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छठ पर्व पर वोट साधने की राजनीति

    • जगत सिंह
    • Updated: 06 नवम्बर, 2016 06:06 PM
  • 06 नवम्बर, 2016 06:06 PM
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कई राज्यों ने तो छठ पर्व की छुट्टी की घोषणा कर दी है. चुनाव करीब होने के कारण कई राज्यों में छठ पर्व को एक मौके के रूप में भुनाने की भी कोशिश की जा रही है ताकि पूर्वांचल के प्रवासियों को अपने पक्ष में किया जा सके.

छठ लोकपर्व अब बिहार से बाहर देश के हर कोने में महापर्व का रूप ले चुका है. पहले जहाँ मुख्य रूप से इसका आयोजन बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तरप्रदेश के इलाको में किया जाता था, तो वहीं अब छठ की छठा मुंबई से बंगाल तक तो दिल्ली और मध्य प्रदेश में भी देखने को मिल रही है. कई राज्यों ने तो छठ पर्व की छुट्टी की घोषणा कर दी है. चुनाव करीब होने के कारण कई राज्यों में  छठ पर्व को एक मौके के रूप में भुनाने की भी कोशिश की जा रही है ताकि पूर्वांचल के प्रवासियों (बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के मूल निवासियों) को अपने पक्ष में किया जा सके. क्योंकि राजनेता भी यह समझ चुके हैं कि छठ किसी भी पूर्वानाचल के व्यक्ति के लिए विशेष मायने रखता है और ऐसे में इस पर्व को विशेष तैयारियां कर राजनीतिक रोटियां भी सेकी जा सकती हैं. छठ पर्व के महत्व को समझते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विपक्ष के राहुल गाँधी समेत तमाम बड़े राजनेताओं ने ट्वीट के जरिए भी छठ कि बधाई देने में देर नहीं की.

क्यों खास है छठ पर्व?

छठ के लिए तैयारी महीनों पहले शुरू हो जाती है. खासकर घाटों की सफाई को लेकर आम नागरिकों के अलावा नेता भी पर्व को सफल बनाने में जोर लगाते हुए नजर आते हैं.

ये भी पढ़ें-गुलामी की निशानी है घूंघट

अब तक क्या होता आया छठ पर्व पर?

केंद्र सरकार ने भी 2011 में छठ पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी. 2014 में दिल्ली सरकार ने छठ के मौके पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी. पड़ोसी राज्य यूपी भी पीछे नहीं रहा और 2015 में वहां भी सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा की गई.

छठ लोकपर्व अब बिहार से बाहर देश के हर कोने में महापर्व का रूप ले चुका है. पहले जहाँ मुख्य रूप से इसका आयोजन बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तरप्रदेश के इलाको में किया जाता था, तो वहीं अब छठ की छठा मुंबई से बंगाल तक तो दिल्ली और मध्य प्रदेश में भी देखने को मिल रही है. कई राज्यों ने तो छठ पर्व की छुट्टी की घोषणा कर दी है. चुनाव करीब होने के कारण कई राज्यों में  छठ पर्व को एक मौके के रूप में भुनाने की भी कोशिश की जा रही है ताकि पूर्वांचल के प्रवासियों (बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के मूल निवासियों) को अपने पक्ष में किया जा सके. क्योंकि राजनेता भी यह समझ चुके हैं कि छठ किसी भी पूर्वानाचल के व्यक्ति के लिए विशेष मायने रखता है और ऐसे में इस पर्व को विशेष तैयारियां कर राजनीतिक रोटियां भी सेकी जा सकती हैं. छठ पर्व के महत्व को समझते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विपक्ष के राहुल गाँधी समेत तमाम बड़े राजनेताओं ने ट्वीट के जरिए भी छठ कि बधाई देने में देर नहीं की.

क्यों खास है छठ पर्व?

छठ के लिए तैयारी महीनों पहले शुरू हो जाती है. खासकर घाटों की सफाई को लेकर आम नागरिकों के अलावा नेता भी पर्व को सफल बनाने में जोर लगाते हुए नजर आते हैं.

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अब तक क्या होता आया छठ पर्व पर?

केंद्र सरकार ने भी 2011 में छठ पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी. 2014 में दिल्ली सरकार ने छठ के मौके पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी. पड़ोसी राज्य यूपी भी पीछे नहीं रहा और 2015 में वहां भी सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा की गई.

 सांकेतिक फोटो

छठ पर पहली बार बंगाल सरकार ने दी छुट्टी बंगाल राज्य सरकार ने छठ पूजा के मौके पर सोमवार सात नवंबर को एक अतिरिक्त छुट्टी का ऐलान किया है. सरकार ने इस आशय की अधिसूचना जारी कर दी गई है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीते सप्ताह झाड़ग्राम में आयोजित अपनी जनसभा के दौरान भी इसका जिक्र किया. बिहार के बाद उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों राज्य ने ये फैसला लिया है.

उत्तराखंड में इस बार की छठ पर चुनावी रंग चढ़ने जा रहा है. राज्य की सरकार ने चुनावी मौसम को देखते हुए, पूर्वांचल को लुभाने के लिए इस बार छठ के दिन 7 नवंबर को अवकाश घोषित किया है.

ये भी पढ़ें- लोक आस्था का महापर्व छठ

छठ महापर्व में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के शामिल होने को लेकर कांग्रेस-बीजेपी में घमासान शुरू हो गया है. मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरूपम ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर छठ उत्सव में शामिल नहीं होने की गुजारिश की है. इस पर मुंबई बीजेपी के महासचिव अमरजीत मिश्र ने निरूपम पर हमला बोल दिया है. उन्होंने कहा है कि मुंबई में बीजेपी की लोकप्रियता से निरूपम डर गए हैं इसलिए बीजेपी कार्यकर्ताओं के उत्साह पर प्रतिबंध लगाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिख रहे हैं. दरअसल, बीजेपी और कांग्रेस के बीच मुंबई में छठ पूजा शुरू करने के  श्रेय की जंग छिड़ी है. निरूपम का कहना है कि यह पर्व गैर राजनीतिक होना चाहिए जबकि शिवसेना में रहते हुए उन्होंने जूहू चौपाटी पर फिल्मी व भोजपुरी सितारों की मौजूदगी में तामझाम के साथ छठ महापर्व का सबसे बड़ा आयोजन किया था.

झारखंड सरकार ने सरकारी कार्यालयों में छठ के मौके  पर छुट्टी की घोषणा की है. साल-2000 में कांग्रेस सरकार ने छठ के मौके पर पहली बार दिल्ली में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की. दिल्ली-एनसीआर का शायद ही कोई ऐसा कोई कोना बचा हो, जहां छठ पर्व न मनाया जाता हो. इंडिया गेट से लेकर साउथ दिल्ली तक आपको छठ के रंग देखने को मिल जाएंगे. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार ने 17 नवंबर  2015 को छठ पर्व के उपलक्ष्य में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया. ऐसे में क्या छठ पर्व राजनीतिक रंग ले चुका है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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