• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

कन्हैया और उमर खालिद की सजा अब भी नाकाफी लग रही है?

    • आईचौक
    • Updated: 25 अप्रिल, 2016 07:11 PM
  • 25 अप्रिल, 2016 07:11 PM
offline
9 फरवरी को जेएनयू में हुई घटना को लेकर एक जांच पैनल ने उमर खालिद और कन्हैया कुमार सहित कई दूसरे छात्रों पर अपना फैसला दे दिया है. इस खबर के बाहर आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी. कुछ लोगों ने इन छात्र नेताओं के समर्थन में तो कुछ ने सजा को नाकाफी बताया.
...

9 फरवरी को जेएनयू में हुई घटना को लेकर एक जांच पैनल ने उमर खालिद और कन्‍हैया कुमार को अलग अलग सजा दी है. उमर खालिद को एक सेमिस्टर के लिए सस्पेंड कर दिया गया है साथ ही 20 हजार रुपए जुर्माना भरने को कहा है. जबकि जेएनयू स्‍टूडेंट यूनियन के प्रेसिडेंट कन्हैया कुमार को दस हजार रुपए जुर्माना भरने को कहा गया है.

दोनों ही छात्र नेता यूनिवर्सिटी नियमों के तहत अनुशासनहीनता के दोषी पाए गए हैं. बता दें कि इस मामले में मुजीब गट्टू को भी एक सेमेस्टर के लिए निलंबित किया गया है. अनिर्बान भट्टाचार्य को 15 जुलाई तक निलंबित किया गया है. साथ ही अनिर्बान 23 जुलाई से अगले पांच साल तक जेएनयू से कोई भी कोर्स नहीं कर सकेंगे.

इस खबर के बाहर आने के बाद ट्विटर और फेसबुक पर लोगों ने और तीखी प्रतिक्रिया दी. कुछ लोगों ने इन छात्र नेताओं के समर्थन में तो कुछ ने सजा को नाकाफी बताया.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲