• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

अजित पवार ने भाजपा में जाकर जो खोया, शिवसेना ने सूद समेत लौटा दिया!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 28 नवम्बर, 2019 06:04 PM
  • 28 नवम्बर, 2019 04:31 PM
offline
भाग्य हो तो Maharashtra के होने वाले उप मुख्यमंत्री Ajit Pawar जैसा. ये भाग्य ही है जिसके चलते अजित पवार को महाराष्ट्र की सियासत में ShivSena से वो मिला जो उन्होंने BJP में गंवाया था.

राजनीति दलदल है. आदमी जो गिरा तो फिर अन्दर ही धंसता जाता है. इस स्थिति में निकलना मुश्किल होता है. मगर जो डूब के पार निकल गया वो ही मुकद्दर का सिकंदर है. सिकंदर हर आदमी नहीं बनता. या तो उसकी मदद भाग्य करता है या फिर उसकी काबिलियत. काबिलियत इंसान को देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) बनाती है. वहीं जब भाग्य साथ होता है तो आदमी अजित पवार (Ajit Pawar To Be Deputy CM Of Maharashtra) होता है. नहीं मतलब सच में, क्या भाग्य पाया है अजित पवार ने. चाचा शरद पवार ने मन से माफ़ किया हो या बस फॉर्मेलिटी के कारण अजित की सॉरी पर ओके कह दिया हो. लेकिन भाग्य है तो इतनी बेइज्जती के बावजूद अजित भाऊ एनसीपी के शेर हैं. जैसी हालत है महाराष्ट्र में अजित को शिवसेना ने वो दे दिया है जो भजापा में उन्होंने खोया था.

महाराष्ट्र में अजित पवार ने वो हासिल कर लिया जो उन्होंने सोचा था

बात काबिलियत और भाग्य की है. भाग्य भरोसे अजित राज्य के उप मुख्यमंत्री भी बन जाएंगे. मगर सवाल है कि अपनी शक्ल वो शीशे को किस मुंह से दिखाएंगे? दिखाएंगे या फिर शीशे पर कपड़ा डाल कुर्ते का कॉलर चौड़ा कर चले जाएंगे? मशहूर क्रांतिकारी शायर हबीब जालिब गर जो हम लोगों, खासतौर से महाराष्ट्र की जनता के सामने होते तो अपनी वो वाली नज़्म दोहरा देते 'मैं नहीं मानता, मैं नहीं जानता.'

अब जालिब हमारे बीच नहीं है. अजित पवार हमारे सामने हैं और बहुत जयादा खुश हैं. अजित इतने खुश हैं कि अगर ये ख़ुशी उन्हें 1975 में उस वक़्त हुई होती जब यश चोपड़ा ने दीवार बनाई थी तो शायद फिल्म के लीड हीरो अमिताभ और शशि कपूर...

राजनीति दलदल है. आदमी जो गिरा तो फिर अन्दर ही धंसता जाता है. इस स्थिति में निकलना मुश्किल होता है. मगर जो डूब के पार निकल गया वो ही मुकद्दर का सिकंदर है. सिकंदर हर आदमी नहीं बनता. या तो उसकी मदद भाग्य करता है या फिर उसकी काबिलियत. काबिलियत इंसान को देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) बनाती है. वहीं जब भाग्य साथ होता है तो आदमी अजित पवार (Ajit Pawar To Be Deputy CM Of Maharashtra) होता है. नहीं मतलब सच में, क्या भाग्य पाया है अजित पवार ने. चाचा शरद पवार ने मन से माफ़ किया हो या बस फॉर्मेलिटी के कारण अजित की सॉरी पर ओके कह दिया हो. लेकिन भाग्य है तो इतनी बेइज्जती के बावजूद अजित भाऊ एनसीपी के शेर हैं. जैसी हालत है महाराष्ट्र में अजित को शिवसेना ने वो दे दिया है जो भजापा में उन्होंने खोया था.

महाराष्ट्र में अजित पवार ने वो हासिल कर लिया जो उन्होंने सोचा था

बात काबिलियत और भाग्य की है. भाग्य भरोसे अजित राज्य के उप मुख्यमंत्री भी बन जाएंगे. मगर सवाल है कि अपनी शक्ल वो शीशे को किस मुंह से दिखाएंगे? दिखाएंगे या फिर शीशे पर कपड़ा डाल कुर्ते का कॉलर चौड़ा कर चले जाएंगे? मशहूर क्रांतिकारी शायर हबीब जालिब गर जो हम लोगों, खासतौर से महाराष्ट्र की जनता के सामने होते तो अपनी वो वाली नज़्म दोहरा देते 'मैं नहीं मानता, मैं नहीं जानता.'

अब जालिब हमारे बीच नहीं है. अजित पवार हमारे सामने हैं और बहुत जयादा खुश हैं. अजित इतने खुश हैं कि अगर ये ख़ुशी उन्हें 1975 में उस वक़्त हुई होती जब यश चोपड़ा ने दीवार बनाई थी तो शायद फिल्म के लीड हीरो अमिताभ और शशि कपूर को भी रश्क हो जाता. वो भी सोचते कि, गाड़ी, बंगला, बैंक बैलेंस और मां के अलावा ये उप मुख्यमंत्री की कुर्सी ही है जो अगर व्यक्ति के पास नहीं है तो वो और कुछ भी हो, मगर कामयाब तो हरगिज़ नहीं कहलाएगा.

बीजेपी से दगा भले ही कर ली हो. लेकिन अब जबकि शिवसेना ने उप मुख्यमंत्री की कुर्सी देकर बरसों पुराना ख्वाब पूरा कर ही दिया है. तो लाख दगाबाज सही, इस बात में कोई शक नहीं है कि अजित पवार कामयाब हैं. अगर अजित कामयाब न भी हों तो कम से कम उन्हें ये गुमान तो है ही कि उन्होंने जो चाहा वो पाया. अजित ने सोच मुख्यमंत्री वाली रखी थी. अपनी सोच की बदौलत उन्होंने उपमुख्यमंत्री का पद पाया. दुनिया यूं भी बक बक करती है. आगे भी करेगी. करती रहे. आदमी को सोच बुलंद रखनी चाहिए. अजीत ने हमको न सिर्फ इतना समझाया बल्कि खुद का उदाहरण रखते हुए प्रैक्टिकल करके भी दिखाया.

खैर लौट के बुद्धू घर को आए हैं. और न सिर्फ घर आए हैं. बल्कि भाग्य की बदौलत ऐसा बहुत कुछ पाए हैं जिसके बाद होती रहे बेइज्जती. करता रहे कोई अपमान. किसी को क्या मतलब. अजीत का अपना एजेंडा है. अजीत अपने एजेंडे पर अजेय हैं. 

ये भी पढ़ें -

अजित पवार को क्या मिला महाराष्ट्र के राजनीतिक उलटफेर में?

Maharashtra की सियासत के 7 अहम पड़ाव जिसने शरद को 'शाह' बना दिया

उद्धव सरकार के लिए भाजपा नेता की BMW कार, 2 कांग्रेसी नेता और शरद पवार

   


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲