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कहीं वाजपेयी सरकार का काम भी तो मार्गदर्शक मंडल में नहीं भेजा जाना है!

    • आईचौक
    • Updated: 18 फरवरी, 2018 12:23 PM
  • 18 फरवरी, 2018 12:23 PM
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अभी तक ऐसे संकेत तो नहीं मिले हैं कि आडवाणी की तरह वाजपेयी सरकार के कामों को भी मार्गदर्शक मंडल भेजने की तैयारी हो. मगर मोरारजी देसाई का नाम लेते वक्त प्रधानमंत्री मोदी ये कैसे भूल गये कि उसी बीच में वाजपेयी भी प्रधानमंत्री बने थे?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस के प्रति लगातार हमलावर और आक्रामक रुख अपनाये हुए हैं. ये सिलसिला संसद से लेकर सड़क तक कायम है. यहां तक कि विदेशी जमीन पर भी मोदी के भाषण के हाल के कंटेंट पर गौर करें तो तकरीबन एक जैसा ही नजर आ रहा है.

कांग्रेस मुक्त भारत अभियान चला रहे प्रधानमंत्री मोदी अब कम्युनिस्ट मुक्त भारत की राह पकड़ चुके हैं. त्रिपुरा में मोदी ने लोगों से कुछ ऐसी ही अपील भी कर डाली, लेकिन जल्दबाजी में बीजेपी को ही हिट विकेट कर बैठे. अरुणाचल प्रदेश की सभा में नॉर्थ ईस्ट के मुद्दे पर मोदी ने बीजेपी के ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी नहीं बख्शा.

मोदी के भाषण की चपेट में वाजपेयी भी!

चीन की तमाम आपत्तियों को दरकिनार करते हुए ईटानगर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से कहा कि सबसे ज्यादा जय हिंद अरुणाचल प्रदेश में ही सुनने को मिलता है. मोदी ने नॉर्थ ईस्ट काउंसिल के बहाने केंद्र की कांग्रेस सरकारों को तो घसीटा ही, उनकी चपेट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी आ गये.

वाजपेटी को कैसे भूल गये मोदी?

मोदी ने कहा, "मोरारजी देसाई नार्थ ईस्ट काउंसिल में हिस्सा लेने वाले अंतिम प्रधानमंत्री थे. उसके बाद के प्रधानमंत्रियों के पास इतना वक्त नहीं था कि वे बैठक में शामिल हों. वे बहुत 'बिजी' हो गए लेकिन मैं आपके लिए आया हूं."

मोरारजी देसाई की सरकार पहली गैर कांग्रेसी सरकार थी. मोरारजी देसाई और मोदी सरकार के बीच ही अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी थी. सारी बातें अपनी जगह हैं लेकिन क्या वाजपेयी सरकार को प्रधानमंत्री मोदी बीजेपी की...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस के प्रति लगातार हमलावर और आक्रामक रुख अपनाये हुए हैं. ये सिलसिला संसद से लेकर सड़क तक कायम है. यहां तक कि विदेशी जमीन पर भी मोदी के भाषण के हाल के कंटेंट पर गौर करें तो तकरीबन एक जैसा ही नजर आ रहा है.

कांग्रेस मुक्त भारत अभियान चला रहे प्रधानमंत्री मोदी अब कम्युनिस्ट मुक्त भारत की राह पकड़ चुके हैं. त्रिपुरा में मोदी ने लोगों से कुछ ऐसी ही अपील भी कर डाली, लेकिन जल्दबाजी में बीजेपी को ही हिट विकेट कर बैठे. अरुणाचल प्रदेश की सभा में नॉर्थ ईस्ट के मुद्दे पर मोदी ने बीजेपी के ही पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी नहीं बख्शा.

मोदी के भाषण की चपेट में वाजपेयी भी!

चीन की तमाम आपत्तियों को दरकिनार करते हुए ईटानगर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से कहा कि सबसे ज्यादा जय हिंद अरुणाचल प्रदेश में ही सुनने को मिलता है. मोदी ने नॉर्थ ईस्ट काउंसिल के बहाने केंद्र की कांग्रेस सरकारों को तो घसीटा ही, उनकी चपेट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी आ गये.

वाजपेटी को कैसे भूल गये मोदी?

मोदी ने कहा, "मोरारजी देसाई नार्थ ईस्ट काउंसिल में हिस्सा लेने वाले अंतिम प्रधानमंत्री थे. उसके बाद के प्रधानमंत्रियों के पास इतना वक्त नहीं था कि वे बैठक में शामिल हों. वे बहुत 'बिजी' हो गए लेकिन मैं आपके लिए आया हूं."

मोरारजी देसाई की सरकार पहली गैर कांग्रेसी सरकार थी. मोरारजी देसाई और मोदी सरकार के बीच ही अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी थी. सारी बातें अपनी जगह हैं लेकिन क्या वाजपेयी सरकार को प्रधानमंत्री मोदी बीजेपी की सरकार नहीं मानते? ऐसा तो नहीं कि लालकृष्ण आडवाणी को मार्गदर्शक मंडल में भेजने के बाद पिछली एनडीए सरकार को भी वैसी ही किसी कैटेगरी में रखा जा रहा हो. ठीक वैसे ही जैसे कांग्रेस नरसिम्हाराव सरकार को अपनी सरकार मानने को तैयार नहीं होती. देखा जाये तो नरसिम्हाराव के प्रति बीजेपी नेताओं में कांग्रेस के मुकाबले कुछ ज्यादा ही सहानुभूति दिखती है.

...और अब कम्युनिस्ट मुक्त भारत!

त्रिपुरा के चुनावी दौरे में मोदी ने कहा कि वहां बांग्लादेश से व्यापार का बड़ा मौका है, लेकिन कम्युनिष्ट पार्टी ऐसा कर ही नहीं सकती. मोदी ने समझाया कि कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं. मोदी ने लोगों से कहा कि दोनों को अलग समझने की गलती मत करिये. मोदी ने पूछा, 'कांग्रेस त्रिपुरा में चुनाव ही क्यों लड़ रही है? दिल्ली में दोस्ती और त्रिपुरा में विरोध का नाटक क्यों?'

मोदी ने कहा, 'कम्युनिस्ट पार्टी गणतंत्र में नहीं, गनतंत्र में विश्वास करती है. हमें गनतंत्र नहीं चाहिए, जनतंत्र चाहिए, लोकतंत्र चाहिए.'

फिर मोदी ने आशंका भी जतायी - 'ये कम्युनिस्ट पार्टी को पता चल गया है कि उनका जाना तय है, इसलिए आने वाले दिनों में वो आपको धमकाएंगे, चाकू दिखाएंगे, बम धमाके करेंगे, लेकिन आप इन बदमाशों से डरिएगा नहीं. पूरा देश आपके साथ है... ये चुनाव आयोग के लिए चुनौती है कि वो यहां 18 तारीख तक शांति बनाए रखने में मदद करे, यहां किसी पर जुल्म न हो.'

बेदाग छवि के बावजूद निशाने पर माणिक सरकार!

मोदी ने लोगों से कम्युनिस्ट पार्टी को उखाड़ फेंकने की अपील की और कहा, 'अब पूरी दुनिया में इनकी जगह नहीं... त्रिपुरा में भी नहीं... 3 तारीख के बाद त्रिपुरा की धरती पर कम्युनिस्टों का नामोनिशान नहीं रहेगा.'

मेघालय और कर्नाटक की चुनावी रैलियों में प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह बारी बारी वहां की सरकारों को 'सबसे भ्रष्ट' बता चुके हैं. असल में दोनों जगह कांग्रेस की ही सरकारें हैं. त्रिपुरा के साथ दिक्कत ये है कि बीजेपी नेताओं के लिए मुख्यमंत्री माणिक सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाना मुश्किल होता है, लिहाजा दूसरे रास्ते अख्तियार किये जाते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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