• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

Myanmar surgical strike: पहली बार जब मोदी ने सीमा पार के दुश्मन को निशाना बनाया

    • आईचौक
    • Updated: 09 जून, 2020 08:15 PM
  • 09 जून, 2020 08:12 PM
offline
मणिपुर में 18 जवानों की शहादत के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने सेना को पहली सर्जिकल स्ट्राइक म्यांयार (Myanmar surgical strike) में करने की इजाजत दी थी, जहां नॉर्थ ईस्ट के कई आतंकियों को मार गिराया गया. उसके बाद उरी और पुलवामा के हमले का जवाब भी पाकिस्तान उसी अंदाज में देख चुका है.

सर्जिकल स्ट्राइक... बीते 5 वर्षों के दौरान भारतीय राजनीति और लोगों के बीच बहस का केंद्र बने इस शब्द के पीछे की कहानी इतनी दिलचस्प है, जिसे सुन सत्ता से दूर पार्टियां या तो विलाप करती दिखती हैं या आलोचना. वहीं केंद्र की सत्तासीन पार्टी इसे जरूरत, प्रतिक्रिया और लोगों की भावनाओं को ध्यान में रख आतंकवादियों के खिलाफ की गई कार्रवाई करार देती है. सर्जिकल स्ट्राइक एक ऐसा मुद्दा है जिसपर मीडिया, महफिलों और पान की दुकानों से लेकर बेडरूम तक, सैकड़ों घंटे बहस हुई हैं. दरअसल, साल 2016 में जब भारतीय सेना पाक अधिकृत कश्मीर (POK) में घुसती है और वहां आतंकी ठिकाने नष्ट कर उरी अटैक का बदला लेती है, तब सर्जिकल स्ट्राइक शब्द पॉप्युलर होता है. लोगों तक यह शब्द देशभक्ति के फ्लेवर में पहुंचा था.

लेकिन आपको बता दूं कि नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान पहली सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान नहीं, बल्कि नॉर्थ-ईस्ट भारत के राज्यों से सटे म्यांयार में हुई थी. साल 2015 की 9 जून को भारतीय सेना नगालैंड और मणिपुर से होते हुए म्यांमार की सीमा में घुसती है और 40 आतंकियों का खात्मा कर देती है. इस घटना के बाद पहली बार देशवासियों के साथ ही दूसरे देशों में भी यह मेसेज गया कि भारत के खिलाफ अगर किसी तरह की कार्रवाई होती है और जानामाल का नुकसान होता है तो मोदी सरकार सीमा पार भी दुश्मनों को सबक सिखाने से पीछे नहीं हटेगी. यानी दुश्मन चाहे देश के अंदर हों या सीमा पास, वे महफूज नहीं रहेंगे.

साल 2016 में पीओके में आतंकियों पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद लोगों ने नरेंद्र मोदी सरकार की कार्रवाई को सिर माथे लिया और आलम ये रहा है कि नरेंद्र मोदी की पॉप्युलैरिटी आसमान छूने लगी. हर गली, मोहल्ले में पीएम मोदी का ऐसे डंका बजा, जैसे उन्होंने पाकिस्तान को सबक सिखा दिया है और आतंक का खात्मा कर दिया है. भाजपा शासित राज्यों ने सर्जिकल स्ट्राइक को खुब भुनाया और जहां-जहां चुनाव हुए, भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी ने ज्यादातर जगह जीत हासिल की. सर्जिकल स्ट्राइक ऐसा...

सर्जिकल स्ट्राइक... बीते 5 वर्षों के दौरान भारतीय राजनीति और लोगों के बीच बहस का केंद्र बने इस शब्द के पीछे की कहानी इतनी दिलचस्प है, जिसे सुन सत्ता से दूर पार्टियां या तो विलाप करती दिखती हैं या आलोचना. वहीं केंद्र की सत्तासीन पार्टी इसे जरूरत, प्रतिक्रिया और लोगों की भावनाओं को ध्यान में रख आतंकवादियों के खिलाफ की गई कार्रवाई करार देती है. सर्जिकल स्ट्राइक एक ऐसा मुद्दा है जिसपर मीडिया, महफिलों और पान की दुकानों से लेकर बेडरूम तक, सैकड़ों घंटे बहस हुई हैं. दरअसल, साल 2016 में जब भारतीय सेना पाक अधिकृत कश्मीर (POK) में घुसती है और वहां आतंकी ठिकाने नष्ट कर उरी अटैक का बदला लेती है, तब सर्जिकल स्ट्राइक शब्द पॉप्युलर होता है. लोगों तक यह शब्द देशभक्ति के फ्लेवर में पहुंचा था.

लेकिन आपको बता दूं कि नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान पहली सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान नहीं, बल्कि नॉर्थ-ईस्ट भारत के राज्यों से सटे म्यांयार में हुई थी. साल 2015 की 9 जून को भारतीय सेना नगालैंड और मणिपुर से होते हुए म्यांमार की सीमा में घुसती है और 40 आतंकियों का खात्मा कर देती है. इस घटना के बाद पहली बार देशवासियों के साथ ही दूसरे देशों में भी यह मेसेज गया कि भारत के खिलाफ अगर किसी तरह की कार्रवाई होती है और जानामाल का नुकसान होता है तो मोदी सरकार सीमा पार भी दुश्मनों को सबक सिखाने से पीछे नहीं हटेगी. यानी दुश्मन चाहे देश के अंदर हों या सीमा पास, वे महफूज नहीं रहेंगे.

साल 2016 में पीओके में आतंकियों पर की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद लोगों ने नरेंद्र मोदी सरकार की कार्रवाई को सिर माथे लिया और आलम ये रहा है कि नरेंद्र मोदी की पॉप्युलैरिटी आसमान छूने लगी. हर गली, मोहल्ले में पीएम मोदी का ऐसे डंका बजा, जैसे उन्होंने पाकिस्तान को सबक सिखा दिया है और आतंक का खात्मा कर दिया है. भाजपा शासित राज्यों ने सर्जिकल स्ट्राइक को खुब भुनाया और जहां-जहां चुनाव हुए, भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी ने ज्यादातर जगह जीत हासिल की. सर्जिकल स्ट्राइक ऐसा मुद्दा बन गया, जिसको लोग राजनीतिक उपलब्धि के रूप में लेने लगे. सर्जिकल स्ट्राइक, इसके सबूत और पूर्व में इस तरह की हुई कार्रवाई के मुद्दे पर सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस के बीच संसद से सड़क तक बहस हुई.

पहली सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान नहीं, म्यांमार में

लेकिन एक बात, जिसपर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया, वो ये था कि नरेंद्र सरकार के पहले कार्यकाल यानी 2014-19 के दौरान पहली सर्जिकल स्ट्राइक साल 2016 में पाकिस्तान के खिलाफ नहीं, बल्कि म्यांमार में हुई थी. जी हां, पहली सर्जिकल साल 2015 में ही हुई थी और यह मणिपुर में भारतीय सेना के 6 डोगरा रेजिमेंट के 18 सैनियों की शहादत का बदला लेने के लिए की गई थी. दरअसल, 4 जून को नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-खापलांग (NSCN-K), NLFW और मणिपुर की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी समेत अन्य संगठन के आतंकवादियों ने मणिपुर के चंदेल जिले में भारतीय जवानों पर घात लगाकर हमला किया, जिसमें 18 जवान शहीद हो गए थे और कई गंभीर रूप से घायल हो गए थे. 1999 के करगिल युद्ध के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर सैनिकों को टारगेट किया था, जिससे देश में गुस्से की लहर दौड़ गई और इसे सह पाना नरेंद्र मोदी सरकार के लिए असहनीय लगने लगा.

मणिपुर में 18 जवानों की शहादत का लिया था बदला

एनएससीएन-के के साथ ही कांगलेपर कम्युनिस्ट पार्टी और कांगलेई याओल कन्ना लप संगठन के आतंकियों पर कड़ी कार्रवाई करने का मुद्दा जोर पकड़ने लगा. उस समय मनोहर पर्रिकर रक्षा मंत्री थे और उन्होंने दोषियों को सबक सिखाने के लिए ऐसा फैसला लिया, जो कि न सिर्फ रणनीतिक, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों के दृष्टिकोण से काफी मुश्किल भरा था. लेकिन चूंकि 18 जवानों की हत्या से जहां न सिर्फ सुरक्षा बलों में हताशा फैल रही थी, बल्कि राजनीतिक दबाव भी बन रहा था. ऐसे में मनोहर पर्रिकर ने भारतीय सीमा से सटे म्यांमार के अंदर स्थित मणिपुर लिबरेशन आर्मी और अन्य आतंकी गुटों के ठिकानों को नष्ट करने का प्लान बनाया.

फिल्मी अंदाज में हुई कार्रवाई ने आतंकियों की जड़ें हिला दीं

साल 2015 का 9 जून. खुफिया जानकारी मिलने के बाद लेफ्टिनेंट कर्नल नेक्टर संजेनबम की अगुवाई में भारतीय सेना की पैरा-स्पेशल टुकड़ी, जिसमें 72 जवान थे, असॉल्ट राइफल्स, रॉकेट लॉन्चर, ग्रैनेड्स और नाइट विजन गॉगल्स से लैस एक खतरनाक मिशन को निलकती है, जहां मरना और मारना ही नियति है. ये कमांडो 12 बिहार बटालियन का यूनिफॉर्म पहने हैं, जो कि भारत-तिब्बत सीमा के प्रहरियों का है. म्यांयार सीमा के पास भारतीय इलाके में हेलिकॉप्टर से रस्सी के सहारे उतरने के बाद टुकड़ी 2 भागों में बंट जाती है और दोनों टुकड़ी 15 किलोमीटर ट्रैकिंग करने के बाद म्यांमार स्थित आतंकी ठिकानों के पास पहुंचती है. यहां टुकड़ी फिर दो हिस्सों में बंट जाती है. एक का काम रहता है अटैक करना और दूसके का कवर करना. भारतीय सेना आतंकी ठिकानों को नष्ट कर वापस भारतीय सीमा में प्रवेश करती है और फिर भारतीय वायु सेना के Mi-17 हेलिकॉप्टर से बेस कैंप पहुंचती है.

रक्षा मंत्री ने फोन कर बधाई दी थी

करीब 40 मिनट तक चले Myanmar operation में करीब 40 आतंकियों के मारे जाने की खबर आती है. सबसे खास बात ये रही कि म्यांमार में आतंकियों के खिलाफ की गई इस सर्जिकल स्ट्राइक में भारतीय सेना का एक भी जवान घायल नहीं हुआ और सभी लोग आतंकियों को ठिकाना लगाने के बाद सुरक्षित भारतीय सीमा में आ गए. हालांकि म्यांमार ने कभी नहीं कबूला कि उसकी धरती पर भारत ने स्ट्राइक को अंजाम दिया है. लेकिन भारतीय सेना ने अपने 18 शहीद जवानों के खून का बदला ले लिया. इस घटना के बाद खुद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कर्नल नेक्टर को फोन कर बधाई दी और उस साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लेफ्टिनेंट कर्नल नेक्टर संजेनबम को कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया. इस घटना का जिक्र इंडिया टूडे के सीनियर एडिटर Shiv Aroor ने Rahul Singh के साथ लिखी India’s Most Fearless: True stories of Modern Military Heroes नामक किताब में विस्तार से किया है.



इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲