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आंबेडकर के 'पेरियारीकरण' को रोकने के लिए तमिलनाडु में हिंदू संगठन ने गज़ब फॉर्मूला निकाला!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 07 दिसम्बर, 2022 01:37 PM
  • 07 दिसम्बर, 2022 01:37 PM
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पुण्यतिथि के दिन तमिलनाडु में आंबेडकर की तस्वीर का भगवाकरण किया गया है. इंटरनेट पर जो तस्वीर वायरल हुई है उसमें आंबेडकर भगवा रंग में रंगे नजर आ रहे हैं वहीं उनके माथे पर टीका और भभूत लगी है. जिस हिंदूवादी संगठन ने ये कारनामा किया है उसने आंबेडकर राष्ट्रीय नेता बताया है.

6 दिसंबर दिन जो समर्पित है भारतीय संविधान के निर्माता बाबासाहब आंबेडकर को. ये दिन उनकी पुण्यतिथि के रूप में जाना जाता है. हर साल इस दिन देश के लाखों लोग अपने अपने तरीके से आंबेडकर को याद करते हैं.  संगोष्ठियां होती हैं. विमर्श होता है और बताया जाता है कि क्यों आंबेडकर देश और संविधान के लिहाज से बहुत जरूरी हैं. तमाम राज्यों और शहरों की तरह आंबेडकर अपनी पुण्यतिथि के दिन तमिलनाडु में भी याद किये गए लेकिन बवाल हो गया है. होता भी क्यों न आंबेडकर का भगवाकरण जो हुआ है. मामले में दिलचस्प ये रहा कि, वो संगठन जिसने आंबेडकर के साथ ये सुलूक किया. उसका ये कहना है कि चूंकि आंबेडकर एक राष्ट्रीय नेता हैं. इसलिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से ऐसा किया गया है.

हिंदूवादी संगठन द्वारा आंबेडकर को भगवा किये जाने ने दलित विचारकों को बेचैन कर

जिक्र तमिलनाडु से आई आंबेडकर की विवादित फोटो का हुआ है तो बताते चलें कि तस्वीर में आंबेडकर भगवा रंग में रंगे नजर आ रहे हैं वहीं उनके माथे पर टीका और भभूत लगी है. फोटो ने तमिलनाडु में जहां एक तरफ राजनीतिक सरगर्मियां तेज की हैं. तो वहीं तमाम दलित विचारक और चिंतक भी आंबेडकर के इस रूप को देखकर हैरान हो गए हैं.

मामले की जब जांच हुई तो पता चला कि ये सारा किया धरा तमिलनाडु से जुड़े हिंदू राइट विंग ग्रुप हिंदू मक्कल काची का किया हुआ है.

विदुथलाई चिरुथिगल काची के नेता और सांसद तोलकाप्पियन थिरुमावलवन ने आंबेडकर की इस तस्वीर को एक बड़े मुद्दे की तरह पेश किया है और कहा है कि हिंदूवादी संगठन ने भगवाकरण करके आंबेडकर को नीचा दिखाने का प्रयास किया है.

6 दिसंबर दिन जो समर्पित है भारतीय संविधान के निर्माता बाबासाहब आंबेडकर को. ये दिन उनकी पुण्यतिथि के रूप में जाना जाता है. हर साल इस दिन देश के लाखों लोग अपने अपने तरीके से आंबेडकर को याद करते हैं.  संगोष्ठियां होती हैं. विमर्श होता है और बताया जाता है कि क्यों आंबेडकर देश और संविधान के लिहाज से बहुत जरूरी हैं. तमाम राज्यों और शहरों की तरह आंबेडकर अपनी पुण्यतिथि के दिन तमिलनाडु में भी याद किये गए लेकिन बवाल हो गया है. होता भी क्यों न आंबेडकर का भगवाकरण जो हुआ है. मामले में दिलचस्प ये रहा कि, वो संगठन जिसने आंबेडकर के साथ ये सुलूक किया. उसका ये कहना है कि चूंकि आंबेडकर एक राष्ट्रीय नेता हैं. इसलिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से ऐसा किया गया है.

हिंदूवादी संगठन द्वारा आंबेडकर को भगवा किये जाने ने दलित विचारकों को बेचैन कर

जिक्र तमिलनाडु से आई आंबेडकर की विवादित फोटो का हुआ है तो बताते चलें कि तस्वीर में आंबेडकर भगवा रंग में रंगे नजर आ रहे हैं वहीं उनके माथे पर टीका और भभूत लगी है. फोटो ने तमिलनाडु में जहां एक तरफ राजनीतिक सरगर्मियां तेज की हैं. तो वहीं तमाम दलित विचारक और चिंतक भी आंबेडकर के इस रूप को देखकर हैरान हो गए हैं.

मामले की जब जांच हुई तो पता चला कि ये सारा किया धरा तमिलनाडु से जुड़े हिंदू राइट विंग ग्रुप हिंदू मक्कल काची का किया हुआ है.

विदुथलाई चिरुथिगल काची के नेता और सांसद तोलकाप्पियन थिरुमावलवन ने आंबेडकर की इस तस्वीर को एक बड़े मुद्दे की तरह पेश किया है और कहा है कि हिंदूवादी संगठन ने भगवाकरण करके आंबेडकर को नीचा दिखाने का प्रयास किया है.

फोटो को ट्वीट करते हुए थिरुमावलवन ने लिखा है कि भले ही इस तस्वीर के जरिये आंबेडकर का भगवाकरण किया गया हो लेकिन ये आंबेडकर ही थे जिन्होंने सदैव विष्णु या ब्रह्मा की पूजा का विरोध किया और इससे इंकार किया. अपने ट्वीट में थिरुमावलवन ने ये भी मांग की कि जिन धार्मिक कट्टरपंथियों ने भीमराव आंबेडकर जैसी हस्ती के साथ ऐसा घिनौना मजाक किया उसपर तुरंत एक्शन लिया जाना और गिरफ्तार किया जाना चाहिए.

क्योंकि पुण्यतिथि के दिन इस विवाद का श्री गणेश हिंदू मक्कल काची ने किया था जब उनसे बात की गई तो उन्होंने ये कहकर दलित विचारकों को और परेशान कर दिया कि आंबेडकर भगवा प्रेमी थे.

इस कथन के पीछे का लॉजिक देते हुए हिंदू मक्कल काची की तरफ से ये भी कहा गया कि आंबेडकर भगवा प्रेमी थे क्योंकि उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया था, जिसका प्रतीक भगवा है. सांसद थिरुमावलवन पर बड़ा हमला करते हुए संगठन का ये भी कहना है कि थिरुमावलवन और उन जैसे अन्य लोगों द्वारा आंबेडकर को पेरियाराइज करने की कोशिश लगातार हो रही है जिसे वो लोग कभी कामयाब नहीं होने देंगे.

ध्यान रहे कि अगर तमिलनाडु में आंबेडकर को लेकर राजनीति गरमाई है तो ये यूं ही बेवजह नहीं है. तमिलनाडु की राजनीति में कास्ट फैक्टर हमेशा ही एक प्रमुख मुद्दा रहा है और साथ ही पूर्व में तमाम मौके ऐसे भी आए हैं जब तमिलनाडु में दलितों और ऊंची जातियों के बीच संघर्ष देखा गया है.

ऐसे में अगर हिंदू मक्कल काची जैसा संगठन आंबेडकर को एक राष्ट्रीय नेता बता रहा है. तो हमें इस बात को समझना होगा कि इसका एकमात्र उद्देश्य हिंदू वोटर्स को संगठित करना है. हिंदू मक्कल काची समेत तमिलनाडु के तमाम दक्षिणपंथी संगठन अपने मकसद में कामयाब होते हैं या नहीं इसका जवाब तो वक़्त की गर्त में छिपा है. लेकिन जैसा मौजूदा माहौल है इतना तो साफ़ है कि आंबेडकर के नाम पर इस मुहीम को हिंदूवादी संगठन देश भर में ले जाएंगे.

भारतीय राजनीति में जैसी भूमिका आंबेडकर की रही है जितना ये विवाद बढ़ेगा उतना फायदा हिंदू वादी संगठनों को होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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