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बवाना में फिर कसौटी पर केजरीवाल !

    • आईचौक
    • Updated: 04 अगस्त, 2017 03:43 PM
  • 04 अगस्त, 2017 03:43 PM
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थोड़ा गौर से देखें तो बिहार और बवाना में ज्यादा फर्क नहीं है. जिस तरह नीतीश कुमार ने आरजेडी का साथ छोड़ बीजेपी के सपोर्ट से सरकार बना ली, उसी तरह वेद प्रकाश आप से इस्तीफा देकर बीजेपी के टिकट पर फिर से विधायक बनने की तैयारी में हैं.

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल एक बार फिर इम्तिहान देने जा रहे हैं. बवाना विधानसभा सीट के लिए होने जा रहे उपचुनाव में केजरीवाल पूरे लाव लश्कर के साथ जुट गये हैं.

राजौरी गार्डन में आप उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जाने और एमसीडी में भारी शिकस्त के बाद केजरीवाल बवाना में सियासत के सारे दांव आजमा रहे हैं. इसी का नतीजा है कि केजरीवाल बीजेपी को जोर का एक झटका दे चुके हैं.

झटके पे झटका

एमसीडी चुनावों के ऐन पहले बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को बवाना में बड़ा झटका दिया था. आम आदमी पार्टी के बवाना से विधायक वेद प्रकाश ने इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. वेद प्रकाश ने बीजेपी के गुग्गन सिंह को हरा कर ये सीट जीती थी. वेद प्रकाश को अपने पाले में लेकर बीजेपी ने सोचा आधी लड़ाई तो जीत ही ली.

राजौरी गार्डन उपचुनाव जीतने के साथ ही एमसीडी में फतह से बीजेपी हौसले पहले से ही बुलंद हैं. उधर, केजरीवाल ने भी बवाना को प्रतिष्ठा की लड़ाई बना ली - और आप नेताओं के साथ मिशन में जुट गये. सबसे पहले तो केजरीवाल बीजेपी से उसी के अंदाज में बदला लेना चाहते थे. जल्द ही उन्हें कामयाबी भी मिल गयी.

आप के लिए बदलापुर बना बवाना...

गुग्गन सिंह ने बीजेपी छोड़ आप का दामन थाम लिया. गुग्गन 2008 में विधायक चुने गये थे लेकिन 2013 में आप उम्मीदवार ने बाजी मार ली. आप ने रामचंद्र को पहले ही अपने उम्मीदवार के रूप में घोषणा कर रखी है. गुग्गन का कहना है कि उन्हें पद की लालसा नहीं बल्कि वो बवाना का विकास चाहते हैं. वैसे माना जा रहा है कि आप अपने उम्मीदवार पर पुनर्विचार कर सकती है - मुमकिन है गुग्गन को टिकट मिल जाये.

मैदान-ए-बवाना

1993 से अब तक दिल्ली विधानसभा के लिए हुए छह चुनावों में तीन बार कांग्रेस और दो बार...

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल एक बार फिर इम्तिहान देने जा रहे हैं. बवाना विधानसभा सीट के लिए होने जा रहे उपचुनाव में केजरीवाल पूरे लाव लश्कर के साथ जुट गये हैं.

राजौरी गार्डन में आप उम्मीदवार की जमानत जब्त हो जाने और एमसीडी में भारी शिकस्त के बाद केजरीवाल बवाना में सियासत के सारे दांव आजमा रहे हैं. इसी का नतीजा है कि केजरीवाल बीजेपी को जोर का एक झटका दे चुके हैं.

झटके पे झटका

एमसीडी चुनावों के ऐन पहले बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को बवाना में बड़ा झटका दिया था. आम आदमी पार्टी के बवाना से विधायक वेद प्रकाश ने इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. वेद प्रकाश ने बीजेपी के गुग्गन सिंह को हरा कर ये सीट जीती थी. वेद प्रकाश को अपने पाले में लेकर बीजेपी ने सोचा आधी लड़ाई तो जीत ही ली.

राजौरी गार्डन उपचुनाव जीतने के साथ ही एमसीडी में फतह से बीजेपी हौसले पहले से ही बुलंद हैं. उधर, केजरीवाल ने भी बवाना को प्रतिष्ठा की लड़ाई बना ली - और आप नेताओं के साथ मिशन में जुट गये. सबसे पहले तो केजरीवाल बीजेपी से उसी के अंदाज में बदला लेना चाहते थे. जल्द ही उन्हें कामयाबी भी मिल गयी.

आप के लिए बदलापुर बना बवाना...

गुग्गन सिंह ने बीजेपी छोड़ आप का दामन थाम लिया. गुग्गन 2008 में विधायक चुने गये थे लेकिन 2013 में आप उम्मीदवार ने बाजी मार ली. आप ने रामचंद्र को पहले ही अपने उम्मीदवार के रूप में घोषणा कर रखी है. गुग्गन का कहना है कि उन्हें पद की लालसा नहीं बल्कि वो बवाना का विकास चाहते हैं. वैसे माना जा रहा है कि आप अपने उम्मीदवार पर पुनर्विचार कर सकती है - मुमकिन है गुग्गन को टिकट मिल जाये.

मैदान-ए-बवाना

1993 से अब तक दिल्ली विधानसभा के लिए हुए छह चुनावों में तीन बार कांग्रेस और दो बार बीजेपी को जीत हासिल हुई, आप को यहां पहली बार कामयाबी मिली थी. कांग्रेस ने पूर्व विधायक सुरेंद्र कुमार को टिकट दिया है.

उपचुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने चुनाव प्रचार के लिए कई मॉडल तैयार किये हैं. आप का कहना है कि छोटी-छोटी जनसभाएं तो कहीं न कहीं चल ही रही हैं, 50 हजार घरों में डोर-टू-डोर कैंपन पूरा हो चुका है.

आप ने विधायकों के इलाके में पदयात्रा का कार्यक्रम तैयार किया है जो लोगों के बीच पहुंचकर दिल्ली सरकार के अब तक के कामकाज के बारे में बताएंगे. बवाना में हुए कामों को लेकर आम आदमी पार्टी वेद प्रकाश को ही टारगेट कर रही है. आप का कहना है कि बवाना में तमाम परियोजनाओं के लिए 207 करोड़ रुपये का बजट था लेकिन विधायक रहते वेद प्रकाश ने इसे खर्च नहीं किया. वेद प्रकाश को इस आधार पर भी आप नेता घेरने की कोशिश करेंगे.

बवाना इलाके में 26 गांव हैं और हर गांव के लिए आप की ओर से आम लोगों की कमेटी बनाई जा रही है. बताते हैं कि इन कमेटियों की सिफारिशें विधायक के जरिये ग्रामीण विकास बोर्ड को भेजी जाएंगी. बोर्ड ने हर गांव के लिए दो-दो करोड़ का बजट निर्धारित किया हुआ है. ऐसे कई तरीकों से आप बवाना के लोगों को अपने बचे कार्यकाल में विकास का रोड मैप भी बता रही है. बवाना में पौने चार लाख से ज्यादा वोटर हैं जिनमें करीब सवा लाख तो गांवों में ही रहते हैं.

जो सवाल राजौरी गार्डन में बीजेपी आप से पूछ रही थी, पार्टी के दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय अब बीजेपी से उसी सवाल का बवाना में जवाब मांग रहे हैं. गोपाल राय का कहना है कि अब बीजेपी जवाब दे कि जिस विधायक को जनता ने पांच साल के लिए चुना था, वो इस्तीफा देकर फिर से चुनाव मैदान में कैसे उतर रहा है.

गौर से देखें तो बिहार और बवाना में ज्यादा फर्क नहीं है. जिस तरह नीतीश कुमार ने आरजेडी का साथ छोड़ बीजेपी के सपोर्ट से सरकार बना ली, उसी तरह वेद प्रकाश आप से इस्तीफा देकर बीजेपी के टिकट पर फिर से विधायक बनने की तैयारी में हैं. जिस तरह आरजेडी नीतीश को निशाना बना रही है उसी तर्ज पर आप भी बीजेपी उम्मीदवार को कठघरे में खड़ा कर पांच साल वाला सवाल पूछ रही है. बिहार में तो थोड़ी देर से बवाना के लोगों को इसी महीने की 23 तारीख को अपना फैसला सुना देना है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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