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जम्मू-कश्मीर तो लगता है कि राज्यपाल शासन के लिए ही बना है

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 20 जून, 2018 01:08 PM
  • 19 जून, 2018 10:03 PM
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एक तरफ जहां देश के दूसरे राज्यों में भारतीय संविधान की धारा 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है वहीं जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के मुताबिक राज्यपाल शासन लगाया जाता है.

अब चूंकि पीडीपी नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर की सरकार से भाजपा ने अपना समर्थन वापस ले लिया है और प्रदेश की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल एन एन वोहरा को अपना इस्तीफा भी सौंप दिया है, ऐसे में वहां राज्यपाल शासन लागू होने की संभावना प्रबल हो गई है. और अगर ऐसा होता है तो वहां आठवीं बार होगा जब प्रदेश में राज्यपाल शासन लागू होगा.

जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगता है ना की राष्ट्रपति शासन

एक तरफ जहां देश के दूसरे राज्यों में भारतीय संविधान की धारा 356 (संवैधानिक तंत्र की विफलता) के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है वहीं जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के मुताबिक राज्यपाल शासन लगाया जाता है.

भारतीय संविधान के अनुसार जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्ज़ा प्राप्त है. जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के अनुसार, राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के बाद भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी से 6 महीने के लिए राज्यपाल शासन लगाया जा सकता है. राज्यपाल शासन के दौरान या तो विधानसभा को निलंबित कर दिया जाता है या उसे भंग कर दिया जाता है. और अगर 6 महीने के अंदर संवैधानिक तंत्र दोबारा बहाल नहीं हो पाता है तो ऐसी स्थिति में भारतीय संविधान की धारा 356 के अनुसार राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है.

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा के साथ महबूबा मुफ्तीके साथ

जम्मू-कश्मीर में कब-कब लगा राज्यपाल शासन

भारत के आजादी के बाद से जम्मू-कश्मीर में अब तक सात बार राज्यपाल शासन लग चुका है.

1977: पहली बार जम्मू-कश्मीर का मार्च 1977 में (मार्च 26 - जुलाई 9) 105 दिनों के लिए राज्यपाल शासन से पाला पड़ा था जब कांग्रेस ने नेशनल कांफ्रेंस के नेता शेख महमूद अब्दुल्ला की सरकार से समर्थन वापस ले लिया...

अब चूंकि पीडीपी नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर की सरकार से भाजपा ने अपना समर्थन वापस ले लिया है और प्रदेश की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल एन एन वोहरा को अपना इस्तीफा भी सौंप दिया है, ऐसे में वहां राज्यपाल शासन लागू होने की संभावना प्रबल हो गई है. और अगर ऐसा होता है तो वहां आठवीं बार होगा जब प्रदेश में राज्यपाल शासन लागू होगा.

जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगता है ना की राष्ट्रपति शासन

एक तरफ जहां देश के दूसरे राज्यों में भारतीय संविधान की धारा 356 (संवैधानिक तंत्र की विफलता) के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है वहीं जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के मुताबिक राज्यपाल शासन लगाया जाता है.

भारतीय संविधान के अनुसार जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्ज़ा प्राप्त है. जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के अनुसार, राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के बाद भारत के राष्ट्रपति की मंजूरी से 6 महीने के लिए राज्यपाल शासन लगाया जा सकता है. राज्यपाल शासन के दौरान या तो विधानसभा को निलंबित कर दिया जाता है या उसे भंग कर दिया जाता है. और अगर 6 महीने के अंदर संवैधानिक तंत्र दोबारा बहाल नहीं हो पाता है तो ऐसी स्थिति में भारतीय संविधान की धारा 356 के अनुसार राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है.

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा के साथ महबूबा मुफ्तीके साथ

जम्मू-कश्मीर में कब-कब लगा राज्यपाल शासन

भारत के आजादी के बाद से जम्मू-कश्मीर में अब तक सात बार राज्यपाल शासन लग चुका है.

1977: पहली बार जम्मू-कश्मीर का मार्च 1977 में (मार्च 26 - जुलाई 9) 105 दिनों के लिए राज्यपाल शासन से पाला पड़ा था जब कांग्रेस ने नेशनल कांफ्रेंस के नेता शेख महमूद अब्दुल्ला की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था.

1986: दूसरी बार जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन (6 मार्च - 7 नवम्बर) 1986 यानी 246 दिनों तक रहा, जब कांग्रेस (आई) ने अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेतृत्व वाली गुलाम मोहम्मद शाह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था.

1990 - 1996: इस बार सबसे लंबी अवधि (6 साल 264 दिन) के लिए राज्यपाल शासन इस राज्य को देखना पड़ा, जब राज्यपाल के रूप में जगमोहन की नियुक्ति को लेकर फारूक अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिया था.

2002: इस बार सबसे काम यानी 15 दिनों के लिए राज्यपाल शासन लगा, जो चुनावी नतीजों के आने तक की परिस्थिति में लगा था.

2008 - 2009: इस बार कुल 178 दिन (जुलाई 11, 2008 - जनवरी 5, 2009) राज्यपाल शासन रहा. कारण बना था कांग्रेस और पीडीपी के बीच गठबंधन का टूटना.

2015: छठी बार जम्मू-कश्मीर को 52 दिनों तक राज्यपाल शासन से गुजरना पड़ा था क्योंकि किसी भी पार्टी को सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्या हासिल नहीं हो पाई थी. बाद में भाजपा और पीडीपी ने मिलकर गठबंधन सरकार बनाई थी.

2016: इस बार 88 दिनों के लिए राज्यपाल शासन लगाया गया था क्योंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की मौत हो गई थी. बाद में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार बनी थी.

इस प्रकार इस बार भी अगर राज्य में राज्यपाल शासन लगाया जाता है तो वहां की जनता को आठवीं बार राज्यपाल शासन से रूबरू होना पड़ सकता है. वर्तमान स्थिति को देखते हुए जिसकी काफी उम्मीद है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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