• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

कांग्रेस में नीतीश के लिए तो काम नहीं कर रहे हैं प्रशांत किशोर!

    • सुरेश कुमार
    • Updated: 02 मई, 2016 03:19 PM
  • 02 मई, 2016 03:19 PM
offline
क्या प्रशांत किशोर यूपी में सीएम उम्मीदवार के तौर पर राहुल गांधी को पेश कर कांग्रेस की ओर से 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल को प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी की दौर से बाहर करना चाहते हैं?

नई टीम, नए चेहरे और नई रणनीति के साथ उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी प्रशांत किशोर ने अपने कांधों पर ले ली है. हालिया संकेत यह है कि राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया जा सकता है. समाजवादी पार्टी की ओर से अखि‍लेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की ओर से मायावती के मुकाबले कांग्रेस को एक विश्वसनीय चेहरे की दरकार है वह इससे पूरी हो जाएगी. गांधी परिवार से उम्मीदवार होने के कारण कांग्रेस के अंदर विद्रोह की आशंका लगभग समाप्त हो जाएगी.

राहुल गांधी की सहमति कितनी है यह तो आने वाले समय में सामने आ ही जाएगी. लेकिन उससे पहले कुछ सवाल जरूर उठने लगे हैं - और वह सवाल राहुल के नेतृत्व क्षमता से ज्यादा प्रशांत किशोर की रणनीति को लेकर उठाए जा रहे हैं. दरअसल, प्रशांत किशोर कांग्रेस के लिए काम करने से पहले नीतीश कुमार के लिए काम कर चुके हैं और अब भी उनके साथ जुड़े हुए हैं. हो सकता है प्रशांत किशोर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत के जरिए कांग्रेस में नई जान फूंकने की रणनीति पर काम कर रहे हों - और यह भी संभव है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका लाभ भी मिले.

क्या राहुल गांधी बनेंगे सीएम कैंडिडेट?

लेकिन क्या होगा जब राहुल गांधी का चेहरा सामने करने के बाद भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार हो जाती है? फिर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी पर पार्टी के लोग कितना भरोसा कर पाएंगे? फिर क्या देश की जनता राहुल को प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में स्वीकार कर पाएगी? अगर राहुल नहीं तो क्या इसके बाद प्र‍ियंका गांधी को...

नई टीम, नए चेहरे और नई रणनीति के साथ उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी प्रशांत किशोर ने अपने कांधों पर ले ली है. हालिया संकेत यह है कि राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया जा सकता है. समाजवादी पार्टी की ओर से अखि‍लेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की ओर से मायावती के मुकाबले कांग्रेस को एक विश्वसनीय चेहरे की दरकार है वह इससे पूरी हो जाएगी. गांधी परिवार से उम्मीदवार होने के कारण कांग्रेस के अंदर विद्रोह की आशंका लगभग समाप्त हो जाएगी.

राहुल गांधी की सहमति कितनी है यह तो आने वाले समय में सामने आ ही जाएगी. लेकिन उससे पहले कुछ सवाल जरूर उठने लगे हैं - और वह सवाल राहुल के नेतृत्व क्षमता से ज्यादा प्रशांत किशोर की रणनीति को लेकर उठाए जा रहे हैं. दरअसल, प्रशांत किशोर कांग्रेस के लिए काम करने से पहले नीतीश कुमार के लिए काम कर चुके हैं और अब भी उनके साथ जुड़े हुए हैं. हो सकता है प्रशांत किशोर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत के जरिए कांग्रेस में नई जान फूंकने की रणनीति पर काम कर रहे हों - और यह भी संभव है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका लाभ भी मिले.

क्या राहुल गांधी बनेंगे सीएम कैंडिडेट?

लेकिन क्या होगा जब राहुल गांधी का चेहरा सामने करने के बाद भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार हो जाती है? फिर 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी पर पार्टी के लोग कितना भरोसा कर पाएंगे? फिर क्या देश की जनता राहुल को प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में स्वीकार कर पाएगी? अगर राहुल नहीं तो क्या इसके बाद प्र‍ियंका गांधी को राजनीति में लाने की तैयारी होगी और इन सब कयासों के बीच किसे सबसे ज्यादा फायदा होगा?

यह भी पढ़ें- फिर तो नसीबवाला बनते बनते रह जाएंगे राहुल गांधी

लोकसभा चुनाव की रणनीति अभी से बनने लगी है. विपक्ष की ओर से नीतीश कुमार एक सर्वमान्य चेहरा के तौर पर सामने आ रहे हैं. हालांकि, बिहार में नीतीश का साथ दे रही कांग्रेस को यह हरगिज स्वीकार नहीं है. समाजवादी पार्टी के नेता भी इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं. बसपा इस मसले पर कोई स्पष्ट राय नहीं बना पा रही है. दक्ष‍िण भारत में चंद्रबाबू नायडू से एनडीए के संबंध अच्छे नहीं दिख रहे हैं. जयललिता और ममता बनर्जी का समर्थन हो सकता है नीतीश को मिल जाए. शायद अरविंद केजरीवाल का भी. हालांकि, उनके बारे में फिलहाल कुछ कहना मुश्किल है.

कुल मिलाकर नीतीश के प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी की राह में विपक्ष की ओर से सबसे बड़ी बाधा कांग्रेस ही है. यदि यूपी चुनाव में राहुल को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में जनता नकार देती है तो नीतीश के लिए राह काफी आसान हो जाएगी. कांग्रेस का एक तबका मोदी के खि‍लाफ नीतीश को समर्थन देने पर विचार कर सकता है जैसा पहले भी की मोरारजी देसाई की सरकार में और चंद्रशेखर की सरकार में देखा जा चुका है.

 क्या नीतीश से अब कोई जुड़ाव नहीं है प्रशांत किशोर का?

तो क्या प्रशांत किशोर राहुल गांधी को यूपी में सीएम उम्मीदवार के तौर पर पेश कर कांग्रेस की ओर से 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल को प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी की दौर से बाहर करना चाहते हैं? इसका सीधा फायदा तो नीतीश कुमार को मिलेगा? क्या प्रशांत किशोर कांग्रेस में नीतीश कुमार के लिए काम कर रहे हैं?

यह भी पढ़ें- नीतीश जी रुकिए! प्रधानमंत्री पद पर दावा तो राहुल गांधी का है

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲