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मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास का अफसरों से 'हिसाब-किताब' का सपना बुरी तरह टूटा!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 10 मार्च, 2022 08:55 PM
  • 10 मार्च, 2022 12:37 PM
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मऊ सदर विधानसभा सीट (Mau Sadar Election results 2022) पर वोटों की गिनती जारी है मुकाबला सुभासपा के अब्बास अंसारी और भाजपा के बीच है. यदि इस सीट से भाजपा जीतती है तो इस बात का फैसला खुद ब खुद हो जाएगा कि जनता को बाहुबल, दबंगई, गुंडागर्दी नहीं सुशासन, विकास और रोजगार चाहिए और वही उनकी प्राथमिकता है.

नतीजों के साथ यूपी का चुनावी रण लगभग समाप्त हो गया. यूं तो यूपी की कई सीटों पर लोग नजरें बनाए हुए थे लेकिन सबसे दिलचस्प चुनाव मऊ सदर (Mau Election Results 2022) सीट पर देखने को मिला. मऊ सदर को यूपी विधानसभा चुनाव के लिहाज से क्यों अहम माना जा रहा था? इसकी बड़ी वजह अब्बास अंसारी और जेल में बंद माफिया विधायक मुख़्तार अंसारी थे. अब्बास के जरिये लोग ये देखने को आतुर थे कि क्या उनमें वो सामर्थ्य है जिसके दम पर वो पिता की विरासत और बाहुबल को आगे ले जा पाएंगे? ये सवाल क्यों हुआ इसकी भी वजह कम मजेदार नहीं है. असल में अभी बीते दिनों ही अब्बास अंसारी का एक वायरल वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उनके तेवर और दबंगई पिता मुख़्तार अंसारी सरीखे थे. इंटरनेट पर जंगल की आग की तरह फैले उस वीडियो में अब्बास योगी सरकार के अधिकारियों के हिसाब किताब की बात करते नजर आ रहे थे.

भले ही शुरुआत में भाजपा के प्रत्याशी अशोक कुमार सिंह से पिछड़ते अब्बास ने इस सीट पर जीत दर्ज की हो. लेकिन सूबे में प्रचंड बहुमत भाजपा को मिला है. तो, उनका सपना, सपना ही रह गया.

जैसे रुझान अभी तक दिखाई दे रहे हैं मऊ में अब्बास अंसारी पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं

बताते चलें कि मऊ सदर से भाजपा के अशोक को 86274 वोट मिले हैं और उनका वोटिंग पर्सेंटेज 31 हैं. जिक्र अब्बास अंसारी का हुआ है तो बताना जरूरी है कि अब्बास को 44.74 परसेंट के हिसाब से 124501 वोट मिले हैं.

अब्बास के लिए इस सीट पर चुनाव जीतना इसलिए भी जरूरी था. क्योंकि, इस सीट से मुख़्तार की इज्जत और बाहुबल दोनों दांव पर थे. ध्यान रहे कि माफिया विधायक मुख़्तार अंसारी मऊ सदर सीट से लगातार...

नतीजों के साथ यूपी का चुनावी रण लगभग समाप्त हो गया. यूं तो यूपी की कई सीटों पर लोग नजरें बनाए हुए थे लेकिन सबसे दिलचस्प चुनाव मऊ सदर (Mau Election Results 2022) सीट पर देखने को मिला. मऊ सदर को यूपी विधानसभा चुनाव के लिहाज से क्यों अहम माना जा रहा था? इसकी बड़ी वजह अब्बास अंसारी और जेल में बंद माफिया विधायक मुख़्तार अंसारी थे. अब्बास के जरिये लोग ये देखने को आतुर थे कि क्या उनमें वो सामर्थ्य है जिसके दम पर वो पिता की विरासत और बाहुबल को आगे ले जा पाएंगे? ये सवाल क्यों हुआ इसकी भी वजह कम मजेदार नहीं है. असल में अभी बीते दिनों ही अब्बास अंसारी का एक वायरल वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उनके तेवर और दबंगई पिता मुख़्तार अंसारी सरीखे थे. इंटरनेट पर जंगल की आग की तरह फैले उस वीडियो में अब्बास योगी सरकार के अधिकारियों के हिसाब किताब की बात करते नजर आ रहे थे.

भले ही शुरुआत में भाजपा के प्रत्याशी अशोक कुमार सिंह से पिछड़ते अब्बास ने इस सीट पर जीत दर्ज की हो. लेकिन सूबे में प्रचंड बहुमत भाजपा को मिला है. तो, उनका सपना, सपना ही रह गया.

जैसे रुझान अभी तक दिखाई दे रहे हैं मऊ में अब्बास अंसारी पिछड़ते हुए नजर आ रहे हैं

बताते चलें कि मऊ सदर से भाजपा के अशोक को 86274 वोट मिले हैं और उनका वोटिंग पर्सेंटेज 31 हैं. जिक्र अब्बास अंसारी का हुआ है तो बताना जरूरी है कि अब्बास को 44.74 परसेंट के हिसाब से 124501 वोट मिले हैं.

अब्बास के लिए इस सीट पर चुनाव जीतना इसलिए भी जरूरी था. क्योंकि, इस सीट से मुख़्तार की इज्जत और बाहुबल दोनों दांव पर थे. ध्यान रहे कि माफिया विधायक मुख़्तार अंसारी मऊ सदर सीट से लगातार चार बार से विधायक थे.

2017 के विधानसभा चुनाव में मुख़्तार ने राजभर की पार्टी सुभासपा के महेंद्र राजभर को 10 हजार से कम मतों से हराया था. लेकिन इस बार उनकी जगह उनके बेटे अब्बास अंसारी मैदान में हैं.

राजनीति के मामले में अब्बास अंसारी का रिकॉर्ड ठीक नहीं है. अब्बास अंसारी इसके पहले 2017 में घोसी विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 

बहरहाल मऊ सदर विधानसभा सीट पर वोटों की गिनती जारी है और यदि इस सीट से भाजपा जीतती है तो इस बात का फैसला खुद ब खुद हो जाएगा कि जनता को बाहुबल, दबंगई, गुंडागर्दी नहीं सुशासन, विकास और रोजगार चाहिए और वही उनकी प्राथमिकता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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