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कैसे मान लें कि चुनाव 2019 से पहले नहीं होंगे - मोदी के भाषणों से तो नहीं लगता!

    • आईचौक
    • Updated: 11 फरवरी, 2018 07:35 PM
  • 11 फरवरी, 2018 07:35 PM
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केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली भले समय से पहले चुनाव की संभावनाओं को खारिज कर दें, लेकिन जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर जगह चुनावी मोड में नजर आ रहे हैं, यकीन करना मुश्किल हो रहा है.

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने 2019 से पहले चुनाव की संभावनाओं से इंकार किया है. फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाव भाव से ये मान लेना मुश्किल हो रहा है कि ऐसा कतई नहीं होने वाला. जिस तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाये हुए हैं उससे ऐसी बातें राजनीतिक बयानों से ज्यादा नहीं लगतीं.

अबूधाबी के ओपेरा हाउस में भी प्रधानमंत्री मोदी के निशाने पर देश का विपक्षी दल ही रहा. मोदी न तो कांग्रेस का नाम ले रहे थे और न ही संसद की तरह उसके पाप-पुण्य का बखान कर रहे थे, लेकिन साफ था कि उनका इशारा किसकी तरफ था. जिस तरह संसद में अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी चुनावी मोड में दिखे थे, अबूधाबी में भी तकरीबन उसी की झलक देखने को मिली.

नोटबंदी और जीएसटी

खबर आई है कि नोटबंदी के बाद वापस आये ₹ 500 और ₹ 1000 के नोटों की गिनती अब भी जारी है. नवंबर, 2016 में लागू हुई नोटबंदी के 15 महीने बाद भी नोटों की संख्या के सटीक आकलन और प्रामाणिकता पर काम चल ही रहा है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के आरटीआई आवेदन के जवाब में रिजर्व बैंक ने बताया कि ये काम काफी तेजी से चल रहा है.

'देश बदल रहा है... '

नोटबंदी के साथ साथ जीएसटी का जिक्र अबूधाबी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में भी आया और चुनाव कैंपेन के तहत तीन दिन के कर्नाटक दौरे पर बेल्लारी पहुंचे राहुल गांधी के जवाबी हमले में भी. मोदी ने जहां नोटबंदी और जीएसटी को जरूरी बताया, वहीं राहुल गांधी ने इन्हें हादसों जैसा बताया. गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बताया था.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा - 'सात साल से जीएसटी कानून होगा, नहीं होगा - यही चल रहा था. लेकिन अब हो गया. 70 साल पुरानी व्यवस्था बदलती है तो...

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने 2019 से पहले चुनाव की संभावनाओं से इंकार किया है. फिर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाव भाव से ये मान लेना मुश्किल हो रहा है कि ऐसा कतई नहीं होने वाला. जिस तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्ष के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाये हुए हैं उससे ऐसी बातें राजनीतिक बयानों से ज्यादा नहीं लगतीं.

अबूधाबी के ओपेरा हाउस में भी प्रधानमंत्री मोदी के निशाने पर देश का विपक्षी दल ही रहा. मोदी न तो कांग्रेस का नाम ले रहे थे और न ही संसद की तरह उसके पाप-पुण्य का बखान कर रहे थे, लेकिन साफ था कि उनका इशारा किसकी तरफ था. जिस तरह संसद में अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी चुनावी मोड में दिखे थे, अबूधाबी में भी तकरीबन उसी की झलक देखने को मिली.

नोटबंदी और जीएसटी

खबर आई है कि नोटबंदी के बाद वापस आये ₹ 500 और ₹ 1000 के नोटों की गिनती अब भी जारी है. नवंबर, 2016 में लागू हुई नोटबंदी के 15 महीने बाद भी नोटों की संख्या के सटीक आकलन और प्रामाणिकता पर काम चल ही रहा है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के आरटीआई आवेदन के जवाब में रिजर्व बैंक ने बताया कि ये काम काफी तेजी से चल रहा है.

'देश बदल रहा है... '

नोटबंदी के साथ साथ जीएसटी का जिक्र अबूधाबी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में भी आया और चुनाव कैंपेन के तहत तीन दिन के कर्नाटक दौरे पर बेल्लारी पहुंचे राहुल गांधी के जवाबी हमले में भी. मोदी ने जहां नोटबंदी और जीएसटी को जरूरी बताया, वहीं राहुल गांधी ने इन्हें हादसों जैसा बताया. गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स बताया था.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा - 'सात साल से जीएसटी कानून होगा, नहीं होगा - यही चल रहा था. लेकिन अब हो गया. 70 साल पुरानी व्यवस्था बदलती है तो कठिनाइयां तो होती ही हैं.'

मोदी ने समझाया कि इसका फायदा है और देश बदल रहा है. मोदी के अनुसार ये वो रास्ता है जो महात्मा गांधी ने दिखाया है.

मोदी ने नोटबंदी की भी अहमियत समझाई और कहा कि गरीबों ने इसे सही दिशा में उठाया गया कदम बताया है. प्रधानमंत्री ने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इशारा साफ था - 'अगर नोटबंदी करता हूं तो देश का गरीब तबका उसे सही दिशा का मजबूत कदम मानता है, लेकिन जिसकी रात की नींद उड़ गई हो, वो दो साल के बाद अब भी रो रहा है.'

कर्नाटक पहुंचे राहुल गांधी ने भी नोटबंदी का मसला अपने तरीके से उठाया और प्रधानमंत्री को टारगेट करते हुए कहा - प्रधानमंत्री 'रियर व्यू मिरर देखकर' देश चला रहे हैं, जिसकी वजह से देश में 'नोटबंदी और जीएसटी' जैसे एक्सीडेंट हुए हैं.

क्या वाकई समय पर ही चुनाव होंगे?

केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के नजरिये से देखें तो आम चुनाव 2019 में ही और निश्चित समय पर ही होंगे. दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी सहित कई नेताओं के बयान और बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण में एक साथ चुनाव कराये जाने का जिक्र आने के बाद लोग माना जाने लगा है कि चुनाव समय से पहले हो सकते हैं. इतना ही नहीं आम चुनाव के साथ कई राज्यों के चुनाव भी कराये जा सकते हैं.

कब है 2019?

टीवी इंटरव्यू में जेटली को कांग्रेस की तैयारियों की ओर ध्यान दिलाया गया. सवाल के जवाब में जेटली का कहना था - 'तैयार तो हम भी हैं लेकिन ऐसी कोई संभावना मुझे नहीं दिखाई दे रही है.'

जेटली भले खारिज करें लेकिन जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी हर जगह चुनावी मोड में देखे जा रहे हैं, एकबारगी यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि चुनाव समय से पहले या फिर एक साथ नहीं होंगे.

अबूधाबी के ओपेरा हाउस में भारतीय समुदाय के लोगों से मुखातिब मोदी ने जो कुछ कहा उसका लहजा तकरीबन वैसा ही रहा जैसा हाल के संसद भाषण में था. बिलुकल किसी आम चुनावी रैली की तरह.

संसद में भी मोदी ने देश की हालत के लिए कांग्रेस के पापों को जिम्मेदार बताया था. कई मामलों में तो ये भी बताया की चार साल से ऐसे पापों को लेकर वो खुद किस तरह चुप थे.

कांग्रेस शासन की ओर इशारा करते हुए मोदी ने कहा - 'हम निराशा, आशंका और दुविधा के दौर से भी गुजरे... पहले आम आदमी किसी काम को लेकर पूछता था कि क्या ये संभव होगा? आज पूछता है कि मोदी जी बताओ कब होगा? आज देश में कुछ भी संभव लगता है. मोदी ने कहा कि भारत विकास की नई ऊंचाईयों को छू रहा है...'

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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