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क्या कपिल सिब्बल ने कांग्रेस को गुजरात चुनाव से बाहर करवा दिया है ?

    • शुभम गुप्ता
    • Updated: 07 दिसम्बर, 2017 05:39 PM
  • 07 दिसम्बर, 2017 05:39 PM
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गुजरात विधानसभा चुनाव में पहले चरण के मतदान में अब सिर्फ दो दिन का वक्त बचा है. पहले चरण के लिए 89 सीटों पर 9 दिसंबर को वोटिंग होनी है. अब हर कोई प्रचार प्रसार में अपनी जान लगा देगा.

एक बार फिर से देश में राम मंदिर का मुद्दा ज़ोरो शोरो से चल रहा है. बीजेपी के नेता अब खुलकर बोल रहे हैं कि मंदिर तो वहीं बनेगा. एक वक्त था जब बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा दलील देते थे कि ये मुद्दा कोर्ट में चल रहा है. इसका फैसला कोर्ट करेगा. लेकिन अब वो खुलेआम कह रहे हैं कि मंदिर तो वहीं बनेगा, चाहे जो हो जाये. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि ये फैसला तो कोर्ट का भी नहीं है. वो तो देश में संविधान है, इसलिए कोर्ट को इसे तय करने के लिए कहा गया है. वरना मंदिर तो हज़ारों साल पुराना है.

ये भाषा इसलिए भी बोली जा रही है की गुजरात चुनाव सामने है. 2 दिन के बाद वोटिंग है. अब ऐसे में कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि राम मंदिर पर फैसला 2019 तक टाला जाये. क्योंकि राम मंदिर बीजेपी के एजेंडे में है. और बीजेपी को इसका चुनावी फायदा होगा. सिब्बल साहब आप 2019 की सोच रहे थे. मगर काश आप आने वाले 19 दिन की सोच लेते. गुजरात में राहुल गांधी की सारी मेहनत पर आपने पानी फेर दिया.

राहुल गांधी न जानें कितने मंदिर गए... जानें कितनी आरतियां की... यहां तक की जनेऊ भी धारण कर लिया. और आपने एक...

एक बार फिर से देश में राम मंदिर का मुद्दा ज़ोरो शोरो से चल रहा है. बीजेपी के नेता अब खुलकर बोल रहे हैं कि मंदिर तो वहीं बनेगा. एक वक्त था जब बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा दलील देते थे कि ये मुद्दा कोर्ट में चल रहा है. इसका फैसला कोर्ट करेगा. लेकिन अब वो खुलेआम कह रहे हैं कि मंदिर तो वहीं बनेगा, चाहे जो हो जाये. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि ये फैसला तो कोर्ट का भी नहीं है. वो तो देश में संविधान है, इसलिए कोर्ट को इसे तय करने के लिए कहा गया है. वरना मंदिर तो हज़ारों साल पुराना है.

ये भाषा इसलिए भी बोली जा रही है की गुजरात चुनाव सामने है. 2 दिन के बाद वोटिंग है. अब ऐसे में कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि राम मंदिर पर फैसला 2019 तक टाला जाये. क्योंकि राम मंदिर बीजेपी के एजेंडे में है. और बीजेपी को इसका चुनावी फायदा होगा. सिब्बल साहब आप 2019 की सोच रहे थे. मगर काश आप आने वाले 19 दिन की सोच लेते. गुजरात में राहुल गांधी की सारी मेहनत पर आपने पानी फेर दिया.

राहुल गांधी न जानें कितने मंदिर गए... जानें कितनी आरतियां की... यहां तक की जनेऊ भी धारण कर लिया. और आपने एक झटके में उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया. दरअसल इस बार का गुजरात चुनाव हिंदुत्व के मुद्दे से अलग हट कर हो रहा है.

कपिल सिब्बल साहब ये क्या किया!

पहला मुद्दा- गुजरात का विकास :

विकास पागल हो गया है... विकास दिखाई नहीं देता. राहुल गांधी ने कुछ इस तरह के बयान देकर गुजरात में कांग्रेस को मजबुत किया.

दूसरा मुद्दा- आरक्षण :

हार्दिक पटेल ने आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस को मजबूत किया. लगभग 2 साल से हार्दिक इस मुद्दे पर पाटीदार समुदाय को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं.

तीसरा मुद्दा- GST :

इस बिल को लेकर भी गुजरात में काफी विरोध प्रदर्शन हुए. व्यापारियों ने कमल का फूल, हमारी भूल तक कह डाला.

मगर अब लगता है कि ये तीनों ही मुद्दे कपिल सिब्बल की सिर्फ एक दलील ने ख़त्म कर दिए. बीजेपी एक बार फिर से सारे मुद्दों पर हिंदुत्व का मुद्दा हावी करने में कामयाब हुई. वैसे बीजेपी का काम कपिल सिब्बल ने पूरी तरह से आसान कर दिया. कांग्रेस का कहना है कि सिब्बल एक वकील के तौर पर लड़ रहे हैं. मगर कांग्रेस ये क्यों भूल जाती है कि वो उनके नेता भी हैं. सिब्बल सोच रहे थे कि बीजेपी को लोकसभा चुनाव में इससे फायदा होगा. मगर यहां तो स्थिति साफ़ हो गयी कि गुजरात चुनाव पर राम मंदिर का शत प्रतिशत असर पड़ेगा.

गुजरात विधानसभा चुनाव में पहले चरण के मतदान में अब सिर्फ दो दिन का वक्त बचा है. पहले चरण के लिए 89 सीटों पर 9 दिसंबर को वोटिंग होनी है. अब हर कोई प्रचार प्रसार में अपनी जान लगा देगा. ऐसे में बीजेपी ये बताने में कामयाब होगी कि हम तो मंदिर बनाना चाहते हैं, मगर कांग्रेस नहीं बनने दे रही है. वो कहती है कि राम मंदिर बन गया तो वो चुनाव हार जायेंगे. वाकई में सिब्बल की इस दलील ने बीजेपी के रास्ते खोल दिए हैं. कांग्रेस गुजरात में 22 सालों बाद अपनी सरकार आने के सपने देखने लगी थी. राहुल गांधी की रैलियों में भी खूब लोग आये. प्रधानमंत्री मोदी ने ताबड़तोड़ 30  रैलियां कर डाली. फिर भी बीजेपी के अंदर एक डर का माहौल था. बीजेपी अब एक बार फिर से राम के सहारे है. अब देखते हैं राम किसकी नइयां पार लगाते हैं- कांग्रेस की या फिर बीजेपी की.

जय श्री राम.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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