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केजरीवाल का बड़ा दुश्मन कौन है - मोदी-शाह या फिर राहुल गांधी?

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 20 फरवरी, 2022 04:29 PM
  • 20 फरवरी, 2022 04:29 PM
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अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) कांग्रेस की दो सरकारों का जोरदार विरोध करके राजनीति में आये और मुख्यमंत्री भी बन गये, लेकिन आगे बढ़ने पर मोदी-शाह (Modi & Shah) ने ब्रेक लगा रखा है - क्या अब भी वो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को ही बड़ा दुश्मन मानते हैं?

ये तो पंजाब विधानसभा का चुनाव है जो अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) एक साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के निशाने पर हैं, लेकिन सवाल ये भी है कि आम आदमी पार्टी नेता अपना सबसे बड़ा दुश्मन किसे मानते हैं - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह (Modi & Shah) को या फिर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को?

बड़े दिनों बाद प्रधानमंत्री मोदी के लिए केजरीवाल के मुंह से 'झूठा' सुनने को मिला था, जब कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में देखी गयी बदइंतजामियों के लिए वो टारगेट किये गये, लेकिन शायद ही कभी राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के लिए 'कायर' या 'मनोरोगी' जैसे शब्द केजरीवाल ने किया हो.

कहने को तो मुख्यमंत्री बनने से पहले अरविंद केजरीवाल जनता की तरफ से चुन कर भेजे गये प्रतिनिधियों के लिए भी कह चुके हैं कि संसद के अंदर 'डकैत', 'हत्यारे' और 'बलात्कारी' बैठे हुए हैं - और ये तभी की बात है जब देश में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी.

कुमार विश्वास के आरोपों पर राहुल गांधी तो केजरीवाल से हां या ना में सवाल पूछ ही रहे हैं, पंजाब चुनाव में कांग्रेस के कैंपेन के दौरान पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने भी अभी अभी कहा है कि 'हमारी सरकारों के खिलाफ आंदोलन किया' - और केजरीवाल को भी प्रधानमंत्री मोदी की ही तरह RSS से आया हुआ बताया है.

कुमार विश्वास के बयानों की मिसाल देते हुए ही प्रधानमंत्री मोदी ने भी अरविंद केजरीवाल को फिर से खरी खोटी सुनायी है - और पंजाब में राहुल गांधी की ही तरह खालिस्तानियों से संबंध होने का शक जाहिर...

ये तो पंजाब विधानसभा का चुनाव है जो अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) एक साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के निशाने पर हैं, लेकिन सवाल ये भी है कि आम आदमी पार्टी नेता अपना सबसे बड़ा दुश्मन किसे मानते हैं - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह (Modi & Shah) को या फिर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को?

बड़े दिनों बाद प्रधानमंत्री मोदी के लिए केजरीवाल के मुंह से 'झूठा' सुनने को मिला था, जब कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में देखी गयी बदइंतजामियों के लिए वो टारगेट किये गये, लेकिन शायद ही कभी राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के लिए 'कायर' या 'मनोरोगी' जैसे शब्द केजरीवाल ने किया हो.

कहने को तो मुख्यमंत्री बनने से पहले अरविंद केजरीवाल जनता की तरफ से चुन कर भेजे गये प्रतिनिधियों के लिए भी कह चुके हैं कि संसद के अंदर 'डकैत', 'हत्यारे' और 'बलात्कारी' बैठे हुए हैं - और ये तभी की बात है जब देश में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी.

कुमार विश्वास के आरोपों पर राहुल गांधी तो केजरीवाल से हां या ना में सवाल पूछ ही रहे हैं, पंजाब चुनाव में कांग्रेस के कैंपेन के दौरान पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने भी अभी अभी कहा है कि 'हमारी सरकारों के खिलाफ आंदोलन किया' - और केजरीवाल को भी प्रधानमंत्री मोदी की ही तरह RSS से आया हुआ बताया है.

कुमार विश्वास के बयानों की मिसाल देते हुए ही प्रधानमंत्री मोदी ने भी अरविंद केजरीवाल को फिर से खरी खोटी सुनायी है - और पंजाब में राहुल गांधी की ही तरह खालिस्तानियों से संबंध होने का शक जाहिर किया है - और अब तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के एक्शन लेने को लेकर प्रधानमंत्री से की गयी अपील पर आश्वासन भी दे दिया है.

वैसे अरविंद केजरीवाल ने तो एक अफसर के हवाले से यहां तक बोल दिया है कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर NIA की तरफ से जांच शुरू की जा सकती है - मुद्दे का सबसे दिलचस्प पहलू ये है कि चुनावी माहौल को देखते हुए अरविंद केजरीवाल में भी रॉबर्ट वाड्रा का अक्स नजर आने लगा है. 2019 के आम चुनाव के वक्त ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है.

मुमकिन है, पंजाब में वोटिंग के बाद अरविंद केजरीवाल भी रॉबर्ट वाड्रा की तरह थोड़े सुकून की जिंदगी जीने लगें - कम से कम अभी जो कुछ केजरीवाल के खिलाफ हो रहा है उसे लेकर तो ऐसा ही अनुमान है.

चन्नी की चिट्ठी पर शाह का आश्वासन

पंजाब में चुनाव आयोग की तरफ से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर एफआईआर दर्ज करायी गयी है. अकाली दल की तरफ से चुनाव आयोग से की गयी शिकायत में आरोप लगाया गया था कि अरविंद केजरीवाल दूसरे राजनीतिक दलों के खिलाफ बिना किसी आधार के झूठे आरोप लगा रहे हैं.

अरविंद केजरीवाल को भी कहीं मायावती और नीतीश कुमार की राह चलते तो नहीं देखा जाने लगा है?

अकाली दल को आपत्ति आप की तरफ से जारी वीडियो को लेकर रही जिसमें राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाया जा रहा है - और, अकाली दल का मानना है कि वीडियो की वजह से लोगों में गलत संदेश जा रहा है.

गौर करने वाली बात, इस बीच, ये भी है कि पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी का जवाब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से कार्रवाई के आश्वासन के साथ मिल गया है - देखा जाये तो इस मामले में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ देश की सुरक्षा के नाम पर बीजेपी और कांग्रेस की सरकार ने हाथ मिला लिया है, जबकि राष्ट्रवाद की राजनीति में दोनों एक दूसरे के मुकाबले आमने सामने देखे जाते रहे हैं.

केजरीवाल के खिलाफ कुमार विश्वास के आरोपों की जांच होगी: पंजाब में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार चरणजीत सिंह चन्नी ने प्रधानमंत्री मोदी से बतौर पंजाब के मुख्यमंत्री अनुरोध किया था कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ, राजनीति से ऊपर उठ कर, कुमार विश्वास के आरोपों की निष्पक्ष जांच करायी जाये. चूंकि पंजाब के लोगों ने अलगाववाद से लड़ते हुए भारी कीमत चुकाई है, लिहाजा प्रधानमंत्री को हर पंजाबी की चिंता दूर करने की जरूरत है.  

चन्नी के पत्र के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री चन्नी को लिखा है, 'एक राजनीतिक पार्टी का देश विरोधी, अलगाववादी और प्रतिबंधित संस्था से संपर्क रखना और चुनाव में सहयोग प्राप्त करना देश की अखंडता के दृष्टिकोण से अत्यंत गंभीर है... इस प्रकार के तत्वों का एजेंडा देश के दुश्मनों के एजेंडे से अलग नहीं है... ये अत्यंत निंदनीय है कि सत्ता पाने के लिए ऐसे लोग अलगाववादियों से हाथ मिलाने से लेकर पंजाब और देश को तोड़ने की सीमा तक जा सकते हैं.'

अमित शाह आगे लिखते हैं, 'मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि देश की एकता और अखंडता से खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी... भारत सरकार ने इसे अत्यंत गंभीरता से लिया है - और मैं स्वयं इस मामले को गहराई से दिखावाऊंगा.'

समझने वाली बात ये है कि ये सब कोई चुनावी रैलियों की जुमलेबाजी का हिस्सा नहीं, सब कुछ ऑन रिकॉर्ड हो रहा है. एक मुख्यमंत्री के खिलाफ एक अन्य मुख्यमंत्री के खिलाफ प्रधानमंत्री से उसकी देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों की जांच का अनुरोध किया है - और देश के गृह मंत्री ने आश्वस्त किया है कि सरकार ने शिकायत को गंभीरता से लिया है - और वो खुद गहराई तक इसकी जांच कराएंगे.

और सवाल ये है कि ये जांच पड़ताल पंजाब में वोटिंग खत्म हो जाने के बाद धीमा तो नहीं पड़ जाएगी? सवाल ये भी है कि जांच पड़ताल का ये दौर 10 मार्च के बाद भी यूं ही चलता रहेगा क्या जब चुनाव नतीजे आ जाएंगे और पंजाब में कांग्रेस की ही नयी सरकार या आम आदमी पार्टी की सरकार या फिर कोई खिचड़ी सरकार की स्थितियां बनेंगी?

कहीं ऐसा तो नहीं होगा कि आगे से जब जब चुनावी माहौल बनेगा और मुकाबले में अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी मजबूती से मौजूदगी दर्ज कराएगी तो ये मामला नये सिरे से जोर पकड़ेगा - क्योंकि अब तो कुमार विश्वास को भी एक तरीके से मैंडेट मिल ही गया है, आखिर ऐसे माहौल में कवि सम्मेलनों में आने जाने के लिए उनको Y कैटेगरी की सुविधा तो नहीं ही दी गयी है?

केजरीवाल की पॉलिटिक्स में ठहराव ज्यादा है या भटकाव?

1. आखिर अरविंद केजरीवाल एक ही दिशा में आंख मूंद एक ही दिशा में बढ़े चले जा रहे हैं या फिर दायें बायें देख कर चल रहे हैं. अभी तक अरविंद केजरीवाल कांग्रेस को ही जितना भी हो सका है, डैमेज कर पाये हैं - और उसी लाइन पर आगे बढ़ते हुए दिल्ली की तरह पंजाब में भी रिप्लेस करने की कोशिश कर रहे है - दिल्ली के अलावा बीजेपी से भिड़ने के लिए 'खूंटा गाड़' कर बैठ क्यों नहीं पाते?

2. अरविंद केजरीवाल के ट्विटर प्रोफाइल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्लोगन 'सबका साथ...' ही छाप देखी जा सकती है - 'सब इंसान बराबर हैं' - और अब तो 'जय श्रीराम' भी बोलने लगे हैं, लेकिन स्पष्ट दूरी बना कर चलते हैं जैसे बीजेपी कोई पावर ब्रेक हो.

3. केजरीवाल ने कांग्रेस की दो सरकारों के खिलाफ एक साथ आंदोलन किया - मनमोहन सिंह की केंद्र सरकार और शीला दीक्षित की दिल्ली सरकार. फिर कांग्रेस की ही मदद से पहली बार सरकार भी बनायी और खुद मुख्यमंत्री. आम चुनाव में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन की बात कर रहे थे, लेकिन ऐसा कभी बीजेपी के साथ नहीं किया.

क्या बीजेपी के साथ दिखावे का विरोध है, जबकि केजरीवाल भी तो अब हिंदुत्व की राजनीतिक राह पकड़ ही चुके हैं - या फिर इसलिए क्योंकि बीजेपी केजरीवाल को भाव नहीं देती?

प्रधानमंत्री मोदी एक बार केजरीवाल को छोटे शहर के मामूली नेता जैसा बता चुके हैं. मुख्मत्रियों के सम्मेलन में लाइव करने को लेकर संजीदगी के साथ डांट पिलाते हुए सॉरी भी बोलवा चुके हैं - ऐसी बातों को लेकर क्या केजरीवाल के मन में कोई दहशत भी होगी?

4. कोरोना की दूसरी लहर में केजरीवाल ने तो जैसे केंद्र सरकार के आगे सरेंडर ही कर दिया था - खुलेआम स्वीकार भी कर रहे थे कि अमित शाह से काफी कुछ सीखने को मिला है - सुनने में ऐसा लग रहा था कि कह रहे हैं, 'जैसे हाथ पकड़ कर सिखाया हो.'

5. मोदी-शाह और राहुल गांधी से इतर केजरीवाल को ममता बनर्जी भी दुश्मन जैसी लगने लगी हैं. विपक्ष को एकजुट करने की ममता की कोशिशों को लेकर कहते हैं, 'मेरी कोई बात नहीं हुई' - और गोवा में कहते हैं, 'तृणमूल कांग्रेस को यहां पूछता कौन है?'

मुद्दे की बात तो ये है कि अरविंद केजरीवाल अगर वक्त रहते नहीं चेते तो मायावती और नीतीश कुमार की तरह ही सब कुछ होते हुए भी बीजेपी के पिछलग्गू बन कर रह जाएंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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