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मानसून सत्र: बहस की बौछार होगी या हंगामे की बाढ़ आएगी?

    • आलोक रंजन
    • Updated: 17 जुलाई, 2018 11:02 PM
  • 17 जुलाई, 2018 11:02 PM
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संसद का मानसून सत्र शुरू हो रहा है और जिस तरह के आसार है ये निश्चित है कि हंगामा होगा. अब देखना ये होगा कि विपक्ष इस सत्र को भुना पाएगा या फिर यहां भी पीएम मोदी और भाजपा बाजी मारेंगे.

संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होकर 10 अगस्त तक चलेगा. इस बार भी संसद के मानसून सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं. विपक्ष के पास ऐसे कई मुद्दे हैं जिनके बल पर वो मोदी सरकार को घेरने का प्रयास करेगी. लोकसभा चुनाव से पहले सरकार मानसून सत्र को सफल बनाना चाहती है. सत्र से एक दिन पहले बुलाई गयी सर्वदलीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वो सदन में हर मुद्दे और सवाल पर चर्चा करने को तैयार हैं. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सदन चलाने में सभी पार्टियों को सहयोग करना चाहिए.

सरकार हाल के दिनों में विपक्ष के रडार पर है. चाहे वो महंगाई का मुद्दा हो, किसानों की दुर्दशा का मामला हो या फिर बढ़ती हुई मॉब लिंचिंग का मामला. विपक्ष ये आरोप लगा रहा है कि देश में आराजकता का वातावरण है, सांप्रदायिक ताकते हावी होती जा रही हैं और मार्जिनल सोसाइटी के लोगों की हालत बद से बदतर होती जा रही है.

इस मानसून सत्र में विपक्ष अपनी तरफ से भरसक कोशिश करेगा कि मोदी सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी हों

आगामी विधानसभा और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार इस सत्र के दौरान महत्वपूर्ण अध्यादेशों को पास करा लेना चाहती है ताकि उसका पोलिटिकल फायदा चुनाव के दौरान मिल सके. बताया जा रहा है कि मानसून सत्र में मोदी सरकार के द्वारा 18 विधेयक पेश किये जा सकते हैं. 16 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर महिला आरक्षण बिल पास करने का अनुरोध किया है.

सरकार का ज्यादा फोकस ओबीसी कमीशन बिल और तीन तलाक बिल को संसद में पास कराने पर रहेगा. सरकार की नजर निकाह, हलाला जैसे मुद्दों पर भी रहेगी. हाल में ही मोदी सरकार ने खरीफ फसल का समर्थन मूल्य बढ़ाया है. इसका...

संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होकर 10 अगस्त तक चलेगा. इस बार भी संसद के मानसून सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं. विपक्ष के पास ऐसे कई मुद्दे हैं जिनके बल पर वो मोदी सरकार को घेरने का प्रयास करेगी. लोकसभा चुनाव से पहले सरकार मानसून सत्र को सफल बनाना चाहती है. सत्र से एक दिन पहले बुलाई गयी सर्वदलीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि वो सदन में हर मुद्दे और सवाल पर चर्चा करने को तैयार हैं. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सदन चलाने में सभी पार्टियों को सहयोग करना चाहिए.

सरकार हाल के दिनों में विपक्ष के रडार पर है. चाहे वो महंगाई का मुद्दा हो, किसानों की दुर्दशा का मामला हो या फिर बढ़ती हुई मॉब लिंचिंग का मामला. विपक्ष ये आरोप लगा रहा है कि देश में आराजकता का वातावरण है, सांप्रदायिक ताकते हावी होती जा रही हैं और मार्जिनल सोसाइटी के लोगों की हालत बद से बदतर होती जा रही है.

इस मानसून सत्र में विपक्ष अपनी तरफ से भरसक कोशिश करेगा कि मोदी सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी हों

आगामी विधानसभा और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार इस सत्र के दौरान महत्वपूर्ण अध्यादेशों को पास करा लेना चाहती है ताकि उसका पोलिटिकल फायदा चुनाव के दौरान मिल सके. बताया जा रहा है कि मानसून सत्र में मोदी सरकार के द्वारा 18 विधेयक पेश किये जा सकते हैं. 16 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर महिला आरक्षण बिल पास करने का अनुरोध किया है.

सरकार का ज्यादा फोकस ओबीसी कमीशन बिल और तीन तलाक बिल को संसद में पास कराने पर रहेगा. सरकार की नजर निकाह, हलाला जैसे मुद्दों पर भी रहेगी. हाल में ही मोदी सरकार ने खरीफ फसल का समर्थन मूल्य बढ़ाया है. इसका क्रेडिट भी वो लेना चाहेगी, हालांकि कई किसान संगठन इससे खुश नहीं हैं. ज्ञात हो कि हाल ही में समाप्त हुआ बजट सत्र सबसे कम प्रोडक्टिव साबित हुआ है. इस दौरान सदन की कार्यवाही लगातार स्थगित रही थी. विपक्ष संसद चलने ही नहीं दे रहा था. उस दौरान रचनात्मक और पॉजिटिव डिबेट नहीं हो पाई थी और केवल समय की बर्बादी हुई थी.

विपक्ष, सरकार को हेट क्राइम, दलितों के खिलाफ अपराध, मॉब लिंचिंग, SC-ST एक्ट, बेरोजगारी आदि कई मुद्दों पर घेरने का कोशिश करेगा. अगर लोकसभा चुनाव के पहले विपक्ष सरकार की कमजोरियों को जनता तक पहुंचाने में सफल हो जाता है तो उसे आगामी चुनाव में इसका फायदा हो सकता है. इसी मकसद से मानसून सत्र में विपक्ष अपना दांव खेलेगा और मोदी सरकार को झुकाने का प्रयास करेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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