• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

मतदानकर्मियों को बिना सेव डाले पोहा दिया, नाराजगी तो बनती है

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 28 नवम्बर, 2018 05:37 PM
  • 28 नवम्बर, 2018 05:37 PM
offline
जहां पर ये कहावत मशहूर है कि लोग जहर भी सेव के साथ खाना पसंद करते हैं, वहां पर लोगों को बिना सेव का पोहा परोस दिया जाए, तो नाराजगी तो होगी ही. और हुआ भी वही.

मध्य प्रदेश के चुनावी माहौल से राजनीति की खबरें तो आना लाजमी है, लेकिन यहां से सेव से जुड़ी एक खबर भी आ रही है. उज्जैन में सेव की वजह से मतदानकर्मियों में नाराजगी फैल गई है. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के इंदौर, उज्जैन, भोपाल जैसे क्षेत्रों में सेव को खूब पसंद किया जाता है. बल्कि यूं कहिए कि सेव यहां की पहचान है. यहां के लोग तो हर चीज में सेव डालकर खाना पसंद करते हैं. यहां पर तो एक कहावत भी काफी मशहूर है कि अगर कोई जहर भी खाता है तो उसमें सेव डालकर खाना पसंद करता है. अब जरा सोचिए, जहां सेव इतना जरूरी है, वहां उसकी खबर कैसे नहीं बनेगी.

मध्य प्रदेश के लोग तो हर चीज में सेव डालकर खाना पसंद करते हैं, लेकिन मतदानकर्मियों को बिना सेव के पोहा दे दिया गया.

पोहे में नहीं डाला सेव

उज्जैन में चुनाव की व्यवस्था में लगे स्टाफ को बिना सेव के पोहे दे दिए गए, जो अखबार की सुर्खी बन गया. अग्निपथ अखबार में छपी खबर के अनुसार दावा किया गया था कि निर्वाचन अधिकारियों को पोहा सेव के साथ दिया जाएगा, लेकिन बिना सेव के ही पोहा दे दिया गया. अब जहां पर ये कहावत मशहूर है कि लोग जहर भी सेव के साथ खाना पसंद करते हैं, वहां पर लोगों को बिना सेव का पोहा परोस दिया जाए, तो नाराजगी तो होगी ही. और हुआ भी वही. सेव न सिर्फ नाराजगी की वजह बना, बल्कि चर्चा का विषय भी बन गया और सुर्खियों में आ गया.

अन्य इंतजामों से भी खफा है स्टाफ

अब अगर आप को लग रहा है कि मतदानकर्मी सिर्फ सेव की वजह से खफा हैं, तो ऐसा नहीं है. वहां दरअसल पूरा का पूरा इंतजाम ही सवालों के घेरे में है, लेकिन इलाके की खासियत सेव होने की वजह से वह...

मध्य प्रदेश के चुनावी माहौल से राजनीति की खबरें तो आना लाजमी है, लेकिन यहां से सेव से जुड़ी एक खबर भी आ रही है. उज्जैन में सेव की वजह से मतदानकर्मियों में नाराजगी फैल गई है. आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के इंदौर, उज्जैन, भोपाल जैसे क्षेत्रों में सेव को खूब पसंद किया जाता है. बल्कि यूं कहिए कि सेव यहां की पहचान है. यहां के लोग तो हर चीज में सेव डालकर खाना पसंद करते हैं. यहां पर तो एक कहावत भी काफी मशहूर है कि अगर कोई जहर भी खाता है तो उसमें सेव डालकर खाना पसंद करता है. अब जरा सोचिए, जहां सेव इतना जरूरी है, वहां उसकी खबर कैसे नहीं बनेगी.

मध्य प्रदेश के लोग तो हर चीज में सेव डालकर खाना पसंद करते हैं, लेकिन मतदानकर्मियों को बिना सेव के पोहा दे दिया गया.

पोहे में नहीं डाला सेव

उज्जैन में चुनाव की व्यवस्था में लगे स्टाफ को बिना सेव के पोहे दे दिए गए, जो अखबार की सुर्खी बन गया. अग्निपथ अखबार में छपी खबर के अनुसार दावा किया गया था कि निर्वाचन अधिकारियों को पोहा सेव के साथ दिया जाएगा, लेकिन बिना सेव के ही पोहा दे दिया गया. अब जहां पर ये कहावत मशहूर है कि लोग जहर भी सेव के साथ खाना पसंद करते हैं, वहां पर लोगों को बिना सेव का पोहा परोस दिया जाए, तो नाराजगी तो होगी ही. और हुआ भी वही. सेव न सिर्फ नाराजगी की वजह बना, बल्कि चर्चा का विषय भी बन गया और सुर्खियों में आ गया.

अन्य इंतजामों से भी खफा है स्टाफ

अब अगर आप को लग रहा है कि मतदानकर्मी सिर्फ सेव की वजह से खफा हैं, तो ऐसा नहीं है. वहां दरअसल पूरा का पूरा इंतजाम ही सवालों के घेरे में है, लेकिन इलाके की खासियत सेव होने की वजह से वह सुर्खियां खूब बटोर रहा है. मतदानकर्मियों ने शिकायत की है कि उन्हें मिठाई दिए जाने का दावा किया गया था और मिठाई भी नहीं दी गई. पानी की बोतल 15 के बजाय 20 रुपए में बेची. जो सामान्य पानी की टंकियां लगाई थीं, उनमें कीड़े मिले. खैर, बदइंतजामी के लिए ठेकेदार को नोटिस जारी कर दिया गया है, लेकिन सेव की नाराजगी तो बनी ही रहेगी.

न जाने क्या सोचकर ठेकेदार ने पोहे में सेव नहीं डाली. बिना सेव के पोहा कैसा लगता है, ये बात अगर मध्य प्रदेश के किसी व्यक्ति से पूछ लें तो सही जवाब मिल जाएगा. भोपाल, उज्जैन, इंदौर में हर गली-कूंचे में पोहे के ठेलों से लेकर बड़ी दुकानें तक हैं, लेकिन न तो कोई ठेले वाला बिना सेव के पोहा देने की हिम्मत करता है, ना ही कोई बड़ी दुकान वाला ऐसा करने की सोचता है. वहीं एक ठेकेदार ने ऐसी गलती कर दी. खाना-पानी के साथ तो एक बार के लिए मध्य प्रदेश के लोग एडजस्ट कर भी लेते, लेकिन सेव ना देकर ठेकेदार ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली और यही वजह है कि अब उसके खिलाफ नोटिस जारी हो चुका है.

ये भी पढ़ें-

एमपी गज़ब नहीं, टाइट है

मंदसौर में 'शिवराज' से फिर क्यों नाराज हैं किसान

विधानसभा चुनाव नतीजों से साफ हो जायेगा कि कौन किधर खड़ा है


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲