहे थे कि उनके पास कितनी सीटों पर अपने उम्मीदवारों को चुनने का अधिकार होगा.

कैप्टन अमरिंदर का बयान तो सामने आ चुका है, लेकिन तस्वीर तब तक साफ नहीं मानी जा सकती जब तक खुद नवजोत सिंह सिद्धू सामने आकर सब कुछ साफ तौर पर बता नहीं देते.

ये सब सोनिया से मुलाकात का असर तो नहीं

फरवरी, 2020 के आखिर में नवजोत सिंह सिद्धू एक खास मकसद से दिल्ली आये थे - और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ साथ प्रियंका गांधी वाड्रा से भी मुलाकात की थी. याद रहे अमरिंदर सिंह की सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देने से पहले भी सिद्धू की आखिरी मुलाकात कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से ही हुई थी. साथ में, सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार और कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल भी थे.

क्या सिद्धू के कांग्रेस में पुराने दिन वापस आने वाले हैं?

मुलाकात के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने बताया था - 'मुझे पार्टी आलाकमान ने दिल्ली बुलाया था. मैं प्रियंका जी और सोनिया जी से 25 और 26 फरवरी को मिला था. मैंने उन्हें पंजाब की मौजूदा स्थिति और आगे के रोडमैप के बारे में जानकारी दी है.'

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 2017 में पंजाब के लोगों से सपोर्ट मांगते वक्त कहा था कि वो उनकी आखिरी पारी है, लेकिन अब तो उनकी बातों से तो यही लगता है कि अगली पारी के लिए भी वो खुद को तैयार कर चुके हैं.

2017 में प्रशांत किशोर के पास ही कैप्टन अमरिंदर सिंह के चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी थी और एक बार फिर पंजाब के मुख्यमंत्री चाहते हैं कि प्रशांत किशोर 2022 में भी पंजाब में कांग्रेस का कैंपेन संभालें. वैसे चर्चा ये भी है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह का फिर से एक्शन में आना कांग्रेस आलाकमान को अच्छा नहीं लगा है. प्रशांत किशोर की मदद लेने के मुद्दे पर पंजाब कांग्रेस प्रभारी आशा कुमारी और पीसीसी अध्यक्ष सुनील जाखड़ हाल ही में कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात भी कर चुके हैं.

कैप्टन अमरिंदर सिंह का दावा है कि सोनिया गांधी ने पंजाब को लेकर फैसला उन पर ही छोड़ दिया है, फिर भी मौके ताक में बैठे विरोधी गुट सक्रिय तो हो ही चुके हैं. अब कैप्टन की किस्मत उनका चाहें जहां ले जाये - सिद्धू का तो काम बन ही गया.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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