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Motor vehicle act नकारने वाले 4 राज्‍यों के लिए तमिलनाडु सबक

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 03 सितम्बर, 2019 07:03 PM
  • 03 सितम्बर, 2019 07:03 PM
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नितिन गडकरी ने कहा था- 'यह सिर्फ तमिलनाडु में हुआ है और यह सचमुच कामयाबी की एक कहानी है.' तो आखिर तमिलनाडु ने ऐसा क्या किया कि केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी उसकी तारीफ किए बिना नहीं रह सके.

मोटर व्हीकल एक्ट-2019 लागू हो चुका है और अब यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों की खैर नहीं. कहते हैं सजा का डर ही किसी शख्स को अपराध करने से रोकता है. यानी जब तक सजा सख्त ना हो, कोई अपराध करने से नहीं डरता. नए ट्रैफिक नियमों की सबसे बड़ी खासियत यही है कि वह बेहद सख्त हैं. मोदी सरकार ने यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों पर इतना भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है कि कोई भी शख्स रेड लाइट जंप करने से पहले भी सौ बार सोचेगा. खैर, इस सख्ती से यातायात व्यवस्था तो पटरी पर आ जाएगी, लेकिन उन राज्यों का क्या, जहां नए नियमों को लागू नहीं किया जा रहा है. यहां बात हो रही है मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल की, जिन्होंने इसे लागू करने से ही मना कर दिया है. राजस्थान भी कम नहीं है, उसने जुर्माने का रिव्यू करने की बात कही है.

मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल अपराधियों के साथ क्यों हैं?

इन दोनों ही राज्यों को एक ही दिक्कत है. भारी जुर्माना. यूं लग रहा है मानो उन्होंने तय कर रखा है कि जुर्माना तो देना ही है. जुर्माना तो तब देना होगा ना जब कोई नियमों का उल्लंघन करेगा. नियम तोड़ने ही क्यों? ना कोई नियम तोड़ेगा ना उसे जुर्माना देना होगा. आखिर जुर्माना ही मामूली रहा तो सजा का डर कैसे आएगा? और अगर सजा का डर ही नहीं होगा, तो सरेराह कानून की धज्जियां तो उड़ना तय ही है. आखिर मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल अपराधियों का साथ क्यों दे रहे हैं? मध्य प्रदेश के कानून मंत्री पीसी शर्मा ने साफ कर दिया है वह इस एक्ट पर मुख्यमंत्री कमलनाथ से बात करेंगे, ताकि भारी जुर्माने में कुछ बदलाव किए जा सकें. वैसे मुद्दे की बात ये है कि ये दोनों राज्य भी जानते हैं कि मोटर व्हीकल एक्ट 2019 बहुत ही काम का है, जो सड़क व्यवस्था को सुधार देगा, लेकिन लागू करें तो करें कैसे, मोदी सरकार का विरोध भी तो करना है.

मोटर व्हीकल एक्ट-2019 लागू हो चुका है और अब यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों की खैर नहीं. कहते हैं सजा का डर ही किसी शख्स को अपराध करने से रोकता है. यानी जब तक सजा सख्त ना हो, कोई अपराध करने से नहीं डरता. नए ट्रैफिक नियमों की सबसे बड़ी खासियत यही है कि वह बेहद सख्त हैं. मोदी सरकार ने यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों पर इतना भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है कि कोई भी शख्स रेड लाइट जंप करने से पहले भी सौ बार सोचेगा. खैर, इस सख्ती से यातायात व्यवस्था तो पटरी पर आ जाएगी, लेकिन उन राज्यों का क्या, जहां नए नियमों को लागू नहीं किया जा रहा है. यहां बात हो रही है मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल की, जिन्होंने इसे लागू करने से ही मना कर दिया है. राजस्थान भी कम नहीं है, उसने जुर्माने का रिव्यू करने की बात कही है.

मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल अपराधियों के साथ क्यों हैं?

इन दोनों ही राज्यों को एक ही दिक्कत है. भारी जुर्माना. यूं लग रहा है मानो उन्होंने तय कर रखा है कि जुर्माना तो देना ही है. जुर्माना तो तब देना होगा ना जब कोई नियमों का उल्लंघन करेगा. नियम तोड़ने ही क्यों? ना कोई नियम तोड़ेगा ना उसे जुर्माना देना होगा. आखिर जुर्माना ही मामूली रहा तो सजा का डर कैसे आएगा? और अगर सजा का डर ही नहीं होगा, तो सरेराह कानून की धज्जियां तो उड़ना तय ही है. आखिर मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल अपराधियों का साथ क्यों दे रहे हैं? मध्य प्रदेश के कानून मंत्री पीसी शर्मा ने साफ कर दिया है वह इस एक्ट पर मुख्यमंत्री कमलनाथ से बात करेंगे, ताकि भारी जुर्माने में कुछ बदलाव किए जा सकें. वैसे मुद्दे की बात ये है कि ये दोनों राज्य भी जानते हैं कि मोटर व्हीकल एक्ट 2019 बहुत ही काम का है, जो सड़क व्यवस्था को सुधार देगा, लेकिन लागू करें तो करें कैसे, मोदी सरकार का विरोध भी तो करना है.

मोटर व्हीकल एक्ट-2019 लागू हो चुका है और अब यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों की खैर नहीं.

राजस्थान को क्या परेशानी है?

परेशानी वही है, भारी जुर्माना. हालांकि, राजस्थान इस मामले में मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल से अलग है कि वह कह रहा है कि एक्ट को तो लागू करने से नहीं रोक सकते, लेकिन जुर्माना काफी अधिक है. राजस्थान के ट्रांसपोर्ट मंत्री प्रताप सिंह कचारियावास ने इस पर एक बैठक की है और उसके बाद फैसला लेंगे कि इसे लागू करना है. कचारियावास कहते हैं कि 500 के फाइन को सीधे 5000 रुपए कर दिया गया, 2000 रुपए के फाइन को सीधे 25000 रुपए कर दिया गया.

तमिलनाडु से वाकई सीखने की जरूरत है

नितिन गडकरी ने कहा था कि तमिलनाडु में एक प्रयोग में पाया गया कि सड़क हादसों में 15 फीसदी की कमी आई. उन्होंने कहा था- 'यह सिर्फ तमिलनाडु में हुआ है और यह सचमुच कामयाबी की एक कहानी है.' तो आखिर तमिलनाडु ने ऐसा क्या किया कि केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी उसकी तारीफ किए बिना नहीं रह सके. तमिलनाडु ने न सिर्फ यातायात के क्षेत्र में काम किया, बल्कि हेल्थ के क्षेत्र में भी काम किया, जिसकी वजह से सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या में तगड़ी कमी आई. इसे सफल बनाने के लिए पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, ट्रांसपोर्ट विभाग और हाईवेज़ विभाग ने एक साथ मिलकर काम किया. इसके सबसे जरूरी काम तो तमिलनाडु ने ये किया कि एक ऐप बनाया. आइए जानते हैं तमिलनाडु ने क्या-क्या किया-

- सबसे पहले तो सड़कों को 2-2 किलोमीटर की ग्रिड में बांटा गया और एक्सिडेंट की जगहों का पता लगाया गया. इसके बाद सारा डेटा तमिलनाडु जियोग्राफिकल इंफोर्मेशन सिस्टम ऐप पर अपलोड किया गया. ये सारी जानकारी पुलिस के साथ भी शेयर की गई.

- एंबुलेंस के ड्राइवर्स को 108 ऐप की एक्सेस होने की वजह से किसी भी दुर्घटना की स्थिति में फोन करने वालों को अपनी लोकेशन बताने की जरूरत नहीं होती. दुर्घटना की लोकेशन ड्राइवर के पास जीपीएस के जरिए पहुंच जाती है. शहरों में एंबुलेंस औसतन 13 मिनट और गांव में 17 मिनट में घटनास्थल तक पहुंचने लगी. यहां तक कि इंटरनेट ना होने की स्थिति में भी 108 ऐप को कॉलर की लोकेशन पता चल जाती है.

- तुरंत इलाज के लिए भी कुछ अहम कदम उठाए गए. जैसे अगर किसी को सिर में चोट लगी है तो उसे अस्पताल में पहुंचने के 5 मिनट के अंदर ही सीटीस्कैन के लिए भेज देते हैं, ताकि जल्द से जल्द सही उपचार मिल सके और जान बचाई जा सके. इसी बीच अस्पताल प्रशासन पुलिस के साथ मिलकर पेपरवर्क पूरा करता है.

- पुलिस ने यातायात नियमों का सख्ती से पालन करवाया, जिसकी वजह से नशे में गाड़ी चलाना, तेज गाड़ी चलाना और यातायात के अन्य नियमों के उल्लंघन में कमी आई. जैसे पिछले साल चेन्नई ट्रैफिक पुलिस ने 24 लाख केस दर्ज किए, जिससे 27 करोड़ की आमदनी हुई. बता दें कि इसमें 4 करोड़ रुपए तो सिर्फ हेलमेट नहीं पहनने की वजह से कटे चालान से आए.

- सड़कों पर कैमरे लगाए गए, जो ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों की नंबर प्लेट की फोटो ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर की मदद से खींच ली जाती है. इसके बाद एक वीडियो क्लिप के साथ चालान उस गाड़ी के मालिक के घर पहुंच जाता है.

- वहां की पुलिस ने हाल ही में एक ऐप जीसीटीपी सिटिजन सर्विस भी लॉन्च किया है, जिसकी मदद से लोग अपनी शिकायतें अपलोड कर सकते हैं.

जाते-जाते एक नजर जुर्माने पर भी डाल लीजिए

पहले 100 रुपए का जो चालान कटता था उसके लिए अब 500 देने होंगे. इतना ही नहीं और भी बहुत कुछ है जिसे गांठ बांध लेने की जरूरत है.

- इमरजेंसी व्हीकल को रास्ता नहीं देने पर 10 हजार रुपए का जुर्माना देना होगा.

- डिसक्वालिफाई किए जाने के बावजूद अगर कोई शख्स गाड़ी चलाता है तो उसे 10 हजार रुपए जुर्माने के तौर पर देने होंगे.

- उबर-ओला जैसे एग्रिगेटर अगर डाइविंग लाइसेंस के नियमों का उल्लंघन करते हैं तो उन पर 1 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं जरूरत से

- ज्यादा सवारी बैठाने पर 20 हजार रुपए जुर्माना लगेगा.

- स्पीड लिमिट क्रॉस करने पर पहले 500 रुपए जुर्माना था लेकिन अब 5000 है.

- बिना इंश्योरेंस पेपर्स के गाड़ी चलाने पर अब 2000 रुपए देने होंगे.

- हेलमेट नहीं पहने पर 1000 रुपए देने होंगे साथ ही 3 महीने के लिए लाइसेंस को सस्पेंड भी किया जा सकता है.

- नाबालिग सड़क पर कोई दुर्घटना करता है तो उसके माता-पिता दोषी माने जाएंगे. और उनपर 25 हजार रुपए तक का जुर्माना लगेगा. गाड़ी के रजिस्ट्रेशन पेपर्स रद्द कर दिए जाएंगे और 3 साल तक की जेल भी हो सकती है.

- नशे में गाड़ी चलाने पर 10 हजार रुपए का जुर्माना देना होगा.

- ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने पर 500 रुपए का जुर्माना देना होगा.

- रैश ड्राइविंग करने पर 5000 रुपए का जुर्माना लगेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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