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क्या प्रशांत किशोर के इशारे पर बिहार में कोई बड़ा राजनीतिक उलटफेर होने वाला है?

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 02 मई, 2022 01:45 PM
  • 02 मई, 2022 01:35 PM
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रमजान का महीना चल रहा है. और, सियासी दल इफ्तार पार्टियों के आयोजन में जुटे हुए हैं. लेकिन, इफ्तार पार्टियों में कोई राजनीतिक हलचल न हो, ये लगभग नामुमकिन है. बीते दिनों बिहार में हुई कुछ इफ्तार पार्टियों से राज्य का राजनीतिक पारा अपने चरम पर पहुंच गया है. जिसके पीछे प्रशांत किशोर का हाथ नजर आता है.

रमजान का महीना चल रहा है इसलिए इफ्तार पार्टियां भी आयोजित हो रही है. और, इफ्तार पार्टियों में कोई राजनीतिक हलचल न हो आज के माहौल में लगभग नामुमकिन ही है. ऐसे में आजकल बिहार में इफ्तार पार्टियां हुई और राजनीतिक पारा भी अपने चरम पर पहुंच गया. पहली इफ्तार पार्टी इस महीने के 22 अप्रैल को पटना में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेता राबड़ी देवी के आवास पर आयोजित की गई. जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 5 साल के अंतराल के बाद शामिल हुए. और, राजद प्रमुख लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव के साथ बैठे भी. दूसरी इफ्तार पार्टी 28 अप्रैल को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड द्वारा आयोजित की गई. जिसमें जब राजद नेता तेजस्वी यादव पहुंचे. तो, खुद मुख्यमंत्री ने उन्हें शॉल ओढ़ा कर स्वागत किया. यही नहीं तेजस्वी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गाड़ी तक छोड़ने भी गए.

 बिहार में हो रही इफ्तार पार्टियों ने राज्य की राजनीति में कई कयासों को हवा दे दी है.

हालांकि, इन इफ्तार पार्टियों में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल होते हैं. लेकिन, बिहार की इन इफ्तार पार्टियों ने राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर शुरू कर दिया है. खासकर ऐसे समय में जब बिहार में भाजपा और जदयू के बीच सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है.

बिहार में जो इफ्तार की खिचड़ी पक रही है. उससे तरह-तरह के राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं. एक कयास यह है कि नीतीश कुमार प्रदेश की राजनीति छोड़ अब अपना रुख दिल्ली की तरफ करेंगे. और, ऐसा माना जा रहा है कि इसके पीछे आज के राजनीतिक चाणक्य कहे जाने वाले प्रशांत किशोर का दिमाग काम कर रहा है. पिछले कुछ महीनों के घटनाक्रम पर एक नजर डालने पर ऐसा ही प्रतीत होता है.

नीतीश कुमार का प्रशांत किशोर के साथ...

रमजान का महीना चल रहा है इसलिए इफ्तार पार्टियां भी आयोजित हो रही है. और, इफ्तार पार्टियों में कोई राजनीतिक हलचल न हो आज के माहौल में लगभग नामुमकिन ही है. ऐसे में आजकल बिहार में इफ्तार पार्टियां हुई और राजनीतिक पारा भी अपने चरम पर पहुंच गया. पहली इफ्तार पार्टी इस महीने के 22 अप्रैल को पटना में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद नेता राबड़ी देवी के आवास पर आयोजित की गई. जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 5 साल के अंतराल के बाद शामिल हुए. और, राजद प्रमुख लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव के साथ बैठे भी. दूसरी इफ्तार पार्टी 28 अप्रैल को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड द्वारा आयोजित की गई. जिसमें जब राजद नेता तेजस्वी यादव पहुंचे. तो, खुद मुख्यमंत्री ने उन्हें शॉल ओढ़ा कर स्वागत किया. यही नहीं तेजस्वी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गाड़ी तक छोड़ने भी गए.

 बिहार में हो रही इफ्तार पार्टियों ने राज्य की राजनीति में कई कयासों को हवा दे दी है.

हालांकि, इन इफ्तार पार्टियों में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल होते हैं. लेकिन, बिहार की इन इफ्तार पार्टियों ने राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर शुरू कर दिया है. खासकर ऐसे समय में जब बिहार में भाजपा और जदयू के बीच सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है.

बिहार में जो इफ्तार की खिचड़ी पक रही है. उससे तरह-तरह के राजनीतिक कयास लगाए जा रहे हैं. एक कयास यह है कि नीतीश कुमार प्रदेश की राजनीति छोड़ अब अपना रुख दिल्ली की तरफ करेंगे. और, ऐसा माना जा रहा है कि इसके पीछे आज के राजनीतिक चाणक्य कहे जाने वाले प्रशांत किशोर का दिमाग काम कर रहा है. पिछले कुछ महीनों के घटनाक्रम पर एक नजर डालने पर ऐसा ही प्रतीत होता है.

नीतीश कुमार का प्रशांत किशोर के साथ सरप्राइज डिनर: नीतीश कुमार द्वारा 2020 में अपनी पार्टी के नंबर दो के रूप में प्रशांत किशोर को बर्खास्त करने के बाद पहली बार दोनों की मुलाकात इस साल के 18 फरवरी को रात के खाने पर दिल्ली में बिहार के मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास पर हुई. तभी से ये कयास लगने शुरू हो गए थे कि फिर से दोनों के बीच कुछ खिचड़ी पक रही है.

नीतीश कुमार का अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा: मार्च 16 से नीतीश कुमार ने अपने पूर्व संसदीय क्षेत्र बाढ़ के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया. और, अपने पुराने राजनीतिक सहयोगियों से मुलाकात भी की. जिन्होंने उन्हें पांच बार इस लोकसभा सीट को जीतने में मदद की.

राज्यसभा जायेंगे नीतीश कुमार: 30 मार्च को नीतीश कुमार ने एक टिप्पणी कर सनसनी फैला दी. उन्होंने पत्रकारों को कहा कि वो कभी भी राज्यसभा जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि वह अब तक बिहार विधानसभा, विधान परिषद और लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं और राज्यसभा में जाकर उनका राजनीतिक सफर पूरा हो जायेगा.

5 साल बाद नीतीश कुमार ने आरजेडी प्रायोजित इफ्तार पार्टी में शिरकत की: नीतीश कुमार 22 अप्रैल को 'महागठबंधन' में लौटने की अटकलों के बीच आरजेडी द्वारा दिए गए इफ्तार पार्टी में शामिल हुए. जहां वो आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद के बेटे और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के साथ बैठे दिखे.

नीतीश कुमार ने सरकारी आवास छोड़ा: बिहार में राजनीतिक गहमागहमी के बीच नीतीश कुमार ने अपना 1 अन्ने मार्ग स्थित सरकारी आवास यह कह कर छोड़ दिया कि वहां मेंटेनेंस का काम चल रहा है. लेकिन, मुख्यमंत्री कार्यालय वहीं से चलता रहेगा.

जदयू के इफ्तार पार्टी में नीतीश कुमार ने तेजस्वी को ओढ़ाई शॉल और गाड़ी तक छोड़ने गए: 28 अप्रैल को नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी में जब नेता विपक्ष तेजस्वी यादव पहुंचे. तो, खुद मुख्यमंत्री ने उन्हें शॉल ओढ़ा कर स्वागत किया और उन्हें उनकी गाड़ी तक छोड़ने भी गए.

इन सारे घटनाक्रमों को देखने के बाद ऐसा लगता है कि बिहार की राजनीति में ऐसे समय में खिचड़ी पक रही है. जब जदयू और भाजपा के बीच में तनातनी चल रही है और बोचहां उपचुनाव में जीत के बाद राजद नए सियासी समीकरण की तलाश में है.

ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार जिनके नाम बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड हैं. अब उप-राष्ट्रपति या राष्ट्रपति बनना चाहते हैं. जिसका कुछ ही महीनों में चुनाव होना है. एक कयास यह भी है कि वो एनडीए का साथ छोड़ विपक्ष का प्रधानमंत्री उमीदवार भी बनने की कोशिश कर सकते हैं.

वैसे भी नरेंद्र मोदी के आलोचक से भाजपा के सहयोगी बने नीतीश कुमार ने अतीत में आश्चर्यजनक रूप से अपना पाला भी बदला है. पहले उन्होंने बिहार में भाजपा के साथ सरकार बनाई. फिर उन्होंने एनडीए छोड़ दिया. और, आरजेडी के साथ गठबंधन कर लिया. उसके बाद एक बार फिर उन्होंने आरजेडी नेतृत्व वाले 'महागठबंधन' को छोड़ दिया. और, भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में वापसी कर ली.

आगे नीतीश कुमार का क्या होगा, ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा. लेकिन, इस पूरी प्लानिंग के पीछे कहीं न कहीं चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का दिमाग है. और, ये देखना होगा कि ये एक महज़ संयोग है या प्रयोग?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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