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जी-20 अध्यक्षता के साथ पीएम मोदी ने लिखी नए भारत की गाथा!

    • विवेकानंद शांडिल
    • Updated: 01 दिसम्बर, 2022 03:49 PM
  • 01 दिसम्बर, 2022 03:49 PM
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गत वर्ष भारत में 84 अरब डॉलर का विदेश निवेश हुआ था. यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि एक ऐसे वक्त में, जब वैश्विक व्यवस्था बेहद अनिश्चित है, भारतीय अर्थव्यवस्था में इतना निवेश बिना बुनियादी सिद्धांतों में विश्वास के नहीं हो सकता है.

आज साल के आखिरी महीने की शुरुआत हो गई. लेकिन यह दिन भारतीय इतिहास के पन्नों में हमेशा स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा. दरअसल, आज 1 दिसंबर से भारत ने जी-20 समूह की अध्यक्षता ग्रहण कर ली है और पूरे एक वर्ष के लिए यह जिम्मेदारी संभालेगा. भारत ने जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 के लिए 'एक धरा, एक परिवार और एक भविष्‍य' की थीम दी है. इस संदेश में हमारी ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना निहित है, जो विश्व कल्याण का मूलमंत्र है. आज के समय में जी-20 में भारत के अलावा अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया गणराज्य, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश शामिल हैं और ये ऐसे देश हैं, जहां  पूरी दुनिया की दो-तिहाई आबादी रहती है और इनका वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 85 प्रतिशत योगदान है. ये वैसे देश हैं, जिनका वैश्विक व्यापार में 75 प्रतिशत प्रतिनिधित्व है और अब जब भारत इन महाशक्तियों की मेजबानी करने जा रहा है, तो यह 130 करोड़ भारतवासियों के लिए अत्यंत गर्व और स्वाभिमान का विषय है.

कह सकते हैं कि जी20 की अध्यक्षता के सतह पीएम मोदी भारत को नयी ऊंचाइयों पर ले गए हैं

भारत को जी-20 की अध्यक्षता का यह अवसर एक ऐसे समय में मिला है, जब हम अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं और आने वाले 25 वर्षों के दौरान खुद को एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए हमने ‘पंच प्रण’ का संकल्प लिया है. इस उपलब्धि से वास्तव में हमारी इन प्रतिबद्धताओं को एक नई ऊंचाई मिलेगी और इसके लिए हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जितनी भी प्रशंसा की...

आज साल के आखिरी महीने की शुरुआत हो गई. लेकिन यह दिन भारतीय इतिहास के पन्नों में हमेशा स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा. दरअसल, आज 1 दिसंबर से भारत ने जी-20 समूह की अध्यक्षता ग्रहण कर ली है और पूरे एक वर्ष के लिए यह जिम्मेदारी संभालेगा. भारत ने जी-20 शिखर सम्मेलन 2023 के लिए 'एक धरा, एक परिवार और एक भविष्‍य' की थीम दी है. इस संदेश में हमारी ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना निहित है, जो विश्व कल्याण का मूलमंत्र है. आज के समय में जी-20 में भारत के अलावा अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया गणराज्य, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश शामिल हैं और ये ऐसे देश हैं, जहां  पूरी दुनिया की दो-तिहाई आबादी रहती है और इनका वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 85 प्रतिशत योगदान है. ये वैसे देश हैं, जिनका वैश्विक व्यापार में 75 प्रतिशत प्रतिनिधित्व है और अब जब भारत इन महाशक्तियों की मेजबानी करने जा रहा है, तो यह 130 करोड़ भारतवासियों के लिए अत्यंत गर्व और स्वाभिमान का विषय है.

कह सकते हैं कि जी20 की अध्यक्षता के सतह पीएम मोदी भारत को नयी ऊंचाइयों पर ले गए हैं

भारत को जी-20 की अध्यक्षता का यह अवसर एक ऐसे समय में मिला है, जब हम अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मना रहे हैं और आने वाले 25 वर्षों के दौरान खुद को एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए हमने ‘पंच प्रण’ का संकल्प लिया है. इस उपलब्धि से वास्तव में हमारी इन प्रतिबद्धताओं को एक नई ऊंचाई मिलेगी और इसके लिए हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम होगी.

गौरतलब है कि आज जब भारत जी-20 के अध्यक्ष की भूमिका में है, तो इस दौरान में पूरे देश के 50 से भी अधिक शहरों में 200 से भी ज्यादा बैठकों का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान पूरी दुनिया से आए मेहमान हमारी समृद्ध संस्कृति और विरासत का अनुभव करेंगे. इसी कड़ी में, बीते 25 नवंबर को जी-20 देशों के प्रतिनिधियों ने अंडमान निकोबार द्वीप की राजधानी पोर्ट ब्लेयर स्थित नेशनल मेमोरियल सेलुलर जेल का दौरा किया.

यहां सभी मेहमानों का काफी जोर-शोर के साथ स्वागत किया गया और इस दौरान प्रतिनिधि मंडल ने नेशनल मेमोरियल सेलुलर जेल का भी दौरा किया. बता दें कि यह वही जेल है, जहां ब्रिटिश काल में उन क्रांतिकारियों को रखा जाता था, जिससे शासन को खतरा होता था. इसी जेल में आज़ादी के महान पुरोधा वीर सावरकर ने अपने जीवन के 10 वर्ष व्यतीत किये थे.

जी-20 शिखर सम्मेलन की बैठक जम्मू-कश्मीर में भी होने वाली है. गौरतलब है कि यहां  से अनुच्छेद 370 वापस लेने के बाद, यह पहला बड़ा वैश्विक सम्मेलन होगा. इसे लेकर कुछ महीने पहले पाकिस्तान और चीन जैसे अशांति प्रिय देश अपनी आपत्ति भी जता चुके हैं. उनकी आपत्तियों के बाद, कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा यह दावा किया जा रहा था कि जम्मू-कश्मीर में यह सम्मेलन नहीं होगा. नहीं उनका यह दावा पूरी तरह से खोखला निकला.

कुछ लोग इसे एक राजनीतिक कदम बता रहे हैं. लेकिन उन्हें यह समझना होगा कि जम्मू-कश्मीर भारत का संप्रभु इलाका है और जब जी-20 की अध्यक्षता भारत को मिली है, तो उसे पूर्ण अधिकार है कि वह इसका आयोजन चाहे जहां कराए. वहीं, जहां तक बात पाकिस्तान का है, तो जब वह जी-20 का सदस्य ही नहीं है, तो उनकी आपत्तियों का कोई औचित्य नहीं है.

दूसरी ओर, इस शिखर सम्मेलन के माध्यम से पूरी दुनिया के लिए भारत में निवेश के मौकों को भी समझने का एक बेहतरीन मौका है. आज जब पूरी दुनिया एक महामारी के बाद, कई आर्थिक चुनौतियों से जूझ रही है, तो प्रधानमंत्री मोदी की दूरगामी नीतियों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की गति निरंतर बनी रही और आज पूरी दुनिया हमारी ओर एक उम्मीद के साथ देख रही है.

गौरतलब है कि गत वर्ष भारत में 84 अरब डॉलर का विदेश निवेश हुआ था. यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि एक ऐसे वक्त में, जब वैश्विक व्यवस्था बेहद अनिश्चित है, भारतीय अर्थव्यवस्था में इतना निवेश बिना बुनियादी सिद्धांतों में विश्वास के नहीं हो सकता है.

आज प्रधानमंत्री मोदी ने जीएसटी, दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता, बैंकिंग सुधार, यूपीआई की सुविधा के अलावा 1,500 पुराने कानूनों का अंत भी कर दिया है, ताकि निवेशकों की राह आसान हो. हमें पूर्ण विश्वास है कि इस शिखर सम्मेलन के बाद हमारी आस्था से लेकर अर्थव्यस्था तक में पूरी दुनिया का विश्वास और अधिक बढ़ेगा और मानव कल्याण की राह सुनिश्चित होगी. 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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