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लालू यादव के एक फोन ने तेजस्वी की पॉलिटिक्स पर स्पीड ब्रेकर लगा दिया

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 27 नवम्बर, 2020 02:30 PM
  • 27 नवम्बर, 2020 02:30 PM
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लालू यादव (Lalu Yadav) का बीजेपी विधायक ललन पासवान (Lalan Paswan) के पास आया कथित फोन तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के लिए स्पीडब्रेकर बन गया है - नीतीश कुमार के खिलाफ आक्रामक रहे तेजस्वी पर सरकार गिराने की तोहमत लग रही है.

लालू यादव (Lalu Yadav) को आखिर जेल की दीवारों को लांघ कर फोन पर बात करना इतना ज्यादा क्यों पसंद है? जब जमानत पर बाहर निकले थे तो जेल में बंद आरजेडी नेता शहाबुद्दीन से बात किये और खूब बवाल कराये - तब 'डीएम को फोन लगाओ तो...' वाला डायलाग काफी चर्चित रहा. असल में शहाबुद्दीन से फोन पर बात करने के बाद लालू यादव का यही रिएक्शन था. ये तभी की बात है जब बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी थी और तब भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही थे. आरजेडी ने तब की बातचीत को लेकर भी झुठलाया था और ताजा मामले में भी फेक ऑडियो करार दिया है. जब शिकायत दर्ज हो गयी है तो जांच रिपोर्ट के बाद सच सामने आ ही जाएगा, इतनी उम्मीद तो की ही जा सकती है.

अब जबकि लालू यादव खुद चारा घोटाले में मिली सजा काटने के लिए रांची जेल में हैं तो बिहार के बीजेपी विधायक ललन पासवान (Lalan Paswan) को फोन किये जाने को लेकर नये सिरे से बवाल मचा हुआ है. इसे लेकर एक तरफ जहां बिहार में विजिलेंस में शिकायत दर्ज करायी गयी है, झारखंड में जेल महानिरीक्षक ने लालू यादव पर फोन करने के आरोपों की जांच के आदेश दिये हैं.

देखा जाये तो तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) पर बैठे बिठाये मुसीबत आ पड़ी है और लालू यादव को भी फोन पर बातचीत की घटना के बाद फिर से रिम्स के प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है. लालू प्रसाद यादव अभी तक 1, केली बंगले में रह रहे थे - और बीजेपी नेता आरोप लगाते रहे कि लालू यादव जेल की सजा नहीं काट रहे हैं, बल्कि, बंगले में आराम की जिंदगी बिता रहे हैं.

हड़बड़ी में लालू ने गड़बड़ी कर दी

अच्छा तो ये होता कि लालू यादव रॉन्ग नंबर डायल करने की बजाये ललन पासवान मिस कॉल दिये होते - शुरू से लेकर अब तक मिस कॉल की अपनी अहमियत बनी हुई है और उसमें कोई जोखिम भी नहीं उठाना पड़ता. राजनीति में तो अरविंद केजरीवाल के अन्ना आंदोलन से लेकर बीजेपी के सदस्यता अभियान तक, मिस कॉल कैंपेन हमेशा ही सफल रहा है.

लालू यादव (Lalu Yadav) को आखिर जेल की दीवारों को लांघ कर फोन पर बात करना इतना ज्यादा क्यों पसंद है? जब जमानत पर बाहर निकले थे तो जेल में बंद आरजेडी नेता शहाबुद्दीन से बात किये और खूब बवाल कराये - तब 'डीएम को फोन लगाओ तो...' वाला डायलाग काफी चर्चित रहा. असल में शहाबुद्दीन से फोन पर बात करने के बाद लालू यादव का यही रिएक्शन था. ये तभी की बात है जब बिहार में महागठबंधन की सरकार बनी थी और तब भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही थे. आरजेडी ने तब की बातचीत को लेकर भी झुठलाया था और ताजा मामले में भी फेक ऑडियो करार दिया है. जब शिकायत दर्ज हो गयी है तो जांच रिपोर्ट के बाद सच सामने आ ही जाएगा, इतनी उम्मीद तो की ही जा सकती है.

अब जबकि लालू यादव खुद चारा घोटाले में मिली सजा काटने के लिए रांची जेल में हैं तो बिहार के बीजेपी विधायक ललन पासवान (Lalan Paswan) को फोन किये जाने को लेकर नये सिरे से बवाल मचा हुआ है. इसे लेकर एक तरफ जहां बिहार में विजिलेंस में शिकायत दर्ज करायी गयी है, झारखंड में जेल महानिरीक्षक ने लालू यादव पर फोन करने के आरोपों की जांच के आदेश दिये हैं.

देखा जाये तो तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) पर बैठे बिठाये मुसीबत आ पड़ी है और लालू यादव को भी फोन पर बातचीत की घटना के बाद फिर से रिम्स के प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है. लालू प्रसाद यादव अभी तक 1, केली बंगले में रह रहे थे - और बीजेपी नेता आरोप लगाते रहे कि लालू यादव जेल की सजा नहीं काट रहे हैं, बल्कि, बंगले में आराम की जिंदगी बिता रहे हैं.

हड़बड़ी में लालू ने गड़बड़ी कर दी

अच्छा तो ये होता कि लालू यादव रॉन्ग नंबर डायल करने की बजाये ललन पासवान मिस कॉल दिये होते - शुरू से लेकर अब तक मिस कॉल की अपनी अहमियत बनी हुई है और उसमें कोई जोखिम भी नहीं उठाना पड़ता. राजनीति में तो अरविंद केजरीवाल के अन्ना आंदोलन से लेकर बीजेपी के सदस्यता अभियान तक, मिस कॉल कैंपेन हमेशा ही सफल रहा है.

लालू यादव के फोन के चलते तेजस्वी पर लगने लगी है नीतीश सरकार गिराने की तोहमत

लालू यादव के खिलाफ लड़ाई में बीजेपी नेता सुशील मोदी के खिलाफ ट्विटर ने भी एक्शन लिया और वो ट्वीट डिलीट कर दिया जिसमें एक फोन नंबर सार्वजनिक कर दिये जाने की बात है. रांची जेल से लालू यादव के बीजेपी विधायक ललन पासवान को फोन किये जाने के आरोप को लेकर पटना के विजिलेंस के पास शिकायत दर्ज करायी गयी है.

फोन पर हुई बातचीत में ललन पासवान को लालू यादव स्पीकर के चुनाव के दौरान गैरहाजिर हो जाने को कहते हैं. बीजेपी विधायक पार्टी में होने का हवाला देते हैं तो उनको आरजेडी की सरकार बनने पर मंत्री बनाने का लालच देते हैं - और फिर समझाते हैं कि कोरोना का बहाना बना कर वो सदन से अनुपस्थित हो जायें, "ठीक है जाओ ऐबसेंट हो जाओ ठीक है!"

तेजस्वी यादव के लिए स्पीडब्रेकर जैसा है

भागलपुर के पीरपैंती चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे ललन पासवान ने अपनी शिकायत में कहा है, "24 नवबंर की शाम को फोन कॉल आया. कॉल उठाने पर दूसरी तरफ से बताया गया कि मैं लालू प्रसाद यादव बोल रहा हूं. तब मैंने समझा की शायद चुनाव जीतने के कारण वो मुझे बधाई देने के लिए फोन किये हैं. इसलिए मैंने उनको कहा, आपको चरण स्पर्श... उसके बाद उन्होंने मुझे कहा कि वो मुझे आगे बढ़ाएंगे और मुझे मंत्री पद दिलवाएंगे, इसलिये 25 नवंबर 2020 को बिहार विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में गैरहाजिर होकर अपना वोट नहीं दूं... ये भी बताया की वो NDA की सरकार गिरा देंगे... इस पर मैंने कहा कि मैं पार्टी का सदस्य हूं, ऐसे करना मेरे लिए गलत होगा. उस पर उन्होंने मुझे पुनः प्रलोभन दिया और कहा कि आप सदन से गैरहाजिर हो जाइए और कह दीजिये कि कोरोना हो गया है बाकी हम देख लेंगे... इस तरह लालू प्रसाद यादव ने जेल में रहते हुए उन्हें कॉल कर महागठबंधन के पक्ष में लेने की कोशिश की और मुझसे भ्रष्टाचार कराने का प्रयास किया."

ललन पासवान के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी अपने पास लालू यादव के फोन आने का दावा किया है. जीतनराम मांझी ने इल्जाम लगाया है कि नीतीश सरकार गिराने के लिए लालू यादव ने जेल से उनको फोन किया था, लेकिन उन्होंने बात नहीं की.

मांझी की तरह ही नीतीश सरकार के एक और मंत्री मुकेश साहनी ने भी लालू यादव के फोन कर सरकार बनाने के लिए सपोर्ट मांगा था - और उनकी पार्टी विकासशील इंसान पार्टी के विधायकों को प्रलोभन दिया था.

पहले भी मुकेश साहनी और जीतनराम मांझी की पार्टी से जुड़े सूत्रों ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया था कि महागठबंधन की सरकार बनाने के लिए सपोर्ट मांगा गया था. तब चर्चा रही कि आरजेडी की तरफ से मुकेश साहनी को डिप्टी सीएम की पोस्ट ऑफर की गयी थी. खबर रही कि तेजस्वी यादव जीतनराम मांझी और मुकेश साहनी का सपोर्ट हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं और अगर सब कुछ ठीक रहा तो असदुद्दीन ओवैसी के पांच विधायक भी महागठबंधन का सपोर्ट कर देंगे.

ये पूरा वाकया नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले का है. जब मांझी और साहनी का सपोर्ट नहीं मिला तो आरजेडी की तरफ से नयी चाल चली गयी लगती है. जिसे सामने लाया है बिहार में विधानसभा की आचार समिति के अध्यक्ष सुशील मोदी ने.

अगर फोन पर बातचीत के दावे सही हैं तो मान कर चलना होगा कि सरकार बनाने में असफल होने के बाद आरजेडी नेतृत्व की तरफ से विधानसभा स्पीकर का चुनाव जीतने के लिए ये पैंतरा अपनाया गया है. अगर लालू यादव की बात मानकर कुछ विधायक स्पीकर के चुनाव से दूरी बना लिये होते तो हार जीत के आंकड़े बदल भी सकते थे.

बाकी बातें अपनी जगह हैं, लेकिन लालू यादव को अब ये तो समझ आ ही गया होगा कि हड़बड़ी में बहुत बड़ी गलती हो गयी है. जिस तरीके से तेजस्वी यादव आक्रामक अंदाज में नीतीश कु्मार और बीजेपी पर हमला बोल रहे थे, आगे से सोच समझ कर करना होगा वरना सरकार बनाना तो दूर कहीं टूट कर आरजेडी विधायक बीजेपी या जेडीयू न ज्वाइन कर लें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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