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जानिए, दिल्‍ली में क्‍यों जब्त हुई आप की जमानत

    • आलोक रंजन
    • Updated: 13 अप्रिल, 2017 09:59 PM
  • 13 अप्रिल, 2017 09:59 PM
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पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद राजौरी गार्डन उपचुनाव में आप की हार उनके आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकती है.

2015 विधान सभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली अरविन्द केजरीवाल की आप पार्टी को राजौरी गार्डन उप चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है. हार भी उस समय जब इसी महीने की 23 तारीख को दिल्ली में निगम का चुनाव होना है, जिसमें आप की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है.

9 अप्रैल को हुए चुनाव के नतीजे गुरुवार को आए. राजौरी गार्डन सीट पर बीजेपी-अकाली गठबंधन के उम्मीदवार मनजिंदर सिंह सिरसा ने जीत दर्ज की है. उनको कुल 40602 वोट हासिल हुए. उन्होंने अपने निकटम प्रतिद्वंदी कांग्रेस की मिनाक्षी चंदेला को 14652 वोट से हराया. तो वहीं सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर रही.

आप उम्मीदवार की जमानत भी जब्त हो गई. आप उम्मीदवार हरजीत सिंह को कुल 10243 वोट मिले जो कि कुल डाले गए वोट प्रतिशत का 13.12 प्रतिशत है. इससे पहले यह सीट आप विधायक जरनैल सिंह के पास थी. पिछले महीने हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में खड़े होने के फैसले के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था और इसी कारण यहां पर फिर से चुनाव करना पड़ा था. 2015 के चुनाव में जरनैल सिंह ने सिरसा को 10 हजार मतों से हराया था जबकि 2013 में सिरसा ने कांग्रेस उम्मीदवार को हराया था.

यह उप चुनाव को निगम चुनाव से पहले सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा था कि जनता आप पर फिर से विश्वास करती है या नहीं. नतीजा आप की उम्मीदों के परे आया है. बीजेपी के सिरसा इस विजय को इस रूप में बयां कर रहे हैं कि जनता ने आप को रिजेक्ट कर दिया है. वहीं आप का कहना है कि इससे नगर निगम चुनाव में कुछ असर नहीं होने वाला है. मनीष सिसोदिया ने साथ में ये भी कहा कि उनके कामों के लिए जनता उन्हें निगम चुनाव में विजय बनाएगी. उन्होंने कहा कि जनरैल सिंह के इस्तीफे से लोगों में गुस्सा था. पार्टी ने लोगों को समझाने की कोशिश की थी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली.

2015 विधान सभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली अरविन्द केजरीवाल की आप पार्टी को राजौरी गार्डन उप चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है. हार भी उस समय जब इसी महीने की 23 तारीख को दिल्ली में निगम का चुनाव होना है, जिसमें आप की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है.

9 अप्रैल को हुए चुनाव के नतीजे गुरुवार को आए. राजौरी गार्डन सीट पर बीजेपी-अकाली गठबंधन के उम्मीदवार मनजिंदर सिंह सिरसा ने जीत दर्ज की है. उनको कुल 40602 वोट हासिल हुए. उन्होंने अपने निकटम प्रतिद्वंदी कांग्रेस की मिनाक्षी चंदेला को 14652 वोट से हराया. तो वहीं सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर रही.

आप उम्मीदवार की जमानत भी जब्त हो गई. आप उम्मीदवार हरजीत सिंह को कुल 10243 वोट मिले जो कि कुल डाले गए वोट प्रतिशत का 13.12 प्रतिशत है. इससे पहले यह सीट आप विधायक जरनैल सिंह के पास थी. पिछले महीने हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में खड़े होने के फैसले के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था और इसी कारण यहां पर फिर से चुनाव करना पड़ा था. 2015 के चुनाव में जरनैल सिंह ने सिरसा को 10 हजार मतों से हराया था जबकि 2013 में सिरसा ने कांग्रेस उम्मीदवार को हराया था.

यह उप चुनाव को निगम चुनाव से पहले सेमीफाइनल के रूप में देखा जा रहा था कि जनता आप पर फिर से विश्वास करती है या नहीं. नतीजा आप की उम्मीदों के परे आया है. बीजेपी के सिरसा इस विजय को इस रूप में बयां कर रहे हैं कि जनता ने आप को रिजेक्ट कर दिया है. वहीं आप का कहना है कि इससे नगर निगम चुनाव में कुछ असर नहीं होने वाला है. मनीष सिसोदिया ने साथ में ये भी कहा कि उनके कामों के लिए जनता उन्हें निगम चुनाव में विजय बनाएगी. उन्होंने कहा कि जनरैल सिंह के इस्तीफे से लोगों में गुस्सा था. पार्टी ने लोगों को समझाने की कोशिश की थी, लेकिन कामयाबी नहीं मिली.

पंजाब और गोवा विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद राजौरी गार्डन उपचुनाव में आप की हार उनके आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकती है. पंजाब और गोवा में हार के बाद केजरीवाल और आप के कई और नेता ने ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से शिकायत की थी.

यूपी के परिणामों से उत्साहित बीजेपी इस सीट के जरिए अपना विजय रथ आगे बढ़ाने में सफल हो पाई है. समीक्षकों का भी मानना है कि दिल्ली निगम चुनाव से पहले इस उपचुनाव का परिणाम काफी अहमियत रखता है. इस जीत के बात एमसीडी चुनाव में बीजेपी का मनोबल स्वाभाविक रूप से बढेगा.

अब सवाल ये है कि कहीं निगम चुनाव में भी अगर बीजेपी ऐसा ही प्रदर्शन करने में सफल हो जाती है तो आप को 272 सीट में जमानत बचाने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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