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कट्टरपंथियों का जुल्म सहते भाजपा-समर्थक मुसलमान असली माइनॉरिटी हैं

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 30 मार्च, 2022 06:22 PM
  • 30 मार्च, 2022 06:22 PM
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चाहे बाबर हो या फिर यूनुस और बरेली की महिला मुस्लिम धर्मगुरुओं और राजनेताओं की बदौलत मुसलमान न केवल भाजपा से दूर हुए बल्कि अलग अलग कारणों के मद्देनजर उसे अपना दुश्मन मानते हैं, कहां ही बर्दाश्त करते कि उनके बीच का कोई आदमी उस पार्टी को बल दे जिससे उनकी वैचारिक लड़ाई से कहीं ज्यादा दुश्मनी है.

यूपी के कुशीनगर में बाबर अली नाम के एक मुस्लिम युवक की हत्या हुई है? दोष? युवक का भाजपा समर्थक होना. बाबर की मौत मामले में भले ही यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार एक्शन में दिख रही हो लेकिन जिस तरह सिर्फ इसलिए बाबर की पीट पीटकर हत्या कर दी गयी क्योंकि उसने न केवल भाजपा की जीत का जश्न मनाया और मिठाई बांटी बल्कि इलाके में भाजपा के लिए प्रचार भी किया इस बात की तस्दीख कर देता है कि कट्टरपंथियों का जुल्म सहते भाजपा-समर्थक मुसलमान मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. विषय बाबर से शुरू हुआ है तो सबसे पहले ये बताना जरूरी है कि व्यवसाय के लिहाज से कुशीनगर के रामकोला का बाबर मुर्गा बेचने का काम करता था. बताया जा रहा है कि 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान बाबर भाजपा और पार्टी की नीतियों से प्रभावित हुआ और झुकाव कुछ इस हद तक बढ़ा कि वह अपनी दुकानदारी से समय बचाता और भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी के लिए प्रचार करता.

हर वो मुसलमान कट्टरपंथीयों की आंख की किरकिरी है जो भाजपा को पसंद करते हैं और उसका समर्थन करते हैं

जैसा कि ज्ञात है मुस्लिम धर्मगुरुओं और राजनेताओं की बदौलत मुसलमान न केवल भाजपा से दूर हुए बल्कि अलग अलग कारणों के मद्देनजर उसे अपना दुश्मन मानते हैं, कहां ही बर्दाश्त करते कि उनके बीच का आदमी उस पार्टी को बल दे रहा है जिससे उनकी वैचारिक लड़ाई है. पूर्व में भी कई मौके आए जब भाजपा के प्रचार के चलते बाबर को अपने पट्टीदारों की नाराजगी का सामना करना पड़ा और उन्होंने उसपर भाजपा का प्रचार न करने का दबाव बनाया

लेकिन बाबर ने इसकी जरा भी परवाह नहीं की और अपना काम बदस्तूर करता रहा.10 मार्च को यूपी विधानसभा चुनावों का परिणाम आने के बाद बाबर ने अपने आसपास के लोगों को मिठाइयां बंटी और उसके बाद वो हुआ जिसकी...

यूपी के कुशीनगर में बाबर अली नाम के एक मुस्लिम युवक की हत्या हुई है? दोष? युवक का भाजपा समर्थक होना. बाबर की मौत मामले में भले ही यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार एक्शन में दिख रही हो लेकिन जिस तरह सिर्फ इसलिए बाबर की पीट पीटकर हत्या कर दी गयी क्योंकि उसने न केवल भाजपा की जीत का जश्न मनाया और मिठाई बांटी बल्कि इलाके में भाजपा के लिए प्रचार भी किया इस बात की तस्दीख कर देता है कि कट्टरपंथियों का जुल्म सहते भाजपा-समर्थक मुसलमान मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. विषय बाबर से शुरू हुआ है तो सबसे पहले ये बताना जरूरी है कि व्यवसाय के लिहाज से कुशीनगर के रामकोला का बाबर मुर्गा बेचने का काम करता था. बताया जा रहा है कि 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान बाबर भाजपा और पार्टी की नीतियों से प्रभावित हुआ और झुकाव कुछ इस हद तक बढ़ा कि वह अपनी दुकानदारी से समय बचाता और भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी के लिए प्रचार करता.

हर वो मुसलमान कट्टरपंथीयों की आंख की किरकिरी है जो भाजपा को पसंद करते हैं और उसका समर्थन करते हैं

जैसा कि ज्ञात है मुस्लिम धर्मगुरुओं और राजनेताओं की बदौलत मुसलमान न केवल भाजपा से दूर हुए बल्कि अलग अलग कारणों के मद्देनजर उसे अपना दुश्मन मानते हैं, कहां ही बर्दाश्त करते कि उनके बीच का आदमी उस पार्टी को बल दे रहा है जिससे उनकी वैचारिक लड़ाई है. पूर्व में भी कई मौके आए जब भाजपा के प्रचार के चलते बाबर को अपने पट्टीदारों की नाराजगी का सामना करना पड़ा और उन्होंने उसपर भाजपा का प्रचार न करने का दबाव बनाया

लेकिन बाबर ने इसकी जरा भी परवाह नहीं की और अपना काम बदस्तूर करता रहा.10 मार्च को यूपी विधानसभा चुनावों का परिणाम आने के बाद बाबर ने अपने आसपास के लोगों को मिठाइयां बंटी और उसके बाद वो हुआ जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की हो.

बाबर को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. बाबर की मौत कैसे हुई वजह हैरत में डालने वाली है.10 मार्च को मिठाई बांटने के कारण पट्टीदार उससे पहले ही नाराज थे फिर आग में घी का काम किया जय श्री राम के उस नारे ने जो गुजरे 20 मार्च को उसने तब लगाया जब वो दुकान बंद करके वापस लौट रहा था.

नारे के फ़ौरन बाद ही उसके पड़ोसियों ने उस पर हमला बोल दिया. बताया कि पुरुषों के साथ महिलाओं ने भी बाबर को पीटा था. जान बचाने के लिए बाबर अपनी छत पर चढ़ गया, लेकिन वहां भी पड़ोसी पहुंच गए और उसे छत से नींचे फेंक दिया. बाबर को इलाज के लिए रामकोला सीएचसी ले जाया गया, जहां से उसे लखनऊ रेफर कर दिया गया. लखनऊ में इलाज के दौरान उसकी मौत हुई.

जैसा कि हम ऊपर ही बता चुके हैं उपरोक्त मामले में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भले ही आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लिए जाने की बात की हो मगर ये मौत सिर्फ इसलिए हुई क्योंकि वो लीग से अलग चला और उसका ये अंजदाज कट्टरपंथी जमात को नागवार गुजरा और उनकी आंखों में जलती नफरत की ज्वाला को ठंडक बाबर की चिता ने दी.

ध्यान रहे आज के समय में अल्पसंख्यकों को लेकर तमाम तरह जी बातें हो रही हैं. अल्पसंख्यकों को लेकर संविधान और कोर्ट क्या कहता है ये भले ही लम्बी डिबेट का हिस्सा हो लेकिन सही मायनों में असली माइनॉरिटी बाबर जैसे लोग हैं जो भाजपा की नीतियों के चलते उसे पसंद कर रहे हैं, पीएम मोदी के सबका साथ सबका विश्वास का गहनता से अवलोकन कर रहे हैं और फिर भाजपा के नजदीक आ रहे हैं.

ऐसे लोगों का भाजपा के करीब आना सुखद कहीं से नहीं हैं जटिलताएं कैसी हैं इसे हम बाबर की मौत मामले के अलावा बरेली की उस घटना से समझ सकते हैं जहां एक मुस्लिम महिला का भाजपा को वोट देना उसकी पर्सनल लाइफ की धज्जियां उड़ाता नजर आ रहा है. असल में अभी हाल ही में गुजरे विधानसभा चुनाव में बरेली की एक महिला ने भाजपा को वोट दिया था.

ये बात महिला के पति को नागवार गुजरी और उसने उसे घर से निकाल दिया. साथ ही महिला के पति ने उसे तलाक की धमकी भी दी है. मामले में सबसे रोचक बात ये है कि महिला और पुरुष दोनों की लव मैरिज हुई थी लेकिन बात फिर वही है प्यार अपनी जगह और पार्टी और विचारधारा अपनी जगह.

मामले में जो जानकारी महिला ने दी है उसके अनुसार उसका पति और पति के मामू समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता हैं, जिस दिन चुनाव का नतीजा आया महिला ने अपने पति तस्लीम को बताया कि उसने भाजपा को वोट दिया है. भाजपा को वोट क्यों दिया इसपर महिला का तर्क ये है कि भाजपा ने महिलाओं के लिए खूब काम किया है.

महिला का ये पॉलिटिकल स्टैंड कहां ही उसके पति को रास आता और फिर जल्द ही उसे असलियत से रू-ब-रू करा दिया गया. इस मामले में महिला का गृहस्थ जीवन सिर्फ इसलिए बर्बाद हुआ क्योंकि वो मुसलमान थी और कट्टरपंथियों से घिरी हुई थी.

ध्यान रहे हाल में बीते 5 राज्यों के चुनाव और उन चुनावों में भी अगर उत्तर प्रदेश के सन्दर्भ में बात हो तो देश भर में तमाम मुसलमान हैभाजपा के लिए सॉफ्ट कार्नर रखते हैं मगर उसकी कीमत क्या है उसे हम इंदौर के उस मामले से समझ सकते हैं जहां एक किराएदार को अपने मकानमालिक से कब लात पड़ जाए कोई भरोसा नहीं है.

इंदौर में पुलिस जन सुनवाई में अपनी तरह का एक अनोखा मामला सामने आया है. एक किराएदार का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति प्रेम और आदर उसे भरी पड़ गया है. किरायेदार को मकान मालिक घर से निकालने की धमकी दे रहा है. किरायेदार ने अपने घर में पीएम मोदी (PM Modi) की फोटो लगा रखी है जो माकन मालिक को फूटी आंख भी नहीं भयी और नौबत विवाद की आ गयी है.

जान सुनवाई के दौरान युसूफ नाम के व्यक्ति ने पुलिस को बताया कि उसके माकन मालिक रीफ मंसूरी, याकूब मंसूरी और सुल्तान मंसूरी को उसका उनके घर पर पीएम मोदी की फोटो लगाना पसंद नहीं है. उन्होंने उसे निर्देश दिए हैं कि वो तत्काल प्रभाव में फोटो को हटाए वरना घर को जबरन खाली करा दिया जाएगा.

उपरोक्त तीनों ही मामले मुसलमानों से जुड़े हुए हैं और उनको अपने समुदाय का कोप सिर्फ इसलिए भोगना पड़ रहा है क्योंकि वो जनादेश के साथ हैं. बात बहुत सीधी और साफ़ है हिंदुस्तान में माइनॉरिटी कौन है ? इसको लेकर कितनी ही बातें क्यों न हो जाएं लेकिन सही मायनों में देखा जाए तो वो मुसलमान अपने समुदाय में बैठे कट्टरपंथियों की आंख की किरकिरी है जिसके जीवन का एक मात्र मकसद भाजपा और उसकी नीतियों से नफरत है.

जाते जाते हमें योगी 2.0 में मंत्री बने दानिश आजाद अंसारी का भी रुख कर लेना चाहिए जिन्हें लेकर ट्विटर पर भद्दी बातों की शुरुआत हो गयी है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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