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आज पता चला हर 'नमो' मोदी नहीं होता !

    • आईचौक
    • Updated: 11 अप्रिल, 2019 04:20 PM
  • 11 अप्रिल, 2019 03:25 PM
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एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें एक पोलिंग बूथ में NaMo फूड पैकेट्स ले जाए जा रहे हैं. लोग चुनाव आयोग से इसके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं. लेकिन इन फूड पैकेट्स का सच कुछ और ही है.

लोकसभा चुनाव 2019 के पहले चरण के मतदान हो रहे हैं और सोशल मीडिया पर इस खास दिन की पल पल की रिपोर्ट मिल रही है. कहां क्या अच्छा क्या बुरा सब बताया जताया जा रहा है. ऐसे में एक वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है जिसमें एक कार में कुछ पुलिसकर्मी खाने के पैकेट लेकर जा रहे हैं. और पैकेट्स पर लिखा है 'नमो'.

कहा जा रहा है कि नोएडा के सेक्टर 15-A के एक पोलिंग बूथ में NaMo फूड पैकेट्स ले जाए जा रहे हैं. इस वीडियो को बीजेपी के खिलाफ प्रचारित किया जा रहा है. चुनाव आयोग से इसके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की जा रही है.

तस्वीरें भी ये कहकर वायरल की जा रही हैं कि योगी जी पुलिस के हाथों खाने के पैकेट बंटवा रहे हैं.

सभी सोशल मीडिया पोर्टल्स पर ये तस्वीरें वायरल हैं

नमो फूड पैक्ट्स का सच ये है

जब इंसान किसी के खिलाफ कुछ करने की ठान लेता है तो उसे हर तरफ गलत ही गलत नजर आता है. इस बार ये आरोप गलत साबित हुए हैं. असल में जो पैकेट पुलिसवाले ले जा रहे हैं उनपर 'नमो' साफ लिखा नजर आ रहा है लेकिन असल में ये नोएडा के एक रेस्त्रां का नाम है 'नमो फूड्स'. ये रस्त्रां इस इलाके में काफी समय से चल रहा है. खाने के डब्बे पर बड़े-बड़े अक्षरों में नमो लिखा है और फूड्स थोड़ा छोटा. और पुलिसवाले ये खाना इसी रेस्त्रां से लेकर जा रहे थे. लेकिन खाने के इन पैकेट्स को NaMo यानी नरेंद्र मोदी का प्रचार बताया जा रहा है.

लोकसभा चुनाव 2019 के पहले चरण के मतदान हो रहे हैं और सोशल मीडिया पर इस खास दिन की पल पल की रिपोर्ट मिल रही है. कहां क्या अच्छा क्या बुरा सब बताया जताया जा रहा है. ऐसे में एक वीडियो भी खूब वायरल हो रहा है जिसमें एक कार में कुछ पुलिसकर्मी खाने के पैकेट लेकर जा रहे हैं. और पैकेट्स पर लिखा है 'नमो'.

कहा जा रहा है कि नोएडा के सेक्टर 15-A के एक पोलिंग बूथ में NaMo फूड पैकेट्स ले जाए जा रहे हैं. इस वीडियो को बीजेपी के खिलाफ प्रचारित किया जा रहा है. चुनाव आयोग से इसके खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की जा रही है.

तस्वीरें भी ये कहकर वायरल की जा रही हैं कि योगी जी पुलिस के हाथों खाने के पैकेट बंटवा रहे हैं.

सभी सोशल मीडिया पोर्टल्स पर ये तस्वीरें वायरल हैं

नमो फूड पैक्ट्स का सच ये है

जब इंसान किसी के खिलाफ कुछ करने की ठान लेता है तो उसे हर तरफ गलत ही गलत नजर आता है. इस बार ये आरोप गलत साबित हुए हैं. असल में जो पैकेट पुलिसवाले ले जा रहे हैं उनपर 'नमो' साफ लिखा नजर आ रहा है लेकिन असल में ये नोएडा के एक रेस्त्रां का नाम है 'नमो फूड्स'. ये रस्त्रां इस इलाके में काफी समय से चल रहा है. खाने के डब्बे पर बड़े-बड़े अक्षरों में नमो लिखा है और फूड्स थोड़ा छोटा. और पुलिसवाले ये खाना इसी रेस्त्रां से लेकर जा रहे थे. लेकिन खाने के इन पैकेट्स को NaMo यानी नरेंद्र मोदी का प्रचार बताया जा रहा है.

नोएडा का ये रेस्त्रां काफी प्रसिद्ध है

पोलिंग बूथ पर ड्यूटी दे रहे सरकारी कर्मियों के खान-पान का इंतजाम सरकार का ही होता है. ऐसे में पुलिस वाले उन्हें खाना उपलब्ध करवा रहे हैं. इसमें बुराई क्या है?

आश्चर्य की बात तो ये है कि लोगों ने तो कार के पीछे गुस्सेवाले हनुमान जी की फोटो पर भी आपत्ति जताई है. ये कहते हुए कि वो पुलिस की कार है फिर भी उसपर धार्मिक चिन्ह बना हुआ है. लेकिन इतनी बारीकी से देखने वाले लोग ये देखना भूल गए कि वो पुलिस वालों की कार नहीं बल्कि एक टैक्सी है. जिसपर paytm का लोगो और पीली पट्टी साफ दिख रही है.

नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार पर उंगलियां उठाना अगल बात है. जाहिर तौर पर उसे चुनाव आयोग ने सही भी माना और इसीलिए मोदी की बायोपिक पर बैन भी लगा दिया गया. लेकिन एक भला आदमी अगर नमो नाम से अपनी दुकान चलाता है तो उस दुकान को तो भाजपा प्रायोजित नहीं माना जा सकता. लोगों को उंगलियां उठाने से पहले याद रखना चाहिए कि जैसे हर पीली चीज़ सोना नहीं होती उसी तरह से हर नमो NaMo नहीं होता. नमो तो शिव का नाम है.

इस पूरे मामले में बीजेपी का तो कुछ नहीं बिगड़ा बल्कि विपक्ष को ही मुंह की खानी पड़ी. और फायदा हुआ नमो फूड्स का जिसे जबरदस्त पब्लिसिटी मिल गई वो भी बिना पैसे खर्च किए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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