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कर्नाटक चुनाव में शुरू हुई 'रिसॉर्ट पॉलिटिक्स', जानिए इसकी बारीकियां

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 16 मई, 2018 07:01 PM
  • 16 मई, 2018 07:01 PM
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भाजपा ने कर्नाटक चुनाव में 104 सीटें जीती हैं, लेकिन वह दावा कर चुकी है कि कर्नाटक में सरकार वही बनाएगी. अब सवाल ये है कि आखिर बहुमत पाने के लिए बचे हुए 8 विधायक आएंगे कहां से? यहीं से शुरू होती है 'रिसॉर्ट पॉलिटिक्स'.

कर्नाटक चुनाव काफी दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है. 104 सीटों वाली भाजपा ने भी सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है और जेडीएस-कांग्रेस भी 78+38 सीटों के साथ सरकार बनाने का दावा कर रही है. सवाल ये है कि भाजपा 112 के बहुमत के आंकड़े को पाने के लिए बचे हुए 8 विधायक लाएगी कहां से? और इसका जवाब है कि भाजपा को जेडीएस या कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर अपने साथ मिलाना होगा. यहीं से शुरू होती है रिसॉर्ट पॉलिटिक्स.

क्या है रिसॉर्ट पॉलिटिक्स?

जैसी स्थिति इन दिनों कर्नाटक में आई है, ऐसी चुनावों में अक्सर देखने को मिल जाती है. ऐसे में पार्टी के पास दूसरी पार्टी के विधायकों को तोड़कर अपने साथ मिलाने के अलावा कोई चारा नहीं रहता. अपने विधायकों को दूसरी पार्टी के दबाव से बचाने के लिए पार्टियां विजयी विधायकों को किसी रिसॉर्ट आदि में छुपा देती है, ताकि उन पर विरोधी पार्टी कोई दबाव न बना सके ना ही कोई लुभावना ऑफर देकर उन्हें तोड़ने की कोशिश कर सके. इन दिनों कांग्रेस और जेडीएस भी अपने-अपने विधायकों को भाजपा से बचाने में लगी हुई है. इसके लिए उनके पास यही चारा है कि उन्हें किसी रिसॉर्ट में या किसी अन्य ऐसी जगह छुपा दे, जहां पर भाजपा के लोग न पहुंच सकें.

केरल टूरिज्म ने किया आमंत्रित

जैसे ही केरल टूरिज्म ने कर्नाटक चुनाव में आए इस दिलचस्प मोड़ को देखा, वैसे ही उन्होंने ट्वीट करते हुए चुने हुए विधायकों को आमंत्रित कर डाला. केरल टूरिज्म की तरफ से ट्वीट में लिखा गया कि कर्नाटक चुनाव के नतीजों की उठापटक के बाद हम सभी विधायकों को भगवान के देश केरल में सुरक्षित और सुंदर रिसॉर्ट में ठहरने के लिए आमंत्रित करते हैं. अब ये विधायक केरल के इस रिसॉर्ट में जाकर रहें या फिर किसी और रिसॉर्ट में ये तो पार्टी का नेतृत्व ही तय करेगा.

कर्नाटक चुनाव काफी दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है. 104 सीटों वाली भाजपा ने भी सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है और जेडीएस-कांग्रेस भी 78+38 सीटों के साथ सरकार बनाने का दावा कर रही है. सवाल ये है कि भाजपा 112 के बहुमत के आंकड़े को पाने के लिए बचे हुए 8 विधायक लाएगी कहां से? और इसका जवाब है कि भाजपा को जेडीएस या कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर अपने साथ मिलाना होगा. यहीं से शुरू होती है रिसॉर्ट पॉलिटिक्स.

क्या है रिसॉर्ट पॉलिटिक्स?

जैसी स्थिति इन दिनों कर्नाटक में आई है, ऐसी चुनावों में अक्सर देखने को मिल जाती है. ऐसे में पार्टी के पास दूसरी पार्टी के विधायकों को तोड़कर अपने साथ मिलाने के अलावा कोई चारा नहीं रहता. अपने विधायकों को दूसरी पार्टी के दबाव से बचाने के लिए पार्टियां विजयी विधायकों को किसी रिसॉर्ट आदि में छुपा देती है, ताकि उन पर विरोधी पार्टी कोई दबाव न बना सके ना ही कोई लुभावना ऑफर देकर उन्हें तोड़ने की कोशिश कर सके. इन दिनों कांग्रेस और जेडीएस भी अपने-अपने विधायकों को भाजपा से बचाने में लगी हुई है. इसके लिए उनके पास यही चारा है कि उन्हें किसी रिसॉर्ट में या किसी अन्य ऐसी जगह छुपा दे, जहां पर भाजपा के लोग न पहुंच सकें.

केरल टूरिज्म ने किया आमंत्रित

जैसे ही केरल टूरिज्म ने कर्नाटक चुनाव में आए इस दिलचस्प मोड़ को देखा, वैसे ही उन्होंने ट्वीट करते हुए चुने हुए विधायकों को आमंत्रित कर डाला. केरल टूरिज्म की तरफ से ट्वीट में लिखा गया कि कर्नाटक चुनाव के नतीजों की उठापटक के बाद हम सभी विधायकों को भगवान के देश केरल में सुरक्षित और सुंदर रिसॉर्ट में ठहरने के लिए आमंत्रित करते हैं. अब ये विधायक केरल के इस रिसॉर्ट में जाकर रहें या फिर किसी और रिसॉर्ट में ये तो पार्टी का नेतृत्व ही तय करेगा.

केरल टूरिज्म ने कर्नाटक चुनाव के विजयी विधायकों को अपने यहां रिसॉर्ट में आकर रुकने का न्योता दिया है.

Eagleton Resort में 102 कमरे बुक

गुजरात राज्यसभा चुनाव के दौरान जब अहमद पटेल भाजपा से सीधी लड़ाई लड़ रहे थे, तो उन्‍होंने कांग्रेस के 44 विधायकों को खरीद-फरोख्‍त से बचाने के लिए बेंगलुरु के इगलटन रिसॉर्ट में ठहराया था. अब वही रिसॉर्ट एक बार फिर कांग्रेस को अपनी सेवाएं दे रहा है. कर्नाटक के संकट में कांग्रेस ने अपने विधायकों के लिए यहां करीब 102 कमरे बुक किए हैं. ऐसे समय में जब कांग्रेस के 4 विधायकों के लापता होने की खबर आ रही है, तो हैरानी नहीं होनी चाहिए कि इगलटन रिसॉर्ट अगले कुछ दिनों के लिए कांग्रेस का मुख्‍यालय बन जाए. यहां आपको बता दें कि कांग्रेस के डी के शिवकुमार ने कहा है कि कोई भी विधायक लापता नहीं है, सभी से हम संपर्क में हैं. यह होटल डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश का है, जिसमें बार, लॉज, पूल, स्पा, जिम, गेम्स बहुत सारी सुविधाएं है.

बता दें कि इगलटन गोल्फ रिसॉर्ट देश का पहला विश्व स्तरीय रिसॉर्ट है. इसकी शुरुआत प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए की गई थी. शुरू में पर्यटन नीति के तहत इस होटल को 100 फीसदी टैक्स फ्री रखा गया था. जिसके चलते यह भारतीय और विदेशी पर्यटकों का पसंदीदा रिसॉर्ट बन गया. यहां के हर एग्जिक्युटिव सुईट का किराया करीब 8500 रुपए है, जबकि डीलक्स कमरों का किराया भी 7000 रुपए प्रतिदिन तक है.

यह रिसॉर्ट बेंगलुरु से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित है.

ऐसा नहीं है कि सिर्फ केरल टूरिज्म की तरफ से ही कर्नाटक के विजयी विधायकों को उनके रिसॉर्ट में आकर ठहरने के लिए आमंत्रित किया गया है. जम्मू-कश्मीर के पर्यटन विभाग के सचिव शाह फैजल ने भी एक ट्वीट करते विजयी विधायकों को कश्मीर आने का न्योता दिया है. उन्होंने ट्वीट में लिखा है- कर्नाटक चुनाव के सभी विजयी विधायकों का हरे-भरे कश्मीर की गुरेज-वैली में स्वागत है. तापमान 10 डिग्री सेंटीग्रेट. आने-जाने का सिर्फ एक रास्ता. मोबाइल कनेक्टिविटी पर नियंत्रण, गर्मी को एंजॉय करने के लिए एक अच्छी डील.

तमिलनाडु की राजनीति में जब जयललिता की मौत के बाद एआईएडीएमके दो धड़ों में बंट गई थी, तो उसके बाद शशिकला खेमे के 130 विधायकों को चेन्नई के होटल में रखा गया था. आपको बता दें कि जिस होटल में इन विधायकों को रखा गया था वह झील में था. 

1984 में हुई थी रिसॉर्ट पॉलिटिक्स की शुरुआत

एक्टर से पॉलिटीशियन बने एनटीआर यानी एनटी रामाराव 1984 में हर्ट सर्जरी के लिए अमेरिका गए थे. जब वह लौटे, तब तक गवर्नर ने किसी और को आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया था. इस बात से नाराज एनटीआर ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने की घोषणा की, ताकि वह ये बता सकें कि अभी भी लोग उन्हीं के साथ हैं. वह नहीं चाहते थे कि विपक्ष उनके विधायकों को खरीद ले या फिर उन्हें कोई लुभावना ऑफर देकर अपने साथ मिला ले. इसलिए उन्होंने सभी 164 विधायकों को मैसूर के एक रिसॉर्ट में ठहराया था, जिसमें आंध्र प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू भी थे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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