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Coronavirus के चलते भारत ने चीन के नहले पर दहला दे मारा

    • मशाहिद अब्बास
    • Updated: 21 अप्रिल, 2020 07:58 PM
  • 21 अप्रिल, 2020 07:58 PM
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एक तरफ पूरी दुनिया है जो कोरोनावायरस (Coronavirus ) के संकट से जूझ रही है. तो वहीं दूसरी तरफ चीन है. इस मुश्किल समय में भी चीन ने अपना फायदा ढूंढ लिया है और अब उसकी नजर भारत और यहां की अर्थव्यवस्था पर है.

पूरा विश्व जूझ रहा है कोरोना वायरस (Coronavirus) से, और इसके जनक कहलाए जाने वाले चीन (China) के दिमाग में कोई और ही खिचड़ी पक रही है. एक ओर जहां भारत समेत विश्व के बड़े-बड़े देश अपनी अर्थव्यवस्था (Economy) को रोक कर कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं, तो दूसरी ओर चीन अपनी शातिर निगाहें पूरी दुनिया पर गड़ाए बैठा है. ये वही चीन है जहां से कोरोना वायरस ने जन्म लिया है. अब यह वायरस चीन से निकलकर दुनिया के ज़्यादातर देशों में अपने पैर पसार चुका है. लेकिन चीन का दावा है कि वह अब कोरोना वायरस से मुक्ति पा चुका है और अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने में जुटा हुआ है. चीन क्या कोई भी देश होगा तो वह कोरोना से जान छुड़ाने के बाद सबसे पहला काम अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का ही करेगा. लेकिन चीन के कदम देखकर लगता है कि उसके इरादे हरगिज़ नेक नहीं हैं.

चीन अपने देश की अर्थव्यवस्था मजबूत करने के बहाने कई देशों में अपने पांव पसारने की कोशिश में है. चीन के इस चाल की भनक लगते ही यूरोपीय देशों ने अपने-अपने देशों के एफडीआई के नियमों में बदलाव कर दिए. चीन की इसी कोशिश को भारत ने भी नाकाम करने के लिए कदम बढ़ा दिए, बिना चीन का नाम लिए भारत ने उसके ऊपर वार कर दिया है. भारत ने अपनी सीमा से सटे देशों के लिए एफडीआई पर पाबंदी लगा दी है.

चीन भारत के इस कदम से तिलमिला गया है और WTO के नियमों की दुहाई देने लग गया है. भारत सरकार के इस कदम को विपक्षी दलों ने भी सराहा है और खुद राहुल गांधी ने इसे भारत सरकार का बेहतरीन फैसला बताया है. देश में कारोबार के ठप होने से देश की बड़ी-बड़ी कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट हुयी है. चीन इसी का फायदा उठाकर भारत समेत विश्व के कई देशों में निवेश करना चाहता था ताकि वह अपने व्यापार को फैला सके.

कोरोना वायरस के इस दौर में...

पूरा विश्व जूझ रहा है कोरोना वायरस (Coronavirus) से, और इसके जनक कहलाए जाने वाले चीन (China) के दिमाग में कोई और ही खिचड़ी पक रही है. एक ओर जहां भारत समेत विश्व के बड़े-बड़े देश अपनी अर्थव्यवस्था (Economy) को रोक कर कोरोना वायरस से लड़ रहे हैं, तो दूसरी ओर चीन अपनी शातिर निगाहें पूरी दुनिया पर गड़ाए बैठा है. ये वही चीन है जहां से कोरोना वायरस ने जन्म लिया है. अब यह वायरस चीन से निकलकर दुनिया के ज़्यादातर देशों में अपने पैर पसार चुका है. लेकिन चीन का दावा है कि वह अब कोरोना वायरस से मुक्ति पा चुका है और अपनी अर्थव्यवस्था को गति देने में जुटा हुआ है. चीन क्या कोई भी देश होगा तो वह कोरोना से जान छुड़ाने के बाद सबसे पहला काम अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का ही करेगा. लेकिन चीन के कदम देखकर लगता है कि उसके इरादे हरगिज़ नेक नहीं हैं.

चीन अपने देश की अर्थव्यवस्था मजबूत करने के बहाने कई देशों में अपने पांव पसारने की कोशिश में है. चीन के इस चाल की भनक लगते ही यूरोपीय देशों ने अपने-अपने देशों के एफडीआई के नियमों में बदलाव कर दिए. चीन की इसी कोशिश को भारत ने भी नाकाम करने के लिए कदम बढ़ा दिए, बिना चीन का नाम लिए भारत ने उसके ऊपर वार कर दिया है. भारत ने अपनी सीमा से सटे देशों के लिए एफडीआई पर पाबंदी लगा दी है.

चीन भारत के इस कदम से तिलमिला गया है और WTO के नियमों की दुहाई देने लग गया है. भारत सरकार के इस कदम को विपक्षी दलों ने भी सराहा है और खुद राहुल गांधी ने इसे भारत सरकार का बेहतरीन फैसला बताया है. देश में कारोबार के ठप होने से देश की बड़ी-बड़ी कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट हुयी है. चीन इसी का फायदा उठाकर भारत समेत विश्व के कई देशों में निवेश करना चाहता था ताकि वह अपने व्यापार को फैला सके.

कोरोना वायरस के इस दौर में अब चीन भारत की तरफ निगाहें गड़ाए देख रहा है और अपना फायदा सोच रहा है

चीन के इस कदम को लोग भाँप गए और कई देशों ने चीन के निवेश पर पाबंदी लगा दी, भारत ने चीन पर सीधे तौर पर अंकुश तो नहीं लगाया बल्कि सीमा से सटे सभी देशों के सीधे निवेश पर पाबंदी लगा दी, यानि अब बिना भारत सरकार के मंजूरी के भारत का कोई भी पड़ोसी देश भारत में निवेश नहीं कर पाएगा, जिनमें चीन भी शामिल है.

चीन कोरोना से मुक्ति पा चुका है और दुनिया के लगभग सभी देश अपने सबसे बड़े आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में चीन इसी संकट का फायदा उठाने में जुटा हुआ है और चीन की कंपनियां अन्य देशों की कंपनियों की हिस्सेदारी खरीदने में लगी हुयी हैं. ताकि अंतराष्ट्रीय बाजार में वह इस वक्त सबसे मजबूत स्थिति में आ जाए. चीन दुनिया भर में संकट के समय अपना फायदा चाहता है. वह भारत की बड़ी बड़ी कंपनियो में भी अपनी हिस्सेदारी चाहता था. भारत सरकार ने चीन के इस सपने को चकनाचूर कर दिया है. भारत सरकार ने चीन सहित सभी पड़ोसी देशों को भारत में हिस्सेदारी बढ़ाने से रोक दिया है, चीन बौखला गया है और नियम कानून समझाने में जुट गया है.

चीन की इस तिलमिलाहट ने उसकी चाल को सामने ला दिया है. अब कोई भी देश सीधे तौर पर चीन को अपने देश में पैर पसारने से रोकने की तैयारी में हैं. चीन ने इस संकट के समय दुनिया के कई देशों में अपने जाल बिछाने की तैयारी कर रखी है जिसपर धीरे-धीरे चीन खुद फंसता नज़र आ रहा है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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