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सपा के कुनबे में फिर से घमासान के आसार!

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 12 दिसम्बर, 2016 08:32 PM
  • 12 दिसम्बर, 2016 08:32 PM
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सपा के उम्मीदवारों की घोषणा के साथ ही एक बार फिर शिवपाल यादव और अखिलेश यादव में विवाद हो सकता है. अपने-अपने खेमें का मोर्चा संभाले इन दोनों को सपा सुप्रीमों मुलायम सिंह कैसे काबू करते हैं ये तो वक्त ही बताएगा.

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव भले ही बार-बार कहते आ रहे हों कि पार्टी में सब कुछ ठीक ठाक है मगर हर मौके पर पार्टी में चल रही रंजिश सामने आ ही जाती है. सीएम अखिलेश यादव और सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के बीच चल रही अनबन अब टिकट बटवारे को लेकर सामने आ सकती है.

हाल में ही सपा अध्यक्ष शिवपाल यादव के द्वारा प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की गई. उन्होंने पहले से घोषित सात उम्मीदवारों के टिकट काट दिए. इस लिस्ट में शिवपाल यादव ने 15 अपने चहेतों को टिकट दिया, जबकि आठ अखिलेश समर्थकों के टिकट काट दिए.

ये भी पढ़ें-अखिलेश और शिवपाल बीच बेबस मुलायम

उम्मीदवारों की नई सूची में मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबतुल्लाह अंसारी को मोहम्मदाबाद से प्रत्याशी बनाया गया है. कुछ समय पहले मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी ने अपनी पार्टी कौमी एकता दल का विलय सपा में किया था.

जो सूची शिवपाल यादव ने जारी की है उसमे एक विवादित नाम अतीक अहमद का भी है, जिन्हें सपा ने कानपुर कैण्ट से प्रत्याशी बनाया है. BSP विधायक राजू पाल की हत्या के आरोपी अतीक अखिलेश की काली सूची में हैं और कौशांबी की एक रैली में उन्हें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंच से उतार दिया था. फूलपुर से सांसद रह चुके अतीक 1999 से 2003 के बीच अपने दल के अध्यक्ष रह चुके हैं.

 फाइल फोटो- मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव

कौमी एकता दल के विलय...

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव भले ही बार-बार कहते आ रहे हों कि पार्टी में सब कुछ ठीक ठाक है मगर हर मौके पर पार्टी में चल रही रंजिश सामने आ ही जाती है. सीएम अखिलेश यादव और सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के बीच चल रही अनबन अब टिकट बटवारे को लेकर सामने आ सकती है.

हाल में ही सपा अध्यक्ष शिवपाल यादव के द्वारा प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की गई. उन्होंने पहले से घोषित सात उम्मीदवारों के टिकट काट दिए. इस लिस्ट में शिवपाल यादव ने 15 अपने चहेतों को टिकट दिया, जबकि आठ अखिलेश समर्थकों के टिकट काट दिए.

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उम्मीदवारों की नई सूची में मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबतुल्लाह अंसारी को मोहम्मदाबाद से प्रत्याशी बनाया गया है. कुछ समय पहले मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी ने अपनी पार्टी कौमी एकता दल का विलय सपा में किया था.

जो सूची शिवपाल यादव ने जारी की है उसमे एक विवादित नाम अतीक अहमद का भी है, जिन्हें सपा ने कानपुर कैण्ट से प्रत्याशी बनाया है. BSP विधायक राजू पाल की हत्या के आरोपी अतीक अखिलेश की काली सूची में हैं और कौशांबी की एक रैली में उन्हें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंच से उतार दिया था. फूलपुर से सांसद रह चुके अतीक 1999 से 2003 के बीच अपने दल के अध्यक्ष रह चुके हैं.

 फाइल फोटो- मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव

कौमी एकता दल के विलय पर हो चुका है विवाद...

यह प्रत्याशियों की सूची एक बार फिर चाचा-भतीजे के बीच कलह की वजह बन सकती है क्योंकि गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के भाई और माफिया अतीक अहमद के नामों पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सहमति पहले भी नही थी और संभवत: इस बार भी ना बने.  कुछ समय पहले ही कौमी एकता दल के सपा में विलय का मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुलकर विरोध किया था जिसके कारण चाचा - भतीजा में विवाद हुआ था और अंत में मुलायम सिंह यादव को हस्त्क्षेप करना पड़ा था. यहां तक कि अखिलेश ने सार्वजनिक मंच से भी कौमी एकता दल के विलय का विरोध किया था.

इस बार सपा ने मायावती के करीबी नसीमुद्दीन सिद्दीकी के भाई हसनुद्दीन सिद्दीकी को बांदा से उम्मीदवार बनाया है. हसनुद्दीन पहले बसपा से टिकट चाहते थे लेकिन भाई नसीमुद्दीन के इंकार के बाद वह बगावत कर बैठे और सपा में शामिल हो गए थे.

ये भी पढ़ें- भूकंप न ला पाने के लिए राहुल गांधी ही जिम्मेदार

BSP छोड़ सपा में आए अब्दुल मन्नान को भी संडीला से प्रत्याशी बनाया गया है. सपा सरकार के वरिष्ठ मंत्री आजम खां के बेटे अब्दुल्लाह आजम को भी सपा ने इस बार स्वार सीट से उम्मीदवार घोषित किया है.

इस पर शिवपाल यादव का कहना है कि जीतने की संभावनाओं और पार्टी के प्रति निष्ठा को देखते हुए उम्मीदवारों का चयन किया गया है.

हाल में ही सपा नेता राम गोपाल यादव ने कहा था कि टिकटों को अंतिम रुप बोर्ड के सदस्य सचिव की ओर से दिया जाता है और यह पद उनके पास है. टिकट वितरण में उनकी बात अंतिम मानी जाएगी. उधर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी सार्वजनिक रुप से कह चुके हैं कि वह चाहेंगे कि प्रत्याशियों के चयन में उनकी बात मानी जाए.

अभी से करीब एक महीने पहले ही जिस तरह से चाता-भतीजा भिड़े थे, उसे देखकर पार्टी के टूटने की बात भी होने लगी थी लेकिन मुलायम सिंह यादव के दखल के बाद फिर सब कुछ सामान्य हो गया था. अब पिछले दो-तीन दिन में जो कुछ भी हो रहा है, उससे फिर से यादव परिवार में हलचल होने के संकेत मिल रहे हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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