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विवादास्‍पद पेंटिंग: भावनाएं भी भड़का दीं, खेद जताकर बच भी गए !

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 23 जनवरी, 2019 06:15 PM
  • 23 जनवरी, 2019 06:15 PM
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कॉलेज तर्क दे रहा है उसे पता ही नहीं था कि ऐसी पेंटिंग लग रही हैं, जो गले नहीं उतरता. धर्म जैसे संवेदनशील मामलों में एक छोटी सी लापरवाही भी कितना नुकसानदायक हो सकती है, चेन्नई के इस कॉलेज को इसका अंदाजा लग चुका होगा.

किसी भी पेंटिंग को बनाते वक्त क्रिएटिव होने बहुत जरूरी है, तभी अपनी कल्पना को कागज पर उकेरा जा सकता है. लेकिन कई बार ये क्रिएटिविटी सभी हदें पार कर देती है. इतनी आगे निकल जाती है कि लोगों की भावनाएं तक पीछे रह जाती हैं. और जब ऐसा होता है तो कुछ ऐसी पेंटिंग बनती हैं, जैसी तमिलनाडु के एक कॉलेज में प्रदर्शनी के दौरान लगाई गई थीं. ये वो पेंटिंग थीं, जिन्होंने कई सुलगते मुद्दों को उठाया, लेकिन जो तरीका अपनाया वो बेहद खराब था. बल्कि घटिया कहें तो ज्यादा सही होगा, क्योंकि इन पेंटिंग्स की वजह से बहुत से लोगों की भावनाएं आहत हो गईं.

तमिलनाडु के चेन्नई स्थिति प्रतिष्ठित लॉयोला कॉलेज में एक प्रदर्शनी लगाई गई थी. लॉयोला कॉलेज में वेथी विकुंधु विज्हा नाम का सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान पेंटिंग्स की ये प्रदर्शनी लगाई थी, जिसे लेकर अब विवाद हो गया है. ये कार्यक्रम 19 और 20 जनवरी को आयोजित हुआ था. इन पेंटिंग्स को लेकर भाजपा और दक्षिणपंथी विचारधारा के संगठनों ने ऐतराज जताया. जैसे ही कॉलेज ने विवाद बढ़ता हुआ देखा तो मैनेजमेंट ने पूरे मामले में तत्काल माफी मांग ली और सभी पेंटिंग्स को प्रदर्शनी से हटा लिया गया. यहां सबसे अहम बात ये है कि कॉलेज तर्क दे रहा है उसे पता ही नहीं था कि ऐसी पेंटिंग लग रही हैं, जो गले नहीं उतरता. यहां ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि पहले तो पेंटिंग्स लगाकर भावनाएं भड़का दी गईं और फिर माफी मांग कर धीरे से बचकर निकल भी गए.

कॉलेज तर्क दे रहा है उसे पता ही नहीं था कि ऐसी पेंटिंग लग रही हैं, जो गले नहीं उतरता.

पेंटिंग्स में क्या था?

जिन पेंटिग्स को लेकर इतना बड़ा विवाद पैदा हो गया है, उनमें भाजपा और आरएसएस पर हमला बोला गया था. हालांकि, इस कोशिश में पेंटर ये भूल गया कि उसकी हदें कितनी हैं और उसकी पेंटिंग से हिंदू...

किसी भी पेंटिंग को बनाते वक्त क्रिएटिव होने बहुत जरूरी है, तभी अपनी कल्पना को कागज पर उकेरा जा सकता है. लेकिन कई बार ये क्रिएटिविटी सभी हदें पार कर देती है. इतनी आगे निकल जाती है कि लोगों की भावनाएं तक पीछे रह जाती हैं. और जब ऐसा होता है तो कुछ ऐसी पेंटिंग बनती हैं, जैसी तमिलनाडु के एक कॉलेज में प्रदर्शनी के दौरान लगाई गई थीं. ये वो पेंटिंग थीं, जिन्होंने कई सुलगते मुद्दों को उठाया, लेकिन जो तरीका अपनाया वो बेहद खराब था. बल्कि घटिया कहें तो ज्यादा सही होगा, क्योंकि इन पेंटिंग्स की वजह से बहुत से लोगों की भावनाएं आहत हो गईं.

तमिलनाडु के चेन्नई स्थिति प्रतिष्ठित लॉयोला कॉलेज में एक प्रदर्शनी लगाई गई थी. लॉयोला कॉलेज में वेथी विकुंधु विज्हा नाम का सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान पेंटिंग्स की ये प्रदर्शनी लगाई थी, जिसे लेकर अब विवाद हो गया है. ये कार्यक्रम 19 और 20 जनवरी को आयोजित हुआ था. इन पेंटिंग्स को लेकर भाजपा और दक्षिणपंथी विचारधारा के संगठनों ने ऐतराज जताया. जैसे ही कॉलेज ने विवाद बढ़ता हुआ देखा तो मैनेजमेंट ने पूरे मामले में तत्काल माफी मांग ली और सभी पेंटिंग्स को प्रदर्शनी से हटा लिया गया. यहां सबसे अहम बात ये है कि कॉलेज तर्क दे रहा है उसे पता ही नहीं था कि ऐसी पेंटिंग लग रही हैं, जो गले नहीं उतरता. यहां ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि पहले तो पेंटिंग्स लगाकर भावनाएं भड़का दी गईं और फिर माफी मांग कर धीरे से बचकर निकल भी गए.

कॉलेज तर्क दे रहा है उसे पता ही नहीं था कि ऐसी पेंटिंग लग रही हैं, जो गले नहीं उतरता.

पेंटिंग्स में क्या था?

जिन पेंटिग्स को लेकर इतना बड़ा विवाद पैदा हो गया है, उनमें भाजपा और आरएसएस पर हमला बोला गया था. हालांकि, इस कोशिश में पेंटर ये भूल गया कि उसकी हदें कितनी हैं और उसकी पेंटिंग से हिंदू धर्म की भावनाएं आहत हो गईं. इतना ही नहीं, इनमें से एक पेंटिंग ने तो #metoo का मुद्दा उठाया, लेकिन उसे दिखाने का तरीका बेहद खराब था. पेंटिंग में भारत माता का यौन शोषण होने का संदेश दिखाने की कोशिश की थी. इसमें भारत माता को रोते हुए और विदेशी कंपनियों को स्पर्म के रूप में दिखाया गया था.

क्या कहना है कॉलेज का?

कॉलेज ने अपनी गलती के लिए माफी मांगते हुए कहा है- हमारे सांस्कृतिक कार्यक्रम का एक विशेष धार्मिक समूह, सामाजिक संस्था, राजनीतिक दल और देश के नेतृत्व के खिलाफ प्रदर्शन के लिए दुरुपयोग किया गया. कॉलेट के आर्ट और साक्षर यूनिट के कॉर्डिनेटर कालीस्वरन ने कहा कि उन्हें ये जानकारी ही नहीं थी कि प्रदर्शनी में इस तरह की पेंटिंग लगाई जाएंगी. उन्होंने लोगों की भावनाएं आहत होने के लिए माफी मांगी, लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि आखिर बिना देखे किसी पेंटिंग को प्रदर्शनी में क्यों लगने दिया गया? खैर, कॉलेज प्रशासन की इसी गलती का नतीजा है कि अब उसे लोगों का विरोध झेलना पड़ रहा है.

जिस कॉलेज में लगी पेंटिंग्स पर ये सारा विवाद हुआ है, वो एक कैथोलिक अल्पसंख्यक संस्थान है. ऐसे में पेंटिंग्स का विरोध करने वाले ये भी मान रहे हैं कि यह सब जानबूझ कर किया गया, जबकि कॉलेज प्रशासन बार-बार अपनी सफाई देते हुए कह रहा है कि उन्हें ऐसी पेंटिंग्स के लगने की जानकारी नहीं थी. जब मामले संवेदनशील हो और खासकर अगर वह किसी धर्म से जुड़ा हो, तो एक छोटी सी लापरवाही भी कितना नुकसानदायक हो सकती है, चेन्नई के इस कॉलेज को इसका अंदाजा लग चुका होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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