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इमरान खान और मोदी के भाषणों की तुलना से पाकिस्‍तान की बदहाली का कारण साफ हुआ

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 16 अगस्त, 2019 11:33 AM
  • 16 अगस्त, 2019 11:33 AM
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पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और भारतीय प्रधानमंत्री दोनों ने ही अपने अपने स्वतंत्रता दिवस पर भाषण दिया है और ऐसे तमाम शब्द थे जिनका इस्तेमाल दोनों ही प्रधानमंत्रियों ने अपने भाषण में किया और अपने अपने राष्ट्र के प्रति अपनी प्राथमिकताएं बता दीं.

देश के 73 वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया. आज से ठीक 73 साल पहले 15 अगस्त 1947 को भारत ने ब्रिटिश हुकूमत से आजादी हासिल की थी. भारत से एक दिन पहले यानी 14 अगस्त को पाकिस्तान अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है. प्रधानमंत्री मोदी की तरह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद से अपने राष्ट्र को संबोधित किया.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां अपने भाषण में पाकिस्तान और इमरान खान को कोई तवज्जो नहीं दी तो वहीं इमरान खान ने अपने भाषण में भारत, पीएम मोदी, कश्मीर, आरएसएस जैसे शब्दों का प्रचुर मात्रा में इस्तेमाल किया.इंडिया टुडे डेटा इंटेलिजेंस यूनिट (DI) ने दोनों ही नेताओं के भाषण की मुख्य बातों का अवलोकन किया है. जिसके आधार पर हम इस बात को आसानी से समझ सकते हैं कि आज के समय में तेजी से उभरते भारत और अपनी हरकतों के चलते आए रोज गर्त में जाने वाले पाकिस्तान की प्राथमिकताएं क्या हैं.

अपने भाषण में पीएम मोदी और इमरान खान दोनों ने बता दिया है कि अपने अपने देश के लिए उनकी प्राथमिकताएं क्या हैं

ध्यान रहे कि जहां एक तरफ भारतीय प्रधानमंत्री ने  अपने भाषण में पाकिस्तान को नजरंदाज करके तमाम मुख्य बातों पर फोकस किया. तो वहीं इमरान खान ने अपने 92 मिनट के भाषण में बार बार उन बातों को उठाया जो भारत से जुड़ी थीं और जिनका किसी आम पाकिस्तानी से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं था.

क्या कहा इमरान खान ने

क्योंकि कश्मीर को लेकर इमरान खान चर्चा में हैं तो बात की शुरुआत इमरान...

देश के 73 वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित किया. आज से ठीक 73 साल पहले 15 अगस्त 1947 को भारत ने ब्रिटिश हुकूमत से आजादी हासिल की थी. भारत से एक दिन पहले यानी 14 अगस्त को पाकिस्तान अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है. प्रधानमंत्री मोदी की तरह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद से अपने राष्ट्र को संबोधित किया.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहां अपने भाषण में पाकिस्तान और इमरान खान को कोई तवज्जो नहीं दी तो वहीं इमरान खान ने अपने भाषण में भारत, पीएम मोदी, कश्मीर, आरएसएस जैसे शब्दों का प्रचुर मात्रा में इस्तेमाल किया.इंडिया टुडे डेटा इंटेलिजेंस यूनिट (DI) ने दोनों ही नेताओं के भाषण की मुख्य बातों का अवलोकन किया है. जिसके आधार पर हम इस बात को आसानी से समझ सकते हैं कि आज के समय में तेजी से उभरते भारत और अपनी हरकतों के चलते आए रोज गर्त में जाने वाले पाकिस्तान की प्राथमिकताएं क्या हैं.

अपने भाषण में पीएम मोदी और इमरान खान दोनों ने बता दिया है कि अपने अपने देश के लिए उनकी प्राथमिकताएं क्या हैं

ध्यान रहे कि जहां एक तरफ भारतीय प्रधानमंत्री ने  अपने भाषण में पाकिस्तान को नजरंदाज करके तमाम मुख्य बातों पर फोकस किया. तो वहीं इमरान खान ने अपने 92 मिनट के भाषण में बार बार उन बातों को उठाया जो भारत से जुड़ी थीं और जिनका किसी आम पाकिस्तानी से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं था.

क्या कहा इमरान खान ने

क्योंकि कश्मीर को लेकर इमरान खान चर्चा में हैं तो बात की शुरुआत इमरान खान से. इमरान ने अपनी स्पीच के केंद्र में कश्मीर को रखा. साथ ही उनकी बातों में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए गुस्सा भी साफ दिखाई दिया. 92 मिनट के भाषण में जिस शब्द का इमरान ने सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया वो आइडियोलॉजी रहा जिसका कुल इस्तेमाल इमरान ने 23 बार किया. आइडियोलॉजी के बाद कश्मीर का नंबर था. इमरान के भाषण में कश्मीर 20 बार और जनता 14 बार आया.

अपने भाषण में इमरान खान ने वो बातें की जिनका पाकिस्तान की जनता से कोई मतलब नहीं था

दिलचस्प बात ये भी है कि पाकिस्तान के लोगों के मुकाबले इमरान ने कश्मीर के लोगों को खासा महत्त्व दिया और 17 से 18 बार उनका संबोधन अपनी स्पीच में किया. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने 12 बार पाकिस्तान का जिक्र किया. इसके अलावा अपने भाषण में इमरान ने पीएम मोदी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को भी खूब टारगेट किया और इसकी तुलना हिटलर की नाजी हुकूमत से की.

ज्ञात हो कि जहां एक तरफ इमरान ने अपने भाषण में 11 बार भारत का जिक्र किया तो वहीं 10 बार आरएसएस का जिक्र करके बता दिया कि फिल्हाल उन्हें अपनी आवाम से कोई मतलब नहीं है और उनका सारा ध्यान भारत की तरफ है. मोदी का जिक्र इमरान के भाषण में 7 बार आया तो वहीं नाजी का इस्तेमाल उन्होंने 6 बार किया. ध्यान रहे कि अभी बीते दिन ही इमरान ने हिटलर की नाजी हुकूमत को लेकर ट्वीट भी किया था.

क्या खास रहा पीएम मोदी के भाषण में

जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं भारतीय प्रधानमंत्री ने न तो पाकिस्तान तो कोई घास डाली और न ही इमरान खान को कोई महत्त्व दिया. अपने भाषण में पीएम मोदी ने उन बिन्दुओं पर बात की जो वाकई भारत के लिए जरूरी थे. जिस शब्द का इस्तेमाल पीएम मोदी ने अपने भाषण में सबसे ज्यादा किया वो देशवासियों था जिसका जिक्र उन्होंने 47 बार किया इसी तरह स्वतंत्रता की बात पीएम मोदी ने 30 बार कि इसी तरह गहराते जल संकट पर बात करते हुए पानी का जिक्र भी पीएम ने 30 बार किया.

अपने भाषण में पाकिस्तान का जिक्र न करके पीएम मोदी ने इमरान खान को एक बड़ा संदेश दिया है

पीएम के भाषण में गरीबी का जिक्र जहां 17 बार आया तो वहीं 16 बार उन्होंने आतंकवाद और 15 बार किसानों का जिक्र किया. पीएम के भाषण में 13 बार पर्यटन का जिक्र आया तो वहीं 10 बार उन्होंने सेना की चर्चा भी अपने भाषण में की.जिन जिन शब्दों का इस्तेमाल पीएम ने अपने भाषण में प्रचुरता से किया वो साफ तौर पर देश और देश की जनता के प्रति प्रधानमंत्री का विजन दर्शा रहा था. उदाहरण के लिए अगर हम पानी की बात करें तो मिलता है कि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कई बार पानी का जिक्र किया है और बताया कि कैसे वो मिशन जल जीवन से लोगों को पीने का पानी मुहैया करवा रहे हैं और इसके लिए सरकार करीब 3.5 लाख रुपए खर्च कर रही है.

इसी तरह पीएम ने देश के गरीबों के कल्याण की दिशा में किये जाने वाले काम का जिक्र किया और बताया कि सरकार उस दिशा में आगे और क्या करने वाली है. पीएम ने जहां एक तरफ अनुच्छेद 370 और 35 ए के विषय में विस्तृत चर्चा की तो वहीं उन्होंने ये भी बताया कि किस एभारत 2022 तक एक बड़ा पर्यटन हब बनने वाला है. अपने भाषण में पीएम ने आतंकवाद का नाम तो लिया मगर पाकिस्तान पर मौन साधा, पीएम मोदी के ऐसा करने को एक बड़ा सन्देश समझा जा रहा है.

अपनी-अपनी प्राथमिकताओं की बात है

अपने देश की समस्याओं को छोड़कर इमरान का बार बार अपने भाषण में कश्मीर का जिक्र करना. अपनी हर नाकामी के लिए भारत, भारत के पीएम नरेंद्र मोदी और आरएसएस को जिम्मेदार ठहराना इमरान की प्राथमिकता दर्शाता है. इसके विपरीत जो भाषण लला किले से मोदी ने दिया है वो ये बता देता है कि किस बारीकी से भारतीय प्रधानमंत्री भारत के विकास के प्रति गंभीर है और लगातार उसके विस्तार की दिशा में काम कर रहे हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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