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ममता बनर्जी तेजी से घर को दुरूस्त करने में जुटीं, और बीजेपी ने धावा बोल दिया है

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 04 अगस्त, 2022 08:42 PM
  • 04 अगस्त, 2022 08:41 PM
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ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) सरकार में मंत्री बनते ही बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ आक्रामक हो गये हैं - क्या ये बीजेपी नेताओं के तृणमूल कांग्रेस नेता के खिलाफ एक्टिव होने की काउंटर रणनीति है?

ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) रंगाई पुताई में जोर शोर से जुटी हैं. पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी की गिरफ्तारी के बाद ममता बनर्जी की तरफ से वो हर संभव उपाय किये जा रहे हैं, जिससे नयी ताजगी और ऊर्जा के साथ बीजेपी से मुकाबला किया जा सके - लेकिन बीजेपी ने तो पहले से ही जाल बिछा रखा है और नेताओं ने नये सिरे से घेरना शुरू कर दिया है.

ममता बनर्जी की तरफ से उठाये जा रहे सुधारवादी कदमों में से ही मंत्रिमंडल विस्तार भी एक है. जैसे कि पहले संकेत मिल रहे थे, समझा जा रहा था कि ममता बनर्जी अपनी कैबिनेट को पूरी तरह बदल कर रख देंगी. वैसा कुछ नहीं हुआ. हां, कुछ फ्रेश चेहरे जोड़े जरूर गये हैं.

नये चेहरों में सबसे ज्यादा चर्चित बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) हैं, जिनको पश्चिम बंगाल से बाहर भी लोग चेहरे से पहचानते हैं - और मंत्री बनाये जाने के साथ ही वो फॉर्म में भी आ गये हैं. बीजेपी नेतृत्व के खिलाफ बंगाल से मोर्चा भी संभाल लिये लगते हैं.

बाबुल सुप्रियो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से सीधे सवाल किया है, क्या आपको लगता है कि बंगाल के लोग इस काबिल नहीं हैं कि यहां से कोई फुल टाइम मंत्री बने? याद भी दिलाते हैं कि पश्चिम बंगाल से 18 सांसद चुनाव जीत कर लोक सभा पहुंचे हैं.

बाबुल सुप्रियो का सवाल है, 'एक बंगाली केंद्र सरकार में मंत्री क्यों नहीं हो सकता? पश्चिम बंगाल से सांसद एसएस अहलूवालिया का नाम लेकर बाबुल सुप्रियो पूछ रहे हैं वो कैबिनेट मंत्री क्यों नहीं हो सकते?

अपने भी आसनसोल से दो बार सांसद बनने का जिक्र करते हैं - और फिर कहते हैं कि 'ये बंगाल के साथ गलत हो रहा है... ये बंगाल के लोगों के साथ विश्वासघात था...' बाबुल सुप्रियो शायद याद दिलाना चाहते हैं जिस तरीके से उनको मोदी सरकार के कैबिनेट से बाहर किया गया था. केंद्रीय मंत्री रहते बाबुल सुप्रीयो को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी उतारा गया था, लेकिन वो हार गये और उसके बाद उनको मंत्रिमंडल से हटा दिया गया.

हद से ज्यादा खुशी का इजहार करते हुए...

ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) रंगाई पुताई में जोर शोर से जुटी हैं. पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी की गिरफ्तारी के बाद ममता बनर्जी की तरफ से वो हर संभव उपाय किये जा रहे हैं, जिससे नयी ताजगी और ऊर्जा के साथ बीजेपी से मुकाबला किया जा सके - लेकिन बीजेपी ने तो पहले से ही जाल बिछा रखा है और नेताओं ने नये सिरे से घेरना शुरू कर दिया है.

ममता बनर्जी की तरफ से उठाये जा रहे सुधारवादी कदमों में से ही मंत्रिमंडल विस्तार भी एक है. जैसे कि पहले संकेत मिल रहे थे, समझा जा रहा था कि ममता बनर्जी अपनी कैबिनेट को पूरी तरह बदल कर रख देंगी. वैसा कुछ नहीं हुआ. हां, कुछ फ्रेश चेहरे जोड़े जरूर गये हैं.

नये चेहरों में सबसे ज्यादा चर्चित बाबुल सुप्रियो (Babul Supriyo) हैं, जिनको पश्चिम बंगाल से बाहर भी लोग चेहरे से पहचानते हैं - और मंत्री बनाये जाने के साथ ही वो फॉर्म में भी आ गये हैं. बीजेपी नेतृत्व के खिलाफ बंगाल से मोर्चा भी संभाल लिये लगते हैं.

बाबुल सुप्रियो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से सीधे सवाल किया है, क्या आपको लगता है कि बंगाल के लोग इस काबिल नहीं हैं कि यहां से कोई फुल टाइम मंत्री बने? याद भी दिलाते हैं कि पश्चिम बंगाल से 18 सांसद चुनाव जीत कर लोक सभा पहुंचे हैं.

बाबुल सुप्रियो का सवाल है, 'एक बंगाली केंद्र सरकार में मंत्री क्यों नहीं हो सकता? पश्चिम बंगाल से सांसद एसएस अहलूवालिया का नाम लेकर बाबुल सुप्रियो पूछ रहे हैं वो कैबिनेट मंत्री क्यों नहीं हो सकते?

अपने भी आसनसोल से दो बार सांसद बनने का जिक्र करते हैं - और फिर कहते हैं कि 'ये बंगाल के साथ गलत हो रहा है... ये बंगाल के लोगों के साथ विश्वासघात था...' बाबुल सुप्रियो शायद याद दिलाना चाहते हैं जिस तरीके से उनको मोदी सरकार के कैबिनेट से बाहर किया गया था. केंद्रीय मंत्री रहते बाबुल सुप्रीयो को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी उतारा गया था, लेकिन वो हार गये और उसके बाद उनको मंत्रिमंडल से हटा दिया गया.

हद से ज्यादा खुशी का इजहार करते हुए बाबुल सुप्रियो बताते हैं कि उनकी दूसरी पारी, पहली पारी से ज्यादा रोशन होगी. ये भी बताते हैं कि 'दीदी की तरफ से जिम्मेदारी मिलने के बाद वो पैर छूकर आशीर्वाद भी लिये हैं - और बीती बातों को याद करते हुए कहते हैं, 'एक तीन अगस्त की तारीख वो थी, जब मैंने राजनीति छोड़ने का फैसला लिया था... एक तीन अगस्त आज है, जब मैं ममता बनर्जी कैबिनेट में मंत्री बना हूं... वो भी एक दौर था, ये भी एक दौर है.

ऐसा लगता है जैसे ममता बनर्जी अपने दिल्ली दौरे से पहले सरकार और संगठन में तेजी से बदलाव कर रही हैं, ताकि ज्यादा सवाल न खड़े किये जायें. ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक में शामिल होने वाली हैं. ये भी संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात करें.

बीजेपी की तरफ से ये भी देखने को मिला है कि पुराने गवर्नर जगदीप धनखड़ के चले जाने के बाद बंगाल के मोर्चे पर विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के साथ साथ केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी मोर्चा संभाल लिया है.

क्या क्या कर रही हैं ममता बनर्जी

मंत्रिमंडल गठन के साथ साथ ममता बनर्जी की तरफ से कई तरह के कदम उठाये गये हैं. बंगाल में नये जिले बनाने से लेकर जिला स्तर के तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए गाइडलाइन जारी करने तक - हालांकि, ये कोई लिखित दिशानिर्देश नहीं हैं. बस ऐसे ही एक दूसरे को बताने के लिए बोल दिया गया है.

पश्चिम बंगाल चुनाव के करीब साल भर बाद ममता बनर्जी एक बार फिर वैसी ही जद्दोजहद से जूझ रही हैं.

पार्थ और अर्पिता ने जो दर्द और दाग दिये हैं, उन्हें मिटाने के लिए ममता बनर्जी की तरफ से काफी सारे उपाय किये गये हैं -

1. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नये जिलों के गठन की घोषणा बीजेपी और उनके राजनीतिक विरोधियों ने पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी को लेकर हो रही फजीहत से ध्यान हटाने की कवायद बताया है.

ममता बनर्जी ने बंगाल में जिन नये जिलों की घोषणा की है, वे हैं - सुंदरबन, इछेमती, राणाघाट, बिष्णुपुर, जंगीपुर, बेहरामपुर और बशीरहाट. अभी पश्चिम बंगाल में 23 जिले हैं जो बढ़ कर 30 हो जाएंगे.

2. ममता बनर्जी अपनी तरफ से कोशिश तो कर ही रही हैं, भतीजे अभिषेक बनर्जी और शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु को भी लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए ड्यूटी पर तैनात कर दिया है.

एसएससी की पहली मेरिट लिस्ट में सेलेक्ट उम्मीदवार कोलकाता में धरने पर बैठे हैं. अभिषेक बनर्जी ने उनसे मिल कर उनकी नियुक्ति का भरोसा दिलाया है - और उसी सिलसिले में 8 अगस्त को उनकी बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु से भी मुलाकात होनी है.

3. टीएमसी में बड़े पैमाने पर फेरबदल किये गये हैं. 35 में से जिला स्तर के 23 पदाधिकारियों को बदल दिया गया हैचेयरमैन और प्रेसिडेंट को बदल दिया - ये भी मंत्रिमंडल में हुए रंग रोगन जैसा ही मामला लगता है.

4. और सबसे खास बात जो लगती है, वो जिले स्तर के कार्यकर्ताओं के लिए ये फरमान जारी किया जाना कि पार्थ और अर्पिता की गिरफ्तारी और करोड़ों कैश की बरामदगी पर क्या बोलना है और क्या नहीं बोलना है. समझाया गया है कि ये मुद्दा उठने पर या तो वे चुप रहें या फिर जैसे भी संभव हो टालमटोल कर दें - साथ ही, किसी भी तरह की पब्लिक मीटिंग या रैली के आयोजन की भी मनाही है.

बीजेपी ने घेरने की तैयारी शुरू कर दी है

बीजेपी के आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने हाल ही में पूर्व राज्यपाल जगदीप धनखड़ के बयान का हवाला देते हुए दावा किया था कि बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले के मुकाबले हरियाणा का मामला बहुत मामूली रहा - जिसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को जेल की सजा काटनी पड़ी.

और बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी अब उसी बात को अपने तरीके से आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं - और ममता बनर्जी को भेजा गया केंद्रीय शिक्षा मंत्री के पत्र के पीछे भी वैसा ही मकसद लगता है.

धर्मेंद्र प्रधान की चिट्ठी: दिल्ली से शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ममता बनर्जी को पत्र भेज कर पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले पर गंभीर चिंता जतायी है - और गड़बड़ियों को ठीक करने के लिए जरूरी उपाय करने को कहा है.

शिक्षा मंत्री के पत्र में लिखा है, 'पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले से निश्चित तौर से शिक्षा की गुणवत्ता में बाधा पहुंचेगी - और आने वाली पीढ़ी हताशा की शिकार होगी.'

ममता बनर्जी से धर्मेंद्र प्रधान कहते हैं, 'मेरा आपसे आग्रह है कि लोगों का भरोसा बहाल करने के लिए जरूरी उपाय करें.'

शुभेंदु अधिकारी की सूची: कभी ममता बनर्जी के बेहद खास और भरोसेमंद रहे, शुभेंदु अधिकारी तो अलग ही मिशन में जुटे हुए हैं. अमित मालवीय ने जो रास्ता दिखाया वो उस पर काफी तेजी से आगे बढ़ते चले जा रहे हैं.

धर्मेंद्र प्रधान जैसी चिंता जताते हुए शुभेंदु अधिकारी ने कहा है कि पश्चिम बंगाल का शिक्षक भर्ती घोटाला एक लाख से ज्यादा बेरोजगार युवकों के भविष्य के साथ जुड़ा हुआ है. ये बात शुभेंदु अधिकारी ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के बाद कही है.

शुभेंदु अधिकारी ने अमित शाह को तृणमूल कांग्रेस नेताओं की एक लंबी सूची भी सौंपी है. शुभेंदु अधिकारी के मुताबिक, सूची में 100 से ज्यादा तृणमूल कांग्रेस नेताओं के नाम हैं जिनके बारे में दावा है कि वे पार्थ चटर्जी के साथ शिक्षक भर्ती घोटाले में शामिल हो सकते हैं. शुभेंदु अधिकारी का कहना है कि अमित शाह उन्होंने मांग की है कि भ्रष्टाचार पर तेजी से शिकंजा कसा जाना चाहिये.

पहले शुभेंदु अधिकारी ऐसी कागजात राज भवन पहुंच कर राज्यपाल रहे जगदीप धनखड़ को सौंपा करते थे. अब वो सीधे गृह मंत्रालय से शिकायतें दर्ज कराने लगे हैं. राज्यपाल तो ज्यादा से ज्यादा ट्वीट या बयान जारी कर ममता बनर्जी को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश करते रहे, लेकिन गृह मंत्रालय तो अब अपने तरीके से निबटने वाला है.

केंद्रीय गृह मंत्रालय का अब वैसा ही रुख देखने को मिल सकता है जैसा कोविड और लॉकडाउन के दौरान देखने को मिला था, जब केंद्र सरकार के ऑब्जर्वर मौके पर पहुंच कर जानकारी इकट्ठा करते थे और उनकी रिपोर्ट पर राज्य सरकार से जवाब तलब किये जाते रहे. तब ममता बनर्जी सरकार पर कई जगह लॉकडाउन का उल्लंघन और फिर कोविड गाइडलाइन पर ठीक से अमल न करने का भी इल्जाम लगा था.

जेपी नड्डा के काफिले पर पत्थर फेंके जाने के बाद चीफ सेक्रेट्री और ड्यूटी पर तैनात अफसरों को लेकर ममता बनर्जी और गृह मंत्रालय में जो तनातनी हुई सबने देखा ही. प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेन चलाने को लेकर जिस तरीके से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल हमलावर रहे, ममता बनर्जी को भी याद होगा ही.

ममता बनर्जी की तरफ से लाख कोशिशें हो रही हों, लेकिन शुभेंदु अधिकारी और धर्मेंद्र प्रधान का नये सिरे से एक्टिव होना इशारे तो ऐसे ही कर रहा है कि महाराष्ट्र और झारखंड की ही तरफ निशाने पर पश्चिम बंगाल सरकार भी आ चुकी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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