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महुआ मोइत्रा और नुपुर शर्मा की 'राय' से उनकी पार्टियों के पीछे हट जाने की मजबूरी क्या है?

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 07 जुलाई, 2022 12:46 PM
  • 07 जुलाई, 2022 12:46 PM
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महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) को भी तृणमूल कांग्रेस का सपोर्ट वैसे ही नहीं मिला है, जैसे नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) को बीजेपी नेतृत्व का - क्या ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) भी महुआ मोइत्रा के बयान से वैसी ही राजनीतिक उलझन महसूस कर रही हैं जैसा बीजेपी नेतृत्व नुपुर के केस में?

महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) भी डॉक्‍यूमेंट्री फिल्‍म काली के पोस्‍टर को लेकर छिड़े विवाद की लपटों में घिर गयी हैं - और तृणमूल कांग्रेस ने महुआ मोइत्रा के नजरिये से तौबा कर ही लिया है. महुआ मोइत्रा की हालत भी अभी करीब करीब नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) जैसी हो गयी है.

फर्क ये जरूर है कि बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता को मोहम्मद साहब पर टिप्पणी के लिए फ्रिंज एलिमेंट जैसा तमगा दे दिया गया था, लेकिन महुआ मोइत्रा की टिप्पणी को तृणमूल कांग्रेस ने बस निजी बयान बताया है, लेकिन हाथ पीछे खींच लिया है.

बीजेपी के पीछे हट जाने के बावजूद नुपुर शर्मा के समर्थक उनके पक्ष में खड़े रहे हैं. कहीं से भी कुछ भी नुपुर शर्मा के खिलाफ कोई आवाज उठ रही है तो उनके समर्थक ऐसे तत्वों के खिलाफ पीछे पड़ जा रहे हैं, लेकिन महुआ मोइत्रा काली पर टिप्पणी कर करीब करीब अकेले पड़ चुकी हैं.

सस्पेंड किये जाने के बावजूद नुपुर शर्मा को पूरी उम्मीद है कि बीजेपी नेतृत्व का सपोर्ट उनको मिलेगा ही. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी तो कह ही चुके हैं कि बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं को यूं ही नहीं छोड़ देती - और उनकी बात इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर निशाने पर आ जाने के बावजूद, बेहद महत्वपूर्ण यूपी चुनाव के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको कैबिनेट से हटाने तक का कोई संकेत नहीं दिया. अजय मिश्रा टेनी के बॉस और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तो लोगों की नजरें बचा कर उनको चुनावी कार्यक्रमों में भी साथ बनाये रखे.

लेकिन महुआ मोइत्रा के केस में थोड़ा अलग सीन दिखायी देता है. महुआ ने तृणमूल कांग्रेस के स्टैंड के विरोध में ट्विटर पर पार्टी को अनफॉलो कर लिया - हालांकि, ममता बनर्जी के साथ ठीक वैसा ही व्यवहार नहीं किया है.

वैसे अभी...

महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) भी डॉक्‍यूमेंट्री फिल्‍म काली के पोस्‍टर को लेकर छिड़े विवाद की लपटों में घिर गयी हैं - और तृणमूल कांग्रेस ने महुआ मोइत्रा के नजरिये से तौबा कर ही लिया है. महुआ मोइत्रा की हालत भी अभी करीब करीब नुपुर शर्मा (Nupur Sharma) जैसी हो गयी है.

फर्क ये जरूर है कि बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता को मोहम्मद साहब पर टिप्पणी के लिए फ्रिंज एलिमेंट जैसा तमगा दे दिया गया था, लेकिन महुआ मोइत्रा की टिप्पणी को तृणमूल कांग्रेस ने बस निजी बयान बताया है, लेकिन हाथ पीछे खींच लिया है.

बीजेपी के पीछे हट जाने के बावजूद नुपुर शर्मा के समर्थक उनके पक्ष में खड़े रहे हैं. कहीं से भी कुछ भी नुपुर शर्मा के खिलाफ कोई आवाज उठ रही है तो उनके समर्थक ऐसे तत्वों के खिलाफ पीछे पड़ जा रहे हैं, लेकिन महुआ मोइत्रा काली पर टिप्पणी कर करीब करीब अकेले पड़ चुकी हैं.

सस्पेंड किये जाने के बावजूद नुपुर शर्मा को पूरी उम्मीद है कि बीजेपी नेतृत्व का सपोर्ट उनको मिलेगा ही. केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी तो कह ही चुके हैं कि बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं को यूं ही नहीं छोड़ देती - और उनकी बात इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि लखीमपुर खीरी हिंसा को लेकर निशाने पर आ जाने के बावजूद, बेहद महत्वपूर्ण यूपी चुनाव के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको कैबिनेट से हटाने तक का कोई संकेत नहीं दिया. अजय मिश्रा टेनी के बॉस और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तो लोगों की नजरें बचा कर उनको चुनावी कार्यक्रमों में भी साथ बनाये रखे.

लेकिन महुआ मोइत्रा के केस में थोड़ा अलग सीन दिखायी देता है. महुआ ने तृणमूल कांग्रेस के स्टैंड के विरोध में ट्विटर पर पार्टी को अनफॉलो कर लिया - हालांकि, ममता बनर्जी के साथ ठीक वैसा ही व्यवहार नहीं किया है.

वैसे अभी महुआ मोइत्रा की तरफ से ऐसा कोई दावा नहीं किया गया है कि ममता बनर्जी उनके साथ खड़ी हैं. शुरुआती दौर में नुपुर शर्मा ने ऐसा दावा जरूर किया था. महुआ मोइत्रा और ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के बीच तकरार तो पहले भी देखी गयी है - और महुआ को ममता से सरेआम डांट तक खानी पड़ी है.

महुआ मोइत्रा ने अपने बयान पर सफाई भी दी है और 'संघियों' शब्द का इस्तेमाल कर ये जताने की कोशिश भी की है कि काली को लेकर जो कुछ कहा है उसके पीछे उनका निजी विरोध भर नहीं है, बल्कि तृणमूल कांग्रेस का स्टैंड ही है - अब सवाल ये उठता है कि क्या ममता बनर्जी भी महुआ मोइत्रा के बयान पर वैसे ही घिरा हुआ महसूस कर रही हैं जैसे नुपुर शर्मा के मामले में बीजेपी नेतृत्व?

महुआ और उनकी काली मां!

इंडिया टुडे कॉनक्लेव ईस्ट 2022 में फिल्ममेकर लीना मण‍िमेकलई की डाक्यूमेंट्री 'काली' के पोस्टर को लेकर महुआ मोइत्रा की राय पूछी गयी थी. डॉक्यूमेंट्री के पोस्टर में मां काली को सिगरेट पीते दिखाया गया है और उनके एक हाथ में एलजीबीटी समुदाय का सतरंगा झंडा भी नजर आ रहा है. पोस्टर को लेकर विवाद बढ़ने पर लीना मणिमेकलई की तरफ से तो कोई माफी तो नहीं मांगी गई है, लेकिन कनाडा के जिस म्यूजियम में इसे दिखाया गया था, उसकी तरफ से हिंदू आस्था को ठेस पहुंचाने को लेकर खेद जरूर प्रकट किया गया है.

महुआ मोइत्रा और नुपुर शर्मा ने पार्टीलाइन तो क्रॉस नहीं किया, फिर भी अकेले पड़ गये - लेकिन क्यों?

महुआ मोइत्रा से जब डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'काली' के पोस्टर पर सवाल हुआ तो उनका कहना रहा, ''काली के कई रूप हैं... मेरे लिए काली का मतलब मांस और शराब स्वीकार करने वाली देवी है... लोगों की अलग अलग राय होती है, मुझे इसे लेकर कोई परेशानी नहीं है.''

बयान को लेकर विवाद बढ़ने पर महुआ मोइत्रा ने सफाई तो दी है, लेकिन उसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को निशाना बनाया है, जो ममता बनर्जी की भी फेवरेट पॉलिटिकल लाइन है. ये बात अलग है कि ममता बनर्जी पर महुआ मोइत्रा की सफाई का भी कोई असर नहीं हुआ है - कम से कम अभी तक ऐसा कोई संकेत तो नहीं ही मिला है.

महुआ मोइत्रा ने ट्विटर पर लिखा है - आप सभी संघियों के लिए झूठ बोलना आपको बेहतर हिंदू नहीं बना देगा... मैंने किसी फिल्म या पोस्टर का समर्थन नहीं किया है. न ही धूम्रपान की बात की है... मेरी एक सलाह है, आप तारापीठ में मेरी मां काली के पास जायें, ये देखने के लिए कि भोग के रूप में क्या चढ़ाया जाता है. जय मां तारा.

इंडिया टुडे कॉनक्लेव में महुआ मोइत्रा ने कहा था, 'आप अपने भगवान को कैसे देखते हैं... अगर आप भूटान और सिक्किम जाओ तो वहां सुबह पूजा में भगवान को व्हिस्की चढ़ाई जाती है, लेकिन यही आप उत्तर भारत में किसी को प्रसाद में दे दो तो उसकी भावना आहत हो सकती है - मेरे लिए देवी काली एक मांस खाने वाली और शराब पीने वाली देवी के रूप में है... देवी काली के कई रूप हैं.

लगता है, महुआ मोइत्रा को उत्तर भारत की जानकारी काफी कम है. देवी काली तो नहीं, लेकिन देवों के देव महादेव को भोग लगा कर भांग को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है. शिव की आराधना करने वाले साधु-संत चीलम से धूम्रपान भी करते हैं - लेकिन ये सब भगवान शिव से नहीं जोड़ दिया जाता.

जैसे महुआ मोइत्रा ने काली को भोग लगाने की बात की है, तो शिव के ही भैरव रूप को मदिरा का भोग लगाया जाता है - लेकिन ये सब न तो कोई कहता है, न मानता है. अयोध्या के राम मंदिर निर्माण आंदोलन के मूल में भी भावनाएं रहीं और देश की सबसे बड़ी अदालत ने भी उसे माना है. वैचारिक तौर पर संघ और बीजेपी की विरोधी होने के बावजूद किसी भी राजनीतिक दल ने कुछ ऐसा वैसा बोलने की हिमाकत नहीं की. भले ही वो ममता बनर्जी ही क्यों न हों!

काली के पोस्टर को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए ज्यादातर लोग एक लाइन लिख रहे हैं, 'हम निंदा करते हैं... हम और कर भी क्या सकते हैं!'

और ये कोई बेबसी नहीं है. बल्कि, ये महुआ मोइत्रा जैसों के लिए कटाक्ष है. जैसे लोग महुआ मोइत्रा को ऐसे मामलों में सद्बुद्धि देने की काली से प्रार्थना कर रहे हों - लोगों की संयम भरी यही प्रतिक्रिया ममता बनर्जी को डरा रही होगी और महुआ मोइत्रा की बातों से दूरी बना लेने का फैसला किया होगा.

महुआ के बचाव में आगे आये शशि थरूर: ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस ने भले ही महुआ मोइत्रा की राय से पल्ला झाड़ लिया हो, लेकिन शशि थरूर आगे बढ़ कर सपोर्ट करने लगे हैं. ये भी राहुल गांधी और सोनिया गांधी की फजीहत बढ़ाने वाला ही मामला लगता है. हो सकता है, रणदीप सिंह सुरजेवाला को भी कांग्रेस की तरफ से शशि थरूर को लेकर वैसा ही ट्वीट करना पड़े जैसा टीएमसी ने महुआ मोइत्रा के केस में किया है.

शशि थरूर का कहना है कि महुआ मोइत्रा ने जो कहा है, वो बात हर हिंदू जानता है. जैसे घर परिवार और समाज में अदब, लिहाज और तहजीब का ख्याल रखा जाता है, वैसे ही शिव और भैरव को लेकर कोई भी महुआ मोइत्रा की तरह न तो बात करता है, न ही वैसी सोच रखता है. शशि थरूर बुद्धिजीवी वर्ग में आते हैं. हो सकता है महुआ मोइत्रा का विरोध करने वाले शशि थरूर को उनकी अपनी अवधारणा के मुताबिक 'कैटल क्लास' के लोग ही लगते हों. शशि थरूर का ये भी कहना है कि हम ऐसी स्थिति पर पहुंच चुके हैं कि अगर सार्वजनिक मंच पर हम किसी बारे में कुछ कहेंगे, तो किसी ना किसी को ठेस जरूर पहुंचेगी.

शशि थरूर ने ये कहते हुए महुआ मोइत्रा का बचाव किया है, 'ये पक्की बात है कि महुआ मोइत्रा किसी को अपमानित नहीं करना चाहती थीं.' फिर क्या कहा जाये ये बात तृणमूल कांग्रेस यानी ममता बनर्जी भी नहीं समझ पा रही हैं?

ममता से डांट भी खा चुकी हैं महुआ: इंडिया टुडे कॉनक्लेव में महुआ मोइत्रा के बाद वाले सेशन में बाबुल सुप्रियो आये तो काली वाले पोस्टर के साथ साथ महुआ मोइत्रा के रिएक्शन का भी जिक्र छिड़ा और उनसे टिप्पणी की अपेक्षा रही. बीजेपी के सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे बाबुल सुप्रियो फिलहाल तृणमूल कांग्रेस के विधायक हैं.

एक ही पार्टी में होते हुए भी बाबुल सुप्रियो ने महुआ मोइत्रा का शशि थरूर की तरह सपोर्ट नहीं किया, बल्कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर ऐसी टिप्पणी से बचने की सलाह दी. बाबुल सुप्रियो के कमेंट के बाद तो लगता है, महुआ मोइत्रा तो नुपुर शर्मा से भी ज्यादा अकेली हो गयी हैं. नुपुर शर्मा के सपोर्टर कम से कम एक्टिव तो हैं - और शशि थरूर का सपोर्ट वैसा तो हो नहीं सकता.

ममता से डांट भी खा चुकी हैं महुआ: आपको याद होगा ममता बनर्जी का महुआ मोइत्रा को सरेआम मंच पर डांटते हुए एक वीडियो वायरल हुआ था. ममता बनर्जी ने महुआ मोइत्रा को तब हद में रहने की चेतावनी दी थी.

ममता बनर्जी और महुआ मोइत्रा के बीच भले ही अक्सर टकराव जैसे नौबत आती रही हो, लेकिन संसद से सोशल मीडिया तक महुआ मोइत्रा में भी ममता बनर्जी जैसा ही फाइटर अंदाज देखने को मिलता रहा है. ये भी अक्सर महसूस किया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस के भी दोनों नेताओं के तेवर एक जैसे ही देखने को मिलते हैं - ऐसे में महुआ मोइत्रा के काली पर बयान को ममता बनर्जी का सपोर्ट न मिलना देश के राजनीतिक मिजाज से बचाव के रास्ते की तरफ बढ़ने का ही संकेत देता है.

महुआ मोइत्रा का ट्विटर पर तृणमूल कांग्रेस को फॉलो करना भी ममता बनर्जी को भेजा गया मैसेज ही समझा जाना चाहिये, लेकिन ममता बनर्जी क्या एक ऐसी आवाज को खामोश करना चाहेंगी जो उनकी पार्टी लाइन को ही हर मंच से उनके ही अंदाज में प्रमोट कर रही हो. हालांकि, नपुर शर्मा के मामले में बीजेपी ने तो बिलकुल ऐसा ही किया है.

महुआ और नुपुर के बयानों में फर्क भी है

लीना मण‍िमेकलई के काली पोस्टर ने मकबूल फिदा हुसैन की पेंटिंग की याद दिला दी है. मां सरस्वती को लेकर सबसे विवादित पोस्टर बनाने वाले एमएफ हुसैन ने काली का भी स्केच अपनी फितरत के मुताबिक ही बनाया था.

हो सकता है, महुआ मोइत्रा को भी तसलीमा नसरीन और सलमान रुश्दी जैसे बुद्धिजीवियों से प्रेरणा मिली हो - और उनकी ही तरह वो भी रस्म, रीति-रिवाज और लोकआस्था से ऊपर उठने की कोशिश की हो, लेकिन ऐसा करते वक्त वो शायद ये भूल गयीं कि वो राजनीति में हैं.

हो सकता है, शशि थरूर ने कहा भले न हो, लेकिन नुपुर शर्मा की बातों को लेकर भी महुआ मोइत्रा जैसी ही राय रखते हों - मालूम नहीं वो क्यों भूल जा रहे हैं कि नुपुर शर्मा पर भी सलमान रुश्दी जैसा ही खतरा मंडरा रहा है - अजमेर दरगाह के एक खादिम को तो पुलिस ने गिरफ्तार किया ही है. नुपुर शर्मा का सपोर्ट करने वाले उदयपुर के टेलर कन्हैयालाल को तो अपनी जान तक से हाथ धोना पड़ा है.

देश के बाकी हिस्सों को छोड़ कर देखें, तो मां काली की बंगाल में खास अहमियत है. महुआ मोइत्रा की टिप्पणी ऐसे वक्त आयी है जब देश में बहस हिंदुत्व बनाम मुस्लिम चल रही है. तृणमूल कांग्रेस का महुआ मोइत्रा के बयान से दूरी बना लेना भी बंगाल से आगे बढ़ कर व्यापक हिंदू भावना को देखते हुए लगता है. नुपुर शर्मा को लेकर बीजेपी ने जो कुछ किया है वो मुस्लिम भावनाओं के चलते किया है. शुरुआती दौर में तो ऐसा लगा जैसे केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी को अंतर्राष्ट्रीय दबाव में पीछे हटना पड़ा - जिसे सरकार ने डिप्लोमैटिक तरीके से मैनेज भी कर लिया, लेकिन नुपुर शर्मा के साथ कोई सहानुभूति नहीं दिखायी गयी.

मौजूदा राजनीतिक माहौल में तृणमूल कांग्रेस पहले से ही हिंदुत्व को लेकर संघ और बीजेपी के निशाने पर रही है. बेशक ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल चुनाव तीसरी बार जीत लिया हो, लेकिन चौथी बार भी वैसा ही होगा कौन कह सकता है? महुआ मोइत्रा ने तृणमूल कांग्रेस को नयी मुसीबत में डाल दिया है - फिर भी जैसा एक्शन बीजेपी ने नुपुर शर्मा के मामले में लिया है, ममता बनर्जी ने नरमी ही दिखायी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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