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मोदी के 'न्यू इंडिया - 2022' के मायने

    • राकेश चंद्र
    • Updated: 16 मार्च, 2017 01:00 PM
  • 16 मार्च, 2017 01:00 PM
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बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी की घोषणा के बाद वर्तमान सभी पार्षदों को जैसे सांप सूंघ गया हो. न्यू इंडिया वाले सपने ने उनके सपनों पर पानी जो फेर दिया है.

पांच राज्यों में मिले बम्पर जनाधार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यालय, अशोक रोड पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए 'न्यू इंडिया' का सपना दिखाकर देश के सवा सौ करोड़ लोगों से भी आशीर्वाद मांगा था. 2022 में भारत की आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं. तो क्या प्रधान मंत्री करप्शन फ्री 'न्यू इंडिया' की बुनियाद दिल्ली से रखना चाहते हैं या महज एक चुनावी पैंतरा खेलना चाहते हैं, खैर शुरुआत अच्छी हैं तो अंत भी अच्छा ही होगा. जिसकी शुरुआत दिल्ली बीजेपी के मुखिया मनोज तिवारी ने एमसीडी चुनावों को लेकर कर दी है.

दरअसल हाल ही में बीजेपी ने अपने मौजदा पार्षदों के बारे में एक विस्तृत सर्वे करवाया था. आंतरिक सर्वे में किसी भी मौजूदा पार्षद की रिपोर्ट सही नहीं है. इसलिए पार्टी ने किसी भी पार्षद को चुनाव न लड़ाने का फैसला लिया. दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार झेलने के बाद बीजेपी किसी भी कीमत पर एमसीडी चुनाव हारना नहीं चाहती है. दिल्ली में एमसीडी भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी है, और एमसीडी पर राज भी बीजेपी का है.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी की इस घोषणा के बाद तो वर्तमान सभी पार्षदों को जैसे सांप सूंघ गया हो. पहले कम से कम पार्षद नहीं तो उसके परिवार के लोगों को ही ठेका मिल जाता था, परंतु न्यू इंडिया वाले सपने ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया है.

वास्तव में यह एक अभूतपूर्व फैसला है. इससे नए कार्यकर्ताओं को बल व मौका मिलेगा. जिन कार्यकर्ताओं की पार्टी में ऊंची पहचान नहीं है उन्हें भी मौका मिलेगा. इस प्रकार के फैसलों को सभी राजनैतिक पार्टियों को सकारात्मक नजरिये से देखने की जरुरत है. कई लोग यह भी आरोप लगा सकते हैं कि बीजेपी हार रही है इसलिए उसने यह फैसला लिया है. रही बगावत की बात, तो बीजेपी को इन्हें बर्दाश्त नहीं करना चाहिए. अन्य पार्टियों से भी...

पांच राज्यों में मिले बम्पर जनाधार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी कार्यालय, अशोक रोड पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए 'न्यू इंडिया' का सपना दिखाकर देश के सवा सौ करोड़ लोगों से भी आशीर्वाद मांगा था. 2022 में भारत की आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं. तो क्या प्रधान मंत्री करप्शन फ्री 'न्यू इंडिया' की बुनियाद दिल्ली से रखना चाहते हैं या महज एक चुनावी पैंतरा खेलना चाहते हैं, खैर शुरुआत अच्छी हैं तो अंत भी अच्छा ही होगा. जिसकी शुरुआत दिल्ली बीजेपी के मुखिया मनोज तिवारी ने एमसीडी चुनावों को लेकर कर दी है.

दरअसल हाल ही में बीजेपी ने अपने मौजदा पार्षदों के बारे में एक विस्तृत सर्वे करवाया था. आंतरिक सर्वे में किसी भी मौजूदा पार्षद की रिपोर्ट सही नहीं है. इसलिए पार्टी ने किसी भी पार्षद को चुनाव न लड़ाने का फैसला लिया. दिल्ली विधानसभा चुनाव में करारी हार झेलने के बाद बीजेपी किसी भी कीमत पर एमसीडी चुनाव हारना नहीं चाहती है. दिल्ली में एमसीडी भ्रष्टाचार का पर्याय बन चुकी है, और एमसीडी पर राज भी बीजेपी का है.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी की इस घोषणा के बाद तो वर्तमान सभी पार्षदों को जैसे सांप सूंघ गया हो. पहले कम से कम पार्षद नहीं तो उसके परिवार के लोगों को ही ठेका मिल जाता था, परंतु न्यू इंडिया वाले सपने ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया है.

वास्तव में यह एक अभूतपूर्व फैसला है. इससे नए कार्यकर्ताओं को बल व मौका मिलेगा. जिन कार्यकर्ताओं की पार्टी में ऊंची पहचान नहीं है उन्हें भी मौका मिलेगा. इस प्रकार के फैसलों को सभी राजनैतिक पार्टियों को सकारात्मक नजरिये से देखने की जरुरत है. कई लोग यह भी आरोप लगा सकते हैं कि बीजेपी हार रही है इसलिए उसने यह फैसला लिया है. रही बगावत की बात, तो बीजेपी को इन्हें बर्दाश्त नहीं करना चाहिए. अन्य पार्टियों से भी आशा की जानी चाहिए कि वे भी इस परंपरा का निर्वाह करें. ताकि हाशिये पर बैठे कार्यकर्ता भी मुख्या धारा से जुड़ सकें. अन्यथा नए सदस्यों को मौका ही नहीं मिल पाएगा.

देखना यह है कि क्या बीजेपी साल के अंत में होने वाले विधान सभा चुनावों में भी यह प्रयोग जारी रखती है या नहीं. अगर वहां भी ऐसा ही होता हैं तो निश्चय ही प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया 2022 को बल मिलेगा. क्योंकि कई ईमानदार कार्यकर्ता जीवन भर पार्टी से जुड़ने के बाद भी मुख्यधारा से नहीं जुड़ पाते हैं. अब शायद उन्हें भी मौका मिलेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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