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भारत चीन से पांच इंच की जमीन पर लोहा ले रहा है!

    • आईचौक
    • Updated: 28 अगस्त, 2017 06:49 PM
  • 28 अगस्त, 2017 06:49 PM
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भारत में चीनी स्मार्टफोन कंपनियां जरुरत से ज्यादा पैर पसार चुकी हैं. विवो और ओपो ने भारतीय क्रिकेट के सभी प्रमुख प्रायोजकों को किनारे कर दिया है. पेटीएम भारत में होने वाले सभी क्रिकेट टूर्नामेंट का स्पॉन्सर है.

भले ही भारत और चीन के बीच डॉकलाम के मुद्दे ने कोई सशस्त्र संघर्ष का रूप नहीं लिया है, लेकिन चीन-भारत का युद्ध जारी जरुर है. चीन के खिलाफ भारत ये युद्ध एक असाधारण युद्धक्षेत्र पर लड़ रहा है. वो युद्धक्षेत्र है लोगों के स्मार्टफोन की पांच इंच की स्क्रीन.

चीनी स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर भारतीयों को पता ही नहीं है कि कैसे उनके फोन भारत और चीन के लिए रणभूमि में बदल गए हैं.

टोरंटो विश्वविद्यालय की एक स्टडी और कुछ रिपोर्ट से पता चला है कि चीनी स्मार्टफोन कंपनियां भारतीयों का डाटा चीन को भेज रही हैं. भारत सरकार ने इन कंपनियों को आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया है. चीन, चीनी स्मार्टफोन कंपनियों द्वारा भेजे गए भारतीय यूजर्स के डाटा का फायदा अपने वाणिज्यिक और रणनीतिक उद्देश्यों के लिए उठा सकता है.

सरकार ने पिछले कुछ दिनों में इन सुरक्षा जोखिमों पर तेजी से कदम उठाए हैं.

डाटा लीक और चोरी होने की खबरों के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने 21 स्मार्टफोन निर्माताओं को निर्देश दिया है कि वो उसे भारत में बेचे जाने वाले मोबाइल फोन की सुरक्षा प्रक्रियाओं के बारे में अवगत कराए. इन 21 कंपनियों में से ज्यादातर चीन के हैं. इसके बाद सरकार उनसे मिले डिटेल को खंगालेगी और सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

चीनी कंपनियों के जरिए भारत डोकलाम की सजा दे रहा है

सरकार यूजर डाटा की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए चीन के हैंडसेट निर्माताओं को भारत में सर्वर स्थापित करने के लिए भी कह सकती है. ऐसा इसलिए किया जाएगा क्योंकि ज्यादातर चीनी स्मार्टफोन कंपनियों के सर्वर उनके ही देश में हैं. जो भारत के लिए खतरा बन सकते हैं.

रिपोर्टों के मुताबिक अलीबाबा का यूसी ब्राउजर सरकार के...

भले ही भारत और चीन के बीच डॉकलाम के मुद्दे ने कोई सशस्त्र संघर्ष का रूप नहीं लिया है, लेकिन चीन-भारत का युद्ध जारी जरुर है. चीन के खिलाफ भारत ये युद्ध एक असाधारण युद्धक्षेत्र पर लड़ रहा है. वो युद्धक्षेत्र है लोगों के स्मार्टफोन की पांच इंच की स्क्रीन.

चीनी स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर भारतीयों को पता ही नहीं है कि कैसे उनके फोन भारत और चीन के लिए रणभूमि में बदल गए हैं.

टोरंटो विश्वविद्यालय की एक स्टडी और कुछ रिपोर्ट से पता चला है कि चीनी स्मार्टफोन कंपनियां भारतीयों का डाटा चीन को भेज रही हैं. भारत सरकार ने इन कंपनियों को आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया है. चीन, चीनी स्मार्टफोन कंपनियों द्वारा भेजे गए भारतीय यूजर्स के डाटा का फायदा अपने वाणिज्यिक और रणनीतिक उद्देश्यों के लिए उठा सकता है.

सरकार ने पिछले कुछ दिनों में इन सुरक्षा जोखिमों पर तेजी से कदम उठाए हैं.

डाटा लीक और चोरी होने की खबरों के बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने 21 स्मार्टफोन निर्माताओं को निर्देश दिया है कि वो उसे भारत में बेचे जाने वाले मोबाइल फोन की सुरक्षा प्रक्रियाओं के बारे में अवगत कराए. इन 21 कंपनियों में से ज्यादातर चीन के हैं. इसके बाद सरकार उनसे मिले डिटेल को खंगालेगी और सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

चीनी कंपनियों के जरिए भारत डोकलाम की सजा दे रहा है

सरकार यूजर डाटा की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए चीन के हैंडसेट निर्माताओं को भारत में सर्वर स्थापित करने के लिए भी कह सकती है. ऐसा इसलिए किया जाएगा क्योंकि ज्यादातर चीनी स्मार्टफोन कंपनियों के सर्वर उनके ही देश में हैं. जो भारत के लिए खतरा बन सकते हैं.

रिपोर्टों के मुताबिक अलीबाबा का यूसी ब्राउजर सरकार के स्कैनर के तहत आ चुका है. यूसी ब्राउजर पर अपने भारतीय उपयोगकर्ताओं के मोबाइल डाटा को लीक करने का आरोप लगा है. अगर ये दोषी पाया गया तो सरकार इस लोकप्रिय ब्राउजर को बैन भी कर सकती है. यूसी ब्राउजर, अलीबाबा के मोबाइल बिजनेस ग्रुप का एक हिस्सा है.

अलीबाबा ने पेमेंट बैंक फर्म पेटीएम और इसकी मूल कंपनी वन 97 में भी महत्वपूर्ण निवेश किया है. पेटीएम के अलावा अलीबाबा ने ई-कॉमर्स फर्म स्नैपडील में भी निवेश किया है. देश में गूगल क्रोम के बाद यूसी ब्राउज़र दूसरा सबसे लोकप्रिय स्मार्टफोन ब्राउजर माना जाता है. पिछले साल इसने दावा किया था कि भारत और इंडोनेशिया में इसके 10 करोड़ से ज्यादा सक्रिय यूजर हैं.

सरकार को चीन के पास डाटा पहुंचने और इसके व्यावसायिक दुरुपयोग से ज्यादा बड़ी चिंता है साइबर अटैक की. चीन की कोई दूरसंचार कंपनी इसमें भागीदार बन सकती है. भारतीय स्मार्टफोन बाजार का लगभग 54% हिस्से पर चीन की कंपनियों का कब्जा है, जिसमें शाओमी, लेनोवो, ओपो और विवो शामिल हैं. इसके साथ ही डोकलाम में की जाने वाली बदतमीजी की सजा के रुप में सरकार भारतीय बाजार में चीनी कंपनियों के वर्चस्व तोड़ना भी चाहती है. हाल ही में मोबाइल फोन स्क्रीन की रक्षा के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले टेम्पर्ड ग्लास पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाने का निर्णय सरकार की इसी रणनीति का एक हिस्सा है.

भारत में चीनी स्मार्टफोन कंपनियां जरुरत से ज्यादा पैर पसार चुकी हैं. विवो और ओपो ने भारतीय क्रिकेट के सभी प्रमुख प्रायोजकों को किनारे कर दिया है. पेटीएम जिसमें अली बाबा का सबसे बड़ा हिस्सा है, वो भारत में होने वाले सभी क्रिकेट टूर्नामेंट का स्पॉन्सर है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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