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जन-धन खातों में 21 हज़ार करोड़ कोई बड़ी बात नहीं !

    • शुभम गुप्ता
    • Updated: 24 नवम्बर, 2016 05:25 PM
  • 24 नवम्बर, 2016 05:25 PM
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21 हजार करोड़ रुपये जन-धन खातों में आना कोई बड़ी बात नहीं है. थोड़ी सी गुणा भाग कीजिए और जान लीजिए कि कैसे आए गरीबों के खातों में इतने रुपये.

नोटबंदी के बाद जैसे ही ये आंकड़ा आया कि देश भर में जन-धन खातों में 21 हजार करोड़ रुपये जमा हो गए हैं, हर कोई आश्चर्य में पड़ गया है. हर ओर चर्चा हो रही है कि इतना पैसा कैसे आ गया? ये तो जरुर काला धन होगा. जिसके पास काला धन है उन लोगों ने गरीबों के खातों में पैसे जमा करवाया होगा.

हालांकि सरकार कह रही है कि हमारी नजर देश के हर जन-धन खाते पर है. मगर आपको बताते हैं कि जो आंकड़े आप देखेंगे उसे देख कर आप भी यही कहेंगे कि हां, ये तो सामान्य सी बात है.

  देश भर में जन-धन खातों में 21 हजार करोड़ रुपये जमा किए गए

क्या आपको पता है देश में कुल कितने जन-धन खाते हैं?

2 नवंबर 2016 तक देश में कुल जन-धन खाते थे 24 करोड़.

ज़ीरो बैलेंस बैंक खाते थे लगभग 10 करोड़.

नोटबंदी के बाद पैसा जमा हुआ 21 हज़ार करोड़

अब इस आंकड़े को समझिये. मान लीजिये कि देश में कुल 24 करोड़ जन-धन खाते में हर व्यक्ति ने पैसा जमा कराया तो प्रति व्यक्ति ने कितना पैसा जमा कराया.

21,000 / 24 = 875 /-

यानी कि अगर हर वो व्यक्ति जिसका जन-धन खाता है अगर सभी ने जन-धन खातों में पैसा जमा करवाया तो प्रति व्यक्ति ने जमा कराए मात्र 875 रुपये. तो इसमें गलत क्या है? गरिब व्यक्ति कम से कम 875 रु. तो जमा करवा ही सकता है.

ये तो आंकड़ा हुआ कुल जन-धन खातों का. अब विपक्ष ये दावा करता है कि प्रधानमंत्री ने सिर्फ खाते खुलवा दिए हैं इसमें से आधे खातों में तो ज़ीरो बैलेंस है. तो उसके अनुसार भी हम आपको एक आंकड़ा देते हैं.  

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नोटबंदी के बाद जैसे ही ये आंकड़ा आया कि देश भर में जन-धन खातों में 21 हजार करोड़ रुपये जमा हो गए हैं, हर कोई आश्चर्य में पड़ गया है. हर ओर चर्चा हो रही है कि इतना पैसा कैसे आ गया? ये तो जरुर काला धन होगा. जिसके पास काला धन है उन लोगों ने गरीबों के खातों में पैसे जमा करवाया होगा.

हालांकि सरकार कह रही है कि हमारी नजर देश के हर जन-धन खाते पर है. मगर आपको बताते हैं कि जो आंकड़े आप देखेंगे उसे देख कर आप भी यही कहेंगे कि हां, ये तो सामान्य सी बात है.

  देश भर में जन-धन खातों में 21 हजार करोड़ रुपये जमा किए गए

क्या आपको पता है देश में कुल कितने जन-धन खाते हैं?

2 नवंबर 2016 तक देश में कुल जन-धन खाते थे 24 करोड़.

ज़ीरो बैलेंस बैंक खाते थे लगभग 10 करोड़.

नोटबंदी के बाद पैसा जमा हुआ 21 हज़ार करोड़

अब इस आंकड़े को समझिये. मान लीजिये कि देश में कुल 24 करोड़ जन-धन खाते में हर व्यक्ति ने पैसा जमा कराया तो प्रति व्यक्ति ने कितना पैसा जमा कराया.

21,000 / 24 = 875 /-

यानी कि अगर हर वो व्यक्ति जिसका जन-धन खाता है अगर सभी ने जन-धन खातों में पैसा जमा करवाया तो प्रति व्यक्ति ने जमा कराए मात्र 875 रुपये. तो इसमें गलत क्या है? गरिब व्यक्ति कम से कम 875 रु. तो जमा करवा ही सकता है.

ये तो आंकड़ा हुआ कुल जन-धन खातों का. अब विपक्ष ये दावा करता है कि प्रधानमंत्री ने सिर्फ खाते खुलवा दिए हैं इसमें से आधे खातों में तो ज़ीरो बैलेंस है. तो उसके अनुसार भी हम आपको एक आंकड़ा देते हैं.  

ये भी पढ़ें- क्या प्रधानमंत्री मोदी भी मनमोहन सिंह की राह पर चल पड़े हैं ?

देश में कुल 24 करोड़ जन-धन खाते उसके आधे हुए 12 करोड़ खाते, जिसमें ज़ीरो बैलेंस यानी कि ऐसे लोग जिनका बैंक में सिर्फ खाता मगर कभी इस्तेमाल नहीं करते.

यानी जो 21 हजार करोड़ रुपये जमा हुए वो 12 करोड़ लोगों ने जमा किए.  तो प्रति व्यक्ति कितना पैसा जमा हुआ ?

21,000 / 12 = 1750 /-

यानी कि 12 करोड़ जन-खातों में अगर 21 हजार करोड़ रुपये जमा हुए, तो भी प्रति व्यक्ति होता है 1750 रु.  तो ये तो संभव है ही कि गरीब व्यक्ति कम से कम 1750 रु. तो जमा करवा ही सकता है. तो क्या सरकार ये साबित करना चाह रही है कि देखिये हमारी मुहिम रंग ला रही है. जन-धन खातों में जो पैसा आया है वो काला धन है?  ऐसा सरकार कैसे कह सकती है? क्या सरकार ने पता कर लिया है कि इतने खातों में इतना पैसा आया. अगर इस सामान्य स्थिति को देखा जाए तो कोई मुश्किल नहीं.

अगर सरकार ने सच में काला धन जब्त किया है तो सरकार को हिसाब देना चाहिए कि इस जन-धन खाते में इतने लाख रुपये जमा हुए जो कि काला धन है.

अभी तो सिर्फ 21 हजार करोड़ रुपये ही जमा हुए हैं. जन-धन खातों की सीमा है 50,000 रुपये. अगर 24 करोड़ लोग जिनका जन-धन खाता है वो अगर 10,000 रु, भी अपने खाते में डालें तो जरा सोचिये कि संख्या कहां पहुंचेगी. थोड़ा सा गुणा-भाग आप भी कीजिये. 10,000 से शुरुआत कीजिये और 50,000 तक जाइए और पता लगाइये कि कितने खरब रुपये जमा हो जाएंगे.

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सरकार को बताना ही होगा कि क्या सच में किसी जन-धन खाते में काला-धन जमा हुआ या फिर ये महज देश को ये जताने कि कोशिश हो रही है कि नोटबंदी से हमने जन-धन खातों से काला पैसा जमा कर लिया है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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