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हम कब बंद करेंगे जाकिर नाइक के ‘पीस स्कूल’

    • आईचौक
    • Updated: 04 अगस्त, 2016 10:17 PM
  • 04 अगस्त, 2016 10:17 PM
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क्या हमारी सुरक्षा एजेंसियां और सरकार इस इंतजार में हैं कि पहले ढ़ाका जैसे किसी आतंकी हमले को देश में अंजाम दे दिया जाए और उसके बाद ही वह जाकिर नाइक के टेरर नेटवर्क को प्रतिबंधित करने के कदम उठाए.

बांग्लादेश सरकार ने जाकिर नाइक के 'आदर्शों' पर चलाए जा रहे इंटरनेशनल पीस स्कूल नेटवर्क पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. दलील दी है कि ये पीस स्कूल जाकिर नाइक के आतंकी विचारों को बच्चों तक पहुंचाने का घिनौना काम कर रहे थे. अब भारत में देखिए जाकिर नाइक के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिल रहा है लिहाजा देशभर में फैले उसके नेटवर्क के खिलाफ कोई कड़ा कदम नहीं उठाया जा रहा है.

पहले एक और खबर पर गौर कीजिए. बिहार के सीतामढ़ी जिले की रहने वाली 28 वर्षीय यास्मीन मोहम्मद उर्फ यास्मीन शेक को दिल्ली के इंटरनेशनल हवाई अड्डे से उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वह देश छोड़कर काबुल जा रही थी. आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल होने के लिए. तफ्तीश में पता चला कि यास्मीन ने बिहार से केरल जाकर वहां कोल्लम जिले में जाकिर नाइक के पीस इंटरनेशनल स्कूल में बतौर शिक्षिका काम किया था. यहीं वह कट्टरपंथियों के संपर्क में आई. केरल से 21 लोग पहले ही लापता हैं जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वह सभी आईएसआईएस में शामिल हो चुके हैं.

अब सवाल है कि क्या सुरक्षा एजेंसियां और सरकार इस इंतजार में हैं कि पहले ढाका जैसा कोई आतंकी हमला हो और उसके बाद ही उसके नेटवर्क को प्रतिबंधित करने के कदम उठाए जाएं. जैसे दाउद इब्राहिम जैसे गैंगस्‍टर के खिलाफ तभी कार्रवाई शुरू हुई, जब वह मुंबई में सीरियल धमाके कर भाग गया.

इसे भी पढ़ें: जाकिर से मैं सहमत नहीं, लेकिन दोष सिद्ध होने तक वे निर्दोष हैं!

 जाकिर नाइक और 'टेरर...

बांग्लादेश सरकार ने जाकिर नाइक के 'आदर्शों' पर चलाए जा रहे इंटरनेशनल पीस स्कूल नेटवर्क पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. दलील दी है कि ये पीस स्कूल जाकिर नाइक के आतंकी विचारों को बच्चों तक पहुंचाने का घिनौना काम कर रहे थे. अब भारत में देखिए जाकिर नाइक के खिलाफ कोई पुख्ता सुबूत नहीं मिल रहा है लिहाजा देशभर में फैले उसके नेटवर्क के खिलाफ कोई कड़ा कदम नहीं उठाया जा रहा है.

पहले एक और खबर पर गौर कीजिए. बिहार के सीतामढ़ी जिले की रहने वाली 28 वर्षीय यास्मीन मोहम्मद उर्फ यास्मीन शेक को दिल्ली के इंटरनेशनल हवाई अड्डे से उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वह देश छोड़कर काबुल जा रही थी. आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल होने के लिए. तफ्तीश में पता चला कि यास्मीन ने बिहार से केरल जाकर वहां कोल्लम जिले में जाकिर नाइक के पीस इंटरनेशनल स्कूल में बतौर शिक्षिका काम किया था. यहीं वह कट्टरपंथियों के संपर्क में आई. केरल से 21 लोग पहले ही लापता हैं जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वह सभी आईएसआईएस में शामिल हो चुके हैं.

अब सवाल है कि क्या सुरक्षा एजेंसियां और सरकार इस इंतजार में हैं कि पहले ढाका जैसा कोई आतंकी हमला हो और उसके बाद ही उसके नेटवर्क को प्रतिबंधित करने के कदम उठाए जाएं. जैसे दाउद इब्राहिम जैसे गैंगस्‍टर के खिलाफ तभी कार्रवाई शुरू हुई, जब वह मुंबई में सीरियल धमाके कर भाग गया.

इसे भी पढ़ें: जाकिर से मैं सहमत नहीं, लेकिन दोष सिद्ध होने तक वे निर्दोष हैं!

 जाकिर नाइक और 'टेरर स्कूल'

जुलाई के पहले हफ्ते में ढाका के मशहूर कैफे पर बांग्लादेशी आतंकियों ने विदेशी सैलानियों पर निशाना साधते हुए 22 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. आईएसआईएस ने इस हमले की जिम्मेदारी ली. शुरुआती जांच में पता चला कि हमले में शामिल आतंकियों ने आतंक की प्रेरणा जाकिर नाइक से ली थी. इसके बाद बाग्लादेश सरकार में नाइक से जुड़े टीवी चैनल पीस टीवी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. और आनन-फानन में पाया गया कि जाकिर का पीस टीवी भारत में भी बिना किसी लाइसेंस के टेलिकास्ट किया जा रहा है. गृह मंत्रालय ने इस चैनल पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया क्योंकि दुबई से चलाए जा रहे इस चैनल के पास भारत में टेलिकास्ट करने का अधिकार नहीं था.

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बांग्लादेश में हमले के बाद भारत की सुरक्षा एजेंसियों को इस बात का इल्म हुआ कि हमारे यहां भी जाकिर नाइक का बड़ा नेटवर्क कई रूप में मौजूद है. इसे खंगालते हमें पूरा महीना बीत चुका हैं. लेकिन कब इसे सीरियसली लेते हुए कोई कदम उठाया जाएगा फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता.

जाकिर नाइक का मुंबई में मौजूद स्कूल

गौरतलब है कि बांग्लादेश एक मुस्लिम बहुल देश है और वह ऐसे नेटवर्क को पकड़ने में विफल रहा क्योंकि कट्टरपंथी ताकतें वहां मजबूत हैं और नाइक का नेटवर्क लोगों को गुमराह कर उन ताकतों की हर तरह से मदद कर रहा है. जब ढाका के कैफे में अंजाम दिए गए आतंकी हमले ने यह साफ कर दिया है कि बांग्लादेश भी अंतरराष्ट्रीय आतंक की चपेट में पूरी तरह से आ चुका है. बांग्लादेश में पीस स्कूल पर लगा प्रतिबंधित ताजा मामला है. नाइक के आदर्शों पर चल रहे इन स्कूलों में मॉडर्न एजूकेशन के नाम पर आतंक की पाठशाला चलाई जाती हैं. कम से कम बांग्लादेश सरकार के फैसले के बाद इसे कहने में कोई संदेह नहीं होना चाहिए.

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अब आलम हमारे देश का देखिए. भारत जाकिर नाइक पर कोई कड़ा फैसला लेने से सरकार कतरा रही है. क्या उसे किसी ऐसे हमले का इंतजार है जिसमें जाकिर नाइक नेटवर्क और उससे प्रेरणा पाए आतंकी ढाका जैसा हमला करने में कामयाब हो जाएंगे. गौरतलब है कि जाकिर नाइक के इस्लामिक फाउंडेशन से चलने वाले कई स्कूल महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के देशों में मौजूद हैं. हमने उसके एनजीओ पर ताला भले लगा दिया है लेकिन इन स्कूलों में नाइक की शिक्षा बिना किसी रोकटोक के लगातार जारी है. यहां हमें अब बांग्लादेश की तर्ज पर इंतजार कुछ आतंकी वारदातों का है जिसके बाद ही हम नाइक के नेटवर्क के खिलाफ कोई कड़ा कदम उठाएंगे.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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