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देशव्यापी NRC की तैयारी पांच साल पहले ही शुरू हो गई थी, ये रहे उसके सबूत

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 25 दिसम्बर, 2019 03:58 PM
  • 25 दिसम्बर, 2019 03:57 PM
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भले ही नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) कह रहे हैं कि NRC नहीं ला रहे, भले ही अमित शाह (Amit Shah) कहें कितना भी अपने बयानों पर सफाई दें, लेकिन हकीकत तो यही है कि भाजपा (BJP) ने सत्ता में आते ही NRC पर काम शुरू कर दिया था.

NRC और CAA के खिलाफ प्रदर्शन हुए, कई लोगों की मौत भी हुई. जब विवाद काफी बढ़ गया जो मोदी सरकार ने फैसला किया कि वह लोगों के बीच जाकर इनका मतलब समझाएगी. शुरुआत हुई पीएम मोदी (Narendra Modi Rally) की दिल्ली की धन्यवाद रैली (Dhanyawad Rally Delhi) से. पीएम मोदी ने आवेश में आकर ये बोल दिया कि उनकी सरकार आने के बाद से अब तक NRC पर कोई चर्चा नहीं हुई, ये संसद में भी नहीं आया. यहीं से एक नया विवाद खड़ा हो गया है. पीएम मोदी की बातों से लग रहा है कि वह कहना चाहते हैं कि मोदी सरकार एनआरसी की अभी कोई तैयारी नहीं कर रही है, इसकी शुरुआत तो कांग्रेस ने ही की थी. लेकिन इसके उलट अमित शाह (Amit Shah on NRC) संसद में ही कह चुके हैं कि देश के इंच-इंच में रह रहे घुसपैठियों को एनआरसी लागू कर के देश से बाहर निकाला जाएगा. वह कह चुके हैं कि तैयार रहिए, एनआरसी आने वाला है. तो सच क्‍या है? जब हमने इस दिशा में काम करने वाले विभाग के कार्यकलाप की छानबीन की तो पता चला कि देशव्‍यापी NRC की तैयारी तो 5 साल पहले से ही शुरू हो गई थी.

अब मोदी सरकार ने एनपीआर (NPR) यानी नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (National Population Register) बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी है. इस पर अमित शाह का विरोध ये कहते हुए भी हो रहा है कि NPR-NRC में कोई लिंक नहीं हैं, ये दोनों एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. उनका कहना है कि NPR के जरिए लोगों का डेटाबेस बनेगा, जिससे पॉलिसी बनाने में मदद मिलेगी, जबकि NRC के तहत लोगों की नागरिकता तय की जाती है कि कौन देश का नागरिक है और कौन नहीं. अभी भले ही अमित शाह एनपीआर और एनआरसी को अलग-अलग बता रहे हों, लेकिन मोदी सरकार ने संसद में 9 बार कहा है कि एनआरसी को एनपीआर के डेटा के आधार पर लागू किया जाएगा.

2016 में ही मोदी सरकार ने एनआरसी को लेकर कुछ अहम बदलाव करने...

NRC और CAA के खिलाफ प्रदर्शन हुए, कई लोगों की मौत भी हुई. जब विवाद काफी बढ़ गया जो मोदी सरकार ने फैसला किया कि वह लोगों के बीच जाकर इनका मतलब समझाएगी. शुरुआत हुई पीएम मोदी (Narendra Modi Rally) की दिल्ली की धन्यवाद रैली (Dhanyawad Rally Delhi) से. पीएम मोदी ने आवेश में आकर ये बोल दिया कि उनकी सरकार आने के बाद से अब तक NRC पर कोई चर्चा नहीं हुई, ये संसद में भी नहीं आया. यहीं से एक नया विवाद खड़ा हो गया है. पीएम मोदी की बातों से लग रहा है कि वह कहना चाहते हैं कि मोदी सरकार एनआरसी की अभी कोई तैयारी नहीं कर रही है, इसकी शुरुआत तो कांग्रेस ने ही की थी. लेकिन इसके उलट अमित शाह (Amit Shah on NRC) संसद में ही कह चुके हैं कि देश के इंच-इंच में रह रहे घुसपैठियों को एनआरसी लागू कर के देश से बाहर निकाला जाएगा. वह कह चुके हैं कि तैयार रहिए, एनआरसी आने वाला है. तो सच क्‍या है? जब हमने इस दिशा में काम करने वाले विभाग के कार्यकलाप की छानबीन की तो पता चला कि देशव्‍यापी NRC की तैयारी तो 5 साल पहले से ही शुरू हो गई थी.

अब मोदी सरकार ने एनपीआर (NPR) यानी नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (National Population Register) बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी है. इस पर अमित शाह का विरोध ये कहते हुए भी हो रहा है कि NPR-NRC में कोई लिंक नहीं हैं, ये दोनों एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. उनका कहना है कि NPR के जरिए लोगों का डेटाबेस बनेगा, जिससे पॉलिसी बनाने में मदद मिलेगी, जबकि NRC के तहत लोगों की नागरिकता तय की जाती है कि कौन देश का नागरिक है और कौन नहीं. अभी भले ही अमित शाह एनपीआर और एनआरसी को अलग-अलग बता रहे हों, लेकिन मोदी सरकार ने संसद में 9 बार कहा है कि एनआरसी को एनपीआर के डेटा के आधार पर लागू किया जाएगा.

2016 में ही मोदी सरकार ने एनआरसी को लेकर कुछ अहम बदलाव करने शुरू कर दिए थे.

देशव्‍यापी NRC की शुरुआत तो 20 जनवरी 2016 से हो गई थी!

भले ही पीएम मोदी ने दिल्ली में रैली करते हुए पूरा जोर देकर रहा हो कि उनकी सरकार बनने के बाद से अब तक एनआरसी पर चर्चा शुरू नहीं हुई है, लेकिन हकीकत ये है कि भाजपा ने सत्ता में आने के महज दो साल में ही NRC पर काम शुरू कर दिया था. जब हमने वेब आर्काइव (Web Archive) में जाकर देखा तो कुछ ऐसे तथ्य सामने आए. पहली बार मोदी सरकार ने 20 जनवरी 2016 को सेंसस इंडिया यानी जनगणना की वेबसाइट पर एनआरसी का जिक्र किया. ये एनआरसी पूरे देश में लागू करने की योजना की पहल थी, इसीलिए इसका नाम एनआरआईसी (NRIC) यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजन्स (National Register of Indian Citizens) रखा गया. यहां देखिए वेब आर्काइव में मौजूद वो पेज.

20 जनवरी 2016 को सेंसस इंडिया यानी जनगणना की वेबसाइट पर एनआरसी का जिक्र किया.

11 मार्च 2016 को लिंग्वस्टिक सर्वे की वेबसाइट पर जोड़ा गया NRC को

जनगणना की वेबसाइट पर एनआरसी को जोड़ने के बाद 11 मार्च 2016 को मोदी सरकार ने लिंग्वस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया (Linguistic Survey of India) के पेज पर एनआरसी का कॉलम जोड़ा. यहां क्लिक कर देखें वेब आर्काइव पर मौजूद वो पुराना पेज.

11 मार्च 2016 को मोदी सरकार ने लिंग्वस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया के पेज पर एनआरसी का कॉलम जोड़ा.

अगला कदम 22 मार्च 2016 को उठाया गया

22 मार्च 2016 को मोदी सरकार ने पूरे देश में एनआरसी लागू करने की दिशा में अगला कदम उठाया. इस दिन लिंग्वस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया के डोमेन पर ही एक मेंबर लॉगिन पेज बनाया गया, जिसमें यूजरनेम, पासवर्ड और कैप्चा कोड की जगह है. यहां क्लिक कर देखें वेब आर्काइव पर मौजूद लॉगिन पेज.

22 मार्च 2016 को मोदी सरकार ने लिंग्वस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया के डोमेन पर ही एक मेंबर लॉगिन पेज बनाया.

जनगणना की वेबसाइट पर 20 जनवरी 2017 को हुआ बड़ा बदलाव

सेंसस इंडिया (Census India) यानी जनगणना की वेबसाइट के होम पर 20 जनवरी 2017 को कई बड़े बदलाव किए गए. यहां तक कि उसका लेआउट डिजाइन भी बदला गया. इसी दिन उसके होम पेज पर एनआरआईसी को प्रमुखता से जगह दी गई. यहां क्लिक कर वेब आर्काइव पर देखिए जब पहली बार सेंसस इंडिया की वेबसाइट के होम पेज पर पहली बार एनआरआईसी को प्रमुखता से जगह दी गई, जिसे बाद में एक खास पेज के साथ लिंक कर दिया गया, जो एनआरआईसी के लिए ही बनाया गया.

20 जनवरी 2017 को सेंसस इंडिया के होम पेज पर एनआरआईसी को प्रमुखता से जगह दी गई.

एनआरआईसी के लिए 22 जनवरी 2017 को बनाया अलग पेज

22 जनवरी 2017 को मोदी सरकार ने एनआरआईसी के लिए एक अलग से पेज बनाया. शुरुआत में इस पेज में असम एनआरसी भी जुड़ा हुआ था, लेकिन तब से लेकर अब तक इसमें कई बार बदलाव किए गए हैं और अब फिलहाल इस पेज पर सिर्फ एनआरआईसी से जुड़े कानून और नियमों के साथ-साथ पॉपुलेशन रजिस्टर की बात की गई है. बता दें कि इसमें सिटिजनशिप एक्ट 1955 का भी जिक्र है. यहां देखिए वेब आर्काइव पर मौजूद वो पुराना पेज.

22 जनवरी 2017 को मोदी सरकार ने एनआरआईसी के लिए एक अलग से पेज बनाया.

यानी एनआरसी की तैयारी पुख्ता थी !

लोगों का विरोध झेल रही मोदी सरकार फिलहाल बैकफुट पर आ गई है और कह रही है कि एनआरसी तो उन्होंने शुरू ही नहीं किया. वह इसे कहीं लागू नहीं कर रही है. पीएम मोदी तो कह चुके हैं कि असम में भी सुप्रीम कोर्ट के कहने पर लागू करना पड़ा. लेकिन जनगणना और लिंग्विस्टिक सर्वे की सरकारी वेबसाइट को दिखा रही हैं, उनका क्या? अमित शाह जो बार-बार इंच-इंच से घुसपैठियों को निकालने की बात कहते हैं क्या वो भी झूठ है? या सरकार ये जताना चाहती है कि उसे पता ही नहीं है कि वेबसाइट्स पर क्या चल रहा है? दरअसल, सरकार सब जानती है और ये सब मोदी सरकार के इशारों पर ही हो रहा है. एनआरसी लागू करने की मोदी सरकार की पूरी तैयारी थी, लेकिन नागरिकता कानून के बाद विपक्षी पार्टियों ने ऐसा विरोध शुरू किया कि अब इस विरोध में देश की एक बड़ी आबादी जुड़ चुकी है, जिसके चलते मोदी सरकार अपने कदम पीछे खींचने पर मजबूर हो गई है. अगर जनवरी 2016 से इससे जुड़े बदलाव सरकारी वेबसाइट्स पर होने लगे, तो इसका ये मतलब है कि इस पर बातचीत उससे भी पहले शुरू हो गई होगी. कहना गलत नहीं होगा कि मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही NRC पर काम करना शुरू कर दिया था.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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