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पूरी दुनिया में बिखरी हैं हमारी बेशकीमती ऐतिहासिक निशानियां, मोदी जी उन्‍हें भी लाइए...

    • अभिजीत पाठक
    • Updated: 08 जून, 2016 02:44 PM
  • 08 जून, 2016 02:44 PM
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अमेरिका ने भारत की 200 दुर्लभ मूर्तियां लौटा दी, जिसकी कुल कीमत 10 करोड़ डॉलर के लगभग आंकी गई है. इन्‍हें तस्करों ने अमेरिका भेजा था. दुनिया में हमारी ऐसी बहुत सारी ऐतिहासिक निशानियां हैं, जिन्‍हें लाना जरूरी है.

संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने भारत की 200 दुर्लभ मूर्तियां लौटा दी, जिसकी कुल कीमत 10 करोड़ डॉलर के लगभग आंकी गई है. ये भारतीय संपत्ति अमेरिका तस्करी के माध्यम से पहुंची थी, आइए जानते है कि और कितने देश है जहां पर भारत की अमूल्य संपदा है और इसके बारे में लोग कम जानते है.

भारत के बाहर, भारत से ले जाई गई कुल संपत्तियों पर गौर किया जाये तो संख्या में ये लगभग 12000 से 17000 है. किसी भी देश की सांस्कृतिक संपदा को हड़पना, तस्करी करना और चुराना तीनों अपराध है. इसे बाकायदा क्राइम के अंतर्गत रखा गया है.

ऐसी कलाकृतियां जो देश के बाहर है. और अभी तक भारत वापस नहीं आ पाई हैंः

1. तमिलनाडु की चोला कांस्य प्रतिमाः तमिलनाडु की चोला कांस्य प्रतिमा, आज सिंगापुर के एशियन सिविलाइजेशन म्यूजियम में है. ये चोल वंश के राजाओं की कांस्य कला से प्रेम को दर्शाता है.

तमिलनाडु की चोल कांस्य प्रतिमा

2.शिवाजी की तलवार: यह तलवार प्रिंस ऑप वेल्स एडवर्ड सप्तम को नवंबर 1875 में उनकी भारत यात्रा पर कोल्हापुर के राजा ने उपहार स्वरूप दिया था और ये इस समय लंदन में है. यह तलवार साढ़े तीन सौ साल पुरानी है. महारानी एलिजाबेथ से कई बार इसे लौटाने के लिए अनुरोध किए जा चुके है.

शिवाजी की...

संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने भारत की 200 दुर्लभ मूर्तियां लौटा दी, जिसकी कुल कीमत 10 करोड़ डॉलर के लगभग आंकी गई है. ये भारतीय संपत्ति अमेरिका तस्करी के माध्यम से पहुंची थी, आइए जानते है कि और कितने देश है जहां पर भारत की अमूल्य संपदा है और इसके बारे में लोग कम जानते है.

भारत के बाहर, भारत से ले जाई गई कुल संपत्तियों पर गौर किया जाये तो संख्या में ये लगभग 12000 से 17000 है. किसी भी देश की सांस्कृतिक संपदा को हड़पना, तस्करी करना और चुराना तीनों अपराध है. इसे बाकायदा क्राइम के अंतर्गत रखा गया है.

ऐसी कलाकृतियां जो देश के बाहर है. और अभी तक भारत वापस नहीं आ पाई हैंः

1. तमिलनाडु की चोला कांस्य प्रतिमाः तमिलनाडु की चोला कांस्य प्रतिमा, आज सिंगापुर के एशियन सिविलाइजेशन म्यूजियम में है. ये चोल वंश के राजाओं की कांस्य कला से प्रेम को दर्शाता है.

तमिलनाडु की चोल कांस्य प्रतिमा

2.शिवाजी की तलवार: यह तलवार प्रिंस ऑप वेल्स एडवर्ड सप्तम को नवंबर 1875 में उनकी भारत यात्रा पर कोल्हापुर के राजा ने उपहार स्वरूप दिया था और ये इस समय लंदन में है. यह तलवार साढ़े तीन सौ साल पुरानी है. महारानी एलिजाबेथ से कई बार इसे लौटाने के लिए अनुरोध किए जा चुके है.

शिवाजी की तलवार

3.कोहिनूर हीराः कोहिनूर हीरा, 5,000 साल पुराना है यह प्राचीन  इतिहास में लिखे स्यमंतक मणि के नाम से प्रसिद्ध रहा था। शाहजहां ने कोहिनूर को अपने प्रसिद्ध मयूर-सिंहासन (तख्ते-ताउस) में जड़वाया। जोकि 1830 में जब महारानी विक्टोरिया भारत आयी थी तो उनके माध्यम से वह ब्रिटेन में है. इसको लेकर भी लोगों मे एक विशेष आक्रोश बना रहता है.

भारत का कोहिनूर हीरा ब्रिटेन की महारानी के ताज में जड़ा हुआ है

4. दरिया-ए-नूरः दरिया-ए-नूर भी कोहिनूर की तरह का ही एक बेशकिमती हीरा है. मुगलकालीन दरिया-ए-नूर कभी मुगल बादशाहों की शोभा बढ़ाता था, सूत्रों के मुताबिक ये किसी बांग्लादेशी बैंक मे है.

दरिया-ए-नूर कोहिनूर की तरह ही एक बेशकीमती हीरा है

5. टीपू सुल्तान की तलवार और अंगूठीः मई 2014 लंदन में टीपू सुल्तान की सोने की वह अंगूठी नीलाम कर दी गई थी जिस पर 'राम' लिखा था। क्रिस्टीज नीलामी घर ने सोने की इस अंगूठी को एक लाख 45 हजार पाउंड में बेचा था।

टीपू सुल्तान की तलवार

1799 में श्रीरंगापट्टनम की लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के हाथों मारे जाने के बाद ब्रिटिश जनरल ने ये अंगूठी उसकी अंगुली से उतार ली थी। टीपू सुल्तान की तलवार को भी लंदन में नीलाम किया गया था।

टीपू सुल्तान की राम नाम लिखी अंगूठी

6. महाराणा रणजीत सिंह का सिंहासन: शेरे पंजाब मास से मशहूर ये वही रणजीत सिंह थे जिन्होंने न केवल पंजाब को एक सशक्त सूबे के रूप में एकजुट रखा, बल्कि अपने जीते-जी अंग्रेजों को अपने साम्राज्य के पास भी नहीं फटकने दिया. इस वक्त विक्टोरिया में एक संग्रहालय में है.

महाराजा रणजीत सिंह का सिंहासन

भारत की तमाम लड़ाईयों और वे देश जो भारत में व्यापार करने खातिर आये थे, उन्होंने तो इसे पूरी शिद्दत से लूटा ही लेकिन आजादी के बाद भी भारत की विरासत, इसकी पहचान और सांस्कृतिक धरोहर इसके बाहर जाती रही.

कोहिनूर के अलावा भी भारत की कुछ अमूल्य संपदा भारत के बाहर है कुछ वापस लायी जा चुकी है और कुछ की पहचान जारी है, एक रिपोर्ट की माने तो उसके मुताबिक जो कलाकृतियां भारत की है और भारत के बाहर है उनकी संख्या तो 17000 है, लेकिन इनमें से 2000 कलाकृतियों की पहचान हो चुकी है.

वे कलाकृतियां जो देश के बाहर थीं लेकिन अब वापस आ चुकी हैं:

1.जर्मनी ने हिन्दू देवी दुर्गा की मूर्ति लौटाया: जर्मनी ने भारत में दसवीं शताब्दी में बनी देवी दुर्गा की मूर्ति जिसका नाम महिषसुरमर्दिनी था. इस मूर्ति को जर्मनी की चांसलर एंजिला मर्केल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौपा.

2. खजुराहों की पैरोट लेडी की प्रतिमाः ये प्रतिमा कनाडा मे थी. 800 साल पुरानी इस मूर्ति को 2015 में कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हॉर्पर ने प्रधानमंत्री मोदी के हाथों भारत को लौटा दिया है.

3.आस्ट्रेलिया ने वापस की नटराज की मूर्तिः नटराज की मूर्ति जो हिन्दू देवता शंकर की है. ये भारत में तमिलनाडु के श्रीपुरातन में थी. जिसे 2014 में आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने भारत के प्रधानमंत्री को वापस किया.

4.सॉन स्टूकोः जो अमेरिका और फ्रांस में थी और अब ये भारत वापस आ चुका है.

5.टेराकोटा याक्षीः जिसे यूनाइटेड किंगडम ने वापस किया.

6. हॉलैंड ने सात सजावटी लकड़ी का पैनल भारत को वापस किया.

7. महात्मा बुद्ध की प्रतिमा को अमेरिका इससे पहले ही भारत को सौंप चुका है.

8. कृष्ण जन्म की प्रतिमा, जिसे अमेरिका ने भारत को वापस कर दिया है.

मतलब ये हुआ कि भारत की जो कलाकृतियां देश की सांस्कृतिक विरासत थी उन्हें तस्करी के माध्यम से विदेश भेज दिया गया. अब जब अमेरिका ने भारत की 200 पुरानी मूर्तियों को लौटाया है तब जाकर सच सबके सामने आ पाया. नहीं तो इसके बारे में ज्यादातर लोगों को कोई जानकारी ना मिल पाई होती.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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