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Madhya Pradesh crisis: कमलनाथ की कुर्सी और दिग्विजय सिंह का सबकुछ दांव पर

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 18 मार्च, 2020 10:07 PM
  • 18 मार्च, 2020 10:07 PM
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कोरोना (Corona Threat) के बहाने फ्लोर टेस्ट टालने के बाद कमलनाथ और दिग्विजय सिंह (Kamal Nath and Digvijay Singh) कांग्रेस के बागी विधायकों (Rebel Congress MLA) से मिलने के लिए सड़क से लेकर अदालत तक जूझ रहे हैं - लेकिन विधायकों का कहना है कि वो किसी से मिलना ही नहीं चाहते.

मध्य प्रदेश में जारी नूरा कुश्ती पुराने दांवों के सहारे ही आगे बढ़ रही है - कुछ एक्स्ट्रा अगर है तो वो है मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath and Digvijay Singh) का कोरोना (Corona Threat) तड़का. खास बात ये है कि कोरोना का खतरा भी हर जगह नहीं बल्कि उसी जगह बताया जा रहा है जहां जहां कांग्रेस सरकार के लिए खतरा नजर आ रहा है - और ये खतरा भी 26 मार्च तक ही है!

सबसे दिलचस्प बात तो ये रही कि सुप्रीम कोर्ट में भी कांग्रेस के वकील की दलील में कोरोना का जिक्र सुनने को मिला. सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों की तरफ से बहस तो जोरदार हुई - लेकिन फिर सुनवाई 24 घंटे के लिए टाल दी गयी.

दिल्ली में कानूनी लड़ाई और भोपाल में जारी जोड़-तोड़ के बीच दिग्विजय सिंह कांग्रेस के एक जत्थे के साथ बागी विधायकों से मिलने कर्नाटक ही पहुंच गये. मिलना तो दूर बागी विधायक (Rebel Congress MLA) तो दिग्विजय सिंह को ही सारी फसाद की जड़ बताने लगे हैं.

कोरोना-कोरोना वहीं जहां खतरा नजर आये

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए फ्लोर टेस्ट में तो कोरोना का खतरा है, लेकिन कैबिनेट मीटिंग में कोई चिंता वाली बात नहीं है. तीन दिन के भीतर कैबिनेट की दो बार मीटिंग हो चुकी है.

कांग्रेस के वकील को सुप्रीम कोर्ट के भीतर कोरोना वायरस का खतरा तो नजर आ रहा है, लेकिन बेंगलुरू पहुंच कर दिग्विजय सिंह को धरना देने में किसी तरह के खतरे वाली बात नहीं लगती - आखिर ये कौन सा खतरा है जो सिर्फ चुने हुए मामलों में ही है, हर जगह नहीं.

1. सुप्रीम कोर्ट में कोरोना का डर क्यों? कांग्रेस के वकील दुष्यंद दवे ने एतराज जताया कि वो 45 मिनट इंतजार कर चुके हैं और कोरोना के खतरे को देखते हुए ऐसे कोर्ट में बैठे रहना सुरक्षित नहीं है.

2. विधानसभा 26 मार्च तक स्थगित क्यों? देश के कई हिस्सों में स्कूल कॉलेज और दूसरे संस्थान 31 मार्च तक बंद किये गये हैं, लेकिन कोरोना के नाम पर मध्य प्रदेश के स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक...

मध्य प्रदेश में जारी नूरा कुश्ती पुराने दांवों के सहारे ही आगे बढ़ रही है - कुछ एक्स्ट्रा अगर है तो वो है मुख्यमंत्री कमलनाथ (Kamal Nath and Digvijay Singh) का कोरोना (Corona Threat) तड़का. खास बात ये है कि कोरोना का खतरा भी हर जगह नहीं बल्कि उसी जगह बताया जा रहा है जहां जहां कांग्रेस सरकार के लिए खतरा नजर आ रहा है - और ये खतरा भी 26 मार्च तक ही है!

सबसे दिलचस्प बात तो ये रही कि सुप्रीम कोर्ट में भी कांग्रेस के वकील की दलील में कोरोना का जिक्र सुनने को मिला. सुप्रीम कोर्ट में दोनों पक्षों की तरफ से बहस तो जोरदार हुई - लेकिन फिर सुनवाई 24 घंटे के लिए टाल दी गयी.

दिल्ली में कानूनी लड़ाई और भोपाल में जारी जोड़-तोड़ के बीच दिग्विजय सिंह कांग्रेस के एक जत्थे के साथ बागी विधायकों से मिलने कर्नाटक ही पहुंच गये. मिलना तो दूर बागी विधायक (Rebel Congress MLA) तो दिग्विजय सिंह को ही सारी फसाद की जड़ बताने लगे हैं.

कोरोना-कोरोना वहीं जहां खतरा नजर आये

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए फ्लोर टेस्ट में तो कोरोना का खतरा है, लेकिन कैबिनेट मीटिंग में कोई चिंता वाली बात नहीं है. तीन दिन के भीतर कैबिनेट की दो बार मीटिंग हो चुकी है.

कांग्रेस के वकील को सुप्रीम कोर्ट के भीतर कोरोना वायरस का खतरा तो नजर आ रहा है, लेकिन बेंगलुरू पहुंच कर दिग्विजय सिंह को धरना देने में किसी तरह के खतरे वाली बात नहीं लगती - आखिर ये कौन सा खतरा है जो सिर्फ चुने हुए मामलों में ही है, हर जगह नहीं.

1. सुप्रीम कोर्ट में कोरोना का डर क्यों? कांग्रेस के वकील दुष्यंद दवे ने एतराज जताया कि वो 45 मिनट इंतजार कर चुके हैं और कोरोना के खतरे को देखते हुए ऐसे कोर्ट में बैठे रहना सुरक्षित नहीं है.

2. विधानसभा 26 मार्च तक स्थगित क्यों? देश के कई हिस्सों में स्कूल कॉलेज और दूसरे संस्थान 31 मार्च तक बंद किये गये हैं, लेकिन कोरोना के नाम पर मध्य प्रदेश के स्पीकर ने विधानसभा की कार्यवाही 26 मार्च तक स्थगित की है. 26 मार्च को राज्य सभा के चुनाव होने हैं अगर कोरोना के खतरे में मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट नहीं हो सकता तो चुनाव कैसे हो सकते हैं. वैसे मध्य प्रदेश सरकार ने संस्थानों को बंद करने वाले आदेश में भी इस बात का ध्यान रखा है कि कहीं सवाल न उठे. वहां 26 मार्च की तारीख तो नहीं दी गयी है, लेकिन तत्काल प्रभाव से लागू होने वाले आदेश को अगले आदेश तक के लिए प्रभावशील बताया गया है.

3. कैबिनेट बैठक में कोरोना का डर क्यों नहीं? कमलनाथ को फ्लोर टेस्ट के लिए तो कोरोना का खतरा है लेकिन कैबिनेट की बैठक लगातार हो रही है. तीन दिन के अंदर कैबिनेट की दूसरी बैठक हुई और धड़ाधड़ फैसले लिये गये. कैबिनेट की ताजा बैठक में मैहर, चाचौड़ा और नागदा को नया जिला बनाये जाने की मंजूरी दी गयी है. मध्य प्रदेश में इस तरह अब 55 जिले हो गये हैं. इससे पहले वाली बैठक में संवैधानिक पदों पर नियुक्तियां और कर्मचारियों के DA बढ़ाये जाने पर कैबिनेट की मुहर लगी थी.

4. दिग्विजय के धरने में कोरोना का डर क्यों नहीं? जयपुर से आने वाले विधायकों का कोरोना टेस्ट कराया गया था और बेंगलुरू वालों के लिए भी यही कहा गया. कोरोना के डर से ही फ्लोर टेस्ट टाल दिया गया है, लेकिन बेंगलुरू पहुंच कर दिग्विजय सिंह धरने पर बैठ जा रहे हैं और कोरोना का कोई डर नहीं लगता. सवाल है कि क्या बेंगलुरू से लौटने पर दिग्विजय सिंह के साथ भी कमलनाथ सरकार वैसे ही पेश आएगी जैसे कांग्रेस के बागी विधायकों को लेकर कह रही है?

बागियों की दिग्विजय से मुलाकात में दिलचस्पी नहीं

दिग्विजय सिंह भी बेंगलुरू उसी अंदाज में पहुंचे जैसे डीके शिवकुमार कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार पर आये संकट के वक्त मुंबई पहुंचे थे - और बीजेपी सरकार की पुलिस ने दिग्विजय सिंह के साथ भी वही सलूक किया जैसा डीके शिवकुमार के साथ मुंबई में हुआ था. जेल से छूटने और ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन कर लेने के बाद कर्नाटक कांग्रेस के ताजा ताजा अध्यक्ष बने डीके शिवकुमार भी दिग्विजय सिंह के साथ वैसे ही जमे रहे जैसे तब उनके साथ मिलिंद देवड़ा और कुछ साथी नेता मौजूदगी दर्ज कराते देखने को मिले थे.

दिग्विजय सिंह को भी डीके शिवकुमार की तरह ही पुलिस ने हिरासत में ले लिया था, लेकिन कांग्रेस के बागी विधायकों को दिग्विजय सिंह से कोई भी सहानुभूति नजर नहीं आयी. उलटे वे तो वीडियो मैसेज जारी कर दिग्विजय सिंह को ही कठघरे में खड़ा करने लगे. इस बीच भोपाल में मौजूद कांग्रेस विधायकों ने राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात कर 16 विधायकों को मुक्त कराने की मांग की. कांग्रेस विधायकों का आरोप है कि बीजेपी ने उनके 16 साथियों को बंधक बना रखा है. बीजेपी के पाले में हैं तो 22 विधायक लेकिन 6 के इस्तीफे स्पीकर ने स्वीकार कर लिया है.

भोपाल में समर्थक कांग्रेस विधायकों को राज्यपाल लालजी टंडन सै मिलने के लिए भेजना भी मुख्यमंत्री कमलनाथ की रणनीति का ही हिस्सा है

दिग्विजय सिंह ने दलील दी कि वो राज्य सभा प्रत्याशी हैं और अपने मतदाताओं से मिलना चाहते हैं. दिग्विजय की ये दलील तो दमदार रही, लेकिन कांग्रेस विधायकों ने ही उसे बेदम कर दिया.

कर्नाटक की धरती पर कदम रखते ही दिग्विजय सिंह बोले, 'पुलिस हमें विधायकों से मिलने नहीं दे रही है...मैं मध्य प्रदेश का राज्य सभा उम्मीदवार हूं... हमारे विधायकों को होटल में बंधक बनाकर रखा गया है... वे हमसे बात करना चाहते हैं, लेकिन उनके मोबाइल छीन लिए गये हैं.'

खुद को गांधीवादी बताते हुए दिग्विजय सिंह ने बताया कि वो विधायकों से मिल कर लौट जाएंगे, 'कुछ गुंडे अंदर हैं. विधायकों की जान को खतरा है... मेरे पास हाथ में न बम है, न पिस्तौल और न ही कोई हथियार है. फिर भी पुलिस मुझे क्यों रोक रही है?

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी दिग्विजय सिंह की तरफ से सवाल किया कि विधायकों से मिलने पर वो सुरक्षा के लिए खतरा कैसे हो सकते हैं? कमलनाथ ने पूछा कि क्या कर्नाटक पुलिस की मौजूदगी में भी वो सुरक्षा के लिए खतरा हैं? दिग्विजय सिंह की बात को आगे बढ़ाते हुए कमलनाथ ने भी उनके राज्य सभा उम्मीदवार होने की दुहाई दी. बेंगलुरू में कांग्रेस के बागी विधायकों से संपर्क की दिग्विजय सिंह की कोशिश पर बीजेपी की तरफ से सवाल उठाया गया कि इस्तीफा दे चुके विधायकों के वोट की जरूरत ही क्या जरूरत है?

दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ साथ गृह मंत्री अमित शाह को भी निशाना बनाया. दिग्विजय सिंह अब कर्नाटक में बागी विधायकों से मुलाकात की इजाजत मांगने के लिए कर्नाटक हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन उनकी याचिका खारिज हो गयी. अब अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी. वाह क्या तारीख मिली है - वही जो स्पीकर ने विधानसभा सत्र के लिए तय की है. दिग्विजय सिंह ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट और कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे और फिर से एक बार धरने पर बैठने को लेकर सोचेंगे. फिलहाल उन्होंने भूख हड़ताल पर रहने का फैसला किया है.

अभी दिग्विजय सिंह और कमलनाथ अपनी तरफ से विधायकों पर दावेदारी जता ही रहे थे कि बागियों के बयान मीडिया के जरिये सामने आने लगे. ज्योतिरादित्य सिंधिया की करीबी विधायक इमरती देवी ने कह दिया कि वो दिग्विजय सिंह की वजह से ही भागी हैं - और उस कांग्रेस में तो रहना ही नहीं जिसमें दिग्विजय सिंह हैं. इमरती देवी की ही तरह तुलसी सिलावट ने बोल दिया को वो अपनी मर्जी से बेंगलुरू में हैं - और पुलिस से अनुरोध कर डाला कि वो दिग्विजय सिंह से नहीं मिलना चाहते इसलिए सुरक्षा दी जाये.

सिर्फ एक विधायक मनोज चौधरी ने अपने वीडियो बयान में कुछ शर्तों के साथ दिग्विजय सिंह से मुलाकात के लिए खुद को तैयार बताया. ये मनोज चौधरी वही हैं जिनके पिता नारायण चौधरी को कमलनाथ ने अपने जीतू पटवारी के साथ मनाने के लिए कुछ दिन पहले भेजा था. मनोज चौधरी के पिता ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज करायी है. कांग्रेस के 22 बागी विधायकों की तरफ से कर्नाटक के डीजीपी को पत्र लिख कर कहा है कि किसी भी कांग्रेस नेता को उनसे मिलने की अनुमति न दी जाये.

सड़क से अदालत तक कवायद जारी है

फील्ड में जिस तरह कमलनाथ के साथ दिग्विजय सिंह, डीके शिवकुमार और हरीश रावत डटे रहे, वैसे ही सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे और स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी बचाव की हर संभव दलील पेश करते रहे. शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ सुनवाई कर रही थी और मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन की तरफ से अटॉर्नी जनरल तुषार मेहता, बीजेपी की तरह से मुकुल रोहतगी और बागी विधायकों की ओर से मनिंदर सिंह पैरवी के लिए मौजूद थे.

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि पूरे मामले पर नजर है. कोर्ट ने ये भी साफ कर दिया कि वो विधायिका के मामले में दखल नहीं देना चाहते लेकिन विधायकों को बंधक नहीं बनाया जा सकता - और ये भी सुनिश्चित होना चाहिये कि वे बगैर किसी दबाव के अपना फैसला करें.

अदालत ने संबंधित वकीलों के जरिये कई सवाल भी पूछे. मसलन, विधानसभा स्पीकर से सवाल किया कि आखिर विधायकों के इस्तीफे पर अभी तक फैसला क्यों नहीं लिया गया? क्या ये विधायक अपने आप अयोग्य नहीं हो जाएंगे? अगर आप संतुष्ट नहीं हैं, तो आप विधायकों के इस्तीफे को अस्वीकार कर सकते हैं.

कोर्ट का ये भी कहना रहा कि 16 मार्च को बजट सत्र को टाल दिया गया अगर आप बजट पास नहीं हुआ तो राज्य सरकार का कामकाज कैसे चलेगा?

कमलनाथ की तरफ से कोर्ट में कहा गया, 'मैं कांग्रेस का सदस्य हूं और मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री हूं. बागी विधायक भी कांग्रेसी हैं. मैं उनसे मिलना चाहता हूं.'

बागियों के वकील ने साफ साफ बोल दिया कि विधायक कमलनाथ से मिलना ही नहीं चाहते.

तू-तू मैं-मैं टाइप बहस होती देख अदालत ने दोनों पक्षों को शांत कराते हुए कहा - ये बच्चों की कस्टडी का मामला नहीं है इसलिए विधायकों से मिलने का आदेश नहीं दिया जा सकता, फिर तो साफ है यही बात दिग्विजय सिंह पर भी लागू होगी. वो चाहें तो भूख हड़ताल जारी रख सकते हैं.

कोर्ट में कोरोना का जिक्र करके तो कभी किसी और तरीके से कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे ने सुनवाई टालने की भी पूरी कोशिश की ताकि उनके मुवक्किल को टाइम मिल जाये. बोले, 'आज सुनवाई नहीं हुई तो आसमान नहीं गिर जाएगा. कांग्रेस पार्टी ने बहुमत से सरकार बनाई है और अब उनके विधायकों को बंधक बना लिया गया है.' फिर नयी दलील पेश की - 'कल को किसी भी पार्टी के MLA का अपहरण कर लिया जाएगा और सुप्रीम कोर्ट आकर कहा जाएगा कि फ्लोर टेस्ट कराया जाये - क्योंकि सरकार बहुमत में नहीं है.' दवे ने केस को संवैधानिक बेंच को रेफर करने की भी मांग की ताकि ऐसी हरकत दोबारा न हो.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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