• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

नोटबंदी पर प्रधानमंत्री मोदी से लालू प्रसाद के 12 सवाल...

    • लालू प्रसाद यादव
    • Updated: 25 नवम्बर, 2016 01:20 PM
  • 25 नवम्बर, 2016 01:20 PM
offline
आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी की फैसले पर कड़ा हमला बोला है. लालू का कहना है कि प्रधानमंत्री बताएं कि किससे पूछ कर उन्होंने ऐसा फैसला किया?

एक पखवाड़े पूर्व अचानक देशवासियों को यह फ़रमान सुनाया गया कि चार घण्टे बाद देश की 86% मुद्रा सिर्फ़ कागज़ का टुकड़ा रह जायेगी. यह तुग़लकी फ़रमान था, कहावत के रूप में भी, भावनात्मक रूप में भी और वास्तविक रूप में भी. आप विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के, आप ही के शब्दों में, प्रधान 'सेवक' हैं. आपने कैसे इतना बड़ा कदम बिना सोचे विचारे देश की जनता पर थोप दिया?

हम काले धन के सख़्त विरोधी हैं. पर इसके नाम पर आप पूंजीपतियों की गोद में बैठकर आम लोगों को परेशान नहीं कर सकते. जिनके पास सचमुच काला धन है, उनको दबोचने में प्रधानमंत्री क्यों हिचकिचा, सकुचा रहा है? जिस व्यक्ति के एक निर्णय पर करोड़ों लोगों का जीवन टिका हो, क्या उसे बिना आव-ताव देखे, आवेश में आकर, मुखपृष्ठों पर छाने के लिए अनाप-शनाप निर्णय लेने का अधिकार है? मोदी जी आपसे कुछ सवाल है, जनता जवाब चाहती है.

1. आज देश का किसान त्राहिमाम कर रहा है. उसकी दोनों फसलें बर्बाद होने की कगार पर है. किसानों ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था? किसानों से किस बात का बदला लिया जा रहा है? देश का किसान निर्धन सही, किन्तु निर्बल नहीं है. देश का किसान मोदी को माफ़ नहीं करेगा.

2. देश के भूखे, निर्धन और वंचितों को सताने में प्रधानमंत्री को कौन सा नैसर्गिक सुख प्राप्त हो रहा है? तुमने जो हंगामा खड़ा किया है, उसके शोर शराबे में करोडों लोगों की भूख और पीड़ा से कराहने की आवाज दब रही है, पर समझ लो हमेशा नहीं दबेगी.

इसे भी पढ़ें: कालाधन सफेद कर रही हैं ये 'बहनें'

3. प्रधानमंत्री बतायें कि नोटबन्दी के बाद FDI का कितना बिलियन डॉलर देश के बाहर जा चुका है? इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था में अव्यवस्था की छवि वाला जो नकारात्मक सन्देश पूरे विश्व में गया है, उससे उबर पाने में कितने प्रगतिशील...

एक पखवाड़े पूर्व अचानक देशवासियों को यह फ़रमान सुनाया गया कि चार घण्टे बाद देश की 86% मुद्रा सिर्फ़ कागज़ का टुकड़ा रह जायेगी. यह तुग़लकी फ़रमान था, कहावत के रूप में भी, भावनात्मक रूप में भी और वास्तविक रूप में भी. आप विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के, आप ही के शब्दों में, प्रधान 'सेवक' हैं. आपने कैसे इतना बड़ा कदम बिना सोचे विचारे देश की जनता पर थोप दिया?

हम काले धन के सख़्त विरोधी हैं. पर इसके नाम पर आप पूंजीपतियों की गोद में बैठकर आम लोगों को परेशान नहीं कर सकते. जिनके पास सचमुच काला धन है, उनको दबोचने में प्रधानमंत्री क्यों हिचकिचा, सकुचा रहा है? जिस व्यक्ति के एक निर्णय पर करोड़ों लोगों का जीवन टिका हो, क्या उसे बिना आव-ताव देखे, आवेश में आकर, मुखपृष्ठों पर छाने के लिए अनाप-शनाप निर्णय लेने का अधिकार है? मोदी जी आपसे कुछ सवाल है, जनता जवाब चाहती है.

1. आज देश का किसान त्राहिमाम कर रहा है. उसकी दोनों फसलें बर्बाद होने की कगार पर है. किसानों ने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था? किसानों से किस बात का बदला लिया जा रहा है? देश का किसान निर्धन सही, किन्तु निर्बल नहीं है. देश का किसान मोदी को माफ़ नहीं करेगा.

2. देश के भूखे, निर्धन और वंचितों को सताने में प्रधानमंत्री को कौन सा नैसर्गिक सुख प्राप्त हो रहा है? तुमने जो हंगामा खड़ा किया है, उसके शोर शराबे में करोडों लोगों की भूख और पीड़ा से कराहने की आवाज दब रही है, पर समझ लो हमेशा नहीं दबेगी.

इसे भी पढ़ें: कालाधन सफेद कर रही हैं ये 'बहनें'

3. प्रधानमंत्री बतायें कि नोटबन्दी के बाद FDI का कितना बिलियन डॉलर देश के बाहर जा चुका है? इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था में अव्यवस्था की छवि वाला जो नकारात्मक सन्देश पूरे विश्व में गया है, उससे उबर पाने में कितने प्रगतिशील सालों की बलि चढ़ेगी?

4. प्रधानमंत्री बतायें कि रुपये की कमजोरी और बदतर हालात का ज़िम्मेवार कौन है?

जनता जवाब मांग रही है...

5. प्रधानमंत्री बतायें कि इस कदम से GDP ग्रोथ रेट जो गोते खाएगी, उसकी भरपाई में कितने वर्ष लगेंगे? विकास दर में गिरावट की ज़िम्मेवारी प्रधानमंत्री लेंगे या बलि का बकरा ढूंढा जाएगा?

6. नोटबन्दी के कारण अबतक 75 से अधिक लोग मर चुके हैं. इनकी हत्या का दोषी कौन है? PM बतायें कि पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा दिया जायेगा कि नहीं?

7. प्रधानमंत्री बताएं कि छोटे व्यापारियों को हुए नुकसान की भरपाई कौन करेगा? असंगठित क्षेत्र के लोगों को हुई असुविधा और नुकसान का हर्ज़ाना कौन भरेगा?

8. प्रधानमंत्री के इस निर्णय में क्या कैबिनेट की सहमति थी? अगर सचमुच थी, तो इस निर्णय में कौन कौन लोग भागीदार थे? क्योंकि जनता जानना चाहती है कि उसकी इस दुर्दशा के लिए कौन-कौन जिम्मेदार हैं?

9. क्या आरएसएस को लोगों को पीड़ा का आनंद आ रहा है? कहीं ऐसा तो नहीं, संघ के आदेश पर ही यह नोटबन्दी का स्वांग रचा गया? मोहन भागवत चुप क्यों हैं?

इसे भी पढ़ें: नोटबंदी पर ममता की मुहिम फायदेमंद तो है लेकिन काफी रिस्की भी

10. मोदी बतायें कि अब तक देश को कितने man-hours और प्रोडक्शन का नुकसान हुआ है? उसकी भरपाई कैसे होगी?

11. प्रधानमंत्री सीमा निर्धारित करके बताएं कि उनके वादानुसार लोगों के खाते में 15-15 लाख रुपये कब जमा होंगे?

12. क्या प्रधानमंत्री पूरी तरह आश्वस्त हैं कि बचे हुए 35 दिन में वो सभी समस्याओं का निदान कर देंगे? नहीं तो बतावें कि कितने दिन और जनता को तड़पायेंगे?

जनता को आपके जबाबों का इंतज़ार है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲