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कश्‍मीर में आतंकियों की धमकी के आगे वोटरों का 'डांस' अच्छे दिनों की शुरुआत है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 12 अप्रिल, 2019 10:54 PM
  • 12 अप्रिल, 2019 10:48 PM
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आतंकियों की धमकी के बावजूद जिस तरह पहले चरण के मतदान के लिए जम्मू कश्मीर के लोग पोलिंग बूथ पर आए. साफ है कि अब घाटी बदलाव देखना चाहती है और वहां जल्द ही अच्छे दिन आएंगे.

बात गुजरे दिनों की है. आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर रियाज नायकू की एक ऑडियो क्लिप ने न सिर्फ घाटी की सियासत को गर्म किया था बल्कि आम लोगों के बीच भी इसने खूब सुर्खियां बटोरीं थी. ऑडियो क्लिप चुनावों से सम्बंधित थी और इस क्लिप में नायकू ने लोगों को सख्त निर्देश दिए थे कि वो अपने आपको लोक सभा चुनाव 2019 से दूर रखें. नायकू ने ये भी कहा था कि अगर कश्मीर की आवाम ने उसकी बातों को नजरंदाज किया तो फिर उन्हें गोलियों का सामना कर अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा.

जम्मू कश्मीर में लोगों की भारी संख्या का मतदान के लिए निकलना कई मायनों में सुखद है

एक आतंकी की ये बातें एक तरफ हैं. स्वस्थ लोकतंत्र के लिए होने वाला चुनाव दूसरी तरफ. पहले चरण में होने वाले मतदान के लिए जम्मू-पुंछ और बारामुला लोकसभा सीटों के लिए मतदान जारी है. जम्मू-पुंछ और बारामुला लोकसभा सीट पर मतदान और इस मतदान के लिए भारी संख्या में लोग आ रहे हैं और अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं.

डर और धमकी को नजरंदाज करके लोगों का इस तरह पोलिंग बूथ में आना और वोट डालना ये साफ बता रहा है कि लोगों ने आतंकवाद को सिरे से खारिज कर जागरूकता का परिचय दिया है. कह सकते हैं कि ये बुलेट के मुकाबले बैलेट की जीत है. एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए घाटी के लोगों ने जिस तरह आतंकवादियों की बातों को खारिज किया है. वो ये भी बताता है कि कहीं न कहीं अब घाटी के लोग भी इस अलगाववाद से ऊब चुके हैं और परिवर्तन चाह रहे हैं.

बात गुजरे दिनों की है. आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर रियाज नायकू की एक ऑडियो क्लिप ने न सिर्फ घाटी की सियासत को गर्म किया था बल्कि आम लोगों के बीच भी इसने खूब सुर्खियां बटोरीं थी. ऑडियो क्लिप चुनावों से सम्बंधित थी और इस क्लिप में नायकू ने लोगों को सख्त निर्देश दिए थे कि वो अपने आपको लोक सभा चुनाव 2019 से दूर रखें. नायकू ने ये भी कहा था कि अगर कश्मीर की आवाम ने उसकी बातों को नजरंदाज किया तो फिर उन्हें गोलियों का सामना कर अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा.

जम्मू कश्मीर में लोगों की भारी संख्या का मतदान के लिए निकलना कई मायनों में सुखद है

एक आतंकी की ये बातें एक तरफ हैं. स्वस्थ लोकतंत्र के लिए होने वाला चुनाव दूसरी तरफ. पहले चरण में होने वाले मतदान के लिए जम्मू-पुंछ और बारामुला लोकसभा सीटों के लिए मतदान जारी है. जम्मू-पुंछ और बारामुला लोकसभा सीट पर मतदान और इस मतदान के लिए भारी संख्या में लोग आ रहे हैं और अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं.

डर और धमकी को नजरंदाज करके लोगों का इस तरह पोलिंग बूथ में आना और वोट डालना ये साफ बता रहा है कि लोगों ने आतंकवाद को सिरे से खारिज कर जागरूकता का परिचय दिया है. कह सकते हैं कि ये बुलेट के मुकाबले बैलेट की जीत है. एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए घाटी के लोगों ने जिस तरह आतंकवादियों की बातों को खारिज किया है. वो ये भी बताता है कि कहीं न कहीं अब घाटी के लोग भी इस अलगाववाद से ऊब चुके हैं और परिवर्तन चाह रहे हैं.

माना जा रहा था कि आतंकियों की बातों का असर पोलिंग में दिखेगा. शायद यही वो कारण है जिसके चलते प्रशासन ने भी सभी केन्द्रों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये. मगर जिस तरह से राज्य में हो रहे मतदान पर लोगों ने समर्थन दिया और अपने अपने घरों से निकले, उसने जहां एक तरह अलगाववाद और आतंकवाद के मुहं पर तमाचा जड़ा, तो वहीं दूसरी तरफ इस बात को भी स्पष्ट कर दिया कि अब वो दिन दूर नहीं है जब घाटी में एक नई सुबह का आगाज होगा और जल्द ही घाटी से आतंकवाद सदा के लिए खत्म हो जाएगा.

बात क्योंकि घाटी के मतदान की हो रही है. तो हमारे लिए भी उन आंकड़ों को पेश करना जरूरी है जो ये बताते हैं कि कश्मीर और कश्मीर के लोग बदलाव के मार्ग पर चल चुके हैं. जम्मू और बारामुला में 11 बजे तक 24 प्रतिशत मतदान हुआ है. लोगों की भीड़ साफ संकेत दे रही है कि उसने रियाज नायकू के मुंह पर एक ऐसा थप्पड़ मारा है जिसकी गूंज उसे बरसों बरस सुनाई देगी.

गौरतलब है कि पुलवामा हमले के बाद से ही घाटी के हालात खराब है. बात अगर जम्मू कश्मीर के नेताओं की हो तो उनके भी यही प्रयास है कि जम्मू कश्मीर ऐसे ही जलता रहे और वो यूं ही अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकते रहें.

चूंकि बात नागरिकों की सुरक्षा से जुड़ी थी इसलिए एक लम्बे वक़्त से प्रशासन भी राज्य और लोगों की सुरक्षा के लिए कमर कस चुका है. चुनावों में कोई गड़बड़ न हो और व्यवधान न पड़े इसलिए जम्मू श्रीनगर हाईवे को पहले ही बैन कर दिया गया है.

आवागमन के लिए लोगों के हाथ में मोहर लगाई जा रही और उसी मोहर को दिखाकर ये लोग एक स्थान से दूसरे स्थान की तरफ जा रहे हैं. मजेदार बात ये है कि अब इसे भी नेताओं ने मुद्दा बना दिया है और हमेशा की तरह आरोप प्रत्यारोप की राजनीति शुरू हो गई है.

बहरहाल, कश्मीर में सरकार किसकी बनती है और घाटी से धारा 370 हटती है या नहीं या फिर यहां से आतंकवाद कितनी जल्दी समाप्त होगा इन सारी बातों का फैसला आने वाला वक़्त करेगा मगर पहले चरण के मतदान में जो जनता का रुझान है वो ये साफ बता रहा है कि आज नहीं तो कल जम्मू कश्मीर और यहां रहने वाले लोगों के अच्छे दिन आने वाले हैं. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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