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एकनाथ शिंदे क्या आने वाले वक़्त में बीजेपी के लिए मास्टरस्ट्रोक साबित होंगे?

    • प्रशांत तिवारी
    • Updated: 01 जुलाई, 2022 10:58 PM
  • 01 जुलाई, 2022 10:58 PM
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भाजपा अभी से 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है. महाराष्ट्र के लिए भी बीजेपी ने ठोस प्लान बनाया है. बीजेपी यह चाहती है की लोकसभा और विधान सभा चुनाव में उनका सीधा मुकाबला कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन से हो . लोकसभा चुनाव में फ्रंट पर एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के सामने बीजेपी खुद को देखना चाहती है.

महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे ने शपथ ली है. शिंदे के नाम पर बीजेपी ने मुहर लगाकर सबको चौंका दिया. एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाते ही बीजेपी ने शिवसेना के विरोध की सारी सियासत की हवा निकाल दी. इस घोषणा के पीछे बीजेपी की एक बड़ी राजनीतिक रणनीति है और इसके कई अहम मायने हैं.

बीएमसी चुनाव

सबसे पहला कारण इस साल नवंबर में होने वाले बीएमसी चुनाव है. इन चुनावों में उद्धव ठाकरे की शिवसेना को खत्म करने के लिए एकनाथ शिंदे की शिवसेना को बड़ा बनाया जाएगा. मुंबई में शिवसेना की ताकत बीएमसी में उसकी मजबूत पकड़ से ही आती है. लंबे समय से बीएमसी में शिवसेना का कब्ज़ा है. शिवसेना 1985 में बीएमसी में सत्ता में आई थी.

एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने बड़ा दांव खेला है

2017 के बीएमसी चुनावों में शिवसेना और बीजेपी के बीच कांटे की लड़ाई हुई थी जिसमे शिवसेना को 84 और बीजेपी को 82 सीटें मिली थीं. भाजपा ने शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर बीएमसी में शिवसेना के दशकों से चले आ रहे आधिपत्य को चुनौती दी है.

भाजपा का हिंदुत्व मुद्दा

2019 में उद्धव ठाकरे की शिवसेना NCP और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार तो बना ली, लेकिन अपने हिंदुत्व सहित प्रमुख मुद्दों को पीछे छोड़ दिया. जिससे इनको काफी आलोचना का सामना करना पड़ा. ऐसे में भाजपा ने शिंदे गुट को समर्थन देकर यह संदेश देने में कामयाबी रही कि पार्टी हिंदुत्व की कीमत पर सत्ता नहीं बल्कि, हिंदुत्व का समर्थन करने वालों को साथ देती है.

शिवसेना को कमजोर करना

ऐसा माना जा रह है की बीजेपी के इस कदम का मकसद शिवसेना को कमजोर करके इसे ठाकरे परिवार की पहचान से बाहर निकालना है. एकनाथ शिंदे खुद मराठा हैं. शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने अचानक से...

महाराष्ट्र के नए मुख्यमंत्री के रूप में एकनाथ शिंदे ने शपथ ली है. शिंदे के नाम पर बीजेपी ने मुहर लगाकर सबको चौंका दिया. एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाते ही बीजेपी ने शिवसेना के विरोध की सारी सियासत की हवा निकाल दी. इस घोषणा के पीछे बीजेपी की एक बड़ी राजनीतिक रणनीति है और इसके कई अहम मायने हैं.

बीएमसी चुनाव

सबसे पहला कारण इस साल नवंबर में होने वाले बीएमसी चुनाव है. इन चुनावों में उद्धव ठाकरे की शिवसेना को खत्म करने के लिए एकनाथ शिंदे की शिवसेना को बड़ा बनाया जाएगा. मुंबई में शिवसेना की ताकत बीएमसी में उसकी मजबूत पकड़ से ही आती है. लंबे समय से बीएमसी में शिवसेना का कब्ज़ा है. शिवसेना 1985 में बीएमसी में सत्ता में आई थी.

एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने बड़ा दांव खेला है

2017 के बीएमसी चुनावों में शिवसेना और बीजेपी के बीच कांटे की लड़ाई हुई थी जिसमे शिवसेना को 84 और बीजेपी को 82 सीटें मिली थीं. भाजपा ने शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर बीएमसी में शिवसेना के दशकों से चले आ रहे आधिपत्य को चुनौती दी है.

भाजपा का हिंदुत्व मुद्दा

2019 में उद्धव ठाकरे की शिवसेना NCP और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार तो बना ली, लेकिन अपने हिंदुत्व सहित प्रमुख मुद्दों को पीछे छोड़ दिया. जिससे इनको काफी आलोचना का सामना करना पड़ा. ऐसे में भाजपा ने शिंदे गुट को समर्थन देकर यह संदेश देने में कामयाबी रही कि पार्टी हिंदुत्व की कीमत पर सत्ता नहीं बल्कि, हिंदुत्व का समर्थन करने वालों को साथ देती है.

शिवसेना को कमजोर करना

ऐसा माना जा रह है की बीजेपी के इस कदम का मकसद शिवसेना को कमजोर करके इसे ठाकरे परिवार की पहचान से बाहर निकालना है. एकनाथ शिंदे खुद मराठा हैं. शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने अचानक से उनका कद काफी बड़ा कर दिया है. बीजेपी अब इन ढाई सालों में उद्धव ठाकरे की शिवसेना को पूरी तरह से खत्म करने की कोशिश करेगी. क्योंकि एकनाथ शिंदे की शिवसेना को अब बड़ा बनाना है और ठाकरे के सामने एक नई शिवसेना खड़ी करनी है.

बीजेपी एकनाथ शिंदे के जरिए पूरी शिवसेना को शिंदे कैंप में लाने की कोशिश करेगी.एक मराठा को सीएम बनाकर बीजेपी ने ठाकरे के सामने काफी बड़ा चुनौती रखा है.

मराठा वोटर पर नज़र

करीब 31 फीसदी मराठा वोटर महाराष्ट्र में हैं.बीजेपी के पास कोई ताकतवर मराठा नेता नहीं था. ऐसे में बीजेपी में एकनाथ श‍िंदे से फायदा हो सकता है.

मुंबई महानगर क्षेत्र पर प्रभाव

एकनाथ शिंदे का मुंबई महानगर क्षेत्र में मजबूत प्रभाव है. इस क्षेत्र में बीजेपी के पास एकनाथ जैसा कोइ बड़ा नेता नहीं है. मुंबई महानगर क्षेत्र में सात बड़ी महानगर पालिकाएं, 60 विधानसभा सीटें और 10 लोकसभा सीटें हैं. इतने बड़े परिक्षेत्र में बीजेपी और शिंदे की ताकत मिलकर बड़ा खेल कर सकती हैं

राजनीतिक संदेश

एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना कर भाजपा परिवार वाली पार्टियों को यह सन्देश देना चाहती है कि बीजेपी सामान्य पृष्ठभूमि के नेताओं का समर्थन करती है ताकि वंशानुगत विशेषाधिकार वाले लोगों से मुकाबला किया जा सके.

2024 के चुनाव में फायदा

बीजेपी अभी से लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है. महाराष्ट्र के लिए भी बीजेपी ने ठोस प्लान बनाया है. बीजेपी यह चाहती है की लोकसभा और विधान सभा चुनाव में उनका सीधा मुकाबला कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन से हो . लोकसभा चुनाव में फ्रंट पर एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन के सामने बीजेपी खुद को देखना चाहती है.

अब यह देखना है की इस साल होने वाले बीएमसी चुनाव और 2024 क़े विधानसभा और लोकसभा चुनाव में एकनाथ शिंदे बीजेपी क़े लिए मास्टरस्ट्रोक साबित होते है या नहीं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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