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ISI पर इमरान खान के दावे में कितनी सच्चाई है?

    • आईचौक
    • Updated: 14 सितम्बर, 2018 11:20 PM
  • 14 सितम्बर, 2018 11:20 PM
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ISI ने पूरी दुनिया की एजेंसियों के सामने एक नजीर पेश की है, कैसे आप अपने राष्ट्र हित को सर्वोपरि रखते हुए विश्व में अव्वल स्थान पा सकते हैं. ISI ने भारत के कश्मीर से लेकर पाकिस्तान के बलूचिस्तान तक अपनी मजबूत खुफिया तंत्रों का नंगा प्रदर्शन किया है.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ISI मुख्यालय गए और एक ऐसा दावा किया जिसकी पड़ताल जरुरी है. इमरान खान ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को दुनिया की सबसे बेहतरीन गुप्तचर एजेंसी बताया और देश की सुरक्षा पंक्ति में सबसे आगे बताया. प्रधानमंत्री बनने के बाद इमरान खान दो बार सेना मुख्यालय जा चुके हैं और अब आईएसआई मुख्यालय में जाना ये बताने के लिए काफी है कि इमरान खान की नीतियों में सेना और ISI के उद्देश्यों की छाप देखने को मिलेगी. लेकिन इमरान खान के उस दावे पर जिसमें उन्होंने आईएसआई को सबसे बेहतरीन खुफिया एजेंसी बताया है उसको लेकर लोगों में ISI को जानने और उनके बयान के विश्लेषण की जरुरत महसूस हो रही है. क्योंकि भारत में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद की बहादुरी के किस्से ज्यादा प्रचलित हैं.

इमरान खान सत्ता संभालने के बाद अभी तक दो बार सेना मुख्यालय पर माथा टेक चुके हैं.

क्‍यों ISI टॉप इंटेलिजेस एजेंसी है?

खुफिया एजेंसियों की रैंकिंग उस देश की राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए भी किया जाता है. भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद पाकिस्तान का राष्ट्रीय हित हमेशा से भारत विरोधी रहा है. 'हम तो डूबेंगे ही सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे' इसी सिद्धांत के साथ पाकिस्तान ने अपनी नीतियों को गढ़ा है जिसका खामियाजा भारत से ज्यादा पाकिस्तान को ही भुगतना पड़ा है. किसी भी देश की आंतरिक हालात को अस्थिर करने के लिए विध्वंसक सोच की जरुरत होती है जिसे पूरा करने के लिए कुछ जहरीले लेकिन चतुर लोगों की जरुरत होती है. पाकिस्तान ने भारत को तहस-नहस करने के लिए जिस संस्था का गठन किया दुनिया उसे आईएसआई के नाम से जानती है. अपने राष्ट्र हित को सर्वप्रथम रखते हुए ISI ने देशभक्ति के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ISI मुख्यालय गए और एक ऐसा दावा किया जिसकी पड़ताल जरुरी है. इमरान खान ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को दुनिया की सबसे बेहतरीन गुप्तचर एजेंसी बताया और देश की सुरक्षा पंक्ति में सबसे आगे बताया. प्रधानमंत्री बनने के बाद इमरान खान दो बार सेना मुख्यालय जा चुके हैं और अब आईएसआई मुख्यालय में जाना ये बताने के लिए काफी है कि इमरान खान की नीतियों में सेना और ISI के उद्देश्यों की छाप देखने को मिलेगी. लेकिन इमरान खान के उस दावे पर जिसमें उन्होंने आईएसआई को सबसे बेहतरीन खुफिया एजेंसी बताया है उसको लेकर लोगों में ISI को जानने और उनके बयान के विश्लेषण की जरुरत महसूस हो रही है. क्योंकि भारत में अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद की बहादुरी के किस्से ज्यादा प्रचलित हैं.

इमरान खान सत्ता संभालने के बाद अभी तक दो बार सेना मुख्यालय पर माथा टेक चुके हैं.

क्‍यों ISI टॉप इंटेलिजेस एजेंसी है?

खुफिया एजेंसियों की रैंकिंग उस देश की राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए भी किया जाता है. भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के बाद पाकिस्तान का राष्ट्रीय हित हमेशा से भारत विरोधी रहा है. 'हम तो डूबेंगे ही सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे' इसी सिद्धांत के साथ पाकिस्तान ने अपनी नीतियों को गढ़ा है जिसका खामियाजा भारत से ज्यादा पाकिस्तान को ही भुगतना पड़ा है. किसी भी देश की आंतरिक हालात को अस्थिर करने के लिए विध्वंसक सोच की जरुरत होती है जिसे पूरा करने के लिए कुछ जहरीले लेकिन चतुर लोगों की जरुरत होती है. पाकिस्तान ने भारत को तहस-नहस करने के लिए जिस संस्था का गठन किया दुनिया उसे आईएसआई के नाम से जानती है. अपने राष्ट्र हित को सर्वप्रथम रखते हुए ISI ने देशभक्ति के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए.

कश्मीर से लेकर पंजाब तक खालिस्तान और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे संगठनों को खड़ा कर भारत को ऐसा जख्म दिया जो आजतक नासूर बना हुआ है. बाद के वर्षों में इंडियन मुजाहिद्दीन को बनाकर आईएसआई ने भारत के हर जिले में अपने आतंकी कार्यकर्ताओं की तैनाती की. जिसका परिणाम हमें संकटमोचन मंदिर ब्लास्ट, अक्षरधाम मंदिर ब्लास्ट, मुंबई आतंकी हमला, दिल्ली सीरियल ब्लास्ट के रूप में देखने को मिला. भारत के आम नागरिकों के चिथड़े उड़ाना पाकिस्तान का राष्ट्रीय हित रहा है और अगर राष्ट्र हित को निभाने की बात की जाये तो आईएसआई से बड़ा राष्ट्रवादी एजेंसी पूरी दुनिया में नहीं है जिसके कारण इस एजेंसी का पूरी दुनिया में टॉप स्थान हासिल करना हैरान नहीं करता है.

इमरान का ISI पर भरोसा चिंता का विषय क्यों है?

इमरान खान प्रधानमंत्री बनने के बाद से लगातार एक ही रट लगा रहे हैं कि उन्हें अपने पड़ोसी देश भारत से दोस्ताना सम्बन्ध रखने हैं. सत्ता संभालने के बाद अभी तक दो बार सेना मुख्यालय पर माथा टेक चुके हैं. आईएसआई मुख्यालय जाने के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री होने का अंतिम रश्म भी उन्होंने निभा दिया है. पाकिस्तान की सेना और आईएसआई के करतूतों का इल्म तो नए नवेले प्रधानमंत्री को होगा ही, तो फिर रिश्तों को नए आयाम देने की इजाजत क्या उन्हें मिल जाएगी? भारत से रिश्तें सुधारने के नाम पर इमरान खान कहीं दोहरी चाल तो नहीं चल रहे हैं. एक तरफ तो भारत को बातचीत का न्योता दिया जायेगा और दूसरी तरफ सेना और आईएसआई अपने परंपरागत चरित्र की पुनरावृति कर रही होगी.

क्या आईएसआई अपने डीएनए से हटकर काम कर पायेगी

भारत में आतंकवादी हमलों का इतिहास हो या पाकिस्तान के बंटवारे से पहले पूर्व पाकिस्तान और आज के बांग्लादेश में खून खराबे के किस्से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने विध्वंसकता में शानदार रिकॉर्ड बनाये हैं जिसे आजतक पूरी दुनिया की एजेंसी नहीं तोड़ पायी है. अगर सर्वश्रेष्ठ होने के लिए अपने देश के नागरिकों को कुचलना पड़े तो कुचल दो इसकी बानगी हमें बांग्लादेश के निर्माण के दौरान देखने को मिल सकता है. जब सेना और आईएसआई के लोगों ने 30 लाख बंगालियों को मौत के घाट उतारा. बलूचिस्तान में उठती आज़ादी की मांग को कुचलने के लिए 50 हजार लोगों को रातोंरात गायब कर देने का काम आईएसआई जैसी निर्भीक संस्था ही कर सकती है. भारत और पकिस्तान के रिश्तों के सुधरने के लिए आईएसआई और सेना का सुधरना जरूरी है, वरना तमाम प्रयास और दावे हवाई साबित होंगे.

इमरान खान का दावा शत-प्रतिशत सही है. आईएसआई ने पूरी दुनिया की एजेंसियों के सामने एक नजीर पेश की है, कैसे आप अपने राष्ट्र हित को सर्वोपरि रखते हुए विश्व में अव्वल स्थान पा सकते हैं. आईएसआई ने भारत के कश्मीर से लेकर पाकिस्तान के बलूचिस्तान तक अपनी मजबूत खुफिया तंत्रों का खुलेआम प्रदर्शन किया है. कश्मीर और बलूचिस्तान की बर्बादी पाकिस्तान का राष्ट्रीय हित है और आईएसआई पूरे विश्व की सबसे आज्ञाकारी और राष्ट्रवादी एजेंसी है .

कंटेंट- विकास कुमार (इंटर्न- आईचौक)

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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