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केजरीवाल बोल रहे हैं कि जेब खाली है, लेकिन इन आंकड़ों का क्या?

    • कुमार शक्ति शेखर
    • Updated: 26 अगस्त, 2016 01:15 PM
  • 26 अगस्त, 2016 01:15 PM
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चुनाव आयोग के इन आंकड़ों के देखकर साफ है कि आखिर क्यों आम आदमी पार्टी के प्रमुख विरोधी दल कांग्रेस और बीजेपी उसपर भरोसा करने से मना करते हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर एक नया तमगा लगने का खतरा बढ़ गया है. वह एक ऐसे नेता हैं जो बढ़चढ़ कर दावे करते हैं लेकिन उनके दावों में सच्चाई कम रहती है. गोवा में ताजा ताजा उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में डेढ़ साल सरकार चलाने के बाद भी उनकी आम आदमी पार्टी के पास चुनाव लड़ने के लिए पैसा नहीं हैं.

दक्षिण गोवा में पार्टी के दलित और जनजातीय सदस्यों को संबोधित करते हुए पार्टी के संचालक ने कहा, “यह आश्चर्यजनक है लेकिन सच्चाई है कि दिल्ली में डेढ़ साल तक सरकार चलाने के बावजूद आम आदमी पार्टी के पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं है. मैं आपको अपना बैंक खाता दिखा सकता हूं और यहां तक की पार्टी के पास भी पैसे नहीं है.”

अपने दावे को विस्तार से बताते हुए केजरीवाल ने कहा कि जब पार्टी ने दिल्ली का चुनाव लड़ा तब आम आदमी उनकी तरफ से चुनाव लड़ रहा था. केजरीवाल ने लोगों से अपील की कि ऐसा ही उन्हें गोवा में उम्मीद है जहां आम आदमी चुनाव लड़ेगा क्योंकि उनकी पार्टी एक ऐसा मंच है जिससे एक आम आदमी अपने सुनहरे भविष्य के लिए लड़ता है.

बहरहाल, वास्तविक आंकड़े केजरीवाल के दावों से एकदम उलट हैं. चुनाव आयोग की मानें तो चंदा लेने के मामले में आम आदमी पार्टी देश की चौथी सबसे बड़ी पोलिटिकल पार्टी है. वित्त वर्ष 2015-16 में आम आदमी पार्टी को कुल 37.45 करोड़ रुपये का चंदा मिला था.

देश में महज तीन पोलिटिकल पार्टी ऐसी हैं - सभी की सभी नैशनल पार्टी – जिन्हें इस दौरान आम आदमी पार्टी से ज्यादा चंदा मिला है. भारतीय जनता पार्टी 437.35 करोड़ रुपए के चंदे के साथ सबसे ऊपर है. दूसरे नंबर पर 141.55 करोड़ रुपये के चंदे के साथ कांग्रेस पार्टी है और तीसरे नंबर पर 38.82 करोड़ रुपये चंदे के साथ शरद पवार की एनसीपी है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर एक नया तमगा लगने का खतरा बढ़ गया है. वह एक ऐसे नेता हैं जो बढ़चढ़ कर दावे करते हैं लेकिन उनके दावों में सच्चाई कम रहती है. गोवा में ताजा ताजा उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में डेढ़ साल सरकार चलाने के बाद भी उनकी आम आदमी पार्टी के पास चुनाव लड़ने के लिए पैसा नहीं हैं.

दक्षिण गोवा में पार्टी के दलित और जनजातीय सदस्यों को संबोधित करते हुए पार्टी के संचालक ने कहा, “यह आश्चर्यजनक है लेकिन सच्चाई है कि दिल्ली में डेढ़ साल तक सरकार चलाने के बावजूद आम आदमी पार्टी के पास चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं है. मैं आपको अपना बैंक खाता दिखा सकता हूं और यहां तक की पार्टी के पास भी पैसे नहीं है.”

अपने दावे को विस्तार से बताते हुए केजरीवाल ने कहा कि जब पार्टी ने दिल्ली का चुनाव लड़ा तब आम आदमी उनकी तरफ से चुनाव लड़ रहा था. केजरीवाल ने लोगों से अपील की कि ऐसा ही उन्हें गोवा में उम्मीद है जहां आम आदमी चुनाव लड़ेगा क्योंकि उनकी पार्टी एक ऐसा मंच है जिससे एक आम आदमी अपने सुनहरे भविष्य के लिए लड़ता है.

बहरहाल, वास्तविक आंकड़े केजरीवाल के दावों से एकदम उलट हैं. चुनाव आयोग की मानें तो चंदा लेने के मामले में आम आदमी पार्टी देश की चौथी सबसे बड़ी पोलिटिकल पार्टी है. वित्त वर्ष 2015-16 में आम आदमी पार्टी को कुल 37.45 करोड़ रुपये का चंदा मिला था.

देश में महज तीन पोलिटिकल पार्टी ऐसी हैं - सभी की सभी नैशनल पार्टी – जिन्हें इस दौरान आम आदमी पार्टी से ज्यादा चंदा मिला है. भारतीय जनता पार्टी 437.35 करोड़ रुपए के चंदे के साथ सबसे ऊपर है. दूसरे नंबर पर 141.55 करोड़ रुपये के चंदे के साथ कांग्रेस पार्टी है और तीसरे नंबर पर 38.82 करोड़ रुपये चंदे के साथ शरद पवार की एनसीपी है.

अरविंद केजरीवाल

इसके साथ ही आम आदमी पार्टी चंदे के मामले में सभी क्षेत्रीय पार्टियों में अव्वल है. इसमें वह क्षेत्रीय पार्टियां भी शामिल हैं जिनकी किसी न किसी राज्य में सरकार है. उदाहरण के लिए, देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी को इस दौरान (वित्त वर्ष 2015-16) मात्र 19.50 करोड़ रुपये चंदा मिला. ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजेडी को 21.80 करोड़ रुपये, पंजाब में शिरोमणि अकाली दल को 3.01 करोड़ रुपये. तेलंगाना में टीआरएस को 8.69 करोड़ रुपये, आध्र प्रदेश में तेलगू देशम पार्टी को 7.57 करोड़ रुपये, पश्चिम बंगाल में टीएमसी को 8.32 करोड़ रुपये और महाराष्ट्र में बीजेपी के सहयोगी दल शिवसेना को 25.58 करोड़ रुपये बतौर चंदा मिला.

चुनाव आयोग के इन आंकड़ों को देखकर साफ है कि आखिर क्यों आम आदमी पार्टी के प्रमुख विरोधी दल कांग्रेस और बीजेपी उसपर भरोसा करने से मना करते हैं. कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तेवारी ने इंडिया टुड़े डिजिटल से बातचीत में कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री का यह बयान सिर्फ उनके पाखंड को दर्शाता है. ‘उनका यह बयान सिर्फ यह साबित करता है कि आम आदमी पार्टी कितना बड़ा पाखंड है. आजतक इन लोगों ने इंडिया अगेन्स्ट करप्शन के बैनर तले एकत्रित किए गए फंड का खुलासा नहीं किया है’.

पूर्व केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री ने कहा कि केजरीवाल के किसी भी बयान का तब तक कोई औचित्य नहीं है जब तक वह इंडिया अगेन्स्ट करप्शन के चंदे का खुलासा नहीं करते. आगे जोर देते हुए तेवारी ने कहा, ‘तब तक पार्टी के फाइनेंस की उनकी किसी कहानी को सही नहीं माना जा सकता है’.

केजरीवाल पर बीजेपी ने ज्यादा तीखे प्रहार किए. बीजेपी नेता विजय जॉली ने कहा, ‘केजरीवाल हमेशा झूठे साबित हुए हैं. उन्होंने जो कुछ कहा है (गोवा में) वह सिर्फ ज्यादा से ज्याद फंड एकत्रित करने के मकसद से है जिससे चुनावों में वह मनमुताबिक खर्च कर सकें. उनका रुझान ज्यादा से ज्यादा फंड बटोरने पर रहता है. दिल्ली में उन्होंने करोड़ों रुपये बटोरे. लेकिन दिल्ली के लिए उन्होंने क्या किया?’

जॉली ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनपर भरोसा नहीं किया जा सकता और अब जनता के बीच उनकी साख पर धब्बा लग चुका है. वह प्रत्येक चुनाव के पहले बड़ी मात्रा में फंड बटोरते हैं और फिर दावा करते हैं कि उनके पास पैसे नहीं हैं. जॉली ने भी केजरीवाल पर अन्ना हजारे समर्थित आईएसी के फंड का खुलासा न करने का आरोप लगाया. ‘उनकी धोखाधड़ी सबके सामने है. लोगों में अब उनके झूठे दावों से उत्साह नहीं उठता.’ अब जब सभी विरोधी दल एकजुट होकर केजरीवाल पर हमला कर रहे हैं तो जाहिर है गोवा चुनावों में वोटरों को अपने पक्ष में करने में उन्हें मुश्किल का सामना करना पड़ेगा. उनकी मुश्किल फंड की कमी के उनके दावों से और बढ़ जाएगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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