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क्या चिदंबरम के खिलाफ कार्रवाई बदले की राजनीति से प्रेरित है ?

    • आलोक रंजन
    • Updated: 16 मई, 2017 02:51 PM
  • 16 मई, 2017 02:51 PM
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छापेमारी के ठीक बाद पी. चिदंबरम ने बयान जारी करते हुए कहा कि सरकार की मंशा मेरी आवाज बंद करने की है. उन्होंने ने सरकार पर सीबीआई और अन्य सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया.

पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के घर पर मंगलवार सुबह सीबीआई ने छापा मारा. चिदंबरम के चेन्नई स्थित घर के अलावा सीबीआई ने मुंबई, दिल्ली और गुरुग्राम के अन्य 15 ठिकानों पर भी छापेमारी की है. ये रेड पीटर मुखर्जी के आईएनएक्स मीडिया को मंजूरी देने के मामले में की गयी है.  

आईएनएक्स मीडिया के फंड को FIPB के जरिये मंजूरी दी गई थी और उस दौरान पी. चिदंबरम वित्त विभाग के मंत्री थे. एक दिन पहले ही सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें इंद्राणी मुखर्जी, पीटर मुखर्जी और कार्ति चिदंबरम का भी नाम शामिल था.  

पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के घर सीबीआई का छापा

पिछले महीने ही कार्ति चिदंबरम और उनकी कंपनी को शो कॉज नोटिस जारी किया गया था और ये नोटिस फेमा के उलंघन से जुड़ा हुआ था. पहले से ही एयरसेल- मैक्सिस केस में मनी लॉन्डरिंग चार्ज में उनके खिलाफ जांच जारी है. उनकी कंपनी भी एयरसेल- मैक्सिस केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के घेरे में है.

छापेमारी के ठीक बाद पी. चिदंबरम ने बयान जारी करते हुए कहा कि सरकार की मंशा मेरी आवाज बंद करने की है. उन्होंने ने सरकार पर सीबीआई और अन्य सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. चिदंबरम ने बयान में कहा कि सभी नियमों का पालन किया गया है, सरकार मुझे निशाना बना रही है. उन्होंने कहा की एफआईपीबी की हर मंजूरी कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक हुई है. मंजूरी देने वाले अधिकारियों या मेरे खिलाफ इस मामले में कोई आरोप नहीं है. सरकार मुझे चुप कराना और मेरे लिखने पर रोक लगाना चाहती है, जैसा कि उसने तमाम विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, स्तंभकारों, एनजीओ और नागरिक संगठनों के साथ किया है. इससे मैं बोलना और लिखना बंद नहीं करने वाला.

पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के घर पर मंगलवार सुबह सीबीआई ने छापा मारा. चिदंबरम के चेन्नई स्थित घर के अलावा सीबीआई ने मुंबई, दिल्ली और गुरुग्राम के अन्य 15 ठिकानों पर भी छापेमारी की है. ये रेड पीटर मुखर्जी के आईएनएक्स मीडिया को मंजूरी देने के मामले में की गयी है.  

आईएनएक्स मीडिया के फंड को FIPB के जरिये मंजूरी दी गई थी और उस दौरान पी. चिदंबरम वित्त विभाग के मंत्री थे. एक दिन पहले ही सीबीआई ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें इंद्राणी मुखर्जी, पीटर मुखर्जी और कार्ति चिदंबरम का भी नाम शामिल था.  

पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के घर सीबीआई का छापा

पिछले महीने ही कार्ति चिदंबरम और उनकी कंपनी को शो कॉज नोटिस जारी किया गया था और ये नोटिस फेमा के उलंघन से जुड़ा हुआ था. पहले से ही एयरसेल- मैक्सिस केस में मनी लॉन्डरिंग चार्ज में उनके खिलाफ जांच जारी है. उनकी कंपनी भी एयरसेल- मैक्सिस केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के घेरे में है.

छापेमारी के ठीक बाद पी. चिदंबरम ने बयान जारी करते हुए कहा कि सरकार की मंशा मेरी आवाज बंद करने की है. उन्होंने ने सरकार पर सीबीआई और अन्य सरकारी एजेंसियों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. चिदंबरम ने बयान में कहा कि सभी नियमों का पालन किया गया है, सरकार मुझे निशाना बना रही है. उन्होंने कहा की एफआईपीबी की हर मंजूरी कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक हुई है. मंजूरी देने वाले अधिकारियों या मेरे खिलाफ इस मामले में कोई आरोप नहीं है. सरकार मुझे चुप कराना और मेरे लिखने पर रोक लगाना चाहती है, जैसा कि उसने तमाम विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, स्तंभकारों, एनजीओ और नागरिक संगठनों के साथ किया है. इससे मैं बोलना और लिखना बंद नहीं करने वाला.

कांग्रेस नेता के.आर. रामासामी ने कहा कि चिदंबरम ने कुछ गलत नहीं किया, राजनीति से प्रेरित है छापा. छापेमारी के बाद कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला ने तो ट्वीट कर डेमोक्रेसी की मौत बताया. उन्होंने लिखा आश्चर्यजनक कैसे केवल विपक्ष के नेता गांधी से लेकर ममता, केजरीवाल, चिदंबरम सरकारी एजेंसी का सामना कर रहे है. भयावह.

कांग्रेस द्वारा सरकार पर इस तरह का आरोप लगाना तर्क संगत नहीं है. जब भी इस तरह की कार्रवाई विपक्षी नेताओं पर होती है तो सरकार पर उंगली उठने लगती है. अच्छा तो ये होगा कि जांच खत्म होने तक इस तरह का बयान न दिया जाये और सरकारी एजेंसी को अपना काम स्वतंत्र रूप से करते रहना देना चाहिए. हाल के दिनों में केजरीवाल, सोनिया-राहुल गांधी, लालू यादव और उनका परिवार आदि अन्य विपक्षी पार्टियों के लीडर कई केस में जांच एजेंसियो के दायरे में आये है. मोदी सरकार में विपक्ष की क्या हालत है किसी से छुपा हुआ नहीं है. जो जांच का विषय है, उसमें राजनीति का रंग भरना कहीं से उचित नहीं है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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