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लैंडर विक्रम की तस्‍वीर मिल गई, और अगली खुशखबरी कतार में है

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 08 सितम्बर, 2019 06:46 PM
  • 08 सितम्बर, 2019 06:03 PM
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Chandrayaan 2 के लैंडर से संपर्क टूटने के बाद अब उम्मीद की एक नई किरण जगी है. इसरो को चांद पर लैंडर विक्रम की स्थिति का पता चल गया है. दरअसल, चांद की कक्षा में घूम रहे ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल इमेज ली है.

Chandrayaan 2 मिशन में उस वक्त सबके चेहरों पर मायूसी सा गई थी, जब इसरो का लैंडर विक्रम के साथ संपर्क टूट गया था. यहां तक कि इसरो प्रमुख के सिवान की आंखों में आंसू तक आ गए और वह फूट-फूट कर रोने लगे, जिन्हें पीएम मोदी ने सहारा दिया. लेकिन अब उम्मीद की एक नई किरण जगी है. इसरो को चांद पर लैंडर विक्रम की स्थिति का पता चल गया है. दरअसल, चांद की कक्षा में घूम रहे ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल इमेज ली है. बताया जा रहा है कि जहां पर लैंडर विक्रम को लैंड होना था, वह अपनी जगह से करीब 500 मीटर दूर दिख रहा है. लैंडर से संपर्क टूटने के बाद इसरो ने इस बात की पड़ताल शुरू कर दी कि ऐसा क्यों हुआ, जिसके नतीजे अब सामने आ रहे हैं. हालांकि, अभी भी दिक्कत की बात ये है कि अब तक इसरो का लैंडर विक्रम से संपर्क नहीं हो सका है. यहां आपको बता दें कि लैंडर से संपर्क करने के लिए इसरो के पास करीब 12 दिन हैं, क्योंकि उसके बाद सूरज की रोशनी वहां नहीं पहुंच पाएगी और लैंडर का सोलर सिस्टम काम नहीं कर पाएगा.

चांद की कक्षा में घूम रहे ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल इमेज ली है.

इसरो के प्रमुख के सिवान ने कहा है- 'चांद की सतह पर हमें लैंडर विक्रम की लोकेशन मिल गई है और ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल इमेज ली है. लेकिन अभी तक उसके साथ कम्युनिकेशन नहीं हो सका है. हम संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. इससे जल्द ही संपर्क किया जाएगा.' बेंगलुरु स्थित इसरो सेंटर से लगातार लैंडर विक्रम और ऑर्बिटर को संदेश भेजे जा रहे हैं, ताकि कम्युनिकेशन शुरू हो सके.

इसरो प्रमुख के सिवान ने बताया था कि वैज्ञानिकों ने लैंडर विक्रम की लैंडिंग को...

Chandrayaan 2 मिशन में उस वक्त सबके चेहरों पर मायूसी सा गई थी, जब इसरो का लैंडर विक्रम के साथ संपर्क टूट गया था. यहां तक कि इसरो प्रमुख के सिवान की आंखों में आंसू तक आ गए और वह फूट-फूट कर रोने लगे, जिन्हें पीएम मोदी ने सहारा दिया. लेकिन अब उम्मीद की एक नई किरण जगी है. इसरो को चांद पर लैंडर विक्रम की स्थिति का पता चल गया है. दरअसल, चांद की कक्षा में घूम रहे ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल इमेज ली है. बताया जा रहा है कि जहां पर लैंडर विक्रम को लैंड होना था, वह अपनी जगह से करीब 500 मीटर दूर दिख रहा है. लैंडर से संपर्क टूटने के बाद इसरो ने इस बात की पड़ताल शुरू कर दी कि ऐसा क्यों हुआ, जिसके नतीजे अब सामने आ रहे हैं. हालांकि, अभी भी दिक्कत की बात ये है कि अब तक इसरो का लैंडर विक्रम से संपर्क नहीं हो सका है. यहां आपको बता दें कि लैंडर से संपर्क करने के लिए इसरो के पास करीब 12 दिन हैं, क्योंकि उसके बाद सूरज की रोशनी वहां नहीं पहुंच पाएगी और लैंडर का सोलर सिस्टम काम नहीं कर पाएगा.

चांद की कक्षा में घूम रहे ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल इमेज ली है.

इसरो के प्रमुख के सिवान ने कहा है- 'चांद की सतह पर हमें लैंडर विक्रम की लोकेशन मिल गई है और ऑर्बिटर ने लैंडर की एक थर्मल इमेज ली है. लेकिन अभी तक उसके साथ कम्युनिकेशन नहीं हो सका है. हम संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. इससे जल्द ही संपर्क किया जाएगा.' बेंगलुरु स्थित इसरो सेंटर से लगातार लैंडर विक्रम और ऑर्बिटर को संदेश भेजे जा रहे हैं, ताकि कम्युनिकेशन शुरू हो सके.

इसरो प्रमुख के सिवान ने बताया था कि वैज्ञानिकों ने लैंडर विक्रम की लैंडिंग को लेकर सेंकेंड के कई हिस्सों तक को प्लान किया हुआ है. यानी प्लानिंग तो तगड़ी थी, लेकिन अचानक क्या हुआ कि लैंडर के साथ इसरो का संपर्क टूट गया. ये भी कहा जा रहा है कि लैंडर अचानक पलट गया था. खैर, ये किसी तकनीकी खराबी की वजह से हुआ या फिर वहां के पर्यावरण में किसी और वजह से ये पता लगाने के लिए इसरो ने जांच-पड़ताल करनी शुरू कर दी है, इसी बीच लैंडर की थर्मल इमेज मिली है.

थर्मल इमेज का मतलब क्या?

यहां सबसे बड़ा सवाल लोगों के मन में ये उठ सकता है कि आखिर थर्मल इमेज होती कैसे ही? ये सामान्य तस्वीरें से अलग कैसे होती है? दरअसल, थर्मल इमेज को किसी ऑब्जेक्ट के इंफ्रारेड रेडिएशन का इस्तेमाल कर के लिया जाता है. यानी ये तस्वीर ऑब्जेक्ट को देखकर नहीं, बल्कि ऑब्जेक्ट के इंफ्रारेड एनर्जी (ऑब्जेक्ट से निकलने वाली गर्मी) से मिली जानकारियों का इस्तेमाल कर के बनती है.

लैंडर किस हालत में है?

जब ये बात सुनने को मिलती है कि लैंडर ने क्रैश लैंडिंग की हो सकती है तो हर किसी के मन में ये सवाल जरूर आता है कि लैंडर सुरक्षित है या नहीं? यहां आपको बता दें कि इसरो को लैंडर की लोकेशन तो मिल गई है, लेकिन अभी तक ये नहीं पता चल सका है कि लैंडर किस स्थिति में है.

आइए जानते हैं किन बातों की जांच कर रहा है इसरो-

आखिरी 20 मिनट में क्या हुआ?

विक्रम की लैंडिंग चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर दूरी पर गड़बड़ हुई, तब तक सब सही था. ऐसे में इसरो सबसे पहले उन आखरी 20 मिनट का डेटा जुटाने में लगा है, ताकि ये पता चल सके कि आखिर किस वजह से संपर्क टूटा. वैज्ञानिक लैंडर की लैंडिंग के रास्ते की जांच कर रहे हैं. हर सब-सिस्टम का परफॉर्मेंस डेटा, खासकर लिक्विड इंजन पूरी कहानी बयां कर सकते हैं.

अंत में मिले सिग्नल और उत्सर्जन संकेत

अब वैज्ञानिक उन सिग्नल और उत्सर्जन संकेतों की भी जांच कर रहे हैं, जो आखिरी समय में मिले थे, जिससे पता चल सके कि कहां दिक्कत हुई. इससे सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की दिक्कत के बारे में पता चलेगा. इस डेटा में भी सबसे अहम हैं आखिरी के 2.1 किलोमीटर के आंकड़े.

सेंसर से मिला डेटा

जिस तरह लैंडर विक्रम चांद की सतह पर उतरने के लिए आगे बढ़ रहा था, उस दौरान उसके सेंसर ने कई डाटा कमांड सेंटर को भेजे. इस डेटा में चांद की सतह की तस्वीर के साथ-साथ अन्य तरह का भी डेटा शामिल है. इसरो की टीम उस डेटा की भी छानबीन कर रही है.

लैंडर से संपर्क की लगातार कोशिश

अभी भी लगातार ये कोशिश की जा रही है कि लैंडर विक्रम से संपर्क स्थापित हो सके. उम्मीद की जा रही है कि हो सकता है विक्रम ने हार्ड या क्रैश लैंडिंग की हो, जिसकी वजह से कोई उपकरण खराब हो गया हो, लेकिन हो सकता है कि इसके बावजूद कोई संपर्क स्थापित हो सके.

ऑर्बिटर से सुराग वाली जगहों की मैपिंग

चांद की कक्षा में घूम रहे ऑर्बिटर में ऐसे उपकरण हैं जो चांद की सतह की मैपिंग कर सकते हैं. ऐसे में मुमकिन है कि लैंडर जहां पर गिरा होगा या जहां उसने लैंड किया होगा, उसकी तस्वीरें भी मिल जाएं. और यही हुआ. ऑर्बिटर ने लैंडर की थर्मल इमेज तो भेज ही दी है.

प्रदर्शन में कोई गड़बड़ी हुई?

इसरो इस बात का भी पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि क्या आखिरी चरण में चंद्रयान-2 मिशन के प्रदर्शन में कोई गड़बड़ हुई?

गड़बड़ी बाहरी या आंतरिक?

ये भी पता लगाने की कोशिश हो रही है कि जिस भी वजह से लैंडर से इसरो का संपर्क टूटा वह किसी बाहरी गड़बड़ी की वजह से हुआ या फिर लैंडर के अंदर ही कोई दिक्कत आ गई थी?

ग्लोबल स्पेस नेटवर्क से मदद

चंद्रयान-2 मिशन बहुत ही बड़ा मिशन है और इसमें आई दिक्कत को पता लगाने के लिए इसरो अन्य एजेंसियों से भी तस्वीरों और सेंसर डेटा की मदद लेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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